मुख्यमंत्री से आरबीआई गवर्नर ने की शिष्टाचार भेंट

आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मुख्यमंत्री आवास, देहरादून में शिष्टाचार भेंट की। यह भेंटवार्ता राज्य के आर्थिक परिदृश्य, वित्तीय समावेशन तथा उत्तराखंड में बैंकिंग सेवाओं के सुदृढ़ीकरण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित रही।

मुख्यमंत्री धामी ने आरबीआई गवर्नर का उत्तराखंड आगमन पर हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि देश की वित्तीय संस्था के प्रमुख से मुलाकात राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और डिजिटलीकरण को प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड को आत्मनिर्भर और विकसित राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने मल्होत्रा से उत्तराखंड के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं के विस्तार, डिजिटल भुगतान प्रणाली के प्रसार, और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु आरबीआई के सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि ऐसे क्षेत्रों में भी बैंकिंग सेवाएं सुलभ हों जहाँ अभी भी पहुँच की कमी है, जिससे जनता को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “डिजिटल इंडिया” अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड ने हाल के वर्षों में डिजिटल लेनदेन, क्ठज् (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) और सरकारी सेवाओं के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्धता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने उत्तराखंड सरकार द्वारा वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता, और सुशासन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक राज्य के वित्तीय विकास और बैंकिंग आधार के विस्तार में हरसंभव सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि आरबीआई की ओर से उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में बैंकिंग और वित्तीय साक्षरता से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, स्थानीय स्तर पर एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र को वित्तीय सहायता की सुविधा भी अधिक सुलभ बनाने पर विचार किया जाएगा।

ब्याज दरों में और कटौती के मिले संकेत, गर्वनर बोले हमारे तरकश में कई तीर

भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिये है। वहीं, कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए उपायों को जारी रखने का अप्रत्यक्ष रुप से दावा भी किया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में कहा कि, चाहे दर में कटौती हो या फिर अन्य नीतिगत कदम, हमारे तरकश के तीर अभी खत्म नहीं हुए हैं।
बता दें कि आरबीआई ने छह अगस्त को जारी नीतिगत समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। केंद्रीय बैंक इससे पहले पिछली दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। फिलहाल रेपो दर चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि महामारी की रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। केंद्रीय बैंक द्वारा पिछले दिनों घोषित राहत उपायों के बारे में दास ने कहा, किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा। 
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और अन्य पहलुओं पर एक बार स्पष्टता होने के बाद आरबीआई मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर अपने पूर्वानुमान देना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण सही दिशा में एक कदम है। दास ने कहा, बैंकों का आकार जरूरी है, लेकिन दक्षता इससे भी महत्वपूर्ण है। बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और उसका सामना करते हैं।
वहीं, लॉकडाउन के दौरान आम जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई कदम उठाए। इन्हीं में से एक है लोन मोरेटोरियम यानी लोन स्थगन की सुविधा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लोन मोरेटोरियम की सुविधा एक अस्थायी समाधान था। ऋण समाधान ढांचे से कोविड-19 संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे कर्जदारों को टिकाऊ राहत मिलने की उम्मीद है।
कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति से आरबीआई की प्रतिक्रिया अभूतपूर्व रही है। आरबीआई द्वारा किए गए उपायों का उद्देश्य कोविड-19 की कठिन स्थिति से निपटना है और यह स्पष्ट रूप से स्थायी नहीं है। उन्होंने कहा कि महामारी के रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। वित्तीय क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए। दास ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा। कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है।