रिवर एंड स्प्रिंग रिजूवनेशन के लिए बनाई जा रही अथॉरिटी को चेक डैम तैयार करने में शामिल करेंः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में वर्षा जल संग्रहण के संबंध में संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में वर्षा काल में अत्यधिक वर्षा होती है, परन्तु बाकी समय पर पानी की समस्या रहती है। रिवर एंड स्प्रिंग रिजूवनेशन के लिए बनाई जा रही अथॉरिटी अथवा एजेंसी के उद्देश्यों में अधिकतम संख्या में चेक डैम तैयार किए जाने को शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्षा जल को चेक डैम आदि के माध्यम से रोक कर जल संग्रहण किया जा सकता है, जिससे वर्षभर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि जल स्रोत से उत्तराखण्ड की सीमा तक सभी नदियों का मास्टर प्लान तैयार किया जाए। साथ ही राज्य जल संरक्षण की योजना तैयार की जाए, जिस पर चरणबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल की कमी को दूर करने में यह प्रदेश की 70 प्रतिशत से अधिक वन भूमि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे प्रदेश के अधिकतम भूभाग के जल स्रोत रिचार्ज होंगे। उन्होंने कहा कि योजनाओं के मूल्यांकन का एक मैकेनिज्म विकसित किया जाए। योजनाओं के अनुश्रवण के लिए डैशबोर्ड भी तैयार किया जाए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी एवं जलागम प्रबंधन से नीना ग्रेवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रेविटी का जल मिले, इसके लिए राज्य सरकार प्रयासरत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को एटलांटिस क्लब पंडितवाडी, देहरादून मे इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन, देहरादून सेंटर द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने सेमिनार से सम्बन्धित विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया। सेमिनार में देश के 12 राज्यों एवं विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जल संरक्षण एवं स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर इस सेमिनार में मंथन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच सालों में हर घर में जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। हर घर तक शुद्ध जल पहुॅचें इसके लिए इंजीनियरों को मंथन करने की जरूरत है कि कैसे पानी की बचत हो और कैसे बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। आज सेमिनार में विषय विशेषज्ञ एक दूसरे के साथ अपने अनुभवों को सांझा करेंगे। जिसके भविष्य में अच्छे परिणाम मिलेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल का कैसे बैहतर तरीके से संरक्षण और पूर्ति हो, इसके लिए लोगों में भी जागरूकता लाने की जरूरत है। जल संचय का सबसे अच्छा तरीका वर्षा जल का एकत्रीकरण है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

सीएम ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि उत्तराखण्ड के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रेविटी का जल मिल सके, इसके लिए सौंग, सूर्यधार व मलुढूंग बांध पर कार्य किया जा रहा है। सौंग बांध का कार्य शुरू होने से 350 दिनों में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। सूर्यधार डेम पर कार्य प्रारम्भ हो गया है। इससे 29 गांवों को ग्रेविटी वाटर उपलब्ध होगा। पंचेश्वर बांध बनने से ऊधमसिंह नगर एवं चम्पावत के तराई क्षेत्र में ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा।