शौर्य, साहस और शालीनता के प्रतीक थे जनरल रावतः राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में नंदा की चौकी स्थित द टोंस ब्रिज स्कूल में देश के प्रथम सीडीएस जनरल स्व. बिपिन रावत की प्रतिमा का अनावरण किया।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड सेनानियों की भूमि है और इसे वीरभूमि कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि यह राज्य मेरे हृदय के बेहद करीब है और यहां के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देखकर मेरा मन बहुत प्रफुल्लित होता है, वह स्वाभाविक रूप से प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड विकास की नई बुलंदियों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे आज इस स्कूल परिसर में जनरल बिपिन रावत की प्रतिमा के अनावरण का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि जनरल रावत की प्रतिमा सदैव यहां के छात्रों व आसपास के लोगों के लिए प्रेरणा का कार्य करती रहेगी। जनरल रावत के व्यक्तित्व और वैल्यूज को जनता के बीच में लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनरल रावत का जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। जिस दिन यह हादसा हुआ तब भी ऑन ड्यूटी थे और देश की सेवा कर रहे थे। यह उनकी निष्ठा और राष्ट्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जनरल रावत से बेहतर रोल मॉडल छात्रों के लिए और कोई नहीं हो सकता।

रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार उत्कृष्ट व आधुनिक हथियार देकर सेना को लगातार मजबूत करने के कार्य में जुटी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि जनरल रावत शौर्य, साहस और शालीनता के प्रतीक थे और यह तीनों गुण उसी में होते हैं जो आध्यात्मिक होगा। उन्होंने कहा कि जनरल रावत का मन बहुत बड़ा था। उन्हें गोली भी लगी, वे जाबांज पराक्रमी सैनिक और एक अच्छे इंसान थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल में जनरल रावत सेनाध्यक्ष रहने के साथ ही देश के प्रथम सीडीएस बने।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि स्व. जनरल बिपिन रावत जी की 08 दिसम्बर 2021 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई आकस्मिक मृत्यु से देश को जो अपूरणीय क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक सैनिक बाहुल्य प्रदेश है तथा भारतीय सेना के गौरवमयी इतिहास में उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों का अति विशिष्ट योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के युवाओं का सेना में शामिल होना प्रमुख प्राथमिकता रही है। सैन्य सेवा हमारे लिये मात्र रोजगार का अवसर नहीं, वरन देश एवं समाज के लिये जीवन समर्पित करने का उत्कृष्ट मौका भी है। स्व.जनरल बिपिन रावत ने भी अपने जीवनकाल में उत्तराखंड की इसी सैन्य परम्परा का निर्वहन किया। मातृभूमि के लिए उनकी चार दशकों की निस्वार्थ सेवा असाधारण वीरता और रणनीतिक कौशल से परिपूर्ण थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 दिसम्बर 1978 को जनरल रावत को 11 जी.आर. की 5 वीं बटालियन में कमिशन मिला और उस दिन से लेकर जीवन के अंतिम दिन तक वे केवल और केवल देश के लिए ही जिए। उनका सेनाध्यक्ष तथा प्रथम सीडीएस बनना ,ये स्पष्ट दर्शाता है कि वे कितने योग्य जनरल थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना के तीनों अंगों के आधुनिकीकरण तथा देश को रक्षा आवश्यकताओं के क्षेत्र में स्वावलंबी बनाये जाने हेतु स्व. जनरल बिपिन रावत द्वारा विशेष प्रयास किये गये। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. जनरल बिपिन रावत ने पूरी लगन से भारत की सेवा की, वे एक सच्चे देशभक्त और एक उत्कृष्ट योद्धा थे, सामरिक मामलों पर उनकी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण असाधारण थे। जनरल बिपिन रावत जी “High Altitude Warfare“ और “Counter Insurgency operations“ के महारथी थे।अनेक उदाहरण हैं जब कठिन चुनौतियों में उनकी रणनीति और उत्कृष्ट नेतृत्व कौशल ने देश को गौरवान्वित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उनका मार्गदर्शन सैनिकों के बहुत काम आया। उनके अनुकरणीय योगदान और प्रतिबद्धता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने वीरता के नए नए कीर्तिमान स्थापित किए। वे देश के साथ – साथ अपने राज्य उत्तराखंड की धरती से भी बहुत प्रेम करते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस अवसर पर वे एक और महान व्यक्ति, हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम को भी नमन करते हैं। जिस उद्देश्य के लिए देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने इस विद्यालय की नींव रखी थी, उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्कूल प्रबंधन निरन्तर प्रयासरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब अम्बेडकर ने कहा था कि ’’शिक्षा से अधिक महत्व चरित्र का होता है, परंतु अच्छी शिक्षा अच्छे चरित्र के निर्माण में सहायक होती है’’। शिक्षा हमें उच्च विचार, उच्च आचार, उच्च संस्कार और उच्च व्यवहार के साथ ही समाज की समस्याओं का उचित समाधान भी उपलब्ध कराती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का जो नारा दिया है उस नारे को हमें सार्थक करके दिखाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया है।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन, जनरल बिपिन रावत की पुत्री तारिणी रावत, विधायक सहदेव सिंह पुंडीर, मुन्ना सिंह चौहान, सविता कपूर, स्कूल के प्रबंधक विजय नागर आदि उपस्थित रहे।

देश ने एक रक्षा रणनीतिकार और सच्चे देशभक्त को खोया-विस अध्यक्ष

देश के पहले सीडीएस रहे जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार में वीआईपी घाट पर गंगा में विसर्जित की गई। इस दौरान विस अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने अस्थियों पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर जनरल रावत की दोनों बेटियां कृतिका एवं तारिणी ने अपने पिता एवं मां की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया। रावत परिवार के हरिद्वार पहुंचने पर पंडितों ने गंगा घाट पर पारंपरिक पूजन किया, इसके बाद अस्थियां गंगा में प्रवाहित हुईं। विधानसभा अध्यक्ष ने जनरल बिपिन रावत की दोनों पुत्रियों से एवं परिजनों से मिलकर अपनी सांत्वना व्यक्त की। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश ने एक रक्षा रणनीतिकार और सच्चे देशभक्त को खो दिया है। मैं जनरल रावत को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सलाम करता हूं।

पंचतत्व में विलीन हुए जनरल दंपति, हरिद्वार में कल परिवार अस्थियां लेकर आयेंगे

जब तक सूरज चांद रहेगा, बिपिन रावत का नाम रहेगा…। अमरता के इन नारों और 17 तोपों की सलामी की गूंज के बीच देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत पंचतत्व में विलीन हो गए। दोपहर दो बजे दिल्ली के 3, कामराज मार्ग स्थित उनके घर से निकली अंतिम यात्रा में हजारों लोग हमसफर बने। आंखें नम थीं, लेकिन वीरता का गर्व भी था और उसके सम्मान में पुष्पवर्षा करते रहे। मां भारती के वीर सपूत के लिए नारे लगाते रहे। सीडीएस रावत और उनकी पत्नी को उनकी बेटियों कृतिका और तारिणी ने रुढ़ियों को तोड़ते हुए मुखाग्नि दी। यही नहीं जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी के शव भी एक साथ ही चिता पर रखे गए थे।

कई देशों के सेनाध्यक्षों और राजनियकों ने भी अंतिम विदाई
इस मौके पर जनरल बिपिन रावत के छोटे भाई का परिवार, मधुलिका रावत की फैमिली के लोग भी मौजूद थे। यही नहीं बड़ी संख्या में सैनिकों के परिवार, राजनीतिक हस्तियां, कई देशों के सेनाध्यक्ष और राजनियक भी मौजूद थे। जनरल बिपिन रावत किस कद के सैन्य अधिकारी थे, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इजरायल, अमेरिका, फ्रांस और रूस समेत कई देशों ने उनकी मौत पर शोक जाहिर किया। यही नहीं उनके निधन को अपने एक गहरे दोस्त को खोने जैसा बताया था।

दिन भर हस्तियों का लगा रहा श्रद्धांजलि के लिए तांता
बुधवार को दोपहर 12:08 बजे तमिलनाडु के नीलगिरि जिले के कुन्नूर हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्य अफसरों की मौत हो गई थी। विमान में कुल 14 लोग सवार थे, जिनमें से एक विंग कमांडर वरुण सिंह ही जीवित हैं और उनकी हालत भी चिंताजनक बनी हुई है। इसके बाद गुरुवार शाम को जनरल बिपिन रावत समेत सभी सैनिकों के शवों को दिल्ली लाया गया था और सुबह जनरल रावत और उनकी पत्नी का शव 3,कामराज मार्ग स्थित उनके घर पर पहुंचा था। सुबह से ही उनके घर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने वाली हस्तियों और आम लोगों का तांता लगा था।

कल हरिद्वार में अस्थियां प्रवाहित करेगा परिवार
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। पारिवारिक सदस्यों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जनरल रावत के छोटे भाई एवं पूर्व सैन्य अधिकारी विजय रावत ने कहा, ‘‘हम कल उनकी अस्थियों को हरिद्वार ले जाएंगे। हम परिवार के सदस्य उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने जाएंगे।’’

आज होगा सैन्य सम्मान के साथ संस्कार, सीडीएस सहित सभी कों दिल्ली में दी गई श्रद्धाजंली

एक दुखद दुर्घटना में अपनी जान गंवाने वाले भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का अंतिम संस्कार शुक्रवार को यानी आज किया जाएगा। तमिलनाडु के कुन्नूर के पास बुधवार को सैन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपनी पत्नी और सशस्त्र बलों के 11 अन्य कर्मियों के साथ शहीद हुए उत्कृष्ट कमांडर को लोग आज दिल्ली में श्रद्धांजलि दे सकेंगे। जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका के शवों को उनके कामराज मार्ग स्थित आवास पर सुबह 11 बजे से दोपहर 12ः30 बजे तक रखा जाएगा ताकि आम जनता उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सके। दोपहर 12ः30 से 1ः30 बजे के बीच का स्लॉट सैन्य कर्मियों के लिए बहादुर जनरल और उनकी पत्नी को सम्मान देने के लिए रखा जाएगा। जनरल रावत की उनके आवास से बरार स्क्वायर श्मशान घाट तक की अंतिम यात्रा दोपहर 2 बजे के करीब शुरू होने वाली है। समाचार एजेंसी के अनुसार, दिवंगत सीडीएस रावत का अंतिम संस्कार शाम 4 बजे निर्धारित है। वहीं, ब्रिगेडियर एलएस लिडर का अंतिम संस्कार सुबह 9 बजे किया जाएगा। हालांकि भारतीय वायु सेना ने बुधवार दोपहर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 13 लोगों की मौत की पुष्टि की है, लेकिन अब तक केवल तीन शवों की पहचान की गई है। जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और ब्रिगेडियर लिडर के शव की पहचान हो चुकी है। अन्य शवों को पहचान होने तक सेना बेस अस्पताल के मोर्चरी में रखा जा रहा है।

पीएम मोदी और रक्षा मंत्री ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने गुरुवार को पालम एयरपोर्ट पर सशस्त्र बलों के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, एयर चीफ मार्शल एवीआर चौधरी और रक्षा सचिव अजय कुमार सहित देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भी एक शोक समारोह में मृतकों को अंतिम श्रद्धांजलि दी।

स्क्वॉड्रन लीडर कुलदीप सिंह का अंतिम संस्कार भी आज
हेलीकॉप्टर हादसे में जान गवाने वालों में शामिल वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह के पैतृक गांव में रहने वाले उनके परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों ने झुंझुनूं जिले के घरडाना खुर्द गांव में उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी हैं। स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह की मां का कहना है कि उन्हें अपने बेटे के देश के लिए शहीद होने पर गर्व है। उन्होंने कहा, मेरे बेटे की यही कमाई है। अपने घर के अंदर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, बहुत अच्छी कमाई करी है मेरे बेटे ने… उन्होंने दो बार हाथ ऊपर करके कहा वंदे मातरम।
कुलदीप सिंह का विवाह दो साल पहले ही हुआ था। स्थानीय सरपंच उम्मेद सिंह राव ने बताया, “ग्रामीणों ने सिंह का अंतिम संस्कार गांव के महात्मा गांधी सरकारी विद्यालय के मैदान में करने का निर्णय किया है। उनकी वहां प्रतिमा भी लगाई जायेगी। शिक्षा विभाग ने विद्यालय के मैदान में दाह संस्कार करने की मंजूरी दे दी है।”