नजरियाः अब राज्य में छात्राओं के उपस्थिति रजिस्टर में अनिवार्य रूप से प्रत्येक माह जांच के बाद हीमोग्लोबिन लेवल भी होगा दर्ज

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि राज्यभर में खुशियों की सवारी सेवा की सुविधा का उपयोग प्रसव के समय के साथ ही गर्भवती महिलाओं द्वारा सरकारी अस्पतालों में प्रसव पूर्व जांचों के लिए भी निशुल्क किया जा सकता है। मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को इस जनहितकारी जानकारी के व्यापक प्रचार प्रसार के निर्देश दिए हैं ताकि राज्य की आधिकारिक गर्भवती महिलाएं विशेषकर दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली साधन विहीन गर्भवती महिलाएं इसका लाभ उठा सके।

सचिवालय में सभी जिलाधिकारियों के साथ Pulse Anemia Mega Campaign के संबंध में बैठक लेते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को एनीमिया को समाप्त करने के लिए एनएचएम द्वारा तैयार किए गए एक्शन प्लान के महिला कल्याण एवं बाल विकास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की सहायता से प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं| राज्य में 15 से 49 वर्ष के मध्य की 46.4% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 50.4% है|

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग को सभी गर्भवती महिलाओं के गर्भावस्था के पहले चरण में ही एनीमिया आइडेंटिफिकेशन को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं| इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग को विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के उपस्थिति रजिस्टर में ही अनिवार्य रूप से प्रत्येक माह जांच के बाद हीमोग्लोबिन लेवल भी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं| उपस्थिति रजिस्टर में एचबी लेवल की जांच व जानकारी अंकित करने की जिम्मेदारी प्रिंसिपल के निर्देश पर क्लास टीचर की होगी, जिसमें सीएचओ द्वारा उनकी मदद की जाएगी| इसके बाद एनीमिया से ग्रस्त छात्राओ के उपचार की विशेष व्यवस्था, मॉनिटरिंग व ट्रैकिंग भी निकटस्थ CHO द्वारा की जाएगी| छात्राओ के हीमोग्लोबिन लेवल की नियमित जानकारी रिपोर्ट कार्ड में अंकित कर अभिभावकों को दी जाएगी| सीएस ने स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए सप्ताह में एक पीरियड स्वास्थ्य जानकारी पर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं|

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को जिलों में विशेषकर गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के नियमित टेस्टिंग, रिपोर्टिंग तथा इस कार्य के लिए आईसीडीएस व एएनएम के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं| मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को टीबी मुक्त उत्तराखंड के लक्ष्य को जल्द पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के एक्शन प्लान पर गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिए हैं|

बैठक में सचिव डॉ आर राजेश कुमार, अपर सचिव स्वाति भदौरिया सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी मौजूद रहे

हीमोफीलिया मरीजों को लेकर गंभीर सीएम धामी, बोले नहीं होने देंगे दवाईयों की कमी

राज्य में हीमोफीलिया मरीजों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री ने आज स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार से राज्य में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों की संख्या व उनको मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विस्तार से जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिये हैं कि हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी नहीं होने दी जाये। प्रत्येक मरीज को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले इसका पूरा ध्यान रखा जाये।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी पंजीकृत है। जिनके उपचार हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक हीमोफीलिया फैक्टर (सात, आठ व नौ) निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा पूर्व में हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फैक्टर हेतु राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, एस०एस० जे० बेस हल्द्वानी नैनीताल एवं संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार, पौडी जाना पडता है। परन्तु पिछले पाँच वर्षों से प्रदेश के सभी हीमोफीलिया के ग्रसित रोगियों को उपचार हेतु हीमोफीलिया फैक्टर उनकी निकटतम् चिकित्सा ईकाई पर उपलब्ध कराये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया वर्तमान में राज्य में फैक्टर-7 पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा शीघ्र ही सम्बन्धित चिकित्सा ईकाईयों को फैक्टर-8 और फैक्टर-9 भी उपलब्ध करा दिये जायेगें।

स्वास्थ्य सचिव ने अवगत कराया कि उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देशित किया है कि वह ब्यक्तिगत रूप में प्रत्येक माह हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा करे तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने जिलों के जिला नोडल अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह प्रत्येक माह हीमोफीलिया मरीजों को मिल रही सुविधाओं का संज्ञान ले व इस बीमारी को लेकर सरकार दुआरा निःशुल्क दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराए।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसमें पीडित व्यक्ति के खून का थक्का पूरी तरह नहीं बनता है। हीमोफीलिया पीडितों के खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति होती है और चोट लगने पर रक्तस्त्राव जारी रहता है। यह रोग आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करता है, महिलाओ में इस रोग के लक्षण अक्सर दृष्टिगोचर नहीं होते हैं पर वह रोग की वाहक होती है। कभी कभार यह रोग महिलाओ को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा हीमोफीलिया युक्त व्यक्तियों के रक्तस्त्राव तेज नही होता अपितु लगातार व लम्बी अवधि तक होता रहता है। सामान्य व्यक्ति, बाह्य चोट जैसे कटने, छिलने चोट लगने से बचाने का ध्यान रखता हैं, किन्तु हीमोफीलिया में बाह्य चोट के अलावा अंदरूनी रक्तस्त्राव भी बहुत गम्भीर हो सकता हैं। जिससे कि हाथ व पैरों के जोडों व मांसपेशियों के अकडाहट, दर्द, जोडों का खराब होना, विकलांगता और कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है।

कैबिनेट ने स्वास्थ्य विभाग से जुड़े फैसलों पर लगाई मुहरः डॉ आर राजेश कुमार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई अहम फैसलों पर मुहर लगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं को राज्य के अंतिम छोर तक बेहत्तर बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में आज कैबिनेट बैठक में देश और प्रदेश में आम जनमानस की लाईफ लाइन कही जाने वाली अटल आयुष्मान योजना को लेकर बड़ा फैसला हुआ। इससे हजारों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके तहत आयुष्मान भारत अटल आयुष्मान योजनान्तर्गत राजकीय चिकित्सालयों द्वारा लाभार्थियों को उपलब्ध करायी गयी चिकित्सा उपचार सुविधा के सापेक्ष चिकित्सालयों को प्रदान की जाने वाली क्लेम धनराशि पैकेज की दरों का 100 प्रतिशत अंश का भुगतान करने को लेकर किया गया। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि 14 सितम्बर, 2018 के प्रस्तर 2.8 में राजकीय चिकित्सालयों द्वारा अर्जित क्लेम धनराशि का विभाजन किया गया है। उक्त शासनादेश में विहित व्यवस्था में क्लेम धनराशि के 50 प्रतिशत अंश का भुगतान राजकीय चिकित्सालयों को किये जाने का प्राविधान है। इस व्यवस्था के कारण डायलिसिस केन्द्रों को आयुष्मान भारत अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के अन्तर्गत किये गये उपचार के बीजकों के भुगतान में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों के समाधान हेतु संशोधन के लिए आज मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति प्रदान कर दी गयी है। इससे राजकीय चिकित्सालयों मे पी०पी०पी० मोड पर संचालित डायलिसिस केन्द्रों के संबंधित सेवा प्रदाताओं को पैकेज की दरों का 100 प्रतिशत भुगतान होगा और लाभार्थियों को डायलिसिस की सेवा निर्बाध रूप से प्राप्त होगी।

इसके साथ ही स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि इन्वेस्टर सम्मिट के दौरान इन्वेस्टेबल प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित स्वास्थ्य इकाइयों को दीर्घकालिक लीज पर निजी सेवा प्रदाता द्वारा संचालन किये जाने पर भी आज कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। इसके तहत देहरादून के हर्रावाला क्षेत्र में 300 बेड के कैंसर चिकित्सालय और हरिद्वार जनपद में स्थित 200 बेड के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, चौन राय महिला चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर देने के लिए मंत्रिमंडल ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा इन चिकित्सालयों को पीपीपी मोड पर देने से उपकरण क्रय, मानव संसाधन योजन तथा संचालन पर होने वाले व्यय की बचत होगी। साथ ही क्षेत्रीय जनता को गुणवत्तापरक विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधायें तथा निदान की सुविधा प्राप्त होगी। अभी तक यह सुविधायें क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा 300 बैड के कैंसर चिकित्सालय हर्रावाला, देहरादून का निर्माण एन०एच०एम० के माध्यम से भारत सरकार तथा राज्य सरकार (90 अनुपात 10) के सम्मिलित वित्तीय के सहयोग से कुल 20403.49 स्क्वायर मीटर पर रू० 106.84 करोड़ की लागत से किया गया है। इसके साथ ही 200 बैड के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, चौन राय महिला चिकित्सालय परिसर, जनपद-हरिद्वार का निर्माण एन०एच०एम० के माध्यम से भारत सरकार तथा राज्य सरकार (90 अनुपात 10) के सम्मिलित वित्तीय के सहयोग से कुल 17341.42 स्क्वायर मीटर पर रू0 38.85 करोड़ की लागत से किया गया है।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा इन दोनों संस्थानों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा निदान हेतु संवेदनशील उपकरण क्रय एवं संचालन हेतु आवश्यक तकनीकि दक्षता के दृष्टिगत उक्त दोनों चिकित्सा संस्थान उपयुक्त निजी सेवाप्रदाता द्वारा दीर्घकालिक संचालन हेतु प्रस्तावित किये जा रहे हैं। इन चिकित्सालयों के संचालन से आमजन को कैंसर से सम्बन्धित समस्त जाँच, परामर्श, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी तथा अन्य उच्च स्तरीय निदान, जिसमें शल्य क्रिया भी सम्मिलित है, सुलभ हो जायेगी तथा इस प्रकार की सेवाओं हेतु आमजन को प्रदेश से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी प्रकार मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के संचालन से न केवल उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी अपितु मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।

एनएचएम के तहत दो वर्षीय कार्ययोजना को भारत सरकार ने दी 1100 करोड़ की सैद्धांतिक स्वीकृति

भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत उत्तराखंड के लिये दो वर्षीय पीआईपी को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत करीब 1100 करोड़ की विभिन्न योजनाओं को सैद्धांतिक स्वीकृति मिली है। जिसके तहत मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ब्लड बैंक के निर्माण की स्वीकृति के साथ ही जनपद पौड़ी में आईपीएचएस मानकों के तहत थलीसैंण व रूर्द्रप्रयाग जनपद के गुप्तकाशी में 50-50 बेड के उप जिला चिकित्सालयों के निर्माण की स्वीकृत प्रदान की गई है, जबकि एल.डी. भट्ट उप जिला चिकित्सालय काशीपुर में 200 शैयायुक्त चिकित्सालय के निर्माण को मंजूरी मिली है।

नेशनल प्रोग्राम कोर्डिनेशन कमेटी (एनपीसीसी) भारत सरकार की दिल्ली में सम्पन्न बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 हेतु द्विवर्षीय पीआईपी को दे दी गई है। राज्य की ओर से एनएचएम के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं के लिये आगामी दो वर्षों हेतु करीब 1100 करोड़ के प्रस्ताव की पीआईपी (प्रोग्राम इम्पलीमेंटेशन प्लान) भेजी गई थी। जिस पर दो दिन पूर्व नई दिल्ली में आयोजित एनपीसीसी की बैठक में कुछ संशोधनों के साथ सभी प्रस्तावों को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। जिसके तहत जनपद पौड़ी के श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ब्लड बैंक के निर्माण, थलीसैंण व गुप्तकाशी में 50-50 बेड के उप जिला चिकित्सालय, काशीपुर उप जिला चिकित्सालय में 200 शैय्या युक्त अस्पताल भवन की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त जी.बी. पंत चिकित्सालय नैनीताल में टाईप-4 व टाईप-3 आवास तथा बी.डी. पाण्डेय चिकित्सालय नैनीताल में टाईप-4 आवास, ट्रांजिस्ट हॉस्टल, मेडिसिन स्टोर, कार्डिक केयर यूनिट, न्यू ओपीडी ब्लॉक व पार्किंग की स्वीकृति मिली है। इसी प्रकार जनपद रूद्रप्रयाग कें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों फाटा तथा गुप्तकाशी में एक-एक एमओ ट्रांजिस्ट हॉस्टल की स्वीकृति दी गई है। जबकि टीबी सेनिटोरियम भंवाली नैनीताल व उप जिला चिकित्सालय हल्द्वानी में नवीनीकरण कार्यों की स्वीकृति दी गई है। एनपीसीसी भारत सरकार द्वारा आगामी दो वर्षों हेतु मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत नई गतिविधियों के संचालन हेतु रू0 412.32 लाख, गर्भवती महिलाओं को दुर्गम क्षेत्र से रोड़ साइड एवं घर पहुंचाने के लिये 262 अतिरिक्त डोली-पालकी हेतु रू0 78.60 लाख, 34 एफआरयू के सुदृढ़ीकरण हेतु रू0 89.90 लाख, आशा एवं एनएनएम को एडवोकेसी टूल हेतु रू0 41.44 लाख की अतिरिक्त धनराशि भी स्वीकृत की गई है। इसी प्रकार प्रदेश में 13 वन स्टॉप सेंटर एवं 27 सीएचसी बर्थ वेटिंग होम के संचालन हेतु रू0 34 लाख की धनराशि तथा यूबीटी किट एवं ट्रेनिंग हेतु रू0 34 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है।

बयान
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनएचएम के तहत आगामी दो वर्षों के लिये विभिन्न परियोजनाओं के तहत करीब 1100 करोड़ की पीआईपी भेजी गई थी, जिसको एनपीसीसी भारत सरकार द्वारा कुछ संशोधनों के साथ सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई है। इन तमाम योजनाओं की मंजूरी के बाद राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाया जा सकेगां

-डॉ. धन सिंह रावत, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।