राज्य में आर्थिकी और पारिस्थितिकी में संतुलन बनाने को आयोजित हुआ कार्यक्रम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में आर्थिकी और पारिस्थितिकी में संतुलन के लिए ‘त्रि-स्तम्भीय और नौ-सूत्रीय रणनीति कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्य में ईकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में नियोजन विभाग द्वारा तीन स्तंभों समुदाय सशक्तिकरण अभियान, नवाचार एवं तकनीकी अभियान तथा वित्तीय स्वायत्तता एवं साक्षरता अभियान पर रणनीति बनाई गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने के लिए हम सबको अपना विशेष योगदान देना है। राज्य सरकार द्वारा विकास के साथ ही पर्यावरण संतुलन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने सभी विभागों से अपेक्षा की है कि आज जो ‘त्रि-स्तम्भीय और नौ-सूत्रीय रणनीति कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है, इस पर सभी विभाग तेजी से कार्य करेंगे। सभी विभागों को नवरात्रि के पावन पर्व पर संकल्प लेकर राज्य में आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी में संतुलन बनाकर कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ना है।

राज्य की आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी में संतुलन के लिए प्रत्येक स्तम्भ के लिए तीन सूत्रीय रणनीति बनाई गई है। पहले स्तम्भ समुदाय सशक्तिकरण अभियान के तहत तीन सूत्र पारंपरिक प्रथाओं का पुनरावर्तन, उचित उपभोग हेतु व्यवहार परिवर्तन एवं युवाओं का कौशल उन्नयन है। दूसरे स्तम्भ नवाचार एवं तकनीकी अभियान के तहत तीन सूत्र ग्रीन टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहन, तकनिकी आधारित त्वरित समाधान एवं सर्कुलर इकॉनमी का अंगीकरण है। तीसरे स्तम्भ वित्तीय स्वायत्तता एवं साक्षरता अभियान के तहत तीन सूत्र ग्रीन प्रैक्टिसेज का मानकीकरण, कार्बन क्रेडिट हेतु सहभागिता एवं सतत परियोजनाओं हेतु ब्रिज फंडिंग की रणनीति है।

इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव न्याय प्रदीप पंत, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, एल. फैनई, सचिव शैलेश बगोली, दिलीप जावलकर, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डॉ.पंकज कुमार पाण्डेय, चन्द्रेश यादव, वी. षणमुगम, विनोद रतूड़ी, निदेशक अभियोजन पी.वी.के प्रसाद, अपर सचिव विजय जोगदंडे, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीपीपीजीजी डॉ. मनोज पंत एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

भागीरथी इको सेंसेटिव जोन की मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक आयोजित

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भागीरथी ईको सेंसेटिव जोन की मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक प्रत्येक तीन माह में आयोजित करने के निर्देश देते हुए कहा है कि इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन कायम रखते हुए भागीरथी ईको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत तय पर्यावरणीय मानकों के अनुसार निर्माण कार्य किए जांय और मानकों की अवहेलना के मामलों में कार्रवाई सुनिश्चित की जाय।

उत्तरकाशी जिले की भागीरथी घाटी में उत्तरकाशी ने लेकर गंगोत्री तक के लगभग 100 कि.मी. लंबाई में व लगभग चार हजार वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में भागीरथी इको सेंसेटिव जोन घोषित है। जिसके दायरे में 88 गांव पड़ते हैं। भागीरथी इको सेंसेटिव जोन की मॉनिटरिंग कमेटी की आज बैठक आयोजित कर इन क्षेत्र के अंतर्गत प्रस्तावित विभिन्न विकास योजनाओं व अन्य गतिविधियों की अनुमति देने तथा जोन के लिए अधिसूचित मानकों के अनुपालन के संबंध में विचार-विमर्श किया गया।

इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि इको सेंसेटिव जोन के भीतर सड़कों के निर्माण में तय पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए डीपीआर में स्पष्ट प्राविधान किए जांय और जीएसआई जैसे किसी प्रतिष्ठित संगठन से भी स्िलीय जांच कराई जाय। मुख्य सचिव ने कहा कि जोन से संबंधित प्रकरणों का तत्परता से अनुश्रवण करने के लिए मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक अब हर तीसरे महीन आयोजित होगी और इससे संबंधित कार्रवाई करने के लिए किसी विभाग को नामित करने या जिला विकास प्राधिकरण को यह जिम्मा सौंपे जाने पर भी विचार किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि स्थानीय लोगों के हितों व विकास के साथ ही चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए इस क्षेत्र में अनेक विकास कार्य किए जाने जरूरी हैं, लिहाजा तय नियमों व मानकों का अनुपालन कर पर्यावरण के साथ बेहतर संतुलन कायम रखते हुए कार्रवाई की जाय। नियमों व मानकों का उल्लंघन के मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि इस बारे में समिति के सभी गैर सरकारी सदस्यों को भी अवगत कराया जाय और इन सदस्यों को प्रस्तावित परियोजना स्थलों का निरीक्षण भी करवाया जाय। मुख्य सचिव ने कहा कि मॉनिटरिंग समिति का मुख्य कार्य जोन के लिए तय नियमों और मानकों के अनुपालन पर नजर रखना है। लिहाजा संबंधित विभाग संबंधित अनुमतियां जारी करने के साथ ही नियमों का अनुपालन भी सुनिश्चित कराएं।

बैठक में जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने भागीरथी इको सेंसेटिव जोन की अधिसूचना, इसके अनुपालन एवं वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए जोन के अंतर्गत प्रस्तावित विकास कार्यों एवं अन्य गतिविधियों को समिति के विचारार्थ एवं अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया।

जिलाधिकारी ने कहा कि भागीरथी इको सेंसेटिव जोन के दायरे में सदियों पूर्व से स्थित गांवों में बुनियादी सुविधाओं के विस्तार और विकास से जुड़ी परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि तीर्थाटन व पर्यटन इस क्षेत्र की आजीविका का मुख्य जरिया है और हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री व पर्यटक इस क्षेत्र में आते हैं। लिहाजा पर्यावरण से संबंधित मानकों व अन्य सभी तय नियमों का अनुपालन करते हुए इस क्षेत्र में अपेक्षित अवस्थापना सुविधाओं का विकास करने के साथ होम-स्टे, होटल आदि से जुड़े कार्यों को अनुमति दिया जाना जरूरी है। जिलाधिकारी ने जोन के अंतर्गत अधिसूचित कार्यों की अनुमति तथा नियामक कार्रवाईयों के लिए जिला विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दिए जाने का प्रस्ताव भी रखा।
जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए इस क्षेत्र में अनेक उपाय किए जा रहे हैं। गंगोत्री धाम में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आधुनिक तकनीक का एक प्लांट स्थापित किया गया है। बैठक में इस प्लांट को शीघ्र संचालित करने पर सहमति व्यक्त की गई।

बैठक में भागीरथी ईको सेंसेटिव जोन में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित नौ सड़कों की अनुमति का प्रस्ताव रखा गया। इन प्रस्तावों को पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन करने पर शर्त पर अनुमोदन देने की सहमति व्यक्त करते हुए कहा गया कि सड़कों के डीपीआर में इसके लिए जरूरी प्राविधान आवश्यक रूप से शामिल किए जांएगे और जीएसआई जैसेस संगठन से भी इनका परीक्षण कराया जाएगा। जोन क्षेत्र में प्रस्तावित पॉंच लघु जल विद्युत परियोजनाओं पर विचार-विमर्श के बाद दो मेगावाट क्षमता वाली दो नई परियोजनाओं पर आगे की कार्रवाई करने और तीन निर्माणाधीन परियोजनाओं पर फिर से विचार करने की सहमति जाहिर की गई। बैठक में डाक विभाग की गंगोत्री धाम से गंगा जल भरने विषयक प्रस्ताव के साथ ही सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम नीति के अंतर्गत प्रस्तावित दो होटल इकाईयों और जेड.एल.आर. एक्ट की धारा 143 के तहत भूमि उपयोग परिवर्तन के मामले भी विचार हेतु प्रस्तुत किए गए।

हाईब्रिड मोड में आयोजित इस बैठक में गैर सरकारी सदस्य हेम पाण्डे, मल्लिका भनोट, शांति परमार सहित विभिन्न विभागों व संगठनों के राज्य मुख्यालय देहरादून तथा उत्तरकाशी स्थित अधिकारियों ने भी भाग लिया।