हाईकोर्ट ने किन्नरों के सम्मानजनक जीवन के लिये मुख्य धारा में शामिल किये जाने व उनके आवास के लिये व्यवस्था करने के लिये कहा है।
देहरादून निवासी किन्नर रजनी रावत ने अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उनका कहना था कि 1996 में विरासत में मिली देहरादून की गद्दी की वजह से वह वसूली करती आई है, मगर हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किन्नर शहर में आकर उनके नाम से वसूली कर रहे हैं। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई।
उन्होंने देहरादून एसएसपी को मांग पत्र देकर बाहरी किन्नरों को हटाने की मांग की थी, मगर उन्हें नहीं हटाया गया। आरोप लगाया कि बाहरी किन्नर अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की किन्नर रजनी रावत व रानो तथा अन्य को सुरक्षा मुहैया कराने के एसएसपी देहरादून को दिए।
कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों से किन्नर समुदाय का रिकार्ड रखने को कहा है, ताकि समाज में कोई भेदभाव न हो सके और दूसरे व्यक्तियों की तरह इन्हें भी समान अधिकार प्राप्त हों। कोर्ट ने कहा कि किन्नरों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा मिले, उन्हें सार्वजनिक स्थान जिसमें खेल मैदान, सड़कें, शिक्षण संस्थान, बाजार, अस्पताल, होटल पर आने-जाने की छूट हो। सरकार किन्नरों के लिए सरकारी इमारतों, बस स्टेशन में छह माह के भीतर अलग शौचालय बनाए। सरकार किन्नर वेलफेयर बोर्ड का गठन करते हुए इसमें किन्नरों को भी प्रतिनिधित्व दे।
सभी जिलाधिकारी किन्नरों का पंजीकरण करें और यह सुनिश्चित करें कि किन्नर किसी बच्चे को उसके माता-पिता की अनुमति के न ले जाएं। किन्नर बच्चा अगर पैदा होता है तो उसे जुदा न किया जा सके, इसके लिए तीन माह में उचित नियम व कानून बनाया जाए। जिस परिवार में ऐसे बच्चे पैदा होते हैं, उन्हें सरकार आर्थिक सहायता दे।