कांग्रेस ने क्षेत्रवाद और जातिवाद को दी थी हवा, जनता ने निकाल दी हवाः सीएम

देहरादून। केदारनाथ उपचुनाव में मोदी फैक्टर और सीएम धामी की लोकप्रियता का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला है। विपक्ष के ताबड़तोड़ नकारात्मक चुनाव प्रचार के बावजूद जनता ने कमल पर ही मुहर लगाई और भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब रही। कांग्रेस ने ‘क्षेत्रवाद’ और ‘जातिवाद’ को हवा देकर मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ माहौल बनाने का हर संभव प्रयास किया लेकिन मतदाताओं ने उनकी दलील को सिरे से खारिज कर दिया। श्रीराम की धरती अयोध्या और बदरीनाथ में लगातार दो हार के बाद शिवधाम केदारनाथ में मिली शानदार जीत से भाजपाईयों के चेहरे खिले हुए हैं। कार्यकर्ताओं का जोश आसमान छू रहा है।

केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला था। कांग्रेस ने शातिराना तरीके से अपना चुनाव कैंम्पेन आगे बढ़ाया। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने प्रचार के दौरान कहा कि यह मुकाबला उनके और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के बीच नहीं बल्कि ‘धाम’ और ‘धामी’ के बीच है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और गणेश गोदियाल समेत भाजपा के तमाम नेता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर हमलावर रहे। उनकी ओर से प्रचारित किया गया कि धामी गढ़वाल के बजाए कुमाऊं को तरजीह देते रहे हैं इसलिए उन्होंने आपदा का बहाना बनाकर केदारनाथ की यात्रा को प्रभावित किया और यात्रियों का रुख कैंचीधाम को ओर मोड़ दिया। कहा यह भी गया कि धामी ने इसी सोच के चलते बुराड़ी दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण की नींव रखी। विकास और जनसरोकार के मुद्दों को हासिए पर रखकर कांग्रेस ने ‘धाम बनाम धामी’ का नेरेटिव क्रिएट कर दिया। इस कुप्रचार से मुख्यमंत्री धामी धबराये नहीं बल्कि वह विपक्ष पर आक्रामक हो गए। पलटवार करते हुए धामी ने पूछा कि क्या 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत और बीकेटीसी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुम्बई में बदरीनाथ मंदिर का सिलान्यास नहीं किया था ?

उपलब्धियां गिनाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद उन्होंने आगे आकर उपचुनाव तक खुद को केदारनाथ सीट का विधायक माना और क्षेत्र के विकास के लिए लगभग 700 करोड़ की घोषणाएं कीं जिनके शासनादेश भी जारी हो चुके हैं। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को स्लो बताते हुए उन्होंने कहा कि जब वह विधायक थे तो अपनी विधायक निधि खर्च नहीं कर पाए जिससे क्षेत्र के विकास के लिए मिले 6 करोड़ रुपए लैप्स हो गए। अपने कैम्पेन में धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदार प्रेम को सबसे आगे रखा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में जलप्रलय से ध्वस्त हो चुकी केदारपुरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किस तरह संवारा और आज केदारनाथधाम नये स्वरूप में दिखाई दे रहा है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी की 7 बार केदारनाथ की यात्रा का जिक्र उन्होंने अपने हर भाषण में किया।

भाजपा के प्रदेश संगठन ने भी कंधे से कंधा मिलाकर मुख्यमंत्री धामी का पूरा साथ दिया। पार्टी ने कैबिनेट मंत्रियों समेत पार्टी के सभी विधायकों का चुनाव प्रचार में बखूबी उपयोग किया। कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के निगेटिव नेरेटिव को तोड़ने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। टीम धामी योद्धा की तरह लड़ी। इस जीत से धामी के विरोधियों को भी जोर का झटका लगा है।

सीएम ने कालीमठ दर्शन कर लौटते वक्त अचानक रास्ते में रोकी दी फ्लीट

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुप्तकाशी बाजार में शॉपिंग कर पहाड़ के प्रति अपनत्व की भावना जगजाहिर कर दी। इस दौरान मुख्यमंत्री को दुकान में बड़ी सादगी के साथ खरीदारी करते देख हर कोई हैरान रह गया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पहाड़ के बाजार हमारे गांव और कस्बों की आर्थिकी की रीढ़ है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को केदारनाथ उप चुनाव को लेकर गुप्तकाशी पहुंचे थे। यहां राजनीतिक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री धामी कालीमठ मंदिर में दर्शन को गए। यहां से दर्शन कर लौटते वक्त अचानक मुख्यमंत्री ने गुप्तकाशी बाजार में अपनी फ्लीट रोकी और सीधे कपड़ों की दुकान में पहुंच गए। मुख्यमंत्री को आते देख दुकानदार अपने काउंटर से मुख्यमंत्री का स्वागत-सत्कार करने लगे। मुख्यमंत्री ने दुकानदार की कुशलक्षेम पूछी और एक जैकेट दिखाने को कहा। कुछ देर तक दुकानदार हैरान रह गया। लेकिन जब मुख्यमंत्री के स्टाफ भी पीछे से दुकान पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने जैकेट देखनी शुरू कर दी। इस दौरान दुकानदार ने मुख्यमंत्री से चाय पीने का अनुरोध किया तो मुख्यमंत्री ने सहज स्वीकार किया। बाद में मुख्यमंत्री धामी ने जैकेट खरीदकर दुकानदार को जैकेट के दाम चुकाए और धन्यवाद दिया। इस दौरान दुकानदार प्रदीप कुमार ने मुख्यमंत्री का आभार जताया और कहा कि 31 साल की दुकानदारी में इतने सरल, सौम्य और सादगी वाले नेता नहीं देखे।

गढ़वाल कुमायूं क्षेत्रवाद के आरोपों का धामी ने दिया करारा जबाव

चंद्रापुरी। केदारनाथ उपचुनाव के मद्देनजर चंद्रापुरी में आयोजित भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने भाषण के दौरान पूरी रौ में नजर आए। तकरीबन आधा घंटे के भाषण में उन्होंने केदारनाथ क्षेत्र के लिए न सिर्फ अपनी और केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाईं बल्कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के आरोपों का दो टूक जवाब भी दिया। क्षेत्रवाद (गढ़वाल-कुमाऊं), केदारनाथ की यात्रा को कैंचीधाम की ओर मोड़े जाने और केदारनाथ मंदिर से दिल्ली शिला ले जाने के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब भी दिया। उन्होंने बाबा केदार की सौगंध खाकर कहा कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया। धामी ने पूरा खम ठोककर अपनी बात कही और तमाम मसलों को लेकर कांग्रेस के नेताओं का नाम लेकर उनको कठघरे में खड़ा किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धानी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई मुद्दे नहीं हैं। कांग्रेस के नेता मुझ पर झूठे आरोप लगाते हुए अफवाह फैला रहे हैं। यह सही है कि उत्तराखण्ड के प्रवासी कुछ भाइयों के आग्रह पर में दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास समारोह में गया था। बाद में जब मुझे पता चला तो मैने तत्काल कैबिनेट बुलाकर चारधाम के नाम से कोई मंदिर न बनाए जाने को लेकर कड़ा कानून बनवाया। लेकिन हरीश रावत और गणेश गोदियाल जवाब दें कि क्या उनके कार्यकाल में उन्होंने मुंबई में बदरीनाथ मंदिर का शिलान्यास किया या नहीं ? उन्होंने क्यों नहीं चारधाम के नाम का इस्तेमाल को लेकर कानून क्यों नहीं बनाया ?

धामी ने कहा कि जब भी राज्य में कोई दैवीय आपदा आती है तो वह तत्काल ग्राउंड जीरो पर पहुंचते हैं। बीते 31 जुलाई को जब केदारनाथ में आपदा आई थी तो सूचना मिलते ही दिन के 12 बजे वह प्रभावितों के बीच पहुंच गए थे। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और कुछ विधायकों के साथ मौके पर मौजूद रहकर उन्होंने पूरे सरकारी तंत्र को बचाव और राहत कार्य में झोंक दिया। 16 हजार से ज्यादा यात्रियों को बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। लेकिन क्या कांग्रेस के साथी इस बात का जवाब देंगे कि 2013/14 की आपदा के वक्त उनकी सरकार ने प्रभावितों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया था ? उनके शहजादे भी विदेश दौरे पर निकल गए थे।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कोई भी यात्रा जब चारधाम के दर्शन करने आते हैं तो एक साल या छह माह पूर्व अपना कार्यक्रम बना लेता है, ऐसे में कोई उनकी यात्रा की डायवर्ट कर सकता है। यह सिर्फ कांग्रेस का प्रोपेगैंडा है। यहां केदारघाटी के लोग भोले भाले जरूर हैं लेकिन जागरूक हैं, वो कांग्रेस के बईमान नेताओं के कहने पर बंटेंगे नहीं एकजुट रहेंगे। धामी ने कहा कि समाज को बांटने वाली कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के भाइयों के लिए कभी कुछ नहीं किया, ऐसी कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकने का वक्त आ गया है।