राज्य सरकार की ओर से निकायों के परिसीमन व सीमा विस्तार को लेकर जारी अधिसूचना को निरस्त करने संबंधी एकलपीठ के आदेश को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निरस्त कर दिया। इससे अब राज्य में नगर निकाय चुनावों को लेकर रास्ता साफ हो गया है।
विदित हो कि हल्द्वानी, पिथौरागढ़ के दौला, खटीमा, टनकपुर, डोइवाला, रुद्रपुर, काशीपुर, भवाली, भीमताल, कोटद्वार, ऋषिकेश समेत 17 निकायों के सीमा विस्तार की अधिसूचना को अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सीमा विस्तार से संबंधित जारी अधिसूचना राज्यपाल की ओर से जारी होनी चाहिए थी। लेकिन, इसे शहरी विकास सचिव द्वारा जारी किया गया था। जो संविधान का उल्लंघन है। पिछले दिनों एकलपीठ ने इन याचिकाओं को स्वीकार करते हुए सरकार की परिसीमन संबधी अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व सीएससी परेश त्रिपाठी ने जिरह की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल और राज्य सरकार को एक ही परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए, अलग-अलग नहीं। राज्य सरकार के स्तर पर परिसीमन को लेकर जो कवायद की गई, वह राज्यपाल के नाम पर की गई। एकलपीठ ने संविधान में निहित व्यवस्था की व्याख्या सही नहीं की, लिहाजा फैसले को निरस्त किया जाए। खंडपीठ ने सरकार की दलीलों से सहमत होते हुए एकलपीठ का फैसला निरस्त कर दिया और सरकार की कवायद को संवैधानिक करार दिया।