ऋषिकेश।
उत्तराखंड के परंपरागत वाद्ययंत्रों के साथ पूजा-अर्चना के बाद यात्रा को परिक्रमा के लिए रवाना किया गया। यात्रा में श्रद्धालु झूमते और भजन गाते चल रहे थे। परिक्रमा के दौरान बारह द्वारों पांडव गुफा, गरुड़ चट्टी, फूलचट्टी, कालीकुंड, पीपलकोटी, दिउली, कुशाशील, विध्यवासिनी, गोहरी, बैराज, गणेश चौक और भैरव घाटी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। लक्ष्मणझूला पुल से परिक्रमा के शुभारंभ पर संत राही बाबा ने कहा कि गुरु तत्व को जागृत करने, विश्व कल्याण, देश की एकता अखंडता और मानव जाति के उत्थान के लिए परिक्रमा यात्रा शुरू की गई है। मणिकूट परिक्रमा समिति के कार्यक्रम संयोजक रमेश उनियाल ने कहा कि पैदल चारधाम यात्रा में चट्टियों का खासा महत्व था। यात्रा के दौरान श्रद्धालु रात्रि विश्राम चट्टियों में ही करते थे, लेकिन सड़कें बनने के बाद चट्टियों और पौराणिक स्थलों का महत्व कम होता जा रहा है। इस लिए ऐसे स्थलों के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि संपूर्ण मणिकूट पर्वत को तीर्थ क्षेत्र घोषित कर तीर्थाटन के रूप में विकसित किया जाए।
यात्रा में मणिकूट हिमालय परिक्रमा समिति के सचिव हितेश राही, नीरज राही, रवि शास्त्री, नवीन कुमार, मुकेश रस्तोगी, प्रेम राही, राही बाबा के विदेशी भक्त सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।