पुलिस स्मृति दिवसः उत्तराखण्ड पुलिस में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के पौष्टिक आहार भत्ते में होगी 100 रुपये की वृद्धि

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस लाइन, देहरादून में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुलिस एवं अर्द्ध सैन्य बलों के शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने शहीद पुलिस जवानों के परिजनों को सम्मानित भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था एवं कानून-व्यवस्था बनाये रखने का उत्तरदायित्व राज्यों के पुलिस बल एवं अर्द्ध सैनिक बलों का है। विगत एक वर्ष में सम्पूर्ण भारत में कुल 216 अर्द्ध सैनिक बलों एवं विभिन्न राज्यों के पुलिसकर्मी शहीद हुए, जिसमें उत्तराखण्ड पुलिस के 04 वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की स्थापना की गई है, जो हमारे पुलिस बल के अद्वितीय समर्पण और बलिदान का प्रतीक है। पिछले कुछ वर्षों में हमारी पुलिस ने अनेक चुनौतियों का सामना किया है। आतंकवाद, देश के विभिन्न क्षेत्रों में नक्सलवाद, प्राकृतिक आपदाओं, कानून व्यवस्थाओं से संबंधित जटिल परिस्थितियों में हमारी पुलिस ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भौगोलिक एवं सामरिक महत्व के दृष्टिगत राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अत्यंत संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण राज्य है। राज्य में शांति और सुरक्षा व्यवस्था को बनाये रखने में हमारे पुलिस की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। किसी भी राज्य की पुलिस व्यवस्था उस राज्य की सुरक्षा और समृद्धि का एक अभिन्न स्तम्भ है। राज्य पुलिस भी सेवा की भावना और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए अनेकों चुनौतियों नशा, साइबर क्राइम, महिला अपराध, यातायात व्यवस्था, चारधाम यात्रा, आपदा, भूस्खलन, काँवड यात्रा प्रबंधन का सामना करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 तक देवभूमि उत्तराखण्ड को ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए उत्तराखण्ड पुलिस के अन्तर्गत एक त्रिस्तरीय एण्टी नारकोटिक फोर्स का गठन किया गया है। इस वर्ष 1100 से ज्यादा नशे के सौदागरों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए लगभग 23 करोड़ रूपये के नारकोटिक पदार्थ भी बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध एक बड़ा खतरा बन चुका है। हमारी पुलिस को इस दिशा में भी सजग रहना होगा और तकनीकि रूप से और अधिक दक्ष होना पड़ेगा। राज्य में महिलाओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के प्रत्येक थाने पर “महिला हैल्प डेस्क” के अन्तर्गत ‘क्यूआरटी’ का गठन किया गया है। बच्चों एवं महिलाओं के प्रति हुए अपराधों में 95 प्रतिशत से अधिक मामलों का अनावरण कर 50 प्रतिशत से अधिक अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही की गयी है। जिसके लिए उत्तराखण्ड पुलिस बधाई की पात्र है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस कर्मियों के आवासीय स्तर को सुधारने के लिए 150 करोड़ से अधिक की लागत से 380 आवासों का निर्माण किया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 42 करोड़ की लागत से 05 पुलिस थानों 02 पुलिस चौकियों, 02 फायर स्टेशनों और तीन पुलिस लाईनों के प्रशासनिक भवनों का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। पुलिस के रिस्पॉस टाइम को बेहतर करने के लिए 1105 पुलिस वाहनों की खरीद के लिए मंजूरी दी गई है। पुलिस सैलरी पैकेज के अन्तर्गत पुलिस कार्मिकों के लिए 75 लाख से 1 करोड़ तक का दुर्घटना बीमा कराया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत 15 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि दिवंगत पुलिस कार्मिकों के परिजनों को प्रदान की जा चुकी है। आपदा एवं राहत के क्षेत्र में सरकार द्वारा एस0डी0आर0एफ0 की एक कम्पनी स्वीकृत करते हुए 162 पदों का सृजन किया गया। 06 थानों व 21 पुलिस चौकियों के क्रियान्वयन हेतु 327 पद स्वीकृत किये गये, पी0पी0एस0 के ढांचे में 11 नये पदों का सृजन किया गया। उप निरीक्षक स्तर के 222 पदों पर भर्ती निकाली गयी है तथा 2000 सिपाहियों की भर्ती की प्रक्रिया प्रचलित है। राज्य में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए उत्तराखण्ड खेल नीति के अन्तर्गत कुशल खिलाड़ी कोटे में भी पुलिस विभाग में भर्तियां की जायेंगी।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, डॉ. धन सिंह रावत, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान, विधायक विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, सविता कपूर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव गृह शैलेश बगोली, डीजीपी अभिनव कुमार एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्तराखंड, पढ़िए राज्य स्थापना दिवस पर विशेष खबर

देहरादून। पृथक उत्तराखण्ड राज्य के गठन में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। पलायन प्रभावित कई पहाड़ी जिलों में तो महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। इस कारण महिलाओं को पहाड़ के लोक जीवन की धुरी भी कहा जाता है। अच्छी बात यह है उत्तराखण्ड राज्य के अब तक के 24 साल के सफर में महिलाएं अब हर ऊंचाई को छूती नजर आ रही है।

उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद से ही सरकारों ने कई कदम उठाए हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। एक बड़ा सकारात्मक बदलाव, निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने से सामने आया। इससे अब विभिन्न स्तर पर महिला नेतृत्व उभरता हुआ नजर आने लगा है। वर्तमान सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए, अब सहकारी समितियों में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया है। साथ ही पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखण्ड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण फिर लागू कर दिया है। राज्य की वर्तमान मुख्य सचिव भी एक महिला हैं। साथ ही कई जिलों में जिलाधिकारी के साथ ही पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी तक महिलाएं उठा रही हैं।

उच्च शिक्षा में नया आयाम

उच्च शिक्षा में भी छात्राओं की संख्या बढ़ती जा रही है, प्रदेश सरकार बालिका शिक्षा के लिए कई तरह से प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए नंदा गौरा योजना के तहत बेटी के जन्म के साथ ही 12 हजार और 12वीं पास करने पर 51 हजार रुपए की सहायता प्रदान की जा रही है। साथ ही बेटी के जन्म पर मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट भी उपलब्ध कराई जा रही है।

तिलू रौतेली पुरस्कार

उत्तराखंड सरकार हर साल वीरांगना तीलू रौतेली के जन्मदिन पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली उत्तराखंड की महिलाओं को राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार प्रदान करती है। इस पुरस्कार के तहत 51 हजार की धनराशि, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। सरकार प्रत्येक जिले में कामकाजी महिला हॉस्टल भी शुरू करने जा रही है, देहरादून, हरिद्वार में इस तरह के हॉस्टल शुरू भी हो चुके हैं। जहां घर से दूर रहने वाली महिलाओं को सस्ती दरों पर सुरक्षित आवासीय सुविधा मिलती है।

हो रहा आर्थिक सशक्तिकरण

सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए, महिलाओं के नाम प्रापर्टी खरीदने पर, स्टाम्प ड्यूटी में भी छूट दे रही है। सरकार महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लखपति दीदी योजना भी चला रही है। इसमें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी प्रत्येक महिला की सालाना आय एक लाख के पार पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें महिलाओं को कृषि उत्पाद, दुग्ध उत्पादन, सिलाई कढ़ाई के साथ ही रसोई गैर वितरण, प्रारंभिक पशु चिकित्सा सेवा, बीमा योजना, डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण देकर आजीविका से जोड़ा जा रहा है। साल 2022 में शुरू की गई इस योजना के सफल परिणाम अब सामने आने लगे हैं। प्रदेश में एक लाख से अधिक महिलाएं लखपति बन चुकी हैं। अब प्रदेश सरकार ने लक्ष्य बढ़ाते हुए 2026 तक कुल 2.50 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों का कारोबार शुरू करने के लिए पांच लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त लोन दिया जा रहा है। इसी तरह मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना के तहत भी समूहों की आय बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

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प्रदेश सरकार मातृशक्ति को समर्पित है। हमारी सरकार की कोशिश है कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो, इसके लिए सरकार महिला समूहों के जरिए कई योजना चला रही है। साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी लोन दिया जा रहा है। इसी सोच के चलते सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण लागू किया गया है। प्रदेश में जल्द लागू होने जा रही समान नागरिक संहिता भी महिलाओं को आर्थिक सामाजिक तौर पर सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

देहरादून में सरस मेला 2024 का सीएम ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेंजर्स ग्राउंड देहरादून में आयोजित सरस मेला-2024 का शुभारंभ किया। उन्होंने प्रदेश भर के स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए स्टालों का भी अवलोकन किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महिलाओं से वार्ता कर उनके उत्पादों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने महिलाओं द्वारा निर्मित मंडुवे के बने केक की सराहना की। उन्होंने, स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित दीए की खरीदकारी कर ऑनलाइन माध्यम से पेमेंट भी की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरस मेले में महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद मातृशक्ति के परिश्रम, नवाचार के प्रतीक हैं। अपने परिश्रम और स्थानीय उत्पादों के माध्यम से महिलाएं आजीविका चलाने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा सरस मेला हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा, कौशल और उद्यमिता को प्रदर्शित करने का भी प्रयास है। इन मेलों के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने का मंच प्राप्त होता है एवं हम ग्रामीण कारीगरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, हस्तशिल्पियों, ग्रामीण उद्यमियों के साथ कृषि उत्पादों और ग्रामीण कौशल को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हमारे स्थानीय उत्पादों को सशक्त बनाने के लिए वोकल फॉर लोकल अभियान प्रारंभ किया गया था। यह मेला भी इस अभियान को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा आजीविका मेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को भी साकार करने में सिद्ध हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार मातृशक्ति को सर्वाेपरि मानकर उनके उत्थान के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही है। महिला के आर्थिक रूप से सशक्त होने पर वो अपने परिवार एवं पूरे समाज को सशक्त बनाने का कार्य करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लखपति दीदी योजना, मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना और मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण योजना के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष फोकस किया जा रहा है। लखपति दीदी योजना के तहत राज्य की एक लाख से अधिक महिलाओं ने लखपति बनने का गौरव प्राप्त किया है। हमारा संकल्प वर्ष 2025 तक 1.5 लाख लखपति दीदी बनाने का है। उन्होंने कहा कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में भी सरकार ने मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह योजना के अंतर्गत 84 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता प्रदान कर महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने का प्रयास किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 30 हजार से अधिक समूहों को ब्याज प्रतिपूर्ति के रूप में 24 करोड़ रुपये की छूट भी दी गई। 159 महिला सीएलएफ को लगभग 8 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान प्रदान किया गया। 43 हजार सक्रिय समूहों के स्वावलंबन हेतु 51 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना के तहत महिलाओं ने 95 ब्लॉकों में लगभग डेढ़ हजार स्टालों के माध्यम से 3 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार कर किया। राज्य में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 67 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों में 5 लाख से अधिक सदस्य जुड़े हैं एंव 7 हजार से अधिक ग्राम संगठन और 471 क्लस्टर स्तर के संगठन भी बनाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने 53 हजार से अधिक समूहों को रिवाल्विंग फंड और 37 हजार से अधिक समूहों को सामुदायिक निवेश निधि भी उपलब्ध करवा चुके हैं। महिला समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री के विपणन हेतु 13 जनपदों में 33 नैनों पैकेजिंग यूनिट और 17 सरस सेन्टर भी संचालित किए जा रहे हैं। राज्य स्तर पर रानीपोखरी और देहरादून के रायपुर में उत्तरा आउटलेट की स्थापना की गई है। चारधाम यात्रा मार्गों पर 110 अस्थायी आउटलेटों के माध्यम से भी महिला समूहों के उत्पादों का विपणन किया जा रहा है। उन्होंने कहा सभी प्रयासों के माध्यम से प्रदेश की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।

मुख्यमंत्री से वार्ता के दौरान स्त्री शक्ती स्वयं सहायता समूह से स्वाति नेगी ने बताया कि उन्होंने 2019 में ग्रोथ सेंटर के माध्यम से ट्रेनिंग लेकर 20 महिलाओं के साथ दिवाली में काम आने वाली सजावटी मालाएं बनाने का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया राज्य सरकार द्वारा सचिवालय से लेकर ग्राम स्तर हर जगह उनके स्टॉल लगाए जाते हैं। उन्होंने बताया समूह की प्रत्येक महिला महीने में 10 से 12 हज़ार कमा लेती हैं।

उन्नति स्वयं सहायता समूह की लखपति दीदी कोमल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास विभाग एवं अन्य विभागों द्वारा हर स्तर पर उनकी मदद की जाती है। उन्होंने कहा लखपति दीदी योजना से समाज में उनका मान सम्मान बढ़ा है। वह अपने साथ अन्य महिलाओं को भी रोज़गार से जोड़कर कार्य कर रही हैं। धरा स्वयं सहायता समूह की लखपति दीदी फरजाना खान ने बताया कि वह महिलाओं के साथ मिलकर दलिया बनाने का काम करती हैं। उनके उत्पाद की बाज़ार में बड़ी मांग है। उनके समूह की प्रत्येक महिला करीब 12000 कमा लेती हैं।

लखपति दीदी फरजाना की मांग पर मुख्यमंत्री ने आयुक्त ग्राम्य विकास को दिए निर्देश

लखपति दीदी फरजाना खान ने मुख्यमंत्री से वार्ता के दौरान प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर आउटलेट खोले जाने का अनुरोध किया। जिसके उपरांत मुख्यमंत्री ने आयुक्त ग्राम्य विकास धीरज गर्ब्याल को प्रत्येक जिले के हर संभव स्थान पर आउटलेट खोले जाने हेतु परीक्षण करवाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अपनी बहनों को वचन देता हूं कि उनकी हर संभव मदद की जायेगी।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल विधायक खजान दास, विधायक उमेश शर्मा काऊ, विश्वास डाबर, जोत सिंह बिष्ट, आयुक्त ग्राम्य विकास धीराज गर्ब्याल, जिला अधिकारी देहरादून सविन बंसल एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

सीएम धामी के निर्देशों पर चलाया जा रहा है फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम

देहरादून। इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसका अपना परिवार न हो। लेकिन वक्त की मार कई बार, इंसान को घर परिवार से इतना दूर कर देती है कि फिर वापसी की उम्मीद दिनों दिन क्षीण होती जाती है। महिला बाल कल्याण विभाग के अधीन देहरादून के केदारपुरम में संचालित नारी निकेतन में भी ऐसी कई दिल तोड़ने वाली कहानियां है। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार इन निराश्रितों के जीवन में रंग भरने का काम कर रही है। सरकार की ओर से चलाए जा रहे फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम के तहत अब तक 23 महिलाओं को उनके बिछड़े परिवार से मिलाया जा चुका है।

फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम, देहरादून नारी निकेतन में दिन काट रही महिलाओं के जीवन को नई दिशा दे रहा है। इस प्रोग्राम के तहत देश के विभिन्न राज्यों में ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश में तक इन महिलाओं के बिछड़े परिवारों की तलाश की जा चुकी है। इसमें बांग्लादेश की नूरजहां को 32 साल बाद अपना परिवार मिल पाया है। इसी तरह रांची झारखंड की रहने वाली जूनी टोपो भी 30 साल बाद अपने परिवार से मिल पाई है। प्रोग्राम के तहत ना सिर्फ निराश्रित महिलाओं की घर वापसी कराई जाती है, बल्कि इसके बाद भी इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, एक नेटवर्क तैयार किया जाता है। इस तरह सरकार सुनिश्चित करती है कि कई सालों के बाद परिवार से मिलने के बावजूद महिलाओं का जीवन सुरक्षित बना रहे।

नारी निकेतन निराश्रित महिलाओं को सुरक्षित आश्रय देता है, लेकिन यह बात प्रमाणित है कि हर इंसान अपने परिवार के बीच ही खुश रह सकता है। इसलिए सरकार का प्रयास है कि यहां रह रही सभी महिलाओं को उनके परिवार से मिलाया जाए। इसके लिए चलाए जा रहे फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम ने अच्छे परिणाम दिए हैं। सरकार यहां रह रही महिलाओं को कौशल विकास का भी प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

– पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

घर वापसी – 01

आसाम की रहने वाली वृंदा 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थी, उन्होंने लंबा समय आश्रमों में बिताया, वृंदा 25 अगस्त 2023 को देहरादून नारी निकेतन में दाखिल हुई। यहां प्रोग्राम फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम के तहत, टीम ने उनकी घंटों काउंसिलिंग करते हुए, उनके परिवार का नाम पता जानने में कामयाबी हासिल की। आखिरकार इसी साल 29 अप्रैल को वृंदा के भाई उन्हें लेने के लिए देहरादून पहुंचे, जहां कानूनी औपचारिकता के बाद उन्हें परिवार को सौंप दिया गया।

घर वापसी – 02

नेपाल की रहने वाली कमला कुमारी 2012 में अपने परिवार से बिछड़ गई थी। इसके बाद वो 2016 में अचानक उत्तरकाशी में मिली, जहां स्थानीय जिला प्रशासन ने उसे नारी निकेतन भेज दिया। अब रीयूनियन प्रोग्राम के तहत, रोलपा नेपाल में उनका बेटा मिल गया है। तमाम कानूनी औपचारिकता पूरी करने के बाद इसी महीने तीन अक्तूबर को कमला का बेटा अपनी बिछड़ी मां को लेकर वापस नेपाल चला गया है।

विश्व मानक दिवस पर सीएम ने किया हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, नींबूवाला, गढ़ी कैण्ट में “विश्व मानक दिवस“ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे हैं, जो हमारे आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त बनाने के साथ-साथ भारतीय उत्पादों को वैश्विक मानचित्र पर शीर्ष स्थान प्रदान कराने हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोई भी मानक केवल तकनीकी दिशा-निर्देश या मापदंड नहीं होते, बल्कि वे हमारे देश के विकास और आत्मनिर्भरता की बुनियाद होते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्थापित मानक हमारे उद्योगों, व्यापार और सेवाओं के प्रमाणीकरण की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल हमारे कार्यों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हैं, बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को भी किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में मानकों के इकोसिस्टम का व्यापक विस्तार हुआ है, जो अब कृषि, सड़क परिवहन, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं सहित लगभग सभी क्षेत्रों को समाहित करता है। सभी क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता के मानक लागू हों, जिससे हमारे जीवनस्तर में सुधार हो और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल सके। मानक ये सुनिश्चित करते हैं कि भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल सके और उनकी विश्वसनीयता बढ़े।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “आत्मनिर्भर भारत“ का सपना साकार हो रहा है और इसमें भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्थापित मानकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम अपने उत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार करते हैं, तो हम न केवल उनकी गुणवत्ता को बढ़ाते हैं, बल्कि अपने उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भी सशक्त आधार प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का उद्देश्य है कि भारतीय उत्पाद अपनी गुणवत्ता, नवाचार और विश्वसनीयता के लिए पूरे विश्व में एक मिसाल स्थापित करें। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा 22 हजार से अधिक मानक निर्धारित किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध एक सुंदर प्रदेश होने के साथ-साथ औद्योगिक और कृषि विकास में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए हमारे राज्य में मानकों का पालन करने की अत्यधिक आवश्यकता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने पारंपरिक उत्पादों, जैसे हस्तशिल्प, जैविक कृषि उत्पाद, औषधीय जड़ी-बूटियाँ और अन्य स्थानीय उत्पादों के लिए भी उच्च मानक स्थापित करें। इससे हमारे उत्पादों की पहचान न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हमारी ब्रांडिंग मजबूत होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने “हाउस ऑफ हिमालयाज“ नाम से अम्ब्रेला ब्रांड की स्थापना की है, जो हमारे स्थानीय उत्पादों को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने भारतीय मानक ब्यूरो के अधिकारियों से अपेक्षा की कि इन ब्रांड के मानकों का भी मापन हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के विश्व मानक दिवस की थीम एसडीजी-9 है, जो उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचे से संबंधित है।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य के विभिन्न विभागों पीडब्ल्यूडी, एमडीडीए, यूपीसीएल और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ समन्वय करते हुए, भारतीय मानक ब्यूरो ने इन सभी को मानकीकरण की दिशा में जागरूक और सशक्त किया है। यह पहल इन विभागों के कार्यों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगी। भारतीय मानक ब्यूरो ने देशभर के दस हजार से अधिक स्कूलों में स्टैंडर्ड क्लब स्थापित किए हैं, जिनके माध्यम से बच्चों में मानकों के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है। उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर तक मानकों के महत्व को पहुंचाने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के प्रयासों की सराहना की।

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि जीवन के किसी भी कार्यक्षेत्र में सफलता पाने के लिए जीवन में मानक बनाने जरूरी हैं। इसी तरह भारतीय मानक ब्यूरो भी विभिन्न वस्तुओं और उत्पादों के मानकों का निर्धारण करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो का मानकों के निर्धारण का महत्वपूर्ण कार्य है।

इस अवसर पर सचिव एवं आयुक्त खाद्य हरि चन्द्र सेमवाल, महानिदेशक यू कॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं संयुक्त निदेशक भारतीय आदि उपस्थित रहे।

अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है दशहरा पर्वः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परेड ग्राउंड देहरादून में दशहरा महोत्सव कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हजारों की संख्या में लोगों का अभिनंदन करते हुए हुए दशहरे की शुभकामनाएं दीं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि दशहरा, असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म और अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक पर्व है। दशहरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अमूल्य हिस्सा है। उन्होंने कहा यह पर्व रावण जैसे अहंकारी और अधर्मी के अंत और भगवान श्री राम के आदर्श जीवन के गुणों का स्मरण कराता है। सच्चाई, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलकर हमेशा बुराई पर अच्छाई की ही जीत होती है। उन्होने कहा अहंकार में रावण और उसकी लंका जलकर खाक हो गई थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दशहरे के त्योहार पर हम सभी को अपने अंदर की बुराइयों का त्याग कर सत्य, धर्म और मानवता की राह पर चलने का संकल्प भी लेना है। उन्होंने कहा भगवान श्री राम ऐसे आदर्श व्यक्ति हैं जो त्याग, समर्पण, न्याय, करुणा और कर्तव्य के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं। एक राजकुमार होते हुए भी उन्होंने जंगल में जीवन बिताया, कई कठिनाइयों का सामना किया और अपनी सेना का गठन कर लंका पर विजय प्राप्त की। उनका आदर्श जीवन हमें विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों और वचनों का पालन करना सिखाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में कई ऐसे स्थान हैं जो भगवान श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी से संबंधित घटनाओं के साक्षी रहे हैं। भगवान हनुमान, चमोली जिले के द्रोणागिरी पर्वत से ही संजीवनी लेकर आए थे। भगवान श्रीराम के कुल गुरु वशिष्ठ जी की तपस्थली भी ऋषिकेश में स्थित है। उन्होंने कहा राज्य के कोने-कोने में राम लीलाएं होती हैं। हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का संरक्षण ही हमें एकजुट और सशक्त बनाती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कर सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा अयोध्या की पावन भूमि पर जल्द ही राज्य सरकार उत्तराखंड राज्य अतिथि गृह का निर्माण करने जा रही है। राज्य सरकार ने पौलगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का नाम बदलकर माँ सीता के नाम पर ‘‘सीतावनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी’’ रखा है। उन्होंने कहा राज्य सरकार उत्तराखंड के देव स्वरूप को सुरक्षित बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होने कहा कि राज्य में किसी भी प्रकार से डेमोग्राफी चेंज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस पवित्र भूमि का सनातन स्वरूप सदा के लिए सुरक्षित रहेगा और उत्तराखंड का पवित्रता, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत, सदैव संरक्षित रहेगी।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, संतोष नागपाल, गगन सेठी, नेहा जोशी, पुनीत मित्तल, अशोक वर्मा एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

विद्या भारती के विद्यालय देश में कर्णधारों को बना रहे संस्कारवानः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर, सुमन नगर, धर्मपुर में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड बोर्ड परीक्षा 2024 की हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा में विद्या मंदिर के शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर, इण्टर कॉलेज सुमन नगर, धर्मपुर में भवन निर्माण के लिए 60 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ ही युवा पीढ़ी को भारतीय मूल्यों से परिचित कराने और भारतीय संस्कृति के अनुरूप उनको शिक्षित करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या मंदिर आज देश के कोने-कोने में हमारे देश के कर्णधारों को संस्कारवान बनाने के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। बच्चों को किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि योग्य नागरिक बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। विद्यार्थियों को देशभक्ति, स्वदेशी चिंतन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और समसामयिक महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूक किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में विद्या भारती द्वारा 500 से भी अधिक विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं, जिनमें प्रदेश में 01 लाख से भी अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके साथ ही विद्या भारती द्वारा आदिवासी बहुल क्षेत्रों और राज्य के सीमांत क्षेत्रों में भी सैकड़ों विद्यालय खोले गये हैं। भारत सरकार द्वारा विद्या भारती के सात स्कूलों को सैनिक स्कूल के रूप में स्थापित करने के लिए चयनित किये जाने पर मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों और युवाओं के उत्थान के लिए राज्य सरकार विभिन्न क्षेत्रों में अनेक कार्य कर रही है। शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने त्वरित रूप से निर्णय लेते हुए देश में सर्वप्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रदेश में लागू किया है। प्रदेश की शिक्षा व्यववस्था को और अधिक आधुनिक, व्यावहारिक और सुदृढ़ बनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिये गये हैं। राज्य के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में स्मार्ट क्लासों की स्थापना की जा रही है। कक्षा 01 से लेकर 12 तक विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें और कक्षा 01 से 08 तक पाठ्य पुस्तकों के साथ ही बैग और जूते भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के तहत हजारों मेधावी विद्यार्थियों को प्रतिमाह छात्रवृत्ति देने का भी प्राविधान किया है। कक्षा 09 में प्रवेश लेने वाली बालिकाओं को साइकिल भी प्रदान की जा रही है। प्रदेश के प्रत्येक विकासखण्ड में हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट के 05-05 टॉपर्स को भारत भ्रमण कराने का भी राज्य सरकार ने निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में भी राजकीय महाविद्यालयों की आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए लगातार कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में 20 नये मॉडल कॉलेज की स्थापना की जा रही है। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे 05 विद्यार्थियों को हर साल स्नात्तकोत्तर स्तर पर अध्ययन के लिए ब्रिटेन के किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पढ़ाई करवाने के लिए चिवनिंग उत्तराखण्ड छात्रवृत्ति के लिए समझौता किया गया है। स्प्रिंगबोर्ड इंफोसिस भी शिक्षकों के लिए आईटी आधारित निःशुल्क प्रशिक्षण मॉड्यूल और छात्रों के लिए निःशुल्क कोर्स उपलब्ध करायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार के बजट में राज्य सरकार ने युवा कल्याण, तकनीकि शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए 1700 करोड़ से भी अधिक धनराशि का प्राविधान किया है। उन्होंने कहा कि हमारी कैबिनेट ने दून विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज की पढ़ाई करवाने का निर्णय लिया है।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक उमेश शर्मा काऊ, उत्तराखण्ड के प्रान्त प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र, भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री डॉ. रजनीकांत शुक्ल, शिशु शिक्षा समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र मित्तल एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने मीडिया कर्मिेयों को किया संबोधित, बोले भू कानून पर समाधान जल्द होगा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों को संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखण्ड में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर ढाई सौ वर्ग मीटर भूमि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति खरीद सकता है, परंतु ऐसा संज्ञान में आया है कि एक ही परिवार में अलग-अलग नामों से भूमि क्रय करके उक्त प्राविधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इसकी जांच करायेंगे और जिन भी व्यक्तियों ने ऐसा किया है उनकी भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जिन भी व्यक्तियों ने पर्यटन, उद्योग आदि व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अनुमति लेकर भूमि क्रय की है, परंतु उस भूमि का उपयोग इस प्रयोजन हेतु नहीं किया, ऐसी जमीनों का विवरण तैयार करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही की जायेगी और उनकी जमीनें राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी संज्ञान में आया है कि भूमि क्रय संबंधी नियमों में वर्ष 2017 में जो बदलाव किए गए थे, उनका परिणाम सकारात्मक नहीं रहा है।उन्होंने कहा कि ऐसे प्राविधानों की समीक्षा की जायेगी और आवश्यक हुआ तो इन प्राविधानों को समाप्त कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे इन कदमों से किसी भी ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन होता है तथा अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार भू कानून एवं मूल निवास के मुद्दे को लेकर संवदेनशील है और हम अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक वृहद भू कानून लाने हेतु प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मार्च 2021 से अब तक लंबे समय से चले आ रहे विभिन्न मामलों का निस्तारण हमारी सरकार ने ही किया है, उसी प्रकार मैं, उत्तराखंड की जनता को यह विश्वास दिलाता हूं कि भू कानून के मुद्दे का समाधान भी हमारी सरकार ही करेगी।

राज्य आपदा शमन निधि के तहत विभिन्न प्रोजेक्ट पर मुख्य सचिव ने दिया अनुमोदन

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र (यूएलएमएमसी) की द्वितीय संचालक निकाय की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने एसडीएमएफ (राज्य आपदा शमन निधि) के तहत राज्य कार्यकारी समिति द्वारा अनुमोदित सभी प्रोजेक्ट, ग्रुप इंश्योरेन्स पॉलिसी, विभिन्न पदों पर भर्ती जैसे एजेन्डा बिन्दुओं पर अनुमोदन दिया।

मुख्य सचिव ने एसडीएमएफ (राज्य आपदा शमन निधि) के तहत राज्य कार्यकारी समिति द्वारा अनुमोदित उत्तरकाशी, मसूरी, गोपेश्वर, अल्मोड़ा तथा नैनीताल में लिडार सर्वे, नैनीताल शहर के टॉपोग्राफी सर्वे, भू अन्वेषण, भू-तकनीकी अन्वेषण, बहुगुणा नगर कर्णप्रयाग में भू-अन्वेषण, भू-तकनीकी अन्वेषण, भू-भौतिकीय अन्वेषण हेतु कन्सलटेन्सी फर्म की नियुक्ति, मनसा देवी पहाड़ी हरिद्वार में बाई पास रोड के स्लोप स्टेबलाइजेशन के अन्वेषण व न्यूनीकरण कार्यों के लिए डीपीआर जैसे विभिन्न प्रोजेक्ट पर अनुमोदन दिया। मुख्य सचिव ने सभी यूएलएमएमसी कार्मिकों हेतु सावधि दुर्घटना बीमा योजना पर भी अनुमोदन दिया।

बैठक में सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, विनोद कुमार सुमन सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

नगर निगम देहरादून स्वच्छता ही सेवा अभियान के अंतर्गत चला रह व्यापक सफाई अभियान

आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा लॉन्च किए गए स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा 2024 के अंतर्गत उत्तराखंड के नगर निगम देहरादून द्वारा कार्य योजना बनाकर धरातलीय कार्य कराया जा रहा है. 34 ब्लैक स्पॉट ( क्लीनलीनेस टारगेट यूनिट) को इस पखवाड़े का टारगेट बनाया गया है और प्रत्येक दिन यहां पर सघन सफाई अभियान करने कराया जा रहा है। इनिशिएटिव यह भी लिया गया है कि इन ब्लैक स्पॉट पर कोई कूड़ा ना डालें और वहां पर फूल, पौधे और गमले लगाए गए हैं । इनकी मॉनिटरिंग करने के लिए एक पर्यावरण मित्र को तैनात किया गया है। इस व्यवस्था को नागरिकों के साथ-साथ मीडिया समूह द्वारा भी बहुत ही अच्छा मानते हुए इसकी खुले मन से प्रशंसा की है।
इसके अलावा नगर निगम देहरादून द्वारा 46 जागरूकता कार्यक्रम करवाए गए जाने हैं, जिसमें से अभी तक 26 कार्यक्रम हो चुके हैं और जिनकी जानकारी भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड कर दी गई है।
इसके अलावा नगर के विभिन्न स्थानों पर नुक्कड़ नाटक, छोटी रैली, जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर जनता के साथ संवाद, जागरूकता के जिंगल – बैनर आदि के साथ सघन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

पर्यावरण मित्रों एवं सुपरवाइजर तथा शिवराज व्यवस्था से जुड़े हुए कर्मियों के लिए निगम में 19 सितंबर को एक व्यापक स्वास्थ्य सेवक भी लगाया गया था , जिसमें कई सफाई कर्मियों ने प्रतिभाग किया।

इसी कड़ी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तथा निगम के दो गौ सदनों में भी स्वच्छता अभियान चलाया गया है। निगम के मुख्य नगर आयुक्त गौरव कुमार (आईएएस) स्वयं इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं और फील्ड में 08 उच्च अधिकारी इस कार्य में तैनात हैं। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसपी जोशी , सहायक नगर आयुक्त ने बताया कि 1 अक्टूबर तक सभी कार्यक्रम गुणवत्ता के साथ पूर्ण किए जाएंगे और 2 अक्टूबर को इसका समापन कार्यक्रम गांधी जयंती के अवसर पर नगर निगम मुख्यालय में आयोजित होगा।