हरिद्वार जिले में धर्मस्थल हटाने की कार्रवाई ने लिया राजनीतिक रंग

हरिद्वार जिले में सरकारी भूमि पर बनाए गए धर्मस्थलों को कोर्ट के आदेश पर हटाने के अभियान का विरोध दिल्ली और लखनऊ तक पहुंच गया है। मंगलवार शाम यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की ओर से इस मुद्दे पर ट्वीट किए जाने के बाद मामला और गरमा गया। दूसरी ओर, झबरेड़ा से भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि एक भी मंदिर को तोड़ने नहीं दिया जाएगा।
जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को जिलेभर में सरकारी जमीन पर बनाए गए धर्मस्थलों को हटवाने की मुहिम चलाई थी। इस दौरान लक्सर, लंढौरा, खानपुर और पथरी क्षेत्र सहित कई स्थानों से धर्मस्थल हटाए गए थे, लेकिन कई स्थानों पर विधायकों के नेतृत्व में जनता की ओर से विरोध किए जाने पर प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा था। ऐसे कई मामलों को लेकर गतिरोध बरकरार है।
मंगलवार दोपहर यह मामला उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया जब बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर हरिद्वार के बादशाहपुर क्षेत्र स्थित संत रविदास मंदिर हटाने के फैसले गलत बताया। उन्होंने कहा कि बसपा ऐसे निर्णय की निंदा करती है। सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए। मायावती के ट्वीट के बाद बसपा के स्थानीय नेता भी सक्रिय हो गए।
प्रदेश अध्यक्ष नरेश गौतम ने कहा कि प्रशासन का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। आस्था के केंद्रों को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। इस बारे में बसपा का एक प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिलेगा। प्रशासन के सामने कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की बाध्यता है तो कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। प्रदेश उपाध्यक्ष मो. शहजाद ने कहा कि कोई भी धर्मस्थल तोड़ा जाना उचित नहीं है। आपसी विचार विमर्श के आधार पर समस्या का कोई समाधान निकाला जाना चाहिए।
दूसरी ओर, भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली कूच कर गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, राष्ट्रीय सह महामंत्री शिव प्रकाश सहित कई नेताओं को पत्र लिखकर धर्मस्थल तोड़े जाने के निर्णय पर सवाल उठाया है।

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