अटकलों पर विराम, मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ आईएएस को बनाया मुख्य सचिव

1987 बैच उत्तराखंड कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को राज्य का नया मुख्य सचिव बनाया गया है। वह मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हो रहे उत्पल कुमार सिंह के स्थान पर शुक्रवार शाम पांच बजे विधिवत कार्यभार ग्रहण करेंगे। अपर मुख्य सचिव (कार्मिक एवं सतर्कता) राधा रतूड़ी ने उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किये है।
वहीं, आदेश जारी होने के बाद आईएएस ओम प्रकाश मुख्यमंत्री के आवास गए और मुख्यमंत्री को पुष्प गुच्छ देकर आभार व्यक्त किया। सूत्रों की मानें तो ओम प्रकाश को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों में माना जाता है। उनका त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ काम करने का पुराना अनुभव है। जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे, तब ओम प्रकाश उनके सचिव हुआ करते थे। उत्पल कुमार के सेवानिवृत्त होने से नए मुख्य सचिव को लेकर हालांकि तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि वरिष्ठता के आधार पर दो अपर मुख्य सचिवों में से एक को मुख्य सचिव बनाया जाएगा। बुधवार को कैबिनेट बैठक के दौरान उन्होंने ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाए जाने के संकेत भी साफ कर दिए थे।
मुख्य सचिव के आदेश जारी होने के बाद ओम प्रकाश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्राथमिकता वाली योजनाओं पर खास फोकस करेंगे। उन्होंने कहा कि चारधाम आलवेदर रोड परियोजना, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना, केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य व वाह्य साहयतित योजनाओं के तहत अवस्थापनाओं के कार्यों को समय से पूरा कराया जाएगा। कोविड-19 महामारी और अनलॉक के दौर में राज्य के समक्ष चुनौतियों के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार के स्तर पर प्रयास चल रहे है। ओम प्रकाश ने कहा कि वह कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे। राज्य सरकार ने खेती को स्वरोजगार से जोड़ने की कई योजनाएं बनाई हैं, जिन्हें लोगों तक पहुंचाया जाएगा।

एक नजर मुख्य सचिव तक का सफर तय करने तक …
-ओम प्रकाश का जन्म 14 मई 1962 को बौंसी, जिला बाँदा (बिहार) में हुआ।
-बीएससी फिजिक्स-ऑनर्स। पटना साइंस कॉलेज। 
-एमएससी-थेऔरोटिकल फिजिक्स। सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी।
-एम फिल-सीएसआईआर फेलोशिप। 
-1987 बैच के आईएएस अफसर। 
-1985 तक इनकम टैक्स में जॉब।
-ट्रेनिंग जौनपुर यूपी।
-एसडीएम-खुर्जा बुलंदशहर।
– सीडीओ-फतेहपुर।
-डीएम-मऊ, गाजीपुर, बांदा, हाथरस और देहरादून।
-2012 में प्रमुख सचिव। 
-2017 में अपर मुख्य सचिव। 

 

तो हरीश ने अपने चहेते को कमान देने के लिए इस्तीफे का दाव चला

लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राष्ट्रीय महासचिव और असम प्रभारी के पदभार से इस्तीफा देकर हरीश रावत ने प्रदेश में कांग्रेस की सियासत को गर्मा दिया है। रावत के इस्तीफे के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत प्रदेश पदाधिकारियों पर भी इस्तीफे को लेकर दबाव बढ़ गया है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद जिस तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद छोड़ा है, उससे कांग्रेस की अंदरूनी सियासत में हलचल और असमंजस बढ़ गया है। अपने इस्तीफे के बाद राहुल गांधी पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भी निशाने पर ले चुके हैं। इस बीच राष्ट्रीय महासचिव और असम प्रभारी के पद से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस्तीफा दे दिया है। यह दीगर बात है कि इसकी जानकारी उन्होंने फेसबुक पोस्ट पर दी। हरीश रावत उत्तराखंड की सियासत से गहरे जुड़े रहे हैं। उत्तराखंड में भी कांग्रेस को लोकसभा की पांचों सीटों पर हार मिली। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नैनीताल संसदीय सीट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह टिहरी संसदीय सीट और राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा संसदीय सीट से पार्टी प्रत्याशी थे।
इन तीनों दिग्गजों को भी हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और असम के प्रभारी के तौर पर हरीश रावत ने इस्तीफा तो दिया ही, साथ ही लोकसभा चुनाव में हार के लिए पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी के लिए भी पदाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। असम में पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षित नहीं रहने के लिए भी बतौर प्रभारी उन्होंने खुद को उत्तरदायी ठहराने से गुरेज नहीं किया।
रावत के इस स्टैंड को प्रदेश कांग्रेस कमेटी पर दबाव बढ़ाने वाला माना जा रहा है। हालांकि इससे प्रदेश में पार्टी के भीतर गुटबंदी तेज होने के आसार हैं। प्रदेश में कांग्रेस के भीतर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की सियासी जुगलबंदी को हरीश रावत खेमे से गाहे-बगाहे चुनौती मिलती रहती है। हालांकि श्रीनगर और बाजपुर में आठ जुलाई को होने वाले नगर निकाय चुनाव में पार्टी को कामयाबी दिलाने को पार्टी के सभी दिग्गज नेता एकजुट दिख रहे हैं। पहले बाजपुर और फिर गुरुवार को श्रीनगर नगरपालिका परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में सभी दिग्गजों ने एक साथ प्रचार भी किया। फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में प्रदेश में कांग्रेस के भीतर किसी तरह की गुटबाजी होने से साफ इन्कार किया है।