मोदी सरकार की कैबिनेट में 4800 करोड़ रूपये की वित्तीय आवंटन को मिली मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए केंद्र प्रायोजित योजना “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” को मंजूरी दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए 4800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ केंद्र प्रायोजित योजना “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” (वीवीपी) को मंजूरी दे दी है।
उत्तरी सीमा पर ब्लॉकों के गांवों के व्यापक विकास से चिन्हित सीमावर्ती गांव में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। इससे लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रोत्साहित करने तथा इन गांवों से पलायन रोकने में सहायता मिलेगी, सीमा की सुरक्षा में सुधार होगा।
यह योजना देश की उत्तरी भूमि सीमा के साथ 19 जिलों और 46 सीमा ब्लॉकों, 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में आवश्यक अवसंरचना विकास व आजीविका के अवसरों के निर्माण के लिए धन प्रदान करेगी, जिससे समावेशी विकास हासिल करने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या को बनाए रखने में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम के पहले चरण में 663 गांवों को शामिल किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांव में स्थानीय प्राकृतिक मानव और अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान और विकास करना तथा सामाजिक उद्यमिता प्रोत्साहन, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाकर “हब एंड स्पोक मॉडल”पर विकास केंद्रों को विकसित करना, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत प्रोत्साहन के माध्यम से पर्यटन क्षमता का लाभ उठाना और समुदाय आधारित संगठनों, सहकारिता, एसएचजी, एनजीओ के माध्यम से “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस का विकास करना है।
वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान ग्राम पंचायतों की सहायता से जिला प्रशासन द्वारा तैयार किया जाएगा। केंद्रीय तथा राज्य योजनाओं की शत-प्रतिशत पूर्णता सुनिश्चित की जाएगी।
जिन प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास किया गया है उनमें- सभी मौसम अनुकूल सड़क, पेयजल, 24ग्7 सौर तथा पवन ऊर्जा पर केंद्रित विद्युत आपूर्ति, मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुद्देशीय सेंटर तथा स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर- शामिल है।
सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के साथ किसी तरह की अंशतः समानता नहीं होगी। 4800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन में से 2500 करोड़ रुपए का उपयोग सड़कों के लिए किया जाएगा।

निशंक ने रोजगार परक शिक्षा से देश की बेरोजगारी को खत्म करने पर दिया जोर

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने नई दिल्ली में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ समीक्षा बैठक की। केन्द्रीय मंत्री ने विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे कार्यक्रमों एवं प्रगति की समीक्षा की। केन्द्रीय मंत्री ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में अवस्थापना एवं रख रखाव से संबंधित आवश्यकताओं की भी समीक्षा की तथा मंत्रालय का सहयोग सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।
डॉ. निशंक ने सभी केंद्रीय विश्विद्यालयों में खाली पड़े पदों पर चिंता जाहिर की और यूजीसी को निर्देश दिया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों को शीघ्र भरने का खाका तैयार किया जाए ताकि नई पीढ़ी को गुणवत्तापरक शिक्षा का लाभ मिल सके। डॉ. निशंक ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को विश्व रैंकिंग में सुधार लाने के लिए रोडमैप तैयार करने को कहा। मंत्री जी ने उम्मीद जताई कि हम कठिन परिश्रम, गुणवत्तापरक शिक्षा और शोध पर बल देकर शीघ्र ही विश्व के शीर्ष संस्थानों में अपना नाम दर्ज करा पाएंगे।

यह भी पढे़ …
संस्कृत भाषा को नए आयाम दिलाने के लिए और प्रयास करने होंगेः निशंक

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय देश में गुणवत्तापरक शिक्षा को बढ़ावा देने के सबसे सशक्त माध्यम हैं। मंत्री जी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को विश्वास दिलाया कि शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मंत्रालय की तरफ से जो भी सहयोग चहिए उसे पूरा किया जाएगा।
डॉ. निशंक ने बैठक के दौरान अपने सम्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालयों को रोजगार परक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि रोजगार परक शिक्षा के माध्यम से देश में व्याप्त बेरोजगारी की समस्या से भी निपटा जा सकता है।