स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये निर्देश, आप भी जानिए…

नशीली एवं नकली दवाओं की रोकथाम के लिये प्रदेशभर में मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण किया जायेगा। इसके साथ ही प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती का भी सत्यापन अभियान चलाया जायेगा। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश में नकली एवं नशीली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिये राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। जिसके तहत प्रदेशभर में फुटकर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत 12500 से अधिक मेडिकल स्टोरों के निरीक्षण के साथ ही वहां पर तैनात फार्मासिस्टों का भी भौतिक सत्यापन किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को पूरे अप्रैल माह में विशेष अभियान के निर्देश दे दिये गये हैं। डा. रावत ने कहा कि औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम-1940 एवं 1945 की नियमावली के नियम 65(2) के अंतर्गत प्रत्येक मेडिकल स्टोर का लाइसेंस होने के साथ ही स्टोर पर दवा बिक्री के लिये पंजीकृत फार्मासिस्ट की तैनाती अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। इसी प्रकार थोक दवा विक्रय के लिये भी नियम 64 के तहत अनुभवी व्यक्ति को ही लाइसेंस दिये जाने का प्राविधान है। इन्हीं नियमों का सख्ती से पालन करने के लिये खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सभी पंजीकृत मेडिकल स्टोरों का मुआयना करने के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 22 हजार फार्मासिस्ट पंजीकृत है, जिनमें से साढ़े बारह हजार से अधिक फार्मासिस्टों के नाम पर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस जारी किये गये हैं, जबकि एक हजार के करीब फार्मासिस्ट राजकीय सेवा में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर यह भी शिकायत मिलती रही है कि एक लाइसेंस पर एक से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित किये जा रहे हैं तथा उन पर पंजीकृत फार्मासिस्ट तैनात नहीं किये गये हैं, जो कि नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है। इन्हीं तथ्यों को मध्यनजर रखते हुये विभागीय अधिकारियों को प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोरों का भौतिक सत्यापन कर वहां पर पंजीकृत फार्मासिस्टों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा गया है ताकि सूबे के बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को मेडिकल स्टरों पर रोजगार मिल सके।

सराहनीय फैसलाः रेट लिस्ट लगाकर उचित मूल्य पर सेनेटाइजर और मास्क की बिक्री करने के निर्देश

उत्तराखंड में किसी भी मेडिकल स्टोर पर डॉक्टर के परामर्श के बिना खांसी जुकाम, बुखार व दर्द की दवाईयां नहीं दी जाएंगी। फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स कमिश्नर डॉ.पंकज कुमार पांडेय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। कैमिस्ट की दुकानों पर रेट लिस्ट लगाकर उचित मूल्य पर सेनेटाइजर व मास्क की बिक्री करने के निर्देश दिए गए।
फूड सेफ्टी ड्रग्स प्रशासन की ओर से जारी आदेश के अनुसार कोरोना वायरस पूरे विश्व में गंभीर खतरा बना हुआ है। प्रदेश सरकार ने वायरस को माहमारी रोग घोषित किया है। आदेश में कहा गया कि कोई भी कैमिस्ट बिना डॉक्टर के परामर्श के बिना किसी भी व्यक्ति को खांसी, जुकाम, बुखार व दर्द की दवाईयां न दें।
इसके लिए खांसी जुकाम से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह लेने की सलाह दी गई। प्रदेश के सभी ड्रग्स इंस्पेक्टरों को आदेशों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। आम लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करने के लिए मेडिकल स्टोर में भी सेनेटाइजर व मास्क के रेट की लिस्ट लगाई जाए।
कोरोना के वायरस से बचने के लिए फिलहाल ठंडे खाद्य पदार्थों से परहेज करना फायदेमंद साबित हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार ठंडे खाद्य पदार्थों पर वायरस तेजी से पनपते और बढ़ते हैं। इसके अलावा इम्युनिटी पावर भी कमजोर होती है।
डॉक्टरों के अनुसार इन दिनों गर्म पानी पीना ज्यादा फायदेमंद रहता है। आइसक्रीम जैसे ठंडे खाद्य पदार्थ नुकसान पहुंचा सकते हैं। दरअसल इनसे सीधा नुकसान तो नहीं है, लेकिन ये शरीर को कमजोर कर सकते हैं। इम्युनिटी कम होने से वायरस बहुत तेजी से हमला करते हैं, जिससे रोग तेजी से फैलता है। ठंडा और बासी खाना तेजी से वायरस को बढ़ाता है।
वहीं, कोरोना के खतरे को देखते हुए बैंक कैशियर भी चिंता में हैं। दरअसल उन्हें नोट गिनने होते हैं, जो अनगिनत हाथों से होकर गुजरे होते हैं। ऐसे में उन्हें डर सता रहा है कि इससे वायरस का अटैक न हो जाए। डॉक्टरों के अनुसार नोट गिनते वक्त थूक लगाना नुकसान कर सकता है। नोट गिनने के बाद हाथों को लगातार सैनेटाइज करते रहे और हाथों को चेहरे पर लगाने से बचें।