भारतेन्दु शंकर पाण्डेय।
वनों में लगने वाली आग को रोकने के लिए फायर वाचर की संख्या दोगुनी कर दी गई है। इनकी संख्या को 3000 से 6000 कर दिया गया है। राज्य में 14 से 20 अप्रैल तक आग सुरक्षा सप्ताह मनाया जायेगा। रिजर्व वन के साथ-साथ वन विभाग सिविल सोयल और वन पंचायतों में लगने वाली आग को रोकने की योजना वन विभाग बनायेगा। इस बार वनाग्नि का पता लगाने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जायेगा। ये निर्णय मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में सचिवालय में गुरूवार को लिये गये। मुख्य सचिव ने वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को फारेस्ट फायर मैनेजमेंट प्लान पर अमल करने और सतर्क रहने के निर्देश दिये।
बताया गया कि वनाग्नि की रोकथाम के लिए 40 मास्टर कंट्रोल रूम बनाये गये हैं। इसके अलावा 1416 क्रू-स्टेशन, 171 वाॅच टाॅवर, 391 स्थाई सेट, 177 मोबाइल सेट, 1534 हैंडसेट, 43 रिपीटर, रेक व कटिंग, फायर फाइंडर ब्रेस हुक, मेकलाइड, पुलास्की, सावल, डबल विटेक्स, फेस मास्क हेलमेट, टार्च आदि की व्यवस्था की गई है। साथ ही 15,400 प्रशिक्षित मानव संसाधन, 40,000 एसडीआरएफ द्वारा प्रशिक्षित स्थानीय लोग भी आग लगने की स्थिति में तैनात रहेंगे। बैठक में बताया गया कि राज्य और जिला स्तर पर वनाग्नि नियंत्रण और प्रबंधन योजना बना ली गई है। संवेदनशील क्षेत्रों को चार जोन में बांटा गया है। इसमें 11280 वर्ग किमी हाई रिस्क, 15410 वर्ग किमी मीडियम रिस्क, 11144 वर्ग किमी लो रिस्क और 15648 वर्ग किमी नो रिस्क जोन में रखा गया है। फायर लाइन, पैदल, लीसा बटिया, वन मोटर मार्ग की सफाई कर दी गई है। नियंत्रित और नियमित फुकान किया जा रहा है। प्री फायर एलर्ट एसएमएस, व्हाटसअप के जरिये भेजने की व्यवस्था कर ली गई है। लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम किये जा रहे हैं। 4600 फील्ड स्टाफ, 5600 फायर वाचर और वन पंचायत सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है।
वीडियो क्रांफेसिंग के दौरान प्रमुख सचिव ऊर्जा उमाकांत पवांर, सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी, पीसीसीएफ राजेन्द्र कुमार, सचिव राजस्व हरबंश सिंह चुघ, एनडीएमए के विशेषज्ञ मेजर जनरल वीके नाइक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।