दून व कुमाऊं विश्वविद्यालय के लैंग्वेज स्कूल को मजबूत और प्रभावी बनाएं: वर्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना के सम्बन्ध में बैठक ली। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने दून विश्वविद्यालय एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय के लैंग्वेज स्कूल को मजबूत और प्रभावी बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भीतर सरकारी नर्सिंग प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विदेशी भाषा को अनिवार्य किया जा सकता है, या इच्छुक प्रशिक्षणार्थियों को इच्छित भाषा का भी प्रशिक्षण देने पर विचार किया जा सकता है। इस दिशा में अन्वेषण कर लिया जाए।

मुख्य सचिव ने प्रदेशभर में बनाए जा रहे पुस्तकालयों में भाषा लैब को भी जोड़े जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इससे पुस्तकालयों में जाने वाले इच्छुक छात्र भाषा लैब में ऑडियो-विजुअल्स के माध्यम से विदेशी भाषाओं को सीख सकते हैं, साथ ही अन्य ऑनलाईन प्लेटफॉर्म का भी प्रयोग किया जा सकता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रशिक्षण पा रहे अभ्यर्थियों को भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने विदेश रोजगार प्रकोष्ठ एवं तकनीकी शिक्षा को क्रेडिट आधारित विदेशी भाषा लर्निंग कार्यक्रम संचालित किए जाने के निर्देश दिए हैं। इससे विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण ले रहे युवा विदेशी भाषा सीखने के प्रति प्रेरित होंगे।

मुख्य सचिव ने जापान, जर्मनी और यूके के दूतावासों से सम्पर्क कर उनके सुझाव लिए जा सकते हैं। और अच्छी भाषा सिखाने वाली एजेन्सी को हायर किया जा सकता है। उन्होंने विदेशों में रोजगार के अवसर के लिए दूतावासों के माध्यम से सीधे विदेशी नियोक्ताओं से भी सम्पर्क किए जाने की बात कही। कहा कि इससे विदेशों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

मुख्य सचिव ने कहा कि विदेश रोजगार प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विदेशों में जॉब सूची और रिक्तियों के अनुरूप प्रशिक्षण पा चुके छात्र-छात्राओं को इसकी जानकारी उपलब्ध करायी जा सकती है। इस सूची का प्रचार प्रसार कर अधिक से अधिक लोगों को विदेशों में रोजगार से जोड़ा जा सकता है।

मुख्य सचिव ने विदेश में रोजगार के साथ ही आंतरिक रोजगार की दिशा में निरन्तर प्रयास किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश का युवा स्किल्ड हो इसके लिए भी लगातार प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान की परिस्थितियों के अनुरूप नए नए कोर्स संचालित किए जाने पर फोकस किया जाए।

सचिव सी. रविशंकर ने बताया कि विदेश रोजगार प्रकोष्ठ में अभी तक कुल 206 लोगों ने पंजीकरण किया है। जिसमें से नवम्बर, 2025 तक कुल 76 लोगों को विदेश में रोजगार प्राप्त हुआ है। नवाचार योजना के तहत स्टेट नर्सिंग कॉलेजों में 248 अभ्यर्थियों को जर्मन में, 35 को जापानी भाषा का, 62 को फ्रेंच भाषा का, 11 को स्पेनिश और 185 अभ्यर्थियों को अंग्रेजी भाषा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इस अवसर पर सचिव शैलेश बगौली, रविनाथ रमन, डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, अपर सचिव रोहित मीणा एवं मनुज गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

अगले 45 दिनों तक प्रदेश की प्रत्येक न्याय पंचायत के प्रत्येक पात्र नागरिक को 23 विभागों की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा: वर्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली। बैठक के दौरान ‘जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार‘ अभियान के तहत प्रदेशभर की विभिन्न न्याय पंचायतों में कैम्प लगाकर जन सामान्य को राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाए जाने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव ने दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मूल उद्देश्य राज्य के प्रत्येक नागरिक तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।

मुख्य सचिव ने कहा कि 17 दिसम्बर से अगले 45 दिनों तक प्रदेश की प्रत्येक न्याय पंचायत के प्रत्येक पात्र नागरिक को 23 विभागों की विभिन्न योजनाओं से संतृप्त किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए प्रत्येक जनपद को रोस्टर तैयार कर कैम्प लगाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रत्येक पात्र नागरिक को मिले इसके लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद अपने अंतर्गत न्याय पंचायतों की संख्या के आधार पर रोस्टर निर्धारित कर सकता है। कहा कि ज्यादा न्याय पंचायतों वाले जनपद इस अभियान को तब तक जारी रखेंगे जब तक सभी प्रदेशवासी योजनाओं के लाभ से संतृप्त नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि जनपद में अधिकारियों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक सप्ताह में 2 से 3 कार्य दिवसों में प्रत्येक तहसील की प्रत्येक न्याय पंचायत को संतृप्त किया जाना है।

मुख्य सचिव ने कहा कि कैम्प लगाए जाने से पहले न्याय पंचायत में इसका प्रचार प्रसार अनिवार्य रूप से कर लिया जाए ताकि कैम्प में पात्र अभ्यर्थी विभिन्न विभागों की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले सकें, साथ ही अपने जरूरी दस्तावेज भी तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया टूल का भी इस्तेमाल किया जाए ताकि लोगों को जानकारी रहे कि किस न्याय पंचायत में कौन-कौन से दिन कैम्प लगना है। उन्होंने निर्देश दिए कि कैम्प लगने से 2-3 दिन पूर्व उस न्याय पंचायत में अनिवार्य रूप से सभी प्रकार के आवेदन पत्र और जानकारी उपलब्ध करा दी जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि अधिकारियों द्वारा कैम्प के उपरान्त न्याय पंचायत के आसपास के गांवों का भ्रमण कर राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के पात्र अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र भरवाए जाएं। प्रयास किए जाएं कि न्याय पंचायत के सभी पात्र निवासीगण सरकारी जनहित की योजनाओं से संतृप्त हो सकें। उन्होंने कहा कि समाज कल्याण की विभिन्न पेंशन योजनाओं, प्रमाण पत्रों और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लाभार्थियों का पंजीकरण आदि सहित कुल 23 विभागों की विभिन्न योजनाओं का लाभ इस बहुद्देशीय कैम्प के पात्र लाभार्थियों को दिया जाना है। राज्य एवं जनपद स्तर बैंकर्स समिति को भी विभिन्न योजनाओं के तहत् ऋण लाभ के लिए इस कैम्प में शामिल किया जाए।

मुख्य सचिव ने प्रभारी सचिवों द्वारा अपने अधीन जनपदों में लगने वाले बहुद्देशीय कैम्पों का औचक निरीक्षण किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कैम्प में आमजन की शिकायतों का तत्काल निस्तारण के निर्देश देते हुए लगातार इसकी मॉनिटरिंग किए जाने की भी बात कही। कहा कि प्रत्येक सप्ताह आयोजित कैम्पों की प्रगति आख्या मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय एवं सामान्य प्रशासन विभाग को उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को सभी आयोजित कैम्प का डेटाबेस तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कैम्प का डॉक्यूमेंटेशन के लिए एक ऐप तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए हैं।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव शैलेश बगौली, दिलीप जावलकर, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, विनय शंकर पाण्डेय, श्रीधर बाबू अद्धांकी, डॉ. वी. षणमुगम एवं विनोद कुमार सुमन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

प्रदेश में सभी रोप-वे प्रस्तावों को इस समिति से स्वीकृति लेना अनिवार्यः वर्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में प्रदेश में रोप-वे विकास के लिए गठित संचालन समिति की आयोजित हुयी। बैठक के दौरान प्रदेश में रोप-वे निर्माण को लेकर महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

मुख्य सचिव ने कहा कि रोप-वे विकास समिति की प्रथम बोर्ड बैठक इस माह के अंत तक अनिवार्य रूप से आयोजित कर ली जाए। उन्होंने कहा कि इस समिति के लिए सचिव पर्यटन, सदस्य सचिव होंगे। उन्होंने एनएचएलएमएल को एसपीवी का सीईओ एक सप्ताह के भीतर नियुक्त किए जाने के निर्देश दिए, ताकि दिसम्बर माह के अंत तक प्रथम बोर्ड बैठक आयोजित की जा सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में बनने वाले सभी रोप-वे प्रस्तावों को इस समिति से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा, ताकि अलग-अलग एजेन्सियों द्वारा तैयार किए जा रहे प्रोजेक्ट्स में डुप्लीकेसी न हो। उन्होंने निर्देश दिए कि रोप-वे के सभी बड़े प्रोजेक्ट्स बनने से अगले 5-10 सालों में स्थानीय स्तर पर जिन नए पर्यटक स्थलों का विकास, मार्गों का विस्तारीकरण किए जाने की आवश्यकता है, उनके लिए अभी से रोडमैप तैयार कर लिया जाए। उन्होंने उत्तराखण्ड रोप-वे विकास लिमिटेड के रोड मैप पर भी चर्चा की।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशभर से 50 रोप-वे प्रस्तावित किए गए हैं। जिनमें से कुल 6 प्रस्तावों को प्राथमिकता के आधार पर चयनित किया गया है। इसमें सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविन्दघाट से हेमकुण्ट साहिब प्रोजेक्ट्स का कार्य आबंटन कर दिया गया है। काठगोदाम से हनुमानगढ़ी मंदिर (नैनीताल) अनुमोदन के चरण में है। बताया गया कि कनकचौरी से कार्तिक स्वामी तक रोप-वे की डीपीआर तैयार की जा रही है। रैथल बारसू से बरनाला (उत्तरकाशी) और जोशीमठ-औली-गौरसों रोप-वे की डीपीआर के लिए निविदा प्रक्रिया गतिमान है।

मुख्य सचिव ने कहा कि शुरूआत में इन 6 प्रोजेक्ट्स पर ही फोकस किया जाए। उन्होंने सोनप्रयाग से केदारनाथ एवं गोविन्दघाट से हेमकुण्ट साहिब रोप-वे प्रोजेक्ट्स की प्रत्येक स्टेज की टाईमलाईन और पर्ट चार्ट तैयार किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने वन एवं वन्यजीव स्वीकृतियों की प्रक्रिया में तेजी जाए लाने की बात भी कही। कहा कि रोप-वे निर्माण के लिए हैवी मशीनरी निर्माण स्थल तक पहुंचाना चुनौतिपूर्ण होगा। इसके लिए सड़कों का टर्निंग रेडियस बढ़ाए जाने एवं पुलों का मजबूतीकरण के लिए आवश्यक कदम अभी से उठा लिए जाएं। मुख्य सचिव ने काठगोदाम से हनुमानगढ़ी मंदिर प्रोजेक्ट में कैंचीधाम को भी शामिल किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कैंचीधाम के लिए लगातार बढ़ती श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए वहां रोप-वे प्रोजेक्ट की सम्भावनाओं को तलाशा जाए।

इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, धीराज सिंह गर्ब्याल एवं अपर सचिव अभिषेक रूहेला एवं एनएचएलएमएल से प्रशांत जैन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सितंबर माह तक पूंजीगत बजट का 50 प्रतिशत खर्च करना सुनिश्चित करें: सीएस

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में पूंजीगत व्यय, केंद्र सहायतित, वाह्य सहायतित प्रोजेक्ट, नाबार्ड के साथ ही केपीआई और केओआई की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को पूंजीगत व्यय में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। बैठक के दौरान आज 12 विभागों को शामिल किया गया था। इस दौरान बताया गया कि पूंजीगत व्यय में कुल ₹ 14763 करोड़ का प्रावधान किया गया है। जिसमें से ₹ 2215 करोड़ (15 प्रतिशत) जारी किया गया है और जिसमें से ₹ 1049 करोड़ (7.11 प्रतिशत) व्यय हुआ है।

मुख्य सचिव ने निर्देश सितंबर माह तक पूंजीगत बजट का 50 प्रतिशत खर्च किया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने विभागों को 15 अगस्त तक सभी प्रस्ताव भेजे जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि लक्ष्यों को समय से हासिल करने के लिए लगातार मॉनिटरिंग की जाए, इसके लिए सम्बन्धित सचिव एवं विभागाध्यक्षों द्वारा पाक्षिक बैठकें की जाएं।

मुख्य सचिव ने कहा कि पूंजीगत व्यय के अंतर्गत मुख्यमंत्री घोषणाओं को प्राथमिकता पर लिया जाए। उन्होंने विभागों को केपीआई (की परफोर्मेंस इंडीकेटर) और केओआई (की आउटकम इंडीकेटर) पर भी फोकस किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि पूंजीगत व्यय के साथ ही आउटकम पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने आउटकम को समझाते हुए कहा कि पर्यटन विभाग ने जो व्यय किया है, उससे कितने प्रतिशत विदेशी पर्यटक बढ़े हैं, या सभी प्रकार के पर्यटकों के औसत स्टे में कितने प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने उद्यान विभाग को अपनी क्षमता बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कोल्ड चेन और ऑफ सीजन प्रोडक्शन बढ़ाए जाने पर फोकस किए जाने की बात कही। उन्होंने निर्देश दिए कि पॉलीहाउस प्रोजेक्ट में तेजी लायी जाए। वैल्यू एडेड और फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दी जाए।

मुख्य सचिव ने कृषि विभाग में बायो फेंसिंग और चेन लिंक फेंसिंग के शीघ्र गाईडलाईन्स तैयार किए जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इसके लिए अलग से हेड खोले जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस हेड में 200 करोड़ का प्रावधान किया जाए। इस वित्तीय वर्ष में सप्लीमेंट्री बजट में भी इसका प्रावधान किया जाए। उन्होंने बायो फेंसिंग और चेन लिंक फेंसिंग के प्रस्तावों को चयन समिति के माध्यम से प्राथमिकता दिए जाने के निर्देश दिए। कहा कि ऐसे स्थानों को प्राथमिकता दी जाए जहां मानव-वन्यजीव संघर्ष के साथ ही कृषि फसलों को अधिकतम हानि हो रही है।

मुख्य सचिव ने दुग्ध विकास विभाग को आंचल के डेरी उत्पादों को बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गन्ना विकास को चीनी मिलों को दौरा कर मशीनों की मरम्मत और रखरखाव कार्य शीघ्र पूर्ण कर समय से चीनी मिलों में उत्पादन शुरू किए जाने के भी निर्देश दिए।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव राधिका झा, दिलीप जावलकर, डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम, वी. षणमुगम, धीराज गर्ब्याल एवं श्रीधर बाबू अद्दांकी, अपर सचिव हिमांशु खुराना, मनमोहन मैनाली सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएस ने सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा की

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने दोनों विभागों की प्रदेश में संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी ली। समीक्षा बैठक के दौरान सचिव आर. राजेश कुमार ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।

सिंचाई विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग की बड़ी परियोजनाओं के कार्य निर्धारित तिथि के भीतर पूर्ण किया जाए। उन्होंने सभी कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित किए जाने की बात कही। कहा कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई एवं जल संरक्षण की अत्यधिक आवश्यकता है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि कार्य शुरू होने से लेकर पूर्ण होने तक के प्रत्येक कार्य की तिथि पूर्व से निर्धारित की जाए एवं तय समय-सीमा के भीतर कार्यों को पूर्ण करने हेतु सचिव एवं विभागाध्यक्ष के स्तर पर लगातार अनुश्रवण किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र की माप के लिए आधुनिक तकनीक को प्रयोग किया जाए। उन्होंने नहर, नलकूप एवं लिफ्ट नहर आदि को ग्राम पंचायत समितियों के माध्यम से संचालित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सिंचाई अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रदेश में सिंचाई क्षमता एवं अच्छी खेती वाले क्षेत्रों को चिन्हित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नहरों के मरम्मत कार्यों के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित की जाएं। ऐसे क्षेत्र जहां सिंचाई की आवश्यकता अधिक है उन क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए योजनाएं तैयार की जाएं।

मुख्य सचिव ने नलकूप एवं लिफ्ट नहर जैसी योजनाओं के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों पर फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सिंचाई विभाग की खाली पड़ी जमीनों पर अपनी क्षमता के अनुसार सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित किए जाने की बात कही। उन्होंने विभाग के लिए इस वर्ष 01 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया। कहा कि इससे विभाग के विद्युत बिलों में कमी आएगी।

लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने ड्रिप एवं स्प्रिंकल योजना पर फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भूजल की कमी वाले स्थानों में पानी की बचत के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकल योजना अत्यधिक लाभप्रद होगी। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली लघु सिंचाई योजनाओं को बढ़ाए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि जमरानी, सौंग एवं बलियानाला लैंडस्लाईड ट्रीटमेंट जैसे बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए सचिव स्तर पर मासिक एवं विभागाध्यक्ष स्तर पर साप्ताहिक अथवा पाक्षिक अनुश्रवण किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाओं के लक्ष्य बढ़ाए जाने की बात भी कही। कहा कि लक्ष्य बढ़ाने के साथ ही कार्यों को निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण कराए जाना भी सुनिश्चित किया जाए। मुख्य सचिव ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण आदि की क्लीयरेंस में तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि जल संचयन, संवर्धन, पेयजल, सिंचाई हेतु बांध, बैराज, जलाशय एवं चौकडैम आदि का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना का कार्य जून, 2024 को शुरू हुआ था, जिसे मार्च, 2030 तक पूर्ण किए जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि परियोजना की अनुमानित लागत ₹ 3808.16 करोड़ है। उन्होंने बताया कि सौंग बांध पेयजल परियोजना का कार्य नवम्बर, 2024 को शुरू हुआ। परियोजना को दिसम्बर, 2029 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि योजना की अनुमानित लागत ₹ 2491.96 करोड़ है। उन्होंने कहा कि आई.आर.आई, रूड़की को जलागम विभाग के द्वारा स्रोत एवं नदी पुनरोद्धार प्राधिकरण के अन्तर्गत विभिन्न जनपदों में वर्षा आधारित नदियों, जलधाराओं के पुनर्जीवीकरण एवं उपचार कार्यों से इन नदियों, जलधाराओं के प्रवाह में आए प्रभावों का सतत् आकलन करने हेतु कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।

इस अवसर पर सिंचाई विभाग से सुभाष चंद्र पाण्डेय एवं लघु सिंचाई से बृजेश कुमार तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।