विभागों को सेतु आयोग के साथ अपनी पॉलिसियों और कार्यक्रमों पर मंथन किए जाने की आवश्यकता: वर्धन

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सेतु आयोग के कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने सेतु आयोग में कार्यरत विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के साथ विस्तार से महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सेतु आयोग उत्तराखण्ड के विकास में राज्य सरकार के थिंक टैंक के रूप में कार्य करेगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि विभागों को आयोग के साथ अपनी पॉलिसियों और कार्यक्रमों पर मंथन किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयोग अध्ययन करके बताए कि किस विभाग में किस पॉलिसी में क्या परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है, जिससे पॉलिसीज का अधिकतम लाभ मिल सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि कोल्ड वाटर फिशरीज हमारी यूएसपी है, इसे हम किस प्रकार से पर्वतीय क्षेत्रों की आर्थिकी से जोड़ सकते हैं, इस पर अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने वन आर्थिकी को बेहतर बनाए जाने की दिशा में कार्य किए जाने की बात भी कही। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों की वर्षा आधारित कृषि को सुनिश्चित कृषि की दिशा में शोध एवं सुधार की दिशा में भी कार्य किए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि सेतु आयोग के अंतर्गत एक मजबूत एक्सपर्ट टीम हमें मिली है। इससे राज्य की बेहतरी के लिए शोध क्षमता को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव श्रीधर बाबू अद्दांकी एवं उपाध्यक्ष सेतु आयोग राजशेखर जोशी सहित सेतु आयोग से विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ उपस्थित थे।

नवगठित सेतु आयोग कौशल विकास और स्वरोजगार की दिशा में विशेष ध्यान देंः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में नवगठित सेतु आयोग की कार्ययोजना से सम्बन्धित प्रस्तुतीकरण का अवलोकन करते हुए निर्देश दिये कि सेतु आयोग आने वाले 2 साल के लिए प्रभावी नीति बनाए। सेतु द्वारा कौशल विकास और स्वरोजगार की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। प्रयास किये जाएं कि राज्य के युवाओं को रोजगार के लिए राज्य से बाहर न जाना पड़े। स्किल डेवलपमेंट प्लान और योजनाओं के सरलीकरण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भी कार्ययोजना बनाई जा रही है, आगामी 02 सालों में वे पूर्ण रूप से धरातल पर दिखें। उन्होंने जनपदों के विकास के लिए उनकी भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल विकास की योजनाओं पर कार्य किये जाने के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सेतु आयोग के गठन का उद्देश्य राज्य में मजबूत एवं सुदृढ़ नीतियां बनाना, योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना, प्रभावी कार्य संस्कृति को विकसित करना, विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाते हुए योजनाओं का क्रियान्वयन एवं योजनाओं पर प्रभावी निगरानी रखें जाने के लिए किया गया है। सेतु आयोग ऐसी योजनाओं पर कार्य करें, जिसमें राज्य का समग्र विकास प्राथमिकता में हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागों के लिए रिजल्ट ओरिएंटेशन एवं गुड गवर्नेंस आधारित कार्य योजनाओं पर कार्य किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक योजनाओं का पूरा लाभ पहुंचे, इसके लिए विभिन्न माध्यमों से योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाए। प्रचार-प्रसार के लिए सरल तरीके अपनाये जाएं। यदि आवश्यकता हो तो यूजर फ्रेंडली पोर्टल (यूजर फ्रेंडली एप्लीकेशन) भी बनाए जाए। आम जनता को अपनी योजनाओं के बारे में पता हो, इसके लिए टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाय। उन्होंने कहा राज्य में डाटा इकोसिस्टम बनाने पर भी कार्य हो, जिससे योजनाओं का आंकलन करने में आसानी हो एवं विभागों के आउटकम की मॉनिटरिंग भी हो सके।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, उपाध्यक्ष सेतु राजशेखर जोशी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव डॉ. विजय कुमार जोगदंडे, नियोजन विभाग के मनोज पंत उपस्थित थे।