बीआरओ द्वारा निर्मित 75 प्रमुख परियोजनाओं को रक्षा मंत्री ने किया राष्ट्र को समर्पित

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित 75 प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किया। इसमें 09 परियोजनाएं उत्तराखंड की शामिल हैं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वर्चुअल रूप से उपस्थित थे।

उत्तराखंड में जिन 09 परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया उनमें गढ़वाल क्षेत्र में करछा पुल, मींग गधेरा पुल, घस्तोली पुल, पागल नाला पुल और देहरादून जनपद में शिवालिक परियोजना का कार्यालय और रहने का स्थान शामिल हैं। कुमाऊं क्षेत्र में सुरिंगघाट पुल, चिमला पुल, पैनागढ़ पुल और गोसीगढ़ पुल का लोकार्पण किया गया।

उत्तराखंड की 09 परियोजनाओं का लोकार्पण करने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में पूरी हुई बुनियादी ढांचे की ये परियोजनाएं विशेष रूप से दूरदराज और वंचित क्षेत्रों के उत्थान के लिए काफी सहायक होंगी। ये परियोजनाएं कनेक्टिविटी को बढ़ाकर और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर राज्य के परिदृश्य को बदलने में सहयोग करेंगी। इनसे न केवल पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि महत्वपूर्ण रोजगार के अवसरों के सृजन का भी अवसर मिलेगा। ये परियोजनाएं जीवंत ग्राम समुदायों के विकास को गति देंगी और दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंच में सुधार करेंगी, जिससे इन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों में आर्थिक विकास और रक्षा क्षमताएं दोनों मजबूत होंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नए पुलों के निर्माण से राज्य में कनेक्टिविटी में काफी सुधार होगा। यात्रा के समय को कम करेंगे। इससे धार्मिक एवं सामान्य पर्यटन के साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे और उत्तराखंड को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करेंगे। ये बुनियादी ढांचा परियोजनाएं क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक सतत विकास और समृद्धि को बढ़ावा देंगी।

इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, शिवालिक परियोजना के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर प्रसन्न जोशी और कर्नल प्रदीप शर्मा उपस्थित थे।

बीआरओ द्वारा निर्मित उत्तराखंड के आठ पुल हुए राष्ट्र को समर्पित

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से 7 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाए गए 44 पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया। रक्षा मंत्री ने अरूणाचल प्रदेश के तवांग मार्ग में नेचीफु सुरंग की आधारशिला भी रखी। राष्ट्र को समर्पित किए गए पुलों में उत्तराखण्ड में 08, अरूणाचल प्रदेश में 08, हिमाचल प्रदेश में 02, जम्मू कश्मीर में 10, लद्दाख में 08, पंजाब में 04 और सिक्किम में 04 पुल शामिल हैं। इन 44 पुलों का कुल स्पान 3506 मीटर है। उत्तराखण्ड के 08 पुलों का कुल स्पान 390 मीटर है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक साथ इतने पुलों का उद्घाटन और सुरंग की आधारशिला रखना बहुत बड़ा रिकार्ड है। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टीवीटी और विकास का नया युग प्रारम्भ होगा। देश में कोविड-19 में सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। पाकिस्तान व चीन के साथ हमारी बड़ी सीमा मिलती है, जहां तनाव बना रहता है। हम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इन सभी समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना कर रहे हैं। हाल ही में अटल टनल का उद्घाटन किया गया था। सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा के साथ ही विकास में बीआरओ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इन पुलों के बनने से स्थानीय आकांक्षाओं की पूर्ति होगी और सेना तक आवश्यक सामग्री पहुंचानें में मदद मिलेगी। सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने में इनकी बड़ी उपयोगिता है। इससे दूरदराज के क्षेत्र, विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने बीआरओ की सराहना करते हुए कहा कि पिछले 4-5 वर्षों में बीआरओ के बजट को लगभग तीन गुना किया गया है। हमें इसके परिणाम भी देखने को मिले हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में 44 पुलों के निर्माण के लिए रक्षा मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए बीआरओ के अधिकारियों, इंजीनियरों और सभी कार्मिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन सभी पुलों का सामरिक दृष्टि से तो महत्व है ही, स्थानीय लोगों को भी इसका बहुत लाभ मिलेगा। उत्तराखण्ड में बनाए गए पुलों से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी सुविधा होगी। इसका क्षेत्र की आर्थिकी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पिथौरागढ़ में पुलों की लम्बे समय से मांग थी और सपना जैसा लगता था। आज क्षेत्रवासियों का ये सपना साकार हुआ है। ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में कम समय में पुलों का उच्च गुणवत्ता के साथ निर्माण पूरा करना सरकार की प्रतिबद्धता और बीआरओ की कुशलता को बताता है।

बीआरओ ने देश को डबल लेन सड़क और पुल किया समर्पित

जोशीमठ-मलारी टू-लेन राज्यमार्ग और पुनार पुल का लोकार्पण कर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीमांतवासियों को बड़ी सौगात दी है। इस मोटर मार्ग से जहॉ भारत-तिब्बत सीमा पर आवगमन आसान होगा वही सीमांत क्षेत्र के दर्जनों गांवों को इस सड़क से लाभ मिलेगा। इस अवसर पर सेना के गढवाल स्काउट बैंड ने मधुर धुन बजाकर तथा स्थानीय महिलाओं ने पौणा नृत्य से मुख्यमंत्री का जोरदार स्वागत किया गया।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को जोशीमठ के सीमांत क्षेत्र में सीमा सड़क संगठन द्वारा 265 करोड़ की लागत से निर्मित 62.66 किमी. जोशीमठ-मलारी टू-लेन राज्यमार्ग और 494.30 लाख लागत से निर्मित पुनार पुल का लोकापर्ण किया। उन्होंने सीमा सडक संगठन द्वारा निर्धारित समय से पहले मोटर मार्ग का निर्माण कार्य पूरा करने पर बधाई दी और बीआरओ के कार्यशौली की जमकर सराहना की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने आचार्य डा. प्रदीप सेमवाल द्वारा ज्योतिष एवं आपदा पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी किया। वही जनपद फिस आउटलेट वैन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम के दौरान बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट, बीकेटीसी अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, भाजपा जिला अध्यक्ष रघुवीर बिष्ट आदि मौजूद रहे।

लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण ही दूरस्थ क्षेत्रों के विकास की परिकल्पना से हुआ है, और सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए उनकी सरकार हमेशा तत्पर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 27 विकासखण्डों की सीमाएं अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से जुडी है और इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए अगले साल से राज्य में सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की जाएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जोशीमठ नगर पालिका में पार्किग निर्माण, रविग्राम में स्टैडियम निर्माण, लांसी-द्वींग-तपोण मोटर मार्ग निर्माण की घोषणा भी की। इसके अलावा मारवाडी-थेंग मोटर मार्ग पर त्वरित गति से कार्य कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम की तर्ज पर बद्रीनाथ धाम को भी विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है और शीघ्र ही इस पर कार्य शुरू किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद फिस आउटलेट वैन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस अवसर सीमा सडक संगठन के मुख्य अभियंता एएस राठौर ने बताया कि जोशीमठ से रिमखिम पहुॅचने मे पहले 8 घंटे लगते थे, लेकिन जोशीमठ-मलारी टू-लेन सड़क निर्माण पूरा होने से यह दूरी सिर्फ 3 घंटे में तय होगी।