न्यायालय निर्णयः चेक बाउंस का आरोपी हुआ बरी

न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने चेक बाउंस मामले में परिवादी द्वारा वित्तीय क्षमता का साक्ष्य प्रस्तुत न कर पाने पर आरोपी को दोषमुक्त किया है। मामला वर्ष 2014 का है, इस मामले में आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव पांडेय ने ठोस पैरवी की।

दरअसल, भट्ट कॉलोनी श्यामपुर निवासी अमित ने न्यायालय में दाखिल अपने वाद में बताया था कि खैरीखुर्द श्यामपुर निवासी देवेंद्र प्रसाद डोण्डियाल नामक व्यक्ति को उन्होंने वर्ष 2014 में 20 लाख रूपये उधार दिये थे। बताया था कि देवेंद्र सिंह सेे उनकी वर्ष 2010 से जान पहचान है। उन्होंने दायर वाद में यह भी बताया था कि वर्ष 2018 में जब आरोपी से अपने दिए हुए रूपये वापस मांगे तो आरोपी ने दो अलग-अलग चेक उन्हें दिए जो बाउंस हो गए।

न्यायालय में आरोपी देवेंद्र प्रसाद डोण्डियाल के बयान हुए तो उन्होंने बताया कि वादी के साथ वह पार्टनरशिप में काम करते हैं। उनकी ओर से वादी को कोई चेक नहीं दिए गए। इसके विपरित वादी ने उनकी कार में पूर्व से ही हस्ताक्षर कर रखी हुई चेक बुक में से चेक निकालकर दुरूपयोग किया गया है।

आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव पांडेय ने मामले में ठोस पैरवी करते हुए न्यायालय में न्यायधीश के समक्ष वादी से जिरह की और वादी की वित्तीय क्षमता पर प्रश्न पूछा। जिस पर न्यायालय को मालूम हुआ कि वादी ने वर्ष 2011 में 12वीं की परीक्षा पास की हैं तथा 2013 में पॉलिटेक्निक में एडमिशन लिया जिसे वर्ष 2015 में पूर्ण किया गया तथा वादी ने अपना व्यापार वर्ष 2017 से शुरू किया।

अधिवक्ता संजीव पांडेय ने न्यायालय को बताया कि जब वादी ने अपना व्यापार ही वर्ष 2017 से शुरू किया तो वर्ष 2014 में वादी द्वारा आरोपी को 20 लाख रूपये देना कैसे संभव है। न्यायालय ने अधिवक्ता के प्रश्न पर वादी से वित्तीय क्षमता जानी जिस पर वादी कोई साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत न कर सका। साथ ही वादी कोर्ट में अपनी आय का माध्यम बताने में भी असफल रहा।

न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार मिश्र की अदालत ने यह पाया कि वादी और आरोपी के मध्य कोई देनलेन नहीं हुआ है। इसके आधार पर न्यायालय ने आरोपी देवेंद्र प्रसाद डोण्डियाल को दोषमुक्त करार दिया।

न्यायालय ने चेक बाउंस में आरोपी बनाए व्यक्ति को किया बरी

चेक बाउंस के मामले पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश ने अपना फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त किया है।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि सुनील रावत पुत्र केएस रावत निवासी नटराज चौक ढालवाला टिहरी गढ़वाल ने न्यायालय में वाद दायर किया। जिसमें वादी ने बताया कि बलवीर सिंह पुत्र सतनाम निवासी गढ़ीमयचक ऋषिकेश से अच्छी जान पहचान थी। वादी के अनुसार बलवीर सिंह के साथ एक जमीन का सौदा किया। जिसके बयाने के लिए वादी ने 12 लाख 50 हजार रूपये दिए। मगर, कुछ समय बाद जमीन का सौदा निरस्त हो गया। इस पर सुनील रावत ने बलवीर से अपने रूपये वापस मांगे। जिस पर बलवीर ने चेक दिया, जो बाउंस हो गया।

अधिवक्ता शुभम राठी ने इस मामले में आरोपी बनाए गए बलवीर सिंह की ओर से मजबूत पैरवी की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि बलवीर सिंह ने सुनील रावत से 12 लाख 50 हजार रूपये नहीं लिये थे। सिर्फ 10 लाख रूपये लेकर एक ब्लैंक चेक दिया था, जिसे वापस न देने पर जमीन पर कब्जा करने को लेकर सहमति बनी थी। अधिवक्ता ने न्यायालय में यह आवश्यक दस्तावेज के जरिए यह साबित कर दिखाया कि सिर्फ 10 ही लाख रूपये लिए थे, जो वापस भी लौटा दिए।

अधिवक्ता शुभम राठी की ठोस पैरवी को आधार बनाते हुए न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेंद्र कुमार ने बलवीर सिंह को दोषमुक्त किया है।

चेक बाउंस-छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई

चेक बाउंस के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोष सिद्ध होने पर आरोपी को छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दो महीने में परिवादी को क्षतिपूर्ति धनराशि 16 लाख 50 हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया है। निर्धारित अवधि के भीतर क्षतिपूर्ति नहीं देने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।
अधिवक्ता अमित अग्रवाल ने बताया कि अक्तूबर 2015 में राजेंद्र सिंह ने अपने एक परिचित अनुज कालिया निवासी ऋषिकेश से 15 लाख रुपये उधार लिए थे। दो महीने बाद उधार की रकम चुकाने के एवज में 5 दिसंबर 2015 को 15 लाख का चेक दिया। विश्वास दिलाया कि चेक अनादरित नहीं होगा।
अनुज कालिया ने तय तारीख आने पर चेक बैंक में प्रस्तुत किया। करीब एक महीने बाद बैंक ने चेक यह कहकर लौटा दिया कि संबंधित खाते में रकम नहीं है। चेक बाउंस होने पर अनुज कालिया ने आरोपी को कोर्ट नोटिस भिजवाया। नोटिस प्राप्त करने के बाद भी आरोपी ने उधार की रकम नहीं लौटायी। परिवादी अनुज कालिया ने मामले की शिकायत कोर्ट में दर्ज करायी। कोर्ट में विचाराधीन मामले की अंतिम सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भवदीप की अदालत में हुई। आरोप साबित होने पर कोर्ट ने सजा सुनायी है।