आने वाले राष्ट्रीय खेलों के लिए लंबी लकीर खींच गया उत्तराखंड

उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल इस बार व्यवस्थाओं से लेकर आयोजन तक लेकर लंबी लकीर खींचने वाले साबित हुए हैं। इस बार के राष्ट्रीय खेल पर्यावरण हितैषी कदमों से लेकर खिलाड़ियों की सुविधाओं और स्वास्थ्य की देखभाल को लेकर चर्चाओं मे रहे।

01 – पदक तालिका में प्रदर्शन
38 वें राष्ट्रीय खेलों से पहले इस आयोजन में उत्तराखंड का इतना शानदार प्रदर्शन कभी नहीं रहा। राज्य स्थापना के बाद जब-जब उत्तराखंड ने राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया, तब-तब उसे मिलने वाले पदकों की संख्या दस से लेकर 19 तक रही है। इसी तरह, पदक तालिका में वह 13 वें स्थान से लेकर 26 वें स्थान के बीच में कहीं रहा है। यही हाल स्वर्ण पदकों का भी रहा है, जिसकी संख्या एक से लेकर अधिकतम पांच तक रही है। अब 38 वें राष्ट्रीय खेलों की बात कर लें, तो क्या कुल पदक, क्या स्वर्ण और क्या पदक तालिका की स्थिति, सभी में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। पदकों की कुल संख्या 103 पर पहुंची है। पदकों का सैकड़ा जड़ कर उत्तराखंड ने सबको चकित कर दिया है। इसी तरह, स्वर्ण पदकों की संख्या 24 रही है। पदक तालिका में सातवें स्थान पर आना, सचमुच कमाल का अनुभव है। पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओडिसा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र, जम्मू कश्मीर जैसे बडे़ राज्य पदक तालिका में उत्तराखंड से पीछे हैं।

02 – छोटे राज्य ने दिखाया दम
उत्तराखंड जैसे अपेक्षाकृत छोटे राज्य को राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के लिए बहुत कम समय मिला। सफल आयोजन किसी चुनौती से कम नहीं था, क्योंकि उत्तराखंड को राज्य बने सिर्फ 25 वर्ष हुए हैं। जिस पड़ोसी पर्वतीय राज्य हिमाचल के मॉडल को अपनाने की अक्सर बातें होती हैं, उसे राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कभी नहीं मिली। मणिपुर और असम के बाद उत्तराखंड राष्ट्रीय खेल कराने वाला तीसरा हिमालयी राज्य बन गया है। वर्ष 2000 में उत्तराखंड के साथ राज्य का दर्जा हासिल करने वाले झारखंड ने वर्ष 2011 में राष्ट्रीय खेल कराए हैं, जबकि छत्तीसगढ़ मेजबानी मिलने के बावजूद इसका आयोजन नहीं करा पाया था। उत्तराखंड ने 38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा तैयार किया। अत्याधुनिक उपकरण मंगवाए। इस वजह से कई रिकार्ड भी टूटे। दस हजार खिलाड़ियों के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई।

03 – ग्रीन गेम्स
राष्ट्रीय खेलों में सबसे अहम हरित पहल रही। ग्रीन गेम्स की थीम को अमल में लाने के लिए कई कदम उठाए गए। रायपुर में 2.77 हेक्टेयर जमीन पर खेल वन तैयार किया गया, जहां पर पदक विजेताओं के नाम के 1600 पौधे लगाए जा रहे हैं। खेलों में जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए पदक हों या मेहमानों के लिए आमंत्रण पत्र, सभी ई-वेस्ट से तैयार कराए गए। शुभंकर राज्य पक्षी मोनाल को बनाया गया। हरित जागरूकता के लिए स्पोर्ट्स वेस्ट मटीरियल के प्रतीक चिन्ह आयोजन स्थल पर प्रदर्शित किए गए। आयोजन स्थल पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवाजाही के लिए ई-रिक्शे, साइकिल प्रयोग किए गए। इसके अलावा, सोलर पैनल के प्रयोग से लेकर पानी के लिए रीयूसबल वाटर बॉटल की व्यवस्था की गई। हरित पहल से इतर महिला स्वास्थ्य का संदेश देने के लिए महिला खिलाड़ियों को वैलकम किट में सेनेटरी नैपकीन व अन्य जरूरी सामान दिए गए। तीन बार इस्तेमाल किए जा चुके 250 लीटर तेल को बायो डीजल बनाने के लिए भेजा गया।

38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी को हमने पहले ही दिन से अपने लिए बड़ी उपलब्धि माना। इस आयोजन को भव्य रूप देने के लिए पूरे प्रयास किए गए। आधारभूत ढांचा तैयार किया गया और उच्चस्तरीय सुविधाएं जुटाई गईं। निश्चित तौर पर उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के बाद खेल के क्षेत्र में मजबूत होकर उभरा है। मै सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई देता हूं।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री।

नेशनल गेम्स की तैयारियों को लेकर सीएम ने की समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 28 जनवरी 2025 से उत्तराखण्ड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेल की विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। शनिवार को महाराणा प्रताप स्टेडियम देहरादून का स्थलीय निरीक्षण कर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के लिए की जा रही तैयारियों का जायजा लिया। राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ देहरादून में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खेल की तैयारियों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि खिलाड़ियों और आगन्तुकों की सुविधा के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं बेहतर बनाई जाय। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ अवसर पर जनपद और ब्लॉक स्तर पर एलईडी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि लोग लाइव प्रसारण सुगमता से देख सकें। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय स्तर पर अलग छवि बनाने का यह सुनहरा अवसर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पास राज्य में खेलों को बढ़ावा देने यह अच्छा अवसर है। इससे युवाओं का खेलों के प्रति रूझान बढ़ेगा और खेल इन्फ्रास्टक्चर के विकास से राज्य में आगे भी अनेक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हो सकेगा। 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखण्ड की ओर से खेलने वाले खिलाड़ियों को पदक जीतने पर मिलने वाली पुरस्कार राशि के बराबर धनराशि राज्य सरकार भी देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में होने वाले राष्ट्रीय खेल को भव्य बनाने के लिए जनभागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के अवसर पर जन सहभागिता से प्रदेशभर में दीपोत्सव और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खेल के दृष्टिगत राज्य के सभी खेल स्थलों के आस-पास आवश्यक व्यवस्थाएं सुचारू रखने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों और आगन्तुकों के लिए आवागमन, ठहरने, स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेल का आयोजन ग्रीन गेम्स की थीम पर किया जा रहा है। राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आगमन के दृष्टिगत पुलिस और प्रशासन को सभी व्यवस्थाएं बेहतर बनाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेल के शुभारंभ के अवसर पर लोगों को अनावश्यक परेशानी न हो पुलिस द्वारा रूट प्लान की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाए। पार्किंग की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

इस अवसर पर खेल मंत्री रेखा आर्या, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ, विशेष प्रमुख सचिव खेल अति सिन्हा, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, विनोद कुमार सुमन, अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरूगेशन, ए.पी. अंशुमन, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी, निदेशक खेल प्रशांत आर्य और एसएसपी देहरादून अजय सिंह उपस्थित थे।

राष्ट्रीय खेलः नेशनल फेडरेशन स्पोर्ट्स ऑफ इंडिया के माध्यम से मिलेंगे खेल स्वयंसेवक

राष्ट्रीय खेलों में 1200 विशिष्ट खेल स्वयंसेवकों की भी तैनाती की जाएगी। नेशनल फेडरेशन स्पोर्ट्स ऑफ इंडिया के स्तर पर उत्तराखंड को यह स्वयंसेवक उपलब्ध कराए जाएंगे। उत्तराखंड अपने स्तर से भी करीब 2300 सामान्य स्वयंसेवकों को चयनित करने जा रहा है। विशिष्ट खेल स्वयंसेवक इनसे अलग होंगे। हालांकि सामान्य स्वयंसेवकों के साथ ही इन्हें भी व्यवहार और शिष्टाचार की ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी।

उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों के 38 वें संस्करण की मेजबानी कर रहा है। यह आयोजन 28 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। तमाम तरह की व्यवस्थाओं को बनाने के लिए दो तरह के स्वयंसेवक अपना योगदान करेंगे। इसमें से सामान्य स्वयंसेवकों की भर्ती की प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है। 30 हजार से ज्यादा लोगों ने स्वयंसेवक बनने के लिए रजिस्ट्रेशन किया है। इन सभी को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी गई है। ऑनलाइन परीक्षा भी ली गई है। इसके परिणाम के आधार पर ही स्वयंसेवक भर्ती किए जाएंगे।

राष्ट्रीय खेल सचिचालय के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत आर्या के अनुसार-सामान्य स्वयंसेवकों के अलावा विशिष्ट खेल स्वयंसेवकों की भी तैनाती की जाएगी। नेशनल फेडरेशन स्पोर्ट्स ऑफ इंडिया के माध्यम से ये स्वयंसेवक उत्तराखंड को प्राप्त होंगे, जिनकी विभिन्न स्थानों पर तैनाती की जाएगी।

विशिष्ट खेल स्वयंसेवकों की ये है विशिष्टता

नेशनल फेडरेशन स्पोर्ट्स ऑफ इंडिया इन विशिष्ट खेल स्वयंसेवकों को उपलब्ध कराता है। खेल पृष्ठभूमि वाले इन स्वयंसेवकों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का अनुभव होता है। सामान्य स्वयंसेवकों को जहां पार्किंग, मेहमानों को लाने-ले जाने संबंधी अन्य सामान्य व्यवस्थाओं में उपयोग किया जाता है, वहीं विशिष्ट स्वयंसेवकों को खेल से सीधे जुड़ी व्यवस्थाओं में जिम्मेदारी दी जाती है। स्वयंसेवकों से संबंधित कार्य देख रहे प्रतीक जोशी के अनुसार-विशिष्ट खेल स्वयंसेवकों को प्रतिदिन एक हजार रूपये मानदेय दिया जाएगा। सामान्य स्वयंसेवक का प्रतिदिन का मानदेय पांच सौ रूपये तय किया गया है।

38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखंड पूरी तरह से तैयार है। यह खुशी की बात है कि हर वर्ग राष्ट्रीय खेलों से किसी न किसी रूप में जुड़ने के लिए तैयार है। खेलों का यह बहुत बड़ा उत्सव है, जो कि उत्तराखंड में खेल विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित होगा।
– पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार।

सोशल मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल पर राष्ट्रीय खेलों का लोगो लगाए जाने का सीएम ने किया आग्रह

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय खेलों को लेकर चल रही तैयारी के बीच राज्य में प्रदेशवासियों से सामूहिक रूप से देवभूमि आ रहे खिलाड़ियों के स्वागत में विभिन्न सोशल मीडिया अकाउंट्स की क्च् पर राष्ट्रीय खेलों का लोगो लगाए जाने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने का जो गौरव प्राप्त हुआ है, वो ऐतिहासिक है। आगामी राष्ट्रीय खलों में देशभर के विभिन्न राज्यों से लगभग 10,000 खिलाड़ी देवभूमि आ रहे हैं। उन्होंने जनता से निवेदन करते हुए कहा कि हमारी श्अतिथि देवो भवःश् की संस्कृति का पालन करते हुए, सभी खिलाड़ियों का गर्मजोशी से स्वागत करना है। और उनके उत्साहवर्धन हेतु अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की क्च् पर राष्ट्रीय खेलों का लोगो लगाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जनता सामूहिक तौर पर सभी खिलाड़ियों का स्वागत करेगी। सभी ने मिलकर आगामी राष्ट्रीय खेलों को विशेष और ऐतिहासिक बनाना है। हमारा यह कर्तव्य है कि देवभूमि आ रहे खिलाड़ी, हमारे राज्य से बेहतर यादें और अनुभव लेकर जाएं। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक बनाए जाने के संकल्प में राष्ट्रीय खेल भी सहायक सद्ध होंगे।

राष्ट्रीय खेलों के लिए पांडवाज बैंड ने तैयार किया मोटिवेशनल सॉंग हल्ला धूम धड़क्का

अडग अडग अगवाड़ी हिट/प्रीत बढ़ा, रीत बढ़ाश् (अडिग होकर कदम आगे बढ़ा/प्यार, सौहार्द बढ़ा/परंपरा रीत बढ़ा)। राष्ट्रीय खेलों के मोटिवेशनल सांग हल्ला धूम धड़क्का की यह शुरूआती पंक्तियां हैं। इसे उत्तराखंड के प्रख्यात पांडवाज बैंड ने तैयार किया है। अपने नाम के अनुरूप हल्ला धूम धड़ाका गीत धूम मचाने के लिए तैयार है। इसे रिलीज कर दिया गया है।

जाहिर तौर पर तीन मिनट के इस गीत का मिजाज खेलों और युवाओं को समर्पित है। चूंकि इसे राष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार किया गया है, इसलिए इसका फलक बड़ा है। बावजूद इसके, उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक पूरी शान से गीत में मौजूद है। खास तौर पर, जब पारंपरिक वेशभूषा में गाते और ढोल-दमाऊ बजाते पांडवाज ग्रुप के कलाकार दिखाई देते हैं। इस गीत को शिवानी भागवत, ईशान डोभाल और सुशांत भट्ट ने गाया है। विशेष प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा मानते हैं कि बहुत कम समय में पांडवाज ने एक बेहतरीन गीत तैयार किया है। राष्ट्रीय खेलों के लिए यह गीत युवाओं को प्रेरित करेगा।

वोकल फॉर लोकल के लिए पांडवाज को मौका
-पांडवाज बैंड ने उत्तराखंडी लोक संगीत के क्षेत्र में खास जगह बनाई है। लोक और आधुनिक संगीत का तालमेल इस बैंड की सबसे बड़ी खासियत है। राष्ट्रीय खेलों के प्रचार-प्रसार में पांडवाज बैंड की सरकार ने विशेष भूमिका निर्धारित की है। राष्ट्रीय खेलों की मशाल के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण के दौरान पांडवाज ग्रुप के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, मोटिवेशन सांग के लिए पांडवाज को अवसर दिया गया। सरकार ने पांडवाज को अवसर देकर लोकल फॉर वोकल का उदाहरण पेश किया है।

ये हमारा परम सौभाग्य है कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में पांडवाज बैंड की भूमिका रखी गई है। यह गीत दस दिनों में तैयार किया गया है। शूटिंग देहरादून स्टेडियम और आस-पास ही की गई। इस गीत को तैयार करते वक्त हमें कलात्मक स्वतंत्रता दी गई है। इसलिए और भी अच्छा लगा। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ा अवसर है।
ईशान डोभाल, पांडवाज बैंड के संस्थापक सदस्य।

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन न सिर्फ खेल प्रतिभाओं, बल्कि उत्तराखंड के स्थानीय कलाकारों व अन्य क्षेत्रों से जुडे़ लोगों को भी आगे आने का अवसर प्रदान करेगा। उत्तराखंडी लोक संस्कृति का भी इस आयोजन के जरिये प्रचार-प्रसार होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर हमारी सरकार वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रही है।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

राष्ट्रीय खेल के लिए वॉलंटियर ऑनलाइन प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया शुरू

दस मिनट में 16 सवाल। राष्ट्रीय खेलों में वॉलंटियर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले अभ्यर्थियों को कडे़ इम्तिहान से गुजरना पड़ रहा है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय ने वॉलंटियर प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। चूंकि रजिस्ट्रेशन बहुत ज्यादा हुए हैं, इसलिए एक बार में 500 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय ने दस जनवरी तक चयन प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

वॉलंटियर बतौर 38 वें राष्ट्रीय खेल से जुड़ने के लिए अभी तक 30,433 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। रजिस्ट्रेशन अभी जारी हैं। राष्ट्रीय खेल सचिवालय के अपर मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत आर्या के अनुसार-रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय की टीम एक बार में 500 अभ्यर्थियों के साथ जुड़ रही है। कुल 45 मिनट में प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया से संबंधित कार्य संचालित हो रहे हैं। इसमें शुरुआती 35 मिनट में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बाद के दस मिनट में प्रत्येक अभ्यर्थी से 16 सवाल पूछे जा रहे हैं। इसके आधार पर ही चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।

जहां से रजिस्ट्रेशन, वहीं तैनाती पर रहेगा जोर

वॉलंटियर बतौर राष्ट्रीय खेलों से जुड़ने के लिए जिस अभ्यर्थी ने जहां से रजिस्ट्रेशन कराया है, उसे वहीं तैनाती देने पर जोर रहेगा। हालांकि चयनित अभ्यर्थियों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वह चाहे, तो दूसरे जिले में भी अपना योगदान दे सकता है। वालंटियर चयन प्रक्रिया से जुड़े प्रतीक जोशी के अनुसार-यह बात उत्साहित करने वाली है कि उन जिलों से भी रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जहां पर राष्ट्रीय खेलों से संबंधित कोई भी गतिविधि प्रस्तावित नहीं है। जोशी के अनुसार-दस जनवरी तक वॉलटियर चयनित हो जाएंगे। इसके बाद, चयनित अभ्यर्थियों को भौतिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। दो से ढाई हजार चयनित वॉलंटियर इस आयोजन में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका निभाएंगे।
वॉलंटियर के लिए रजिस्ट्रेशन की स्थिति

जिला रजिस्ट्रेशन
अल्मोड़ा 1750
बागेश्वर 771
चमोली 1582
नैनीताल 4119
चंपावत 1719
देहरादून 7524
हरिद्वार 4881
पौड़ी 1562
पिथौरागढ़ 1161
रूद्रप्रयाग 822
उधमसिंहनगर 2355
टिहरी 1245
उत्तरकाशी 942
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राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के प्रति हर तरफ उत्साह दिखाई दे रहा है। हम उत्तराखंड में हर एक व्यक्ति का इस आयोजन से जुड़ाव चाहते हैं। सभी के सहयोग से उत्तराखंड में खेलों का यह महा आयोजन भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित कोच सुभाष राणा बोले, नेशनल गेम्स बहुत बड़ा अवसर

द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित कोच सुभाष राणा मानते हैं कि 38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी हमारे लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इस आयोजन के दौरान खेलों के लिए इतना बड़ा आधारभूत ढांचा उत्तराखंड में तैयार हो जाएगा, कि खेल प्रतिभाओं को प्रशिक्षण के लिए बाहर नहीं जाना पडे़गा। स्थिति ऐसी बदलेगी कि अन्य प्रदेशों के खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए यहां आने शुरू हो जाएंगे। राणा का यह भी कहना है कि सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ियों के अन्य प्रदेशों से खेलने पर भी रोक लग जाएगी। इस तरह से यह आयोजन खेल पलायन को भी रोकेगा। श्री राणा ने राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी को शुभकामनाएं भी दी।

द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने पर राणा का कहना है-जब आपके काम को मान्यता मिलती है, तो स्वाभाविक तौर पर उत्साह बढ़ता है और खुशी मिलती है। 38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखंड की मेजबानी को वह खेल विकास के लिए बहुत बडे़ अवसर के तौर पर देखते हैं। राणा के अनुसार-राष्ट्रीय खेल जहां भी होते हैं, वहां खेल का बड़ा आधारभूत ढांचा तैयार हो जाता है। इससे खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने और निखरने का अवसर मिलता है। खेल का जो आधारभूत ढांचा उत्तराखंड में दस-बीस वर्षों बाद तैयार होना था, वह राष्ट्रीय खेलों की वजह से कुछ दिनों में ही तैयार मिलेगा। नई प्रतिभाओं को आगे आने में इससे बहुत लाभ मिलेगा। उत्तराखंड खेलों में नई ऊंचाइयां प्राप्त करेगा।

उत्तराखंड से खेलने के लिए कर रहे संपर्क

विभिन्न खेलों में अन्य प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर रहे कई खिलाड़ी अब उत्तराखंड से खेलने के इच्छुक हैं। सुभाष राणा ने एक बातचीत में इस बात की पुष्टि की है। उत्तराखंड की शूटिंग फेडरेशन से जुडे़ सुभाष राणा के अनुसार-ऐसे कई खिलाड़ियों ने उनसे संपर्क किया है। कई खिलाड़ी खेलों की अन्य फेडरेशन से भी संपर्क कर रहे हैं।

खिलाड़ी/कोच बतौर ये हैं उपलब्धियां

जाने-माने शूटर रहे सुभाष राणा के खाते में चार अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण और दो रजत पदक शामिल हैं। उन्होंने वर्ष 1994 में इटली और वर्ष 1998 में स्पेन में हुई विश्व शूटिंग चौंपियनशिप में भाग लिया था। एक कोच के तौर पर उनकी उपलब्धियों की चर्चा करें, तो वर्ष 2020 में टोक्यो पैरालंपिक में शामिल हुई शूटिंग टीम को उन्होंने प्रशिक्षित किया था। इस टीम ने पैरालंपिक में पांच मेडल जीते थे। भारतीय पैरा शूटिंग टीम के वह लंबे समय तक प्रशिक्षक रहे हैं।
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द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चयनित होने पर सुभाष राणा को हार्दिक बधाई। उन्होंने उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। खेल क्षेत्र में उत्तराखंड दिन प्रतिदिन आगे बढ़ रहा है। अब राष्ट्रीय खेलों का आयोजन खेल विकास में एक नई इबारत लिखेगा। खेलों में उत्तराखंड और देश का नाम आगे बढ़ान वाले सभी खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों से मेरी अपील है कि वे राष्टीय खेलों में अपनी भागीदारी निभाएं।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

राष्ट्रीय खेल उत्तराखण्ड को खेल भूमि के रूप में भी स्थापित करेंगेः धामी

उत्तराखण्ड में 28 जनवरी से 14 फरवरी 2025 तक होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए सभी तैयारियां बेहतर व्यवस्थाओं के साथ पूर्ण की जाएं। राष्ट्रीय खेल का आयोजन प्रदेश के लिए न केवल गौरव का विषय है, बल्कि यह प्रदेश की खेल संस्कृति और विकास को प्रोत्साहन देने का भी महत्वपूर्ण अवसर है। राष्ट्रीय खेल उत्तराखण्ड को खेल भूमि के रूप में भी स्थापित करेंगे। यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में राष्ट्रीय खेल की तैयारियों की समीक्षा के दौरान कही।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाय कि खिलाड़ियों के लिए सभी सुविधाएं उच्च गुणवत्ता वाली और सुगम हों। नेशनल गेम्स के सफल आयोजन के लिए प्रत्येक विभाग से एक नोडल अधिकारी की तैनाती की जाए। खिलाड़ियों के रहने की व्यवस्था, खान-पान, परिवहन और आयोजन स्थल तक पहुंचने की सभी सुविधाओं का प्रबंधन और निगरानी की समुचित व्यवस्था की जाए। भोजन की गुणवत्ता और पौष्टिकता का विशेष ध्यान रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि राष्ट्रीय खेलों के बेहतर आयोजन के लिए सभी व्यवस्थाओं की प्रत्येक दिन समीक्षा की जाए। खेल मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री समय-समय पर राष्ट्रीय खेल के तैयारियों की समीक्षा करेंगे और विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सभी स्पोर्ट्स उपकरण की खरीदते समय उनकी गुणवत्ता और मानकों का पूरा ध्यान रखा जाए। आयोजन स्थलों पर चिकित्सा सुविधाओं का पुख्ता इंतजाम किया जाए। खेलों के दौरान किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाए। आयोजन स्थलों पर सुरक्षा के दृष्टिगत सीसीटीवी कैमरों और सिक्योरिटी की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि आयोजन स्थलों पर पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाए। प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उत्तराखण्ड में होने वाले राष्ट्रीय खेलों का आयोजन ग्रीन गेम्स की थीम पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयोजन स्थलों पर आने-जाने वाले आगंतुकों के लिए पेयजल एवं शौचालय की उचित व्यवस्था के साथ ही स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन के लिए सभी विभाग पूरे समन्वय से कार्य करें। इस आयोजन को सफल बनाने में जिलाधिकारियों की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में होने वाले राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन के लिए प्रदेश की जनता का सहयोग भी लिया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि खेल आयोजन स्थलों पर सभी संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारी के साथ व्यवस्थाओं को बेहतर बनायेंगे। सड़क कनेक्टिविटी, स्वच्छता और खेलों के लिए सभी बेहतर व्यवस्थाओं पर उन्होंने विशेष बल दिया। राष्ट्रीय खेलों के दृष्टिगत फायर सेफ्टी ऑडिट के भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं।

भारतीय ओलंपिक संघ से 38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए बनाई गई गेम्स टेक्निकल कंडक्ट कमेटी की अध्यक्ष सुनैना कुमारी ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों के लिए उत्तराखण्ड में तैयारियां बेहतर ढंग से हो रही हैं। अवस्थापना सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है। कमेटी के सदस्य दिग्विजय सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी बहुत अच्छा कार्य हुआ है। खेलों के आयोजन के लिए तैयारियां भी ठीक ढंग से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से पहले हर स्टेडियम का ट्रायल होगा तो सभी खेल सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सकेंगे। इस अवसर पर गुजरात एवं गोवा में आयोजित राष्ट्रीय खेलों के अनुभवों को भी वहां के अधिकारियों ने साझा किया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने तीरंदाजी के खिलाड़ियों से भेंट की तथा स्वयं भी तीरंदाजी में प्रतिभाग कर खिलाडियों का उत्साह बढाया।

इस अवसर पर खेल मंत्री रेखा आर्या, विधायक उमेश शर्मा काऊ, अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आंनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, एल. फैनई, विशेष प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा, सचिवगण, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।