देश में कोरोना वायरस का पहला प्लाज्मा परीक्षण सफल

देश में कोरोना वायरस का पहला प्लाज्मा परीक्षण सफल रहा है। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज पर प्लाज्मा तकनीकी का इस्तेमाल किया गया था। सोमवार को वेंटिलेटर से हटाने के बाद भी उसकी स्थिति बेहतर है। अस्पताल ने हाल में प्लाज्मा तकनीक का ट्रायल शुरू किया था। इसमें कोरोना से ठीक हो चुके लोगों का प्लाज्मा संक्रमित व्यक्ति पर चढ़ाया जाता है।
दरअसल, एक ही परिवार के कई लोग बीमार होने के बाद भर्ती हुए थे, जिनमें दो वेंटिलेटर पर थे। इस बीच, वेंटिलेटर पर रखे एक मरीज की मौत हो गई, दूसरा वेंटिलेटर पर ही था। दिल्ली के इस 49 वर्षीय मरीज पर ही परीक्षण हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार एक व्यक्ति के खून से अधिकतम 800 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जा सकता है।
वहीं, कोरोना मरीज के शरीर में एंटीबॉडीज डालने के लिए 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाते हैं। सूत्रों के अनुसार, इलाज में प्लाज्मा तकनीक कारगर साबित हो चुकी है। जिसने रक्त दिया वह मरीज तीन सप्ताह पहले ही ठीक हो चुका है।

80 फीसदी मामलों में नहीं दिख रहे लक्षण
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया, देश में करीब 80 प्रतिशत मरीजांे में लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। जरूरी नहीं कि संक्रमण आज हुआ है, तो लक्षण सात दिन में मिले ही। जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने कहा था, आंकड़ों को देखें तो बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या अधिक नहीं है।

कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की समुचित देखभाल होः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्रियों की वीडियो कांफ्रेंसिग में प्रतिभाग किया। वीडियो कांफ्रेंसिग के बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने जो निर्देश दिये हैं, उनका पालन किया जाए। एक दो दिन में आगे के लिए केन्द्र से गाइडलाइन आ जाएगी। इसकी अनुपालना सुनिश्चित करनी है।
आरोग्य सेतु मोबाईल एप की उपयोगिता को देखते हुए इसे डाउनलोड करने के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित किया जाए। प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार कोरोना वायरस से लङने के लिए सामाजिक और फोकस्ड प्रयास करने हैं। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार न हो। ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। आवश्यकता होने पर टेस्टिंग लेब बढाने का प्रयास किया जाए। यह भी देखा जाए कि कहीं भी आवश्यक वस्तुओं का संग्रहण और कालाबाजारी न हो। उत्तराखंड में अभी तक कोरोना से एक भी मरीज की मृत्यु नहीं हुई है। जबकि 5 लोग ठीक हो चुके हैं। आगे भी हमें देखना है कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की समुचित देखभाल हो।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अनिल कुमार रतूङी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय, निदेशक एनएचएम युगल किशोर पंत उपस्थित थे।

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित किया

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कैबिनेट के फैसले की पुष्टि की है। वायरल संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में उत्तराखंड महामारी रोग अधिनियम (कोविड-19) में लागू कर दिया है। इससे जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को वायरस की रोकथाम के लिए असीमित अधिकार प्राप्त हो जाएंगे।
मदन कौशिक ने बताया कि इसके तहत अब स्कूल और आंगनबाड़ी के बाद राज्य के सभी कॉलेज, सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स 31 मार्च तब बंद रहेंगे। लेकिन मेडिकल कॉलेज खुले रहेंगे। वहीं राज्य में आइसोलेशन वार्ड के लिए 50 करोड़ की राशि मंजूर की है।
उत्तराखंड सरकार ने मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोनो वायरस को लेकर यह फैसला लिया है। सबसे खास बात ये है कि कोरोना को राज्य सरकार ने महामारी घोषित कर दिया है। प्रदेशभर में कोरोना से बचाव के मद्देनजर सावधानी व जागरुकता पर जोर दिया गया है। मॉल पर फिलहाल निर्णय नहीं हुआ है। किसी भी प्रकार के कार्यक्रम से पहले सरकार से अनमुति लेनी जरूरी होगी। कोरोना को देखते हुए नर्सिंग स्टाफ के खाली पद भरे जाएंगे। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त पद सृजित किए जाएंगे। बसों में सेनिटेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
ज्यादा लोगों एक जगह पर एकत्र होने से रोका जाएगा। इस आदेश की अवहेलना करने पर आईपीसी की धारा 188 के तहत 1 माह से 6 माह के कारावास का प्रावधान किया गया है। भविष्य में कोरोना की तीव्रता बढ़ने पर प्रीफेब्रिकेटेड 100 बेड का हॉस्पिटल तैयार किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर निजी भवन, चिकित्सा ईकाई भवन को अस्पताल बनाया जाएगा। आपात स्थिति से निपटने के लिए 140 विभागीय एम्बुलेंस को अलर्ट पर रखा गया है।

स्वास्थ्य सचिव को असीमित अधिकार
महामारी अधिनियम लागू होने के बाद सचिव स्वास्थ्य को असीमित अधिकार होंगे। सचिव स्वास्थ्य अपनी शक्तियां जिलों में जिलाधिकारी और सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) डेलिगेट करेगा। इसके तहत कई शक्तियां डीएम में निहित होंगी। राज्य सरकार पहले ही तमाम बड़े आयोजनों को रद्द कर चुकी है। 12वीं तक के स्कूलों और विद्यालयों में 31 मार्च तक अवकाश घोषित किया गया है। वहीं सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में बायोमीट्रिक हाजिरी पर भी रोक लगाई जा चुकी है।

दो ट्रेनी आईएफएस सहित छह के सैंपल भेजे
कोरोना की आशंका के चलते दो ट्रेनी आईएफएस समेत छह और मरीजों के सैंपल शनिवार को जांच के लिए वायरोलॉजी लैब हल्द्वानी भेजे गए हैं। इस तरह से जिले से शनिवार तक 20 सैंपल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। जिसमें से अब तक आई सभी 11 मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर सतर्कता बरत रहे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार विभिन्न अस्पतालों और संस्थानों से संपर्क कर रही हैं। इसी क्रम में शनिवार को छह सैंपल जांच के लिए डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कालेज, हल्द्वानी स्थित वायरोलॉजी लैब भेजे गए। इसमें दो सैंपल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे दो ट्रेनी आईएफएस के भी शामिल हैं।
अकादमी के 62 ट्रेनी आईएफएस के अलग-अलग ग्रुप पिछले दिनों विभिन्न देशों से ट्रेनिंग टूर से लौटे थे। सभी की स्क्रीनिंग करने के बाद शुक्रवार को चार ट्रेनी आईएफएस के सैंपल जांच के लिए भेजे थे। शनिवार को भी दो और ट्रेनी आईएफएस के सैंपल दून अस्पताल से जांच के लिए भेजे। इसके अलावा शनिवार को जो चार और मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं, उनमें एम्स ऋषिकेश और निजी अस्पतालों में इलाज कराने को पहुंचे थे। ये चारों भी हाल में विदेश से लौटे हैं। सीएमओ डॉ. मीनाक्षी जोशी ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। साथ ही संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों को निगरानी पर रखा जा रहा है।