आज मोदी सरकार सिर्फ सत्ता की भूख मिटा रही है-प्रीतम सिंह

कांग्रेस ने देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक होने को लेकर केंद्र सरकार पर जनता को ‘लूटने’ का आरोप लगाया और कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम की जानी चाहिए।

चुनावी मोड पर चल रहे उत्तराखंड में भी इसको लेकर सियासत गरमाई हुई है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा 2017 में हुए चुनाव में सत्ता में बैठे लोगों ने उत्तराखंड के लोगों से वादा किया था कि यदि डबल इंजन सरकार आई तो हम महंगाई को कम करने का कार्य करेंगे, लेकिन हालात बद् से बदतर हैं और महंगाई चरम पर है। जहां पेट्रोल 100 रुपये के पार और डीजल भी 95 रुपये पर पहुंच चुका है। रसोई गैस भी 400 रुपये से 1000 रुपये तक पहुंच चुकी है। जिस तरह महंगाई बढ़ रही है, उससे गरीब का जीना दूभर हो गया है।

प्रीतम बोले आज मोदी सरकार सिर्फ सत्ता की भूख मिटा रही है और कमरतोड़ महंगाई से 140 करोड़ देशवासियों की आय लूटती जा रही है। आज देश में पेट्रोल 100 रुपये के पार, खाने का तेल 200 रुपये के पार, रसोई गैस 850 रुपये के पार…मोदी सरकार सिर्फ बहाने बना रही है।

प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया, ‘‘ भाजपा सरकार ने ‘प्रजातंत्र की परिभाषा’ ही बदल दी है। जनता को महंगाई की आग में झोंककर आमजन की आमदनी को मोदी सरकार नोच रही है और बस, अपने धन्ना सेठ दोस्तों की सोच रही है। सच यह है कि ‘महंगाई डायन’ अब भाजपाइयों को ‘‘अप्सरा’’ सी नज़र आने लगी है।’’

प्रीतम बोले कांग्रेस-संप्रग सरकार से तुलना की जाए तो मोदी सरकार के सात साल के कार्यकाल में कच्चे तेल के दाम साल दर साल घटते गए और 140 करोड़ देशवासियों की जेब काटकर पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ते गए। उन्होंने कहा, ‘‘देश की जनता की ओर से मोदी सरकार को हम यही कहेंगे कि कीमतें कम करो या कुर्सी खाली करो।’’

नेता प्रतिपक्ष बोले- उत्तराखंड में आशाओं को उनका हक दिलायेगी कांग्रेस

उत्तराखंड में आशाओं का आंदोलन अब राजनीति रंग में रंगता जा रहा है। राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी खुलकर आशाओं के समर्थन में आ खड़ी हुई है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कांग्रेस आशाओं को उनका हक दिला कर रहेगी।

आपको बता दें आज राजधानी देहरादून में आशाओं ने अपनी मांगों को लेकर सीएम आवास कूच किया। पुलिस ने उन्हें हाथीबडकला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। जिस पर पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक भी हुई। आशा बैरिकेडिंग के पास ही धरने पर बैठ गईं।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा उत्तराखंड सरकार आशाओं से बहुत सारे काम ले रही है, लेकिन तीन साल से केंद्र व राज्य सरकार ने मासिक मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की है। 10 हजार रुपये सम्मान राशि देने की घोषणा की थी, पर इस पर भी अमल नहीं किया गया।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारियों की भांति समस्त सुविधा व मानदेय देने की मांग की। उन्होंने कहा आशाओं की अन्य मांगों स्वास्थ्य बीमा की परिधि में लाने, कार्य के दौरान मृत्यु होने पर आशा के परिवार को 50 लाख का बीमा और बीमार होने पर 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा, कोरोना काल में घर-घर जाकर अपनी जान जोखिम में डाल रहीं आशा कर्यकर्ता को सुरक्षा उपकरण और फ्रंटलाइन वर्कर की भांति सम्मान व मानदेय की मांगों को मानने के साथ 45 व 46 वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा वह आगामी विधानसभा सत्र में आशाओं के मुद्दे को सदन में जोर शोर से उठाएंगे। कांग्रेस सत्ता में आते ही आशाओं की सभी मागों को पूरा करेगी।

कोर्ट के आदेश के बाद नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर बोला हमला

नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में आग लगने के मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को छह माह में वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को भरने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों को मजबूत करें और वर्षभर जंगलों की निगरानी करवाएं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाब दाखिल कर कहा था कि वन विभाग में खाली पड़े फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर शैक्षणिक योग्यता घटाकर हाईस्कूल कर दी गई है ताकि पदों को भरा जा सके। दो हजार पदों पर भर्ती प्रकिया जारी है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से चार सितंबर तक विस्तृत जवाब पेश करने के लिए कहा है।

कोर्ट के आदेश के बाद नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हर बात का सज्ञान कोर्ट ले रहा है। सरकार को निर्देश दे रहा है उसके बाद भी सरकार काम नहीं कर रही है। राज्य में सरकार नाम की चीज नजर नहीं आ रही है। वन विभाग में कई महीने से फाॅरेस्ट गार्ड के पद खाली पड़े हैं, परंतु भाजपा सरकार इस की सुध नहीं ले रही है। राज्य में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, वन विभाग में खाली पड़े पदों को भरने के प्रति राज्य सरकार उदासीन है। नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में आग लगने के मामलों पर स्वतरू संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए छह माह में वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को भरने के निर्देश दिए हैं। पहले भी कोर्ट ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने के लिए कहा था, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया। सत्ता में आते ही कांग्रेस सबसे पहले सभी पदों को भरने का काम करेगी।