जल निगम के अंतर्गत तैयार किए जा रहे सीवेज मैनेजमेंट प्लांट्स का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य गंगा समिति की 18वीं बैठक संपन्न हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि गंगा के संरक्षण और कायाकल्प के लिए किए जा रहे सभी कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूर्ण किया जाए। कहा कि लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आदि कार्यों के लिए कार्यदायी संस्थाओं को गंभीरता से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने कहा कि जिला गंगा समितियों की बैठकें भी ससमय अनिवार्य रूप से करवा ली जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि जल निगम के अंतर्गत तैयार किए जा रहे सीवेज मैनेजमेंट प्लांट्स का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि नई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की बनाने जाने से पहले इसके लिए गठित समिति की संस्तुति अनिवार्य रूप से ले ली जाए। उन्होंने कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल एवं रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तिलवाड़ा एसटीपी निर्माण में हो रही देरी के लिए संबंधित जनपदों के जिलाधिकारियों को भूमि हस्तांतरण आदि कार्यों एक माह में निस्तारित कर कार्य पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेशभर में सीवेज मैनेजमेंट का अंतर विश्लेषण करवाये जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने गंगा की विभिन्न सहायक नदियों की फ्लड प्लेन ज़ोनिंग और हाइड्रोलॉजिकल सर्वे कार्यों में भी तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने मॉनिटरिंग सिस्टम को ऑनलाइन किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बाय प्रोडक्ट (ैसनकहम) के लिए स्लज मैनेजमेंट प्लान अनिवार्य रूप से तैयार किया जाए। उन्होंने लेगेसी वेस्ट की बाकी बची ३७ साइट्स को शीघ्र क्लियर किए जाने हेतु कार्य योजना प्रस्तुत किए जाने की बात कही।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, नितेश कुमार झा, सीसीएफ़ पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव यूपीसीबी एस पी सुबुद्धि, उपाध्यक्ष एमडीडीए एवं डीजी सूचना बंशीधर तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

राज्य गंगा समिति की हुई बैठक, स्ट्रेचवाईज समितियों के गठन के मुख्य सचिव ने दिए निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य गंगा समिति की बैठक आयोजित हुयी। मुख्य सचिव ने गंगा के अंतर्गत स्ट्रेचवाईज समितियों का गठन किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आमजन का अभियान बनाने के लिए इन समितियों में स्थानीय बुद्धिजीवी एवं गंगा की स्वच्छता के लिए गम्भीर लोगों को शामिल किया जाए। कहा कि इससे लगातार निगरानी रखी जा सकेगी। उन्होंने जिलाधिकारियों को अच्छा कार्य करने के लिए चिन्हित कर सम्मानित भी किया जाए।
मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा ’स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन बोर्ड’ में भी अधिक से अधिक आमजन की भागीदारी सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गंगा में दूषित पानी सीधे न जाए, इसके लिए एसटीपी को नदियों से दूर बनाकर उसके पानी को कृषि कार्यों में प्रयोग किया जाए। इसके लिए एक स्थान पर बड़ा प्लांट लगाने के बजाए विभिन्न स्थानों पर छोटे-छोटे प्लांट लगाए जाने चाहिए। उन्होंने एसटीपी का वार्षिक सोशल ऑडिट किए जाने के भी निर्देश दिए। कहा कि सोशल ऑडिट के लिए किसी एक एजेन्सी को कार्य देने के बजाए विभिन्न एजेंसियों को इसमें शामिल किया जाए।
मुख्य सचिव ने घने वनीकरण पर भी फोकस किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि नदियों के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि शुरूआती वर्षों में इससे उत्पादन कम मिलता पर परन्तु 2-3 वर्षों के बाद इसमें उत्पादन बढ़ना शुरू होता है और इसके अच्छे मूल्य मिलने से शीघ्र ही यह खेती लाभदायक हो जाती है। उन्होंने कहा कि शुरूआती 2-3 वर्षों के लिए किसानों को सपोर्ट देने के लिए कोई योजना संचालित की जा सकती है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिन कुर्वे, उदयराज, अपर सचिव शहरी विकास नवनीत पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी एवं राज्य गंगा समिति से सम्बन्धित अन्य संस्थानों के प्रतिनिधि सहित जनपदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।