लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने आज पांच महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। इनमें एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित होगा। महापुरूषों के नाम पर होने वाली १५ छुट्टियां निरस्त कर दी हैं। १५ मई से एक सप्ताह का विधानसभा का विशेष सत्र चलेगा। सार्वजनिक स्थलों पर धर्म के नाम पर कब्जा नहीं कर सकेंगे और कैबिनेट ने आज सुकमा के शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।
सरकार ने तय किया कि भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की निगरानी में विशेष हेल्पलाइन बनेगी। गृह विभाग के प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन में टोल फ्री नंबर स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मायावती सरकार में बिकी चीनी मिलों की जांच के आदेश के साथ ही सरकार 2007 से 2012 के बीच भूमि, जेएनयूआरएम, यूपीएसआइडीसी, पेंशन, सड़क निर्माण, शीरा, खनन विभाग में हुई अनियमितताओं के पुराने दस्तावेज खंगाल रही है। 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने इन विभागों में घोटाले का आरोप लगाकर एक रिपोर्ट जारी की थी। तब भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री किरीट सोमैया भ्रष्टाचार उजागर समिति के संयोजक के रूप में बसपा सरकार के कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोल रहे थे। उन्होंने मायावती के 100 महाघोटालों की एक रिपोर्ट भी जारी की थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि 15 वर्षो में भ्रष्टाचार के एक-एक बिंदु की जांच होगी और कोई भी दोषी बचेगा नहीं।
योगी आदित्यनाथ सरकार बसपा-सपा की सरकार में की गई गड़बडिय़ों की छानबीन में जुट गई है। आज कैबिनेट की चौथी बैठक में भू-माफिया को जड़ से उखाड़ फेंकने का फैसला लिया गया। इसके लिए भू-माफिया रोधी टास्क फोर्स गठित की जाएगी। सार्वजनिक स्थानों पर किसी हाल में धर्म के नाम पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। ऐसे सभी जमीन हथियाने वाले लोग दो माह में चिह्नित कर लिए जाएंगे। समझा जाता है कि 15 वर्षो की गड़बड़ियां चिह्नित करने के लिए दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश से गुंडाराज और भ्रष्टाचार के कलंक को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था।
अब सरकार बनने पर भाजपा सरकार ने सपा सरकार में गोमती रिवर फ्रंट, आगरा एक्सप्रेस-वे, जेपी सेंटर निर्माण तथा मायाकाल में चीनी मिल बिकने की जांच के आदेश दिए हैं। गोमती रिवर फ्रंट की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर 45 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। समाजवादी पेंशन की गड़बड़ियों की भी जांच के आदेश हैं। यहीं नहीं बसपा शासनकाल में स्मारक को सपा ने सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। तब सपा के लोग कहते थे कि सत्ता में आने के बाद स्मारक घोटाले के दोषियों को जेल भेजा जाएगा।
सपा सरकार ने स्मारक घोटाला और लैकफेड घोटाले की जांच शुरू कराई। लैकफेड घोटाले में तो बसपा सरकार के चार मंत्री चंद्रदेव राम यादव, रंगनाथ मिश्र, बादशाह सिंह और बाबू सिंह कुशवाहा पर शिकंजा जरूर कसा लेकिन, अदालत में किसी पर आरोप साबित नहीं हो सका। स्मारक घोटाले की फाइल दब गई। जनवरी 2014 में सतर्कता अधिष्ठान ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 अफसरों और अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर करीब 15 अरब रुपये के स्मारक घोटाले की जांच शुरू की थी। यह जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। हालांकि भाजपा की सरकार बनने के बाद सतर्कता अधिष्ठान ने फाइलों की जमी धूल झाड़ ली है और गुनहगारों के खिलाफ साक्ष्यों और गवाहों को सहेजा जाने लगा है।