रामायण प्रचार समिति ने शोभायात्रा निकालीं

श्रीरामायण प्रचार समिति के 32वें वार्षिकोत्सव पर शहर में कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में शहरवासी शामिल हुए। कलशयात्रा त्रिवेणीघाट से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होकर तुलसीमाता मंदिर में संपन्न हुई। वाषिकोत्सव का शुभारंभ स्वामी ह्यग्रीवाचार्य महाराज, व्यवसायी इन्द्रप्रकाश अग्रवाल एवं अनुराग शर्मा ने दीप जलाकर किया। महाराज ने कहा कि रामायण जीवन में सादगी, संयमता के साथ आदर्श जीवन स्थापित कराती है। धनंजय शास्त्री ने ससंगीत सामूहिक रामचरित मानस का पाठ किया। 30 जुलाई तक चलने वाली कथा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस अवसर पर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, व्यापार सभा अध्यक्ष नवल कपूर, अनुराग जोशी, अभिषेक शर्मा, चित्रमणि देशवाल, राधामोहन प्रसाद, राजीव लोचन, राधामोहन दास, सभासद रीना शर्मा, रामचन्द्र, आदेश तोमर, राजेन्द्र प्रसाद, मदनमोहन शर्मा, आचार्य सतीश घिल्डियाल, दीपक बधानी, दर्शनी देवी, रजनी देवी, पूनम अरोड़ा, सीमा शर्मा, अंशुला देवी, सुमनी देवी, अमृता शर्मा आदि उपस्थित थे।

श्रावणमास में खिले केदारघाटी के व्यापारियों के चेहरे

बाबा का धाम फिर से गुलजार होने लगा है। सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्त केदारनाथ धाम को पहुंच रहे हैं। बरसात और भूस्खलन के आगे श्रद्धा भारी है। तीर्थयात्रियों की आमद बढ़ने से केदारपुरी भी गुलजार होने लगी है और व्यापारियों के चेहरों पर भी मुस्कान लौट आई है। वहीं मंदिर समिति की आय में भी इजाफा हो रहा है।
पिछले कुछ दिनों से बरसात होने के कारण केदारनाथ धाम में भक्तों का अकाल पड़ गया था। यात्रियों की संख्या नगण्य होने से व्यापारियों के चेहरों पर भी उदासी थी और मंदिर समिति की आय में भी कोई इजाफा नहीं हो रहा था। मगर अब सावन के महीने में बाबा का धाम फिर से गुलजार होने लगा है। तीर्थयात्रियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। एक-दो दिनों से केदार धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या एक से दो हजार के पार पहुंच रही है, जबकि पिछले दिनों दो से तीन सौ के करीब तीर्थयात्री ही बाबा के दरबार में पहुंच रहे थे। सोमवार को दो हजार तीन सौ 16 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दरबार में पहुंचकर मत्था टेका। जिससे यात्रा का आंकड़ा तीन लाख 81 हजार 154 पहुंच गया है।
केदारनाथ में जलाभिषेक करने का विशेष महातम्य है। जो भक्त सावन मास में यहां पहुंचकर भगवान भोले को जल के साथ ब्रह्मकमल चढ़ाता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि सावन माह में केदारनाथ बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। भारी बारिश के बावजूद भी तीर्थयात्री केदार धाम को पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा केदार के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था है। प्रशासन से यात्रा मार्गों को दुरूस्त करने की मांग की है।

आंतकियों ने अमरनाथ यात्रियों को बनाया निशाना, 6 की मौत

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की खबर है। इस हमले में छह तीर्थयात्री मारे गए हैं जबकि 12 अन्य घायल हैं। आतंकियों ने पुलिस पार्टी को भी निशाना बनाया। शुरुआती जानकारी के अनुसार तीन अलग-अलग जगहों पर आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनया है।
यह हमला अनंतनाग के पास बटेंगू में हुआ जहां यात्रियों से भरी बस पर अतंकियों ने फायरिंग कर दी। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार बालटाल से लौट रही बस पर रात करीब 8.20 बजे यह हमला हुआ। आतंकी हमला करने के बाद फरार हो गए और सुरक्षाबलों ने उनकी तलाश के लिए अभियान शुरू कर दिया है।

आखिर जून माह में क्यों जुटते है कामाख्या मंदिर में देश विदेश के साधक!


रजस्वला स्त्री मासिक धर्म, एक स्त्री की पहचान है, यह उसे पूर्ण स्त्रीत्व प्रदान करता है। लेकिन फिर भी हमारे समाज में रजस्वला स्त्री को अपवित्र माना जाता है। महीने के जिन दिनों में वह मासिक चक्र के अंतर्गत आती है, उसे किसी भी पवित्र कार्य में शामिल नहीं होने दिया जाता, उसे किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने की मनाही होती है। लेकिन विडंबना देखिए कि एक ओर तो हमारा समाज रजस्वला स्त्री को अपवित्र मानता है वहीं दूसरी ओर मासिक धर्म के दौरान कामाख्या देवी को सबसे पवित्र होने का दर्जा देता है।
तांत्रिक सिद्धियां यह मंदिर तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। यहां तारा, धूमवती, भैरवी, कमला, बगलामुखी आदि तंत्र देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं।
इस मंदिर को सोलहवीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था लेकिन बाद में कूच बिहार के राजा नर नारायण ने सत्रहवीं शताब्दी में इसका पुन: निर्माण करवाया था।
कामाख्या शक्तिपीठ नीलांचल पर्वत के बीचो-बीच स्थित कामाख्या मंदिर गुवाहाटी से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध 108 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि पिता द्वारा किए जा रहे यज्ञ की अग्नि में कूदकर सती के आत्मदाह करने के बाद जब महादेव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनके क्रोध को शांत करने के लिए अपना सुदर्शन चक्र छोड़कर सती के शव के टुकड़े कर दिए थे। उस समय जहां सती की योनि और गर्भ आकर गिरे थे, आज उस स्थान पर कामाख्या मंदिर स्थित है।
कामदेव का पौरुष इसके अलावा इस मंदिर को लेकर एक और कथा चर्चित है। कहा जाता है कि एक बार जब काम के देवता कामदेव ने अपना पुरुषत्व खो दिया था तब इस स्थान पर रखे सती के गर्भ और योनि की सहायता से ही उन्हें अपना पुरुषत्व हासिल हुआ था।
एक और कथा यह कहती है कि इस स्थान पर ही शिव और पार्वती के बीच प्रेम की शुरुआत हुई थी। संस्कृत भाषा में प्रेम को काम कहा जाता है, जिससे कामाख्या नाम पड़ा।
अधूरी सीढ़ियां इस मंदिर के पास मौजूद सीढ़ियां अधूरी हैं, इसके पीछे भी एक कथा मौजूद है। कहा जाता है एक नरका नाम का राक्षस देवी कामाख्या की सुंदरता पर मोहित होकर उनसे विवाह करना चाहता था। परंतु देवी कामाख्या ने उसके सामने एक शर्त रख दी।
कामाख्या देवी से विवाह कामाख्या देवी ने नरका से कहा कि अगर वह एक ही रात में नीलांचल पर्वत से मंदिर तक सीढ़ियां बना पाएगा तो ही वह उससे विवाह करेंगी। नरका ने देवी की बात मान ली और सीढ़ियां बनाने लगा।
देवी को लगा कि नरका इस कार्य को पूरा कर लेगा इसलिए उन्होंने एक तरकीब निकाली। उन्होंने एक कौवे को मुर्गा बनाकर उसे भोर से पहले ही बांग देने को कहा। नरका को लगा कि वह शर्त पूरी नहीं कर पाया है, परंतु जब उसे हकीकत का पता चला तो वह उस मुर्गे को मारने दौड़ा और उसकी बलि दे दी।
जिस स्थान पर मुर्गे की बलि दी गई उसे कुकुराकता नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की सीढ़ियां आज भी अधूरी हैं।मासिक चक्र कामाख्या देवी को ‘बहते रक्त की देवी’ भी कहा जाता है, इसके पीछे मान्यता यह है कि यह देवी का एकमात्र ऐसा स्वरूप है जो नियमानुसार प्रतिवर्ष मासिक धर्म के चक्र में आता है।
सुनकर आपको अटपटा लग सकता है लेकिन कामाख्या देवी के भक्तों का मानना है कि हर साल जून के महीने में कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं और उनके बहते रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है।
निषेध है मंदिर में प्रवेश इस दौरान तीन दिनों तक यह मंदिर बंद हो जाता है लेकिन मंदिर के आसपास ‘अम्बूवाची पर्व’ मनाया जाता है। इस दौरान देश-विदेश से सैलानियों के साथ तांत्रिक, अघोरी साधु और पुजारी इस मेले में शामिल होने आते हैं। शक्ति के उपासक, तांत्रिक और साधक नीलांचल पर्वत की विभिन्न गुफाओं में बैठकर साधना कर सिद्धियां प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
वाममार्गी कामाख्या मंदिर को वाममार्ग साधना के लिए सर्वोच्च पीठ का दर्जा दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि मछन्दरनाथ, गोरखनाथ, लोनाचमारी, ईस्माइलजोगी आदि जितने भी महान तंत्र साधक रहे हैं वे सभी इस स्थान पर साधना करते थे, यहीं उन्होंने अपनी साधना पूर्ण की थी।
रजस्वला देवी भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना है कि अम्बूवाची पर्व के दौरान कामाख्या देवी के गर्भगृह के दरवाजे अपने आप ही बंद हो जाते हैं और उनका दर्शन करना निषेध माना जाता है। पौराणिक दस्तावेजों में भी कहा गया है कि इन तीन दिनों में कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं और उनकी योनि से रक्त प्रवाहित होता है।
सुनहरा समय तंत्र साधनाओं में रजस्वला स्त्री और उसके रक्त का विशेष महत्व होता है इसलिए यह पर्व या कामाख्या देवी के रजस्वला होने का यह समय तंत्र साधकों और अघोरियों के लिए सुनहरा काल होता है।
योनि के वस्त्र इस पर्व की शुरुआत से पूर्व गर्भगृह स्थित योनि के आकार में स्थित शिलाखंड, जिसे महामुद्रा कहा जाता है, को सफेद वस्त्र पहनाए जाते हैं, जो पूरी तरह रक्त से भीग जाते हैं। पर्व संपन्न होने के बाद पुजारियों द्वारा यह वस्त्र भक्तों में वितरित कर दिए जाते हैं।
कमिया वस्त्र बहुत से तांत्रिक, साधु, ज्योतिषी ऐसे भी होते हैं जो यहां से वस्त्र ले जाकर उसे छोटा-छोटा फाड़कर मनमाने दामों पर उन वस्त्रों को कमिया वस्त्र या कमिया सिंदूर का नाम देकर बेचते हैं।
आस्था का विषय देवी के रजस्वला होने की बात पूरी तरह आस्था से जुड़ी है। इस मानसिकता से इतर सोचने वाले बहुत से लोगों का कहना है कि पर्व के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी में प्रचुर मात्रा में सिंदूर डाला जाता है, जिसकी वजह से नदी लाल हो जाती है। कुछ तो यह भी कहते हैं कि यह नदी बेजुबान जानवरों की बलि के दौरान उनके बहते हुए रक्त से लाल होती है। इस मंदिर में कभी मादा पशु की बलि नहीं दी जाती।

चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन एजेंसी खुली

ऋषिकेश।
उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्र विशेषकर पूर्वांचल के लोगों की चारधाम यात्रा को सरल-सुगम बनाने के लिए ऑनलाइन ट्रैवेल एजेंसी पूर्वांचल एक्सप्रेस के कार्यालय का ऋषिकेश नगर पालिका अध्यक्ष दीप शर्मा ने उद्घाटन किया। ऋषिकेश के अमितग्राम में अध्यक्ष दीप शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश विशेषकर पूर्वांचल में रहने वाले लोगों के लिए चारधाम यात्रा आरामदेह बनाने के लिए ऑनलाइन ट्रैवेल एजेंसी कार्यालय बनाया गया है। पूर्वांचल एक्सप्रेस के चैयरमेन श्रीकांत सिंह ने कहा कि आज विभिन्न ट्रैवेल एजेंसी यात्रा के नाम पर तीर्थ यात्रियों से ज्यादा मुनाफा वसूल रही हैं। इस अवसर पर राहुल उपाध्याय, सिद्धार्थ रतूड़ी, भवानंद बंगवाल, सचिदानंद तिवारी, उपेंद्र प्रसाद भट्ट, लक्ष्मी प्रसाद अर्जुन सिंह नेगी, सुनीता नेगी, शारदा देवी, सीमा आदि उपस्थित थे।

गंगा तट पर देशभर से जुटने लगे ध्यान साधक

ऋषिकेश।
आध्यात्मिक व स्वयं सेवी संस्था पिरामिड स्प्रीचुअल सोसायटीज मूवमेंट के तत्वाधान में मंगलवार से तीन दिवसीय ध्यान शिविर का शुभारंभ हो गया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने शिविर का शुभारंभ किया। इससे पूर्व साधकों ने नगर में रैली निकालकर गंगा स्वच्छता का संदेश भी दिया।
मंगलवार को पिरामिड स्प्रीचुअल सोसायटीज मूवमेंट व उतर भारत ध्यान प्रचार ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जीएमवीएन के गंगा रिसॉर्ट में तीन दिवसीय ध्यान शिविर का शुभारंभ किया गया। देशभर से ध्यान शिविर में आने वाले साधकों को नि:शुल्क साधना का अभ्यास कराया जा रहा है। शिविर का शुभारंभ करते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने ध्यान को जीवन को महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। कहाकि शरीर को ऊर्जा व लक्ष्य प्राप्ति के लिए साधना से बेहतर माध्यम कोई नही है। इससे पूर्व देशभर से आये साधकों ने गंगा स्वच्छता को लेकर नगर में जागरुकता रैली निकालीं। शिविर में सामूहिक ध्यान, पूर्णिमा ध्यान, संगीत ध्यान, प्राकृतिक ध्यान, पिरामिड ध्यान का अभ्यास कराया जा रहा है। मौके पर भाजपा महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, ट्रस्ट के अध्यक्ष डीएलएन शास्त्री, सतीश अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, अनुण गुप्ता आदि मौजूद रहे।

श्रद्धालुओं ने गंगा मैय्या का जन्मदिन मनाया

ऋषिकेश।
मंगलवार को वैशाख मास की सप्तमी पर गंगा का जन्म दिवस ऋषिनगरी में धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही त्रिवेणी घाट के गंगा तट पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर गंगा की जलधारा में प्रसाद चढ़ाकर मां गंगा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। श्री गंगा महासभा की ओर से मंगलवार को विशेष गंगा आरती का आयोजन किया गया।
गंगा महासभा के धीरेन्द्र जोशी ने बताया कि गंगा सप्तमी को गंगा मैय्या का जन्म दिन धूमधाम से मनाया गया। गंगा सप्तमी की जानकारी देते हुए बताया कि इस दिन गंगा स्वर्ग से भगवान शिव की जटाओं में समाईं थीं। तभी से इस दिन को गंगा जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री गंगा महासभा की विशेष आरती में स्थानीय लोगों व तीर्थयात्रियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। आरती के बाद गंगा जन्मोत्सव पर खुशी मनाते हुए महासभा की ओर से श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण भी किया गया।
मौके पर जगमोहन मिश्रा, जगदीश शास्त्री, आशीष पैन्यूली, राहुल शर्मा, चेतन स्वरुप भटनागर, नितिन, श्री चंद शर्मा, नरेश भारद्वाज, नरेश चौहान, विनोद अग्रवाल, महेश गुप्ता आदि मौजूद रहे।

चारधाम यात्रा पंजीकरण ने पकड़ा जोर

ऋषिकेश।
चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के पंजीकरण पर नजर डालें तो ऑनलाइन पंजीकरण को प्राथमिकता मिली है। चारधाम के लिए 2545 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन पंजीकरण करवा लिया है। सोमवार तक 1405 लोगों ने पैदल मार्ग से चारधाम जाने के लिए पंजीकरण करवाया था। मंगलवार शाम पांच बजे तक इनसे में 117 श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ गई। पैदल जाने वाले अधिकतर साधु-सन्यासी हैं। वही ऑनलाइन पंजीकरण करवाने वाले श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा में आने पर लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। उनके लिए विशेष काउंटर लगाया जा रहा है।
समय की बचत को देखते हुए श्रद्धालुओं ने अब तक ऑनलाइन पंजीकरण को प्राथमिकता दी है। यात्रा को एक दिन शेष रहने पर बुधवार को होने वाले पंजीकरण पर प्रशासन की नजरें टिकी हैं। जानकारों की मानें तो बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा जोर पकड़ेगी। तभी पंजीकरण की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की जा सकेगी। पंजीकरण कार्यालय के स्थानीय मैनेजर प्रेम अनन्त ने बताया कि चारधाम यात्रा के लिए यात्रियों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण के साथ ही सीधे कार्यालय में भी पंजीकरण करावाए जा रहे हैं।

चारधाम को एडवांस बसों का आंकड़ा हजार के पार

ऋषिकेश।
उत्तराखंड के तीर्थों में प्रमुख रूप से शामिल चारधाम यात्रा में देश ही नहीं विदेशों के श्रद्धालु पहुंचते हैं। 27 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए परिवहन कंपनियों में भारी उत्साह दिख रहा है। चारधाम यात्रा संचालित कर रही संयुक्त रोटेशन यातायात व्यवस्था समिति के पास इस वर्ष के शुरुआती चरण में हजार बसों की एडवांस बुकिंग आ चुकी है।
हालांकि समिति ने चारधाम यात्रा पर जाने वाली 1204 बसों की लॉटरी निकाली है। वर्षों से परंपरा रही है कि चारधाम यात्रा में जाने के लिए बसों की लॉटरी निकाली जाती है जिसमें से हजार बसों की एडवांस बुकिंग रोटेशन के पास आ चुकी है। चारधाम यात्रा के शुरुआती चरण में बंपर एडवांस बुकिंग आने से परिवहन व्यवसायियों के चेहरे खिले हुए हैं। देश के विभिन्न प्रदेशों से यात्रा के लिए ट्रैवेल एजेंट रोटेशन समिति से लगातार संपर्क कर रहे हैं। शुरुआती रुझानों को लेकर चारधाम यात्रा के मई में चरम पर होने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
संयुक्त रोटेशन यातायात व्यवस्था समिति के अध्यक्ष सुधीर राय ने बताया कि पूर्व की परंपरा के अनुसार चारधाम यात्रा पर जाने वाली 1204 बसों की लॉटरी निकाली गई। यात्रा के शुरुआती चरण में रविवार तक के आंकड़ों के अनुसार हजार बसों की एंडवास बुकिंग समिति के पास आ चुकी है। शुरुआती रुझानों को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि मई माह में चारधाम यात्रा अपने चरम पर होगी। बसों की संख्या कम पड़ने पर कुमाऊं से भी बसें मंगवाई जाएंगी। परिवहन कंपनियों में यात्रा को लेकर भारी उत्साह है।

निरंकारी मंडल ने मनाया मानव एकता दिवस

ऋषिकेश।
सोमवार को ऋषिकेश ब्रांच की ओर से निरंकारी सत्संग भवन में मानव एकता दिवस मनाया गया। प्रचारक महादेव कुड़ियाल ने कहा कि आज भौतिक पदार्थों को इकट्ठा करने की होड़ में इंसान मानवता को ही खोता जा रहा है। मानव दिवस मनाना तब तक सार्थक नहीं हो सकता है। जब तक इंसान अपने जीवन में मानवता और इंसानियत के गुणों को आत्मसात नहीं कर ले। उन्होंने मानवता की व्याख्या करते हुए कहा कि संसार में केवल एक ही बुद्धिजीवी जीव मानव है। दूसरों के प्रति दया व सहयोग करने की भावना और सार्थक प्रयास ही मानवता है।
सभी धर्म और पंथ यह प्रमाणित करते हैं कि परमात्मा कण-कण में व्याप्त है। फिर भी इंसान अज्ञानता पूर्वक इन्हें ढूंढ़ने में अपना समय व्यर्थ कर रहा है। मानव सेवा को धर्म से ऊपर की संज्ञा देने के पीछे प्रमुख कारण ही यह है कि जीव मात्र पर दया कर उसे अपनी ममता की छांव में सहेजना ही इंसानियत है। उन्होंने संत निरंकारी मिशन को धर्म और संस्था से अलग हटकर साझा मंच करार दिया। स्थापना का उद्देश्य और मानव सेवा के साथ अस्तित्व में आए मिशन की जानकारी भी दी। बताया कि मिशन ने मानव एकता को मानने और एक ही ईश्वर को जानने का संदेश दिया है।
मानव एकता कार्यक्रम का संचालन शिव कुमार ने किया। मौके पर ब्रांच संयोजक हरीश बांगा, दुश्यन्त वैद्य, ज्ञान प्रचारक शांति प्रसाद उनियाल, कृष्णानंद खंडुड़ी, जीएस चौहान, विनोद बत्रा, जय सिंह बिष्ट, अमृत लाल बत्रा, कृष्णलाल कथूरिया, जीएस रवि, मायाराम कुडियाल, जब्बर सिंह मेहर, बलबीर सिंह रावत, पृथ्वी रमोला, राजन निरंकारी, अनिल लिंगवाल, जंगबहादुर गुसांई आदि ने कार्यक्रम में सहयोग दिया।