राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए प्रस्तुत

रक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में विभिन्न प्रदेशों एवं मंत्रालयों की झांकी कलाकारों द्वारा प्रेस के सम्मुख अपने-अपने राज्यों की सांस्कृतिक झलक पेश की गयी। उत्तराखण्ड राज्य के कलाकारों द्वारा उत्तराखण्ड की पारंपरिक वेशभूषा में राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसे उपस्थित लोगों द्वारा सराहा गया। साथ ही इन 16 राज्यों के कलाकारों द्वारा भी अपने-अपने प्रदेश की झांकी के साथ पारंपरिक वेशभूषा में प्रस्तुति दी गई। गणतंत्र दिवस समारोह में इस वर्ष 17 राज्यों की झांकी सम्मिलित की गई है।

उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी में सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक एवं नोडल अधिकारी के.एस. चैहान के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से 18 कलाकार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड झांकी में भाग ले रहे हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर उत्तराखण्ड की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय “मानसखण्ड” रखा गया है। गणतंत्र दिवस समारोह पर कर्तव्य पथ उत्तराखंड राज्य की झांकी मार्च पास्ट करते हुए चतुर्थ स्थान पर देखने को मिलेगी। झांकी के अग्र तथा मध्य भाग में कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करते हुए हिरन, बारहसिंघा, घुरल, मोर तथा उत्तराखण्ड में पाये जाने वाली विभिन्न पक्षियों व झांकी के पृष्ठ भाग में प्रसिद्ध जागेश्वर मन्दिर समूह तथा देवदार के वृक्षों को दिखाया जायेगा साथ ही उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक कला ‘ऐपण’ का भी झांकी के मॉडल में समावेश किया गया है। झांकी के साथ उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए छोलिया नृत्य का दल सम्मिलित किया गया है। झांकी का थीम सांग उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि कर्तव्य पथ पर इस बार उत्तराखण्ड की झांकी “मानसखण्ड” सबके लिये आकर्षण का केन्द्र रहेगी। उन्होंने बताया कि श्री केदारनाथ व श्री बदरीनाथ की तर्ज पर कुमाऊ के पौराणिक मंदिरों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मानसखण्ड मंदिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है। गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर मानसखण्ड पर आधारित झांकी का प्रदर्शन होगा। देश विदेश के लोग मानसखण्ड के साथ ही उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति से भी परिचित होंगे। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक भूमि उत्तराखण्ड में जहाँ एक ओर जीवन दायिनी गंगा, यमुना बहती है तथा दूसरी ओर चार-धाम पवित्र तीर्थस्थल विद्यमान हैं। उत्तराखण्ड आध्यात्मिक शांति और योग के लिये अनुकूल धरती है। इसलिए उत्तराखण्ड को देवभूमि भी कहा जाता है।

उत्तराखण्ड राज्य की झांकी का निर्माण स्मार्ट ग्राफ आर्ट एडवर्टाइजिंग प्रा0लि0 के निदेशक सिद्धेश्वर कानूगा द्वारा किया जा रहा है।

इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जायेगा।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आयोजित उत्तराखण्ड दिवस में मुख्यमंत्री ने की शिरकत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान मे चल रहे 41वें भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के तहत उत्तराखण्ड पवेलियन में उत्तराखण्ड दिवस समारोह एवं इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर नाट्यशाला थियेटर में उत्तराखण्ड के लोक कलाकारों द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। इस वर्ष व्यापार मेले की थीम “वोकल फार लोकल, लोकल टू ग्लोबल” रखी गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास में उत्तराखण्ड के साथ प्रवासी उत्तराखण्ड वासियों का बड़ा योगदान है। राज्य के विकास की यह हम सबकी सामूहिक विकास यात्रा है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रवासी उत्तराखण्डवासी हमारे राज्य के ब्रांण्ड एम्बेसडर हैं। उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला जैसे आयोजन विभिन्न राज्यों की प्रगति से परिचित का अवसर प्रदान करते हैं। यह व्यापार मेला उत्तराखण्ड के लोगों की जीवन्त सहभागिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उत्तराखण्ड पवेलियन में “वोकल फार लोकल, लोकल टू ग्लोबल” थीम के अनुसार उत्तराखण्ड में हो रहे सतत विकास का प्रस्तुतीकरण, राज्य सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी के साथ-साथ प्रदेश के हथकरघा एवं हस्तशिल्प, राज्य के कृषि एवं उद्यान क्षेत्र के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है, जिससे राज्य को पहचान मिलेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश के लिए अच्छी कानून व्यवस्था, स्वच्छ पर्यावरण, रेल, सड़क तथा वायु परिवहन की सुविधाए सस्ती एवं निर्बाध विद्युत आपूर्ति तथा अप्रदूषित जल संसाधन उपलब्ध हैं। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश को निवेश के लिए एक सर्वाधिक उपयुक्त डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की दिशा में लगातार सक्रियता के साथ प्रयास किया जा रहा है। विगत वर्षाे में हमारे द्वारा निवेश के अनेक अवसरों के अधिकाधिक उपयोग का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य निवेशकों के लिए न केवल एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में प्रतिस्थापित हुआ है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में राज्य सरकार सतत प्रयत्नशील है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश और देशवासियों में आशा, विश्वास और नई ऊर्जा का संचार हुआ है। उनके नेतृत्व में देश हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत का मान, सम्मान एवं स्वाभिमान बढ़ा है। देश में नई कार्य संस्कृति की शुरुआत हुई है। समरस, समर्थ एवं शक्तिशाली भारत की पहचान देश व दुनिया में हुई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन का कार्य कर ही है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन एवं केन्द्र सरकार के सहायोग से प्रदेश में रेल लाइन के निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है। रोड़ नेटवर्क, चारधाम, ऑलवेदर रोड, भारत माला श्रृंखला की सड़कें एक कोने से दूसरे कोने को जोड़ने का कार्य कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 5 नवम्बर, 2021 को बाबा केदार की भूमि से कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा, इसी का प्रतिफल है कि इस बार चारधाम यात्रा में लगभग 46 लाख से अधिक रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालु कांवड यात्रा में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने का हमारा प्रयास निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि हेमकुण्ड साहिब व केदारनाथ धाम के लिए रोपवे का शिलान्यास हो चुका है। जो यात्रा तीन से चार दिन में होती थी वह अब कुछ ही घंटों में हो सकेगी, यात्रा अब सुगम, सरल होगी।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड अनेक प्रकार की प्राकृतिक संपदाओं से युक्त है। प्रदेश का लगभग 70 प्रतिशत भूभाग प्राकृतिक सुंदरता व वनों से घिरा हुआ है जो पर्यटन, उद्यानिकी के लिये अनुकूल है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में जो बेस्ट प्रैक्टिसेज हुई हैं उनको अपना कर हम विकास के मॉडल को खड़ा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पूरे देश व दुनिया को शुद्ध जल व पर्यावरण देने का कार्य करता है, प्रदेश के विकास का मॉडल इकोलाजी व इकोनॉमी दोनों को संतुलित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोजगार के अवसर को बढ़ाने के लिये हमने नीतियों में संशोधन कर आवश्यक सुझावों को भी जोड़ा है। प्रदेश में फिल्म सिटी, होटेल्स के लिए स्थान चयनित कर निवेशकों को आकर्षित करने का कार्य किया जा रहा है, इसके लिये लैंड बैंक की व्यवस्था की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी अल्मोड़ा में आजीविका महोत्सव आयोजित किया गया था, आजीविका महोत्सव में रूरल बिजनेस इक्यूबेटर (आर0बी0आई0) की संख्या में एक साल के अन्दर 03 गुना वृद्धि हुई है। राज्य के परम्परागत उत्पाद तथा हस्त निर्मित उत्पादों को देश-विदेश में पहचान मिलने से राज्य के लोगों की आजीविका एवं आर्थिकी में वृद्धि होगी तथा रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के प्रवासियों तथा देश व विदेश से आने वाले निवेशकों को हर सम्भव सुविधा एवं सहायता उपलब्ध कराने के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य आपके साथ मिलकर एक समृद्ध उत्तराखण्ड का निर्माण करना है। प्रदेश सरकार सदैव आपके सहयोगी की भूमिका में आपके साथ है और हम सब मिलकर ही एक आदर्श उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण की परिकल्पना को पूर्ण कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रवासी उत्तराखण्ड वासियों से पर्व व त्योहारों पर अपने पैतृक स्थान में आने तथा उत्कृष्ट उत्तराखण्ड बनाने में अपना योगदान देने की भी अपील की।

इस अवसर पर सांसद अजय टम्टा, सचिव उद्योग डॉ पंकज कुमार पाण्डेय, सचिव संस्कृति हरि चंद्र सेमवाल, स्थानिक आयुक्त उत्तराखण्ड अजय मिश्रा, उद्योग निदेशक सुधीर चन्द्र नौटियाल, संस्कृति निदेशक बीना भट्ट, पैवेलियन निदेशक के0 सी0 चमोली आदि उपस्थित थे।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री की अध्यक्षता में हुई किशाऊ बांध बहुउद्देशीय परियोजना बैठक, सीएम भी हुए शामिल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में किशाऊ बांध बहुद्देशीय परियोजना पर आयोजित बैठक में प्रतिभाग किया। बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वर्चुअल प्रतिभाग किया।

बैठक में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने परियोजना के संबंध में अपने-अपने राज्य का पक्ष रखा।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि परियोजना डीपीआर की लागत बढ़ने की दशा में विद्युत घटक लागत को स्थिर रखा जाए अथवा बढ़ी हुई विद्युत घटक लागत को अन्य चार लाभार्थी राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली द्वारा वहन किया जाए। ताकि राज्य के उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर विद्युत आपूर्ति उपलब्ध हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राष्ट्रीय परियोजना, उत्तराखण्ड के विकास हेतु मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि परियोजना विकास की अवधि में स्थानीय निवासियों व ग्रामीणों को आय वृद्धि के विभिन्न संसाधन यथा स्थाई व अस्थाई रोजगार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होंगे। क्षेत्र के विकास व जनकल्याण हेतु समय- समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से क्षेत्र विशेष हेतु लाभप्रद योजनाएं विकसित की जाएगी, जिससे पलायन की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा।

केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज की बैठक में उठाए गए बिंदुओ पर विचार विमर्श कर जल्द ही अगली बैठक आयोजित की जाएगी।

गौरतलब है कि किशाऊ बहुउद्देशीय बाँध परियोजना के क्रियान्वयन का कार्य उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम किशाऊ कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना को फरवरी 2008 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। किशाऊ बाँध परियोजना एशिया का दूसरी सबसे बड़ी बाँध परियोजना होगी। जिसे इसकी ऊंचाई 236 मीटर एवं लम्बाई 680 मीटर होगी। किशाऊ परियोजना उत्तराखण्ड राज्य के जनपद देहरादून एवं हिमाचल प्रदेश के जनपद सिरमौर में टोंस नदी पर प्रस्तावित है, इसमें 1324 एम0सीए०एम० जीवत भण्डारण द्वारा 97076 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, 617 एम०सी०एम० पेयजल एवं औद्योगिक उपयोग हेतु जल प्राप्त होगा, जिससे तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान की सिंचाई आवश्यकता तथा दिल्ली की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति की जा सकेगी, साथ ही साथ 660 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन होगा, जिससे 1379 एम०यू० हरित विद्युत ऊर्जा प्राप्त होगी जो कि उत्तराखण्ड व हिमाचल प्रदेश को बराबर-बराबर प्राप्त होगी।

केन्द्रीय जल आयोग द्वारा परियोजना की कुल लागत मार्च, 2018 के मूल्य स्तर के अनुसार रू० 11550 करोड़, जिसमें जल घटक की लागत रु. 10013.96 करोड़ एवं विद्युत घटक की लागत रु. 1536.04 करोड़ आंकी गई है। वर्तमान में परियोजना की डीपीआर का कार्य प्रगति पर है, जिसमें परियोजना की लागत बढ़ने का अनुमान है।
राष्ट्रीय परियोजना होने के दृष्टिगत परियोजना के क्रियान्वयन हेतु जल घटक लागत (सिंचाई एवं पीने का पानी) का 90 प्रतिशत वित्तीय पोषण भारत सरकार द्वारा एवं 10 प्रतिशत वित्तीय पोषण लाभार्थी राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा तथा विद्युत घटक लागत को उत्तराखण्ड व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से बराबर-बराबर वहन किया जाना है।

बैठक में उत्तराखण्ड से सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, हरि चंद्र सेमवाल व जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।

वित्त मंत्री अग्रवाल ने किया नई दिल्ली में निर्माणाधीन उत्तराखंड निवास का निरीक्षण

उत्तराखण्ड के वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने नई दिल्ली में निर्माणाधीन भवन ‘उत्तराखण्ड निवास’ का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य, गुणवत्ता बनाए रखते हुए तय की गई समय सीमा में पूरा करना सुनिश्चित किया जाए। कैबिनट मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने उत्तराखण्ड निवास के नक्शे का अवलोकन करते हुये भवन के सभी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी ली। इसके अलावा निर्माणाधीन भवन में गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था की भी जानकारी ली।

उल्लेखनीय है कि 3, गोपीनाथ बारदोलाई मार्ग, चाणक्यपुरी नई दिल्ली में जून 2020 से उत्तराखण्ड निवास का काम शुरू किया गया। भवन में तीन बेसमेंट होंगे। भवन में भू-तल को सम्मिलित करते हुए कुल सात तल बनाए जाएंगे। भवन उत्तराखण्ड वास्तुकला शैली में बनाया जायेगा। ग्रीन भवन की तर्ज पर बनाए जा रहे इस भवन का अपना सीवेज सोधन संयत्र होगा। भवन में 50 किलो वाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट भी है। उत्तराखण्ड निवास का निर्माण कार्य संभावित 2023 तक पूरा कर लिया जायेगा।

इस अवसर पर स्थानिक आयुक्त डॉ0 वीवीआरसी पुरूषोत्तम व उत्तराखण्ड पेयजल निगम के सहायक अभियन्ता अरविन्द सैनी उपस्थित थे।