बाह्य सहायतित परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए केंद्र स्तर पर अच्छी पैरवी होः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में बाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में संचालित बाह्य सहायतित परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाई जाए। जो परियोजनाए केन्द्र स्तर पर गतिमान हैं, उनमें तेजी लाने के लिए केन्द्र स्तर पर अच्छी तरह पैरवी हो सके, संबंधित विभागों द्वारा ऐसे प्रस्ताव रेजिडेंट कमिश्नर को भेजे जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रांश एवं राज्यांश की 90 और 10 के अनुपात वाली योजनाओं पर शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर कार्य किये जाएं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि केन्द्र सरकार के लिए जो भी प्रस्ताव बनाये जा रहे हैं, उनका गहनता से अध्ययन एवं परीक्षण के साथ परियोजना के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भेजा जाय। उन्होंने निर्देश दिये कि विभागों को अपनी परियोजनाओं को केन्द्र सरकार में जिस विभाग को भेजा जा रहा है, संबंधित विभाग से नियमित समन्वय बना कर रखें, इसके लिए सभी विभागीय सचिव स्वयं जिम्मेदारी लें।

बाह्य सहायतित परियोजनाओं के अन्तर्गत ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, ग्राम्य विकास एवं वित्त विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बैठक के दौरान जो भी निर्णय लिये जा रहे हैं, कार्यों में तेजी लाने के लिए विभागीय सचिव यथा शीघ्र निर्णयों के अनुपालन में विभागीय आदेश जारी करें और कार्य प्रगति की भी नियमित समीक्षा करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग द्वारा राज्य में मौजूद बांध एवं बैराजों की मजबूती के लिये विश्व बैंक की सहायता से 274 करोड़ की संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से बांधों एवं बैराजों के संचालन एवं प्रबंधन में सुधार के साथ नियन्त्रण एवं निगरानी प्रणाली के आधुनिकीकरण एवं विद्युत उत्पादन में वृद्धि होगी। उन्होंने इस परियोजना को शीघ्रता के साथ धरातल पर उतारने के लिये सभी संबंधित विभागों से आपसी समन्वय एवं समयबद्धता के साथ कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड लोक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये कि राज्य की वित्तीय रिपोर्ट समय पर तैयार करने, राज्य के आंतरिक लेखापरीक्षण प्रणाली को और बेहतर बनाने, बजट एवं क्रय संबंधी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाये जाने के साथ शहरी क्षेत्रों के वार्षिक वित्तीय विवरण तैयार करने तथा शहरी स्थानीय निकायों के संपति कर संग्रह की वृद्धि के लिये भी समेकित प्रयासों की जरूरत बतायी। उत्तराखंड सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना की कुल लागत 274.6 करोड़ रुपये है। जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के अतिरिक्त राजस्व प्रबंधन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण, शहरी स्थानीय निकायों और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत बनाने व परियोजना प्रबंधन और निगरानी एवं मूल्यांकन के कार्य किये जाने हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रोक्योरमेंट प्रोसेस तथा फंडिंग एजेंसी के स्तर पर प्राप्त होने वाली वित्तीय सहायता प्रक्रिया के सरलीकरण पर भी ध्यान देने को कहा, ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन में सुगमता हो सके।

ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (रीप) की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना ग्रामीण परिवारों की आय को दोगुना करने के साथ पलायन रोकने में मददगार होगी। आजीविका से संबंधित गतिविधियों को बढावा देने फार्म मशीनरी बैंकों में महिलाओं की भागीदारी के साथ किसानों को आधुनिक कृषिकरण से जोड़ने में इससे मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जनहित से जुड़ी सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में सभी संबंधित विभागों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने राज्य में संचालित उत्तराखण्ड आपदा तैयारी से संबंधित परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि 1640 करोड़ की 06 साल की इस योजना से राज्य में जलवायु परिवर्तन एवं आपदा के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। वनाग्नि को रोकने, आपदा प्रबंधन केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण एवं इससे संबंधित अवस्थापना सुविधाओं के विकास में इससे मदद मिलेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने प्रभावी कार्य योजना समयबद्धता के साथ तैयार कर उसके क्रियान्वयन पर ध्यान देने को कहा।

इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, राधिका झा, दिलीप जावलकर, डॉ. रंजीत सिन्हा, नीरज खेरवाल, अपर सचिव मनुज गोयल, ऊर्जा के तीनों निगमों के प्रबंध निदेशक एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

स्वास्थ्य सेवा 108 की पुरानी एवं खराब गाड़ियों को शीर्ष प्राथमिकता पर जल्द बदलने के कड़े निर्देश दिएः राधा रतूड़ी

राज्य में गर्भवती महिलाओं की कठिनाइयों को शीर्ष प्राथमिकता पर लेते हुए नवनियुक्त मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में अपनी पहली बैठक में राज्य में गर्भवती महिलाओं की चुनौतियों एवं समस्याओं की समीक्षा की। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को उनके जनपदों में होने वाली किसी भी गर्भवती महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु के ऑडिट या मेटरनल डेथ ऑडिट व्यवस्था का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस सम्बन्ध में रतूड़ी ने सभी जिलों जल्द से जल्द आंकडे़ स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवाने तथा प्रत्येक मातृ मृत्यु प्रकरण का अलग-अलग (केस टू केस) अध्ययन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जनपदों में विशेषरूप से दुर्गम एवं दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच (एण्टी नेटल चेक अप ) को अनिवार्यतः सुनिश्चित करवाने हेतु स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव रतूड़ी ने प्रत्येक जनपद में सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण हुआ है या नही तथा कितनी गर्भवती महिलाओं की नियमित प्रसवपूर्व जांच की जा रही है, का टै्रक रिकॉर्ड रखने की सख्त हिदायत दी है। उन्होंने इस सम्बन्ध में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को समुचित प्रशिक्षण देने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इस सम्बन्ध में आशा एवं आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए एसओपी भी तैयार करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश में 82 प्रतिशत महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जा रही है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अत्यन्त जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं (हाई रिस्क प्रेगन्सी) को चिहिन्त करके उनके स्वास्थ्य का नियमित फॉलोअप करने की कार्ययोजना पर पूरी गंभीरता से कार्य करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। वर्तमान में उत्तराखण्ड में संस्थागत प्रसव 91 प्रतिशत हैं, जोकि 81 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत हो गया है। मुख्य सचिव ने संस्थागत डीलवरी को अधिक से अधिक बढ़ाने हेतु कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

राज्य में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान डॉक्टर्स एवं गाइनाकॉलिस्टस की कमी को पूरा करने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिक से अधिक नर्सिंग ऑफिसर्स को इस सम्बन्ध में प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सम्बन्धित विभाग को स्वास्थ्य सेवा 108 की पुरानी एवं खराब गाड़ियों को शीर्ष प्राथमिकता पर जल्द बदलने के कड़े निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने सभी जनपदों से डोली पालकी की डिमाण्ड शीघ्र स्वास्थ्य विभाग को भेजने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जल्द ही 78.60 लाख के बजट के साथ 262 डोली पालकियां जिलों को उपलब्ध करवाया जाना प्रस्तावित है। महिलाओं के स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से मुख्य सचिव ने जनपदों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को पूरा करने की कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश भी सभी जिलाधिकारियों को दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 796 एएनएम तथा 1376 नर्सिंग ऑफिसर्स की भर्ती की गई है। इसके साथ ही 36 विशेषज्ञ डॉक्टर्स को यू कोट वी पे के आधार पर तैनात किया गया है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं के तहत दिए जाने वाले आहार की रैण्डम सैम्पलिंग करके इसको क्रॉस चौक करवाकर भोजन की पौष्टिकता की नियमित जांच के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के भोजन में स्थानीय अनाजों को प्रोत्साहित करने की हिदायत दी है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों से उनके जिलों में कितनी गर्भवती महिलाओं द्वारा वन स्टॉप सेन्टर को बर्थ वेटिंग हॉम के रूप में उपयोग किया जा रहा है, की जानकारी जल्द उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में हाई रिस्क प्रेगनेंसी के केसों के सम्बन्ध में वन स्टॉप सेन्टर हेतु 76 लाख रूपये के बजट का प्रावधान किया गया है।

मुख्य सचिव ने 104 कॉल सेन्टर व्यवस्था जिसके तहत एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य संबंधी फॉलों अप किया जाता हैं, को और अधिक मजबूत करने तथा इसके माध्यम से सभी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का टै्रक रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में एक सॉफटवेयर जल्द से जल्द लॉच करके सभी जनपदों में इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग को गर्भवती महिलाओं की सहायता हेतु टेलीमेडिसिन को भी राज्य में अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं हेतु राज्य में 109 डिलीवरी पॉइन्टस को उपकरणों तथा मानव संसाधनों की दृष्टि से मजबूत किया जा रहा है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी सभी जिलाधिकारियों से उनके जनपदों में हीमोग्लोबिन मीटर की डिमाण्ड जल्द से जल्द स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिसपॉन्सिबिलिटी) फण्ड की सहायता से कार्य किया जाएगा। मुख्य सचिव ने प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से आयरन फॉलिक एसिड टेबलेट की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के भी निर्देश दिए हैं।

मातृ मृत्यु दर के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड की स्थिति 103 है। राज्य सरकार द्वारा 2030 तक उत्तराखण्ड के मातृ मृत्यु दर को 70 पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में भारत में मातृ मृत्यु दर 197 है।

बैठक में सचिव डा0 आर राजेश कुमार, एच सी सेमवाल, अपर सचिव आन्नद श्रीवास्तव एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जनपदों के जिलाधिकारी सहित सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।

एसीएस ने सीएम अनुभागों का निरीक्षण कर दिए यह निर्देश, आप भी जानिए…

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री अनुभागों के कार्यालयों को 15 फरवरी तक अपनी सभी व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के साथ ही रिकॉर्ड मेंटनेस, साफ-सफाई, पुराने एवं अनुपयोगी सामानों एवं फाइलों के ऑक्शन तथा वीडिंग की डेडलाइन दी है। राधा रतूड़ी ने अगले 15 दिनों में सचिवालय के मुख्यमंत्री अनुभागों में अभियान चलाकर अनुपयोगी सामानों एवं फाइलों की वीडिंग, ऑक्शन एवं साफ-सफाई, सौन्दर्यीकरण का कार्य पूरा करने की सख्त हिदायत दी है। एसीएस ने वीडिंग की व्यवस्था को प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुक्रवार को सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री अनुभागों का औचक निरीक्षण कर कार्यालयों की व्यवस्था, रिकॉर्ड मेंटनेस, साफ-सफाई आदि का जायजा लेते हुए एसीएस रतूड़ी ने सम्बन्धित अधिकारियों को अनुभागीय कार्यालयों को कार्मिकों के लिए गरिमापूर्ण वर्क इनवाइरमेंट बनाने के साथ ही कार्य संस्कृति में सुधार की भी नसीहत दी। उन्होंने कार्यालयों की नियमित स्वच्छता बनाये रखने, रंग रोगन करने, अनुपयोगी सामानों को हटाने, अनावश्यक पत्रावलियों की वींडिग करने तथा कार्मिकों के कार्य करने के लिए आवश्यक सुविधाओं का ध्यान रखने के सख्त निर्देश दिए हैं। एसीएस राधा रतूड़ी ने व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए 15 दिनों का समय देते हुए उक्त निर्देशों के पालन की जांच हेतु पुनः निरीक्षण की बात कही।

इस अवसर पर सचिव एसएन पाण्डेय सहित मुख्यमंत्री कार्यालय के सभी छः अनुभागों के अनुभाग अधिकारी, व्यवस्थाधिकारी, कार्मिक व अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

जनपदों में स्क्रूटिनी मैकेनिज्म को मजबूत किया जाएः सीएस

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य आपदा मोचन निधि एवं राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के प्रस्तावों के अनुमोदन हेतु राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित हुयी। बैठक के दौरान सिंचाई एवं लोक निर्माण विभाग के विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने सचिव आपदा को निर्देश दिए कि भविष्य में आपदा मोचन निधि राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के सभी प्रस्ताव फोटो वीडियो के साथ गतिशक्ति पोर्टल पर भी अपलोड किए जाएं। उन्होंने सचिव आपदा को सभी विभागों के लिए इसका सर्कुलर जारी करने के निर्देश दिए। कहा कि पोर्टल के माध्यम से प्रस्ताव न आने पर आपदा से फंडिंग नहीं की जाएगी। उन्होंने सचिव आपदा को आईटीडीए से मिलकर पोर्टल में आवश्यक प्रावधान और मानकों को जोड़े जाने के निर्देश दिए, ताकि मानकों से बाहर के प्रस्ताव स्वतः ही अपलोड न हों।

मुख्य सचिव ने कहा कि कार्य धरातल पर जनपदों से होता है, इसलिए जनपदों को सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनपदों में स्क्रूटिनी मैकेनिज्म को मजबूत किया जाए। उन्होंने विभागों को कार्यों की गुणवत्ता से बिना समझौता किए मितव्ययता अपनाए जाने हेतु सभी विभागाध्यक्षों को सर्कुलर जारी करने के भी निर्देश दिए।

इस अवसर पर सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, एचसी सेमवाल, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल एवं विनीत कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंडः हर बड़े शहर में ऑडियोटोरियम, इन्डोर एवं आउटडोर स्टेडियम बनाएं जाएंगे

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु ने सचिवालय में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने सभी विभागीय मुखियाओं को अच्छे प्रोजेक्ट्स तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य को मिले लक्ष्य के अनुरूप विभागों द्वारा प्रस्ताव न आने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि राज्य में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है इसके बावजूद विभाग प्रस्ताव नहीं भेज पा रहे हैं, यह स्थिति ठीक नहीं है।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के हर बड़े शहर में ऑडिटोरियम, इन्डोर एवं आउटडोर स्टेडियम बनाए जाएं। उन्होंने खेल सुविधाओं के लिए पूरे प्रदेश का मास्टर प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि प्राथमिकताएं तय करते हुए अगले 5-10 सालों का प्लान तैयार किया जाए। प्रदेश के रिवर फ्रंट डेवेलपमेंट की योजनाओं के लिए पर्यटन विभाग को एंकर विभाग बनाया जाए ताकि रिवर फ्रंट डेवेलपमेंट के कार्यों को पर्यटन की दृष्टि से तैयार किया जा सके।

मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को स्कूलों में विद्यालय भवनों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय आदि निर्माण में तेजी लाते हुए शीघ्र प्रस्ताव तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन विभागों द्वारा योजना की अगली किस्त के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र दिए जाने हैं, शीघ्र उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराएं। एस.ए.एस. योजनाओं की तकनीकी मूल्यांकन प्राथमिकता के आधार पर किया जाए ताकि केन्द्र द्वारा दी जा रही विशेष सहायता का लाभ राज्य को मिल सके।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, एसएन पाण्डेय सहित अन्य विभागीय उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

पर्वतीय जनपदों में पार्किंग के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना अत्यन्त आवश्यकः सीएस

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में प्रदेश में बनने वाली सभी टनल, ऑटोमेटेड और सरफेस पार्किंग की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड एक पर्वतीय प्रदेश होने के कारण यहां पार्किंग एक बहुत बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में पार्किंग के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने लगातार प्रयास कर प्रदेश में अधिक से अधिक पार्किंग्स बनाए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने पार्किंग्स के निर्माण में धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रदेश में सभी प्रकार की पार्किंग्स के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने टनल पार्किंग्स की साप्ताहिक मॉनिटरिंग करते हुए शीघ्र कार्य शुरू कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश में छोटी-छोटी परन्तु अधिक संख्या में पार्किग्स बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पार्किंग की प्रगति की साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। लगातार बैठकें आयोजित करा कर समस्याओं का निस्तारण किया जाए। समस्या का समाधान निर्धारित समय में न होने पर मुख्य सचिव स्तर पर बैठक आयोजित कराई जाए।
बैठक के दौरान बताया गया कि प्रदेश में टनल पार्किंग के लिए 11 स्थानों को चिन्हित किया गया है। जिनमें 7 की डीपीआर तैयार हो रही है, 1 की डीपीआर स्वीकृत हो गई हैं। 2 की तकनीकी जांच गतिमान हैं। बताया गया कि ऑटोमेटेड पार्किंग के लिए 9 लोकेशन चिन्हित की गई हैं। 5 प्रस्तावों को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत दे दी गई है। 2 की डीपीआर तैयार की जा रही है, 1 की डीपीआर तैयार है स्वीकृति की जा चुकी है, 1 भूमि की एनओसी स्तर पर लंबित है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन एवं सचिव एस. एन. पांडेय सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

राज्य हित में जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये गठित यूआईआईडीबी के परिणाम शीघ्र धरातल पर उतारेंः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखण्ड निवेश और आधारिक संरचना विकास बोर्ड (यू.आई.आई.डी.बी.) की पहली बोर्ड बैठक आयोजित हुई। बैठक में मुख्य सचिव डॉ.एस.एस.संधु, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुन्दरम, विनय शंकर पाण्डे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बोर्ड एवं कार्य समिति की संरचना के साथ ही 10 करोड के प्रारम्भिक कॉरपस कोष के गठन को भी मंजूरी दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी परियोजनाओं की पहचान कर उनका प्राथमिकता के साथ उनका सफल क्रियान्वयन हो इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। राज्य में हवाई अड्डों के विकास एवं विस्तार, दूरसंचार अवसंरचना, मेडिकल कॉलेजों के विकास, नई टाउनशिप-आवास, औद्योगिक लॉजिस्टिक गलियारे, पर्यटन संबंधी निर्माण विकास जैसी बुनियादी ढांचे के क्षेत्र की परियोजनाओं के विकास के लिए अत्यधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि राज्य में वित्तीय संसाधनों की सीमितता के दृष्टिगत राज्य के आधारभूत अवसंरचनात्मक ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु इस क्षेत्र के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पूंजी निवेशकों को आकर्षित किया जाना आवश्यक है। इसके लिए लोक निजी सहभागिता (पी०पी०पी०) परियोजनाओं के प्रोत्साहन पर विशेष ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बुनियादी ढांचागत विकास के क्षेत्र में निरन्तर परिवर्तित हो रहे परिदृश्य एवं विकास की नवीन आवश्यकताओं के दृष्टिगत उत्तराखंड राज्य में आधारभूत ढांचे के विकास को तेजी से आगे बढ़ाने हेतु और पी०पी०पी० परियोजनाओं को विकसित करने हेतु उत्तराखण्ड निवेश और आधारिक संरचना विकास बोर्ड (यू.आई.आई.डी.बी.) गठित किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि राज्य हित में जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये यू.आई.आई.डी.बी. का गठन किया गया उसके परिणाम शीघ्र धरातल पर दिखाई दे इसके लिये प्रभावी कार्ययोजना के साथ कार्य किया जाय।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि बोर्ड की संरचना तथा कार्यकारी समिति से संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों सहित अच्छे विषय विशेषज्ञों को भी नामित किया जाय। यदि बोर्ड से अच्छे और अनुभवी विशेषज्ञ जुडेंगे तो कार्यों का संचालन भी बेहतर ढंग से हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जिन योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना है उनकी प्राथमिकता तय कर समयबद्धता के साथ उन्हें पूरा करने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने निर्देश दिये कि हरिद्वार, ऋषिकेश कोरिडोर, शारदा कोरिडोर के साथ वेडिंग डेस्टिनेशन के लिये प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर स्थान चयन में प्राथमिकता दी जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य वेडिंग डेस्टिनेशन के लिये त्रिजुगीनारायण के अलावा कई और भी सुरम्य स्थल है। राज्य को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भी निर्देश है। अतः इस दिशा में तेजी से कार्य किया जाय। इसके लिये उन्होंने वेडिंग प्लानर की सेवा लेने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में दो नई टाउनशिप के प्रस्तावों पर भी शीघ्र कार्यवाही के साथ बिहारीगढ के आसपास के क्षेत्रों के विकास के साथ रेसकोर्स, यमुना कॉलोनी, एच.एम.टी. रानीबाग के पुनर्विकास की योजनाओं पर भी ध्यान देने को कहा।

सीएम धामी से बीआरओ के महानिदेशक ने की मुलाकात

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सचिवालय में बी.आर.ओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने बीआरओ द्वारा पिथौरागढ़ में बनाई जा रही बलुआकोट से तवाघाट और लिपुलेख से जोलिंगकोंग सड़क मार्ग की कार्यवाही के बारे में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में आदि कैलास और पार्वतीकुंड आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी। राज्य में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि की संभावनाओं को दृष्टिगत राज्य सरकार आगामी 50 सालों की व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि बी.आर.ओ. द्वारा राज्य में किये जा रहे कार्यों में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जायेगा।
महानिदेशक बी.आर.ओ. रघु श्रीनिवासन ने कहा कि बीआरओ द्वारा उत्तराखण्ड में 05 एयरफील्ड गूंजी, कालसी, टनकपुर, घनसाली और नाविढ़ांग को विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि जोशीमठ से औली सड़क मार्ग जिसकी लम्बाई 13.40 कि.मी. है उसके 2.25 कि.मी. पर भारतीय सेना द्वारा रखरखाव किया जा रहा है। उन्होंने सामरिक महत्व के इस मार्ग के अवशेष भाग के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य लोक निर्माण के स्थान पर बी.आर.ओ. को हस्तांतरित कर दिया जाय। इसी प्रकार जोशीमठ के बड़गांव के हनुमान शिला से औली के लिये 15 कि.मी. वैकल्पिक मार्ग के निर्माण को भी बी.आर.ओ. को सौंपा जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, चीफ इंजीनियर लोक निर्माण विभाग दीपक कुमार यादव एवं बी.आर.ओ. के अधिकारी उपस्थित थे।

सीएस ने प्रदेश के किसानों को उनके उत्पादों को अधिक लाभ दिलाने के लिए लगातार प्रयास करने दिए निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने के लिए बनाए गए अम्ब्रेला ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के किसानों को उनके उत्पादों का अधिक से अधिक लाभ दिया जा सके और उनके उत्पादों को एक अच्छी ब्रांडिंग और बाजार मिल सके इसके लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा लगातार प्रयास किए जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज के लिए विश्वस्तरीय वेबसाइट तैयार की जाए, साथ ही मोबाइल ऐप भी तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों से उत्पाद खरीदने के बाद वैल्यू एडिशन के लिए पूरे प्रदेश में उत्पादन क्षेत्रों के आसपास ही प्रोसेसिंग और पैकेजिंग सेंटर तैयार किए जाएं। उन्होंने कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज में उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित किए जाने के बाद ही शामिल किया जाए। गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाले स्थानीय उत्पादों को लगातार हाउस ऑफ हिमालयाज में शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने हाउस ऑफ हिमालयाज को शीघ्र शुरू किए जाने हेतु प्रत्येक स्तर के पूर्ण होने की टाईमलाईन निर्धारित करते हुए निर्धारित समय सीमा में कार्य पूर्ण किया जाना सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि हाउस ऑफ हिमालयाज को विश्वस्तरीय ब्रांड बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा अपने अंतर्गत उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर सचिव राधिका झा एवं अपर सचिव मनुज गोयल, आनन्द स्वरूप सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने उत्तराखंड को विश्व का सर्वश्रेष्ठ योग गंतव्य बनाने के लिए नई योग नीति शीघ्र लाने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड को आयुष और वेलनेस के क्षेत्र में प्रमुख डेस्टिनेशन बनाने के प्रभावी कार्य योजना के साथ कार्य किये जाएं। उत्तराखण्ड को विश्व का सर्वश्रेष्ठ योग गंतव्य बनाने के लिए नई योग नीति शीघ्र लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पंचकर्मा को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जाएं। राज्य में जड़ी बूटियों के उत्पादन को और बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए आयुष विभाग उद्यान और वन निगम से समन्वय कर संग्रह और विपणन की उचित व्यवस्था की जाए।

मुख्यमंत्री ने आम नागरिकों तक आयुष चिकित्सा की उपलब्धता पर ध्यान दिये जाने की जरूरत बताते हुये कहा कि आयुष के क्षेत्र में निजी भागीदारी के साथ गुणवत्ता युक्त आयुष चिकित्सालयों की स्थापना पर भी ध्यान दिया जाय। आयुष के क्षेत्र को बढावा देने के लिये जडी बूटी कृषकों के उत्पादों के विपणन के लिये उचित प्लेटफार्म की व्यवस्था बनाने के भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये। स्कूली छात्रों को आयुष संबंधी जानकारी दिये जाने के लिये आयुर्विधा कार्यक्रमों के संचालन में तेजी लाये जाने के प्रयासों की जरूरत बताते हुये उन्होंने सभी स्कूलों में इसकी व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने तथा आयुष नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में भी शीघ्रता के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने आयुष के क्षेत्र में बेहतर कार्य संचालन के लिये वेलनेस केंद्रों की स्थापना, आयुष सेवाओं के प्रमाणीकरण तथा आयुष चिकित्सकों एवं फार्मशिस्टों को प्रसिद्ध आयुष विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था पर ध्यान देने को कहा। इससे आयुष चिकित्सा को जनता से जोडने में मदद मिलेगी।

बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में आयुष नीति लागू की गई है। इसमें वेलनेस, स्वास्थ्य, आयुष उत्पादन, आयुष शिक्षा और शोध एवं औषधीय पादपों की खेती से संबंधित प्राविधान किये गये हैं। नीति में उच्च गुणवत्ता युक्त आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के उत्पादन को प्रोत्साहन किये जाने, गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज (जीएपी) के अंतरराष्ट्रीय मानक का पालन किये जाने की अनिवार्यता, ड्रोन आधारित नवीनतम तकनीक का प्रयोग, पीपीपी मोड पर कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, औषधीय पादपों के विक्रेताओं (कृषकों, स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं) तथा क्रेताओं (औषध-निर्माताओं) को एक मंच पर लाए जाने हेतु ऑनलाइन प्लेटफार्म की स्थापना, औषधीय पादपों के लिए ‘एश्योर्ड बाय-बैक’ योजना, राज्य में अग्रणी निर्माताओं एवं प्रतिष्ठित विपणन एजेंसी के सहयोग से उत्तराखंड में उगाए जाने वाले प्रमुख औषधीय पादपों की ब्रांडिंग के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश शामिल किये गये हैं।

आयुष नीति में नवीनतम एमएसएमई नीति तथा मेगा औद्योगिक व निवेश नीति आयुष विनिर्माण इकाइयों पर भी लागू की गई है। सभी आयुष विनिर्माण इकाइयों के लिए 10 प्रतिशत तक अतिरिक्त पूंजीगत सहायता, आयुष उत्पादों की गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए राज्य के 2-3 महत्वपूर्ण स्थानों पर सामान्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना को प्रोत्साहन, आयुष उत्पादों हेतु आयुष प्रीमियम मार्क/आयुष स्टैंडर्ड मार्क प्राप्त किया जाना अनिवार्य किया गया है। इस नीति में आगामी 5 वर्षों में एनएबीएच से प्रत्यायन प्राप्त करने वाले प्रत्येक आयुष चिकित्सालय/आयुष हेल्थकेयर क्लिनिक को एनएबीएच से प्रत्यायन प्राप्त करने हेतु निर्धारित शुल्क की प्रतिपूर्ति, आयुष टेली कंसल्टेशन ऐप प्रारंभ किए जाने की योजना शामिल की गई है।

आयुष के क्षेत्र में राज्य पर्यटन नीति, 2023 के माध्यम से वेलनेस रिसोर्ट, आयुर्वेद / योग/ नेचुरोपैथी रिसोर्ट को 50 प्रतिशत तक की पूंजीगत सहायता तथा श्रेणी बी और श्रेणी सी क्षेत्रों में स्थापित होने वाले वेलनेस केंद्र, आयुर्वेद / योग/ नेचुरोपैथी रिसोर्ट को 5 प्रतिशत की अतिरिक्त पूंजीगत सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। आयुष शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आयुष कॉलेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से निर्धारित मानकों को पूर्ण करने वाले आयुष कॉलेजों को 15 लाख तक की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्रदान किये जाने का प्राविधान किया गया है।

बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण समिति विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव आयुष डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं आयुष विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।