मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित बैठक में जिला प्रशासन देहरादून तथा संबंधित विभागों द्वारा देहरादून शहर को व्यवस्थित और अधिक गतिशील बनाने से संबंधित शहर के मोबिलिटी प्लान को प्रस्तुत किया गया।
जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल ने शहर के मोबिलिटी प्लान से संबंधित कार्यों में अब तक हुई प्रगति से अवगत कराया तथा शहर की व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए भविष्य में किए जाने वाले कार्यों तथा दूरगामी प्लान से भी अवगत कराया।
मुख्य सचिव ने इस दौरान संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि शहर के सभी कमर्शियल संस्थाओं की बेसमेंट पार्किंग का शत – प्रतिशत उपयोग कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिए की जो भी संस्थान बेसमेंट में पार्किंग नहीं कराते उन पर सख्त एनफोर्समेंट की कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।
मुख्य सचिव ने शहर में सड़क और जंक्शन इंप्रूवमेंट के कार्यों में तेजी से प्रगति लाने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, एमडीडीए, नगर निगम, परिवहन विभाग, पुलिस विभाग, उत्तराखंड जल संस्थान व जल निगम सभी विभागों को आपसी समन्वय से देहरादून शहर को अधिक गतिशील और सुव्यवस्थित बनाने के लिए स्पष्ट रोड मैप तैयार करने को कहा तथा प्रत्येक कार्यों को पूरा करने के लिए टाइमलाइन का निर्धारण सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने एमडीडीए को निर्देशित किया कि भवन निर्माण के मैप अप्रूवल में पार्किंग के बायलॉज का सक्ति से अनुपालन कराएं। इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव पंकज पांडेय, एमडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी, अपर सचिव विनीत कुमार, नगर आयुक्त देहरादून नमामि बंसल सहित लोक निर्माण विभाग, परिवहन विभाग और संबंधी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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वन पंचायतों में गैर प्रकाष्ठ वन उपज का विकास एवं हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट की स्टेट लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक
मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में उत्तराखंड की वन पंचायतों में गैर प्रकाष्ठ वन उपज का विकास एवं हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट की स्टेट लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक आयोजित की गई।
मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि हरिद्वार और उधम सिंह नगर जैसे जनपदों में जहां पर जड़ी बूटी उत्पादन की तो व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं लेकिन इन मैदानी जनपदों में वन पंचायत का अस्तित्व नहीं हैं इसीलिए इन जनपदों में ग्राम पंचायत के माध्यम से जड़ी – बूटी का उत्पादन प्रारंभ करें।
उन्होंने कैंपा फंड के माध्यम से भी निजी भूमि पर हर्बल उत्पादन की संभावना तलाशने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि हर्बल उत्पादन के संबंधित सभी डाटा की ळप्ै मैपिंग करें और इसके सभी स्तर के आंकड़ों का डिजिटलीकरण भी करें।
उन्होंने हर्बल उत्पादन से संबंधित फॉरेस्ट और नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटीज का एफडीए (फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी) से एग्जामिन कराने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने हर्बल उत्पादन से संबंधित जुड़े हुए लोगों का एल्टीट्यूड वाइज प्रशिक्षण दस्तावेज तैयार करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वन विभाग के अधीन वर्तमान समय में जो भी विभिन्न वनोत्पाद उपलब्ध हैं उनकी बेहतर मार्केटिंग और वैल्यू एडिंग करते हुए उसको भी स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और स्थानीय लोगों की जीविकोपार्जन का आधार बनाएं।