शहीद केसरी चन्द के जन्मोत्सव आयोजन को सीएम ने की 5 लाख रूपये देने की घोषणा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आजाद हिन्द फौज के महानायक वीर शहीद केसरी चन्द को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि आजाद हिन्द फौज के महानायक शहीद केसरी चन्द जौनसार भावर के साथ ही सभी उत्तराखण्ड वासियों के गौरव है। वीर शहीद केसरी चन्द युवा समिति को शहीद केसरी चन्द के जन्मोत्सव पर इस आयोजन के लिए बधाई देते हुए समिति को 5 लाख रुपये प्रदान किये जाने की घोषणा की। उन्होंने राज्य के संग्रहालय में वीर शहीद केसरी चन्द का चित्र स्थापित किए जाने की घोषणा के साथ ही देहरादून स्थित लैंसडाउन चौक का नाम शहीद केसरी चन्द के नाम पर रखे जाने संबंधी समिति की मांग पर विचार किये जाने की भी बात कही।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सायं पवेलियन ग्राउंड में वीर शहीद केसरी चन्द के 103वें जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन से विशेषकर उत्तराखण्ड के युवाओं को हमारे वीर शहीदों के जीवन से प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने राष्ट्रीय स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों को भी शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सैनिक पुत्र होने के नाते वीर सैनिकों के कार्यक्रमों में आना उनके लिए हमेशा एक गौरव का क्षण होता है। नेताजी सुभाष चंद बोस ने जब आजाद हिन्द फौज का गठन किया तो उत्तराखण्ड के बहुत से वीर सपूत भी इसमें शामिल हुए तथा नेताजी के आह्वाहन पर हमारे राज्य के बहादुर सैनिक भी अपना सर्वाेच्च बलिदान देने के लिए आगे आए। हमें अपनी सैनिक विरासत पर गर्व है। उत्तराखंड के वीर सपूत शहीद केसरी चन्द जी ने भी आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर भारत की आजादी के संघर्ष में अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया। उनका बलिदान उत्तराखण्डवासियों को सदैव याद रहेगा तथा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी वीरभूमि सैनिक बाहुल्य राज्य है और सैन्य परम्पराएं हमारी महान विरासत है। जिनमें एक बड़ा योगदान जनजातीय समाज का है, जिसका प्रतिनिधित्व शहीद केसरी चन्द ने बखूबी किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के इसी योगदान को देखते हुए प्रधानमंत्री ने प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा पिछले वर्ष की थी जिसे हमारी सरकार ने पिछले वर्ष अत्यंत धूमधाम से मनाया और मुझे आप सभी को बताते हुये हर्ष हो रहा है कि इस वर्ष भी यह कार्यक्रम हमारे प्रदेश में हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव के आयोजन में देश के लिये अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले वीर सैनानियों का स्मरण करने का पुनीत कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रदेश देश की सुरक्षा में सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य है। यही कारण है कि उत्तराखंड के नौजवान हमेशा से ही देश की रक्षा के लिए सदैव उत्साहित रहते हैं। हमारी नई पीढ़ी भी उत्साह के साथ अपनी सैनिक विरासत को आगे ले जा रही है और देवभूमि का नाम भी रोशन कर रही है। राज्य के सैनिक तथा उनके परिवारों का कल्याण हमारी सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। हम सैनिकों व उनके परिवारों की मदद के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार द्वारा सैनिक परिवारों की हर संभव मदद के लिए जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान देने वाले हमारे अमर शहीद सैनिकों के आश्रितों के लिए राजकीय सेवाओं में नौकरी का भी प्रावधान किया गया है, ताकि हमारे सैनिक परिवारों को भविष्य में किसी भी तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े, इसके लिये हमारी सरकार, शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में भी समायोजित कर रही हैं। प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन में देहरादून में भव्य सैन्य धाम की स्थापना भी की जा रही है, जो शीघ्र ही बनकर तैयार हो जाएगा, जिसमें सभी शहीदों की स्मृतियों को संजोया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 अक्टूबर को माणा में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने उनके इस कथन को कि हमारे सीमांत गांव देश के अंतिम नहीं बल्कि पहले गांव है अपनी सहमति प्रदान कर हमारे सीमांत गांवों को पहचान दिलाने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमान्त क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये हमारी सरकार प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। इसी के साथ-साथ हमारी सरकार ने वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को प्रदान किए जाने वाले अनुदान में वृद्धि की तथा परमवीर चक्र विजेताओं को 30 लाख से 50 लाख, महावीर चक्र विजेताओं को 20 लाख से 35 लाख, कीर्ति चक्र विजेताओं को 20 लाख से 35 लाख, वीर चक्र और शौर्य चक्र विजेताओं को 15 से 25 लाख और सेना गेलेन्ट्री मेडल 7 लाख से 15 लाख करने का प्रावधान किया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वीर शहीद केसरी चन्द के पौत्र टी आर शर्मा एवं युवा गायक अभिनव चौहान आदि को भी सम्मानित किया तथा हारूल नृत्य पर आधारित पोस्टर भी जारी किया। इस अवसर पर विधायक सविता कपूर सहित बड़ी संख्या में जौनसार क्षेत्र के जन प्रतिनिधि एवं आम जनता उपस्थित रही।

वीर शहीद केसरी चंद के 102वें जन्मदिन पर स्पीकर ने दी श्रद्धांजलि अर्पित

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने वीर शहीद केसरी चंद का 102वें जन्मदिवस पर उन्हें पुष्प अर्पित कर याद किया गया। विधानसभा अध्यक्ष विशेष कार्यधिकारी ताजेंद्र नेगी ने कहा है कि देश को स्वतंत्रता दिलाने में शहीद केसरी चंद का भूमिका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि साढे 24 वर्ष की आयु में वीर शहीद केसरी चंद को ब्रिटिश सरकार ने देशद्रोह के आरोप में फांसी पर लटका दिया था।

भाजपा नेता रविंद्र राणा ने कहा है कि देवभूमि उत्तराखंड को हमेशा वीर भूमि के नाम से जाना जाता है और देश की आजादी से लेकर अब तक यहां के नौजवानों ने संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि आजाद हिंद फौज में उत्तराखंड से 26 सो से अधिक सैनिकों ने प्रतिभाग किया जिसमें शहीद केसरी चंद का महत्वपूर्ण योगदान था।

श्यामपुर के मंडल अध्यक्ष गणेश रावत ने कहा है कि शहीद केसरी चंद ने जौनसार बावर की थाती में जन्म लिया और देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया । उन्होंने कहा है कि जिस आयु में लोग अपनी रोजी-रोटी की तलाश में भटकते हैं उस आयु में शहीद केसरी चंद ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश को आजादी दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष के सूचना अधिकारी भारत चौहान ने कहा है कि शहीद केसरी चंद का जन्मोत्सव देहरादून सहित देश भर मे मनाया जाता है उन्होंने कहा है कि शहीद के योगदान को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता उनके त्याग समर्पण ने संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा और देश को आजादी दिलाई।

’कौन थे वीर शहीद केसरी चंद’
वीर शहीद केसरी चंद का जन्म 1 नवंबर 1920 को जौनसार बावर के क्यावा गाव मे हुआ। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई विकास नगर में हुई तथा आगे की पढ़ाई डीएवी कॉलेज देहरादून में हुई 20 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हो गए। आजाद हिंद फौज से प्रेरणा लेकर उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में इंफाल मणिपुर में देश को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक कार्य के परिणाम स्वरूप उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा पकड़ लिया गया और दिल्ली सेंट्रल कारागार में भीषण यातनाएं दी गई। शहीद केसरी चंद को माफी मांगने की शर्त पर जेल से रिहा करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा परंतु उन्होंने ब्रिटिश सरकार की इस शर्त को अस्वीकार कर दिया परिणाम स्वरूप उन्हें 3 मई 1945 को सेंट्रल कारागार दिल्ली में प्रातः 4रू00 बजे फांसी पर लटका दिया गया था।

जन्मोत्सव कार्यक्रम के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष के विशेष कार्याधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी, मंडल अध्यक्ष गणेश रावत, रविंद्र राणा, मोहित राष्ट्रवादी, हरपाल सिंह राणा, अरुण बडोनी, आशीष जोशी, राजेश थपलियाल, भारत चौहान, चमन पोखरियाल, दुर्गेश कुमार, मुकेश, प्रमोद रयाल आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे।