सतत विकास लक्ष्यों का नियमित रूप से अनुश्रवण करने के सीएम ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में नियोजन विभाग की समीक्षा करते हुए नियोजन विभाग के तहत कार्यरत विभागों एवं प्रकोष्ठों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिये। उन्होंने विकास से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा उनके प्रभावी अनुश्रवण तथा राज्य में बेहतर नियोजन प्रणाली, प्रभावी नीति निर्धारण एवं नवाचारों को प्रोत्साहन देने के लिए गठित स्टेट इंस्टीट्यूट इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफार्मिंग उत्तराखण्ड (सेतु) को प्रभावी बनाने के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियोजन विभाग द्वारा सरकार की सभी योजनाओ की प्रभावी समीक्षा की जाए। राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के साथ विभागों के मध्य आपसी समन्वय, भागीदारी तथा नेटवर्किंग व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये। उन्होंने सशक्त उत्तराखण्ड के अन्तर्गत राज्य की अर्थव्यवस्था को 05 वर्षों में दोगुना करने के प्रयासों, सतत विकास लक्ष्यों का नियमित रूप से अनुश्रवण करने के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने पूर्व में सभी विभागों से एक-एक ऐसी योजना पर कार्य करने को कहा था, जो प्रदेश के विकास में गेम चेंजर साबित हो। इस संबंध में उन्होंने नियोजन विभाग को निर्देश दिये कि विभागों द्वारा इसके लिए किये गये प्रयासों का पूरा विवरण लेकर, रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। उन्होंने नीति आयोग द्वारा संचालित नवाचारी कार्यों के राज्य में प्रभावी क्रियान्वयन के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास तथा आधारभूत सुविधाओं के लिए नीति आयोग स्तर पर चयनित 06 आकांक्षी जनपदों और राज्य स्तर पर चयनित 09 आकांक्षी जनपदों में संचालित कार्यक्रमों एवं योजनाओं के नियमित अनुश्रवण के निर्देश भी दिये। मुख्यमंत्री ने राज्य में संचालित विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता का नियमित परीक्षण के भी निर्देश दिये, ताकि योजनायें गुणवत्तापूर्वक समय पर पूर्ण हो। बैठक में मुख्यमंत्री ने ‘‘परिवार पहचान पत्र उत्तराखण्ड/हमार कुटुम्ब’’ से संबंधित प्रगति की भी जानकारी ली।

बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण समिति विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा, नियोजन विभाग से मनोज पंत एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

आवश्यकता की वस्तुओं को राज्य में ही निर्माण करने पर सीएस का जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में शासन और विभाग के सभी अधिकारियों के साथ प्रदेश में निवेश योग्य योजनाओं के सम्बन्ध में चर्चा की। उन्होंने नियोजन विभाग से खरीद वरीयता नीति तैयार करने के निर्देश दिए। इस पॉलिसी के तहत विभागों से जानकारी मांगी जाए कि किस विभाग को किस प्रकार की खरीद करनी होती है। इसके अनुसार प्रदेश में ही वस्तुओं आदि का उत्पादन पर फोकस किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए प्रत्येक विभाग से एक प्रारूप में सभी प्रकार की जानकारियां मांगी जाएं ताकि प्रदेश में इन खरीदे जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन किया जाए। इससे प्रदेश में उत्पादित होने से रोजगार तो उत्पन्न होगा ही साथ ही राज्य में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार खपत संचालित योजनाओं से प्रदेश को लाभ होगा।
मुख्य सचिव ने लैंड बैंक को पोर्टल पर अपलोड किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग लैंड बैंक पोर्टल पर अपने लिए सबसे उपयुक्त भूमि की तलाश कर सकेगा। इससे उस भूमि पर योजना की सफलता के अधिक सम्भावना होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पर्यटन विभाग के पास पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विभिन्न जगहों पर अपनी भूमि हैं। पर्यटन विभाग के लिए पर्यटन से सम्बन्धित गतिविधियों के लिए उसकी लोकेशन बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। और पर्यटन इन भूमियों को प्रयोग करने की योजनाएं बना रहा है, परन्तु आसपास में किसी अन्य विभाग की भूमि है जो पर्यटन की उस योजना के लिए, अधिक अनुकूल है। तो पर्यटन विभाग को अपनी भूमि के बजाय उस अधिक उपयुक्त भूमि पर निवेश करने की आवश्यकता है न कि अपनी भूमि पर। उन्होंने कहा कि विभागों के पास जो भी भूमियां हैं वह सार्वजनिक सम्पत्ति है, जो विभाग को उनके कार्यों के लिए दी गयी है। उन्होंने अधिकारियों द्वारा उनके विभाग की भूमि में उन्हीं के विभाग से सम्बन्धित योजनाओं का ही संचालन हो, की मानसिकता को त्यागे जाने की जरूरत बताया। कहा कि प्रदेश के हित में जिस भूमि का जिस कार्य अथवा योजना के लिए अधिक उपयोगिता होगी, उसी कार्य के लिए प्रयोग की जानी चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पोषक अनाजों पर अत्यधिक सम्भावनाएं हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को इस दिशा में योजनाएं तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने उद्यान विभाग को हॉर्टी टूरिज्म की दिशा में योजनाएं लाए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने वन विभाग को धनौल्टी की तर्ज पर प्रदेशभर में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने की भी बात कही। मुख्य सचिव ने कहा कि देहरादून मसूरी के आवासीय विद्यालय भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार के आवासीय विद्यालयों पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। इससे सिर्फ इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी जिससे प्रदेश और प्रदेशवासियों को किसी न किसी रूप में लाभ मिलेगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में बहुत से निवेश और उद्योग छोटी-छोटी समस्याओं के कारण अटक जाते हैं। इनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए शासन, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर तीन स्तर में समितियां गठित की जा सकती हैं। पहले स्तर पर शासन स्तर पर समस्या का निराकरण किया जाए। यदि वहां समस्या का निस्तारण नहीं होता तो मुख्य सचिव स्तर पर किया जाएगा उसके बावजूद नहीं हो सकेगा तो मुख्यमंत्री स्तर पर गठित समिति उस समस्या का निस्तारण करेगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, डॉ. आर. राजेश कुमार एवं अपर सचिव नियोजन रोहित मीणा सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।