दिव्यांगों के लिए कृत्रिम अंग वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में दिव्यांगजनों के लिए कृत्रिम अंग वितरण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। महावीर सेवा सदन एवं परमार्थ निकेतन द्वारा संयुक्त रूप से कृत्रिम अंग वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराये गये।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परमार्थ के कार्य में लगे महावीर सेवा सदन एवं परमार्थ निकेतन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस सेवा भाव से इनके द्वारा दिव्यांगों के कल्याण के लिए कार्य किये जा रहे हैं, यह सराहनीय प्रयास है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं तो उसका अलग आत्मीय सुख होता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दिव्यांगजनों से भेंट की एवं उनका उत्साहवर्द्धन किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि दिव्यांगता मुक्त उत्तराखण्ड के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। दिव्यांगों के कल्याण के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। अनेक सामाजिक संस्थाएं भी इनके कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। उत्तराखण्ड को दिव्यांगता मुक्त बनाने के लिए सभी को संकल्प लेना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नये भारत का नारा जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान एवं जय अनुसंधान है। देवभूमि उत्तराखण्ड से हमें ‘जय दिव्यांग’ के नारे को आगे बढ़ाकर दिव्यांगता मुक्त उत्तराखण्ड की शुरूआत करनी है। उन्होंने कहा कि 2024 तक उत्तराखण्ड को क्षय रोग मुक्त एवं 2025 तक ड्रग्स फ्री उत्तराखण्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, महावीर सेवा सदन से देवेन्द्र राज मेहता एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

हिमालय दिवस पर सीएम ने दिलाई शपथ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने श्री हरि मंदिर रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने हिमालय के संरक्षण हेतु शपथ दिलवाई एवं श्रीमद्भागवत गीता के ऊपर संक्षेप व सरल भाषा में लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों धारों, नालों के अध्ययन, संरक्षण और संवर्धन के लिए एक कमेटी के गठन किए जाने की बात कही, जो विभिन्न प्रयासों से हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने और संरक्षित करने का हर संभव प्रयास करेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी है। सरकार के दोनों दायित्व तय हैं, जहां एक ओर हिमालय के संरक्षण के प्रति गंभीर रहना है, तो दूसरी ओर विकास के प्रति भी उतना ही दायित्व निभाना है, ताकि हिमालय का पर्यावरण सुरक्षित रहे और यहाँ के निवासियों की आर्थिकी भी। समूचे हिमालय से जुड़े राज्यों के लिए यहाँ की अलग भौगोलिक और स्थानीय परिस्थिति के अनुकूल अलग विकास मॉडल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने नीति आयोग की बैठक में भी हिमालय के महत्वपूर्ण सरोकारों से जुड़े मुद्दों को साझा किया और इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव और प्रस्ताव साझा किए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सामाजिक विकास की आवश्यकता है, हमें इकॉलोजी एवं इकोनॉमी को साथ में रखते हुए कार्य करना होगा। हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करना है। जब हिमालय बचा रहेगा, तभी जीवन बचा रहेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय का किसी राज्य व देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये महत्व है। हिमालय के संरक्षण का दायित्व, हम सभी का है। हिमालय के संरक्षण के लिये यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। विकास के साथ ही प्रकृति के साथ भी संतुलन बनाना होगा। प्रकृति के संरक्षण के लिये हिमालय का संरक्षण आवश्यक है। हिमालयी राज्यों को विकास के दृष्टिगत पारिस्थितिकी और आर्थिकी के समन्वय पर ध्यान देने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्ड वासियों के स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व, प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का परिणाम है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत है। सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं।

परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्य का प्रत्येक व्यक्ति हिमालय का प्रहरी है। हिमालय जैसे विराट भूभाग का संरक्षण ही असल मायनों में हमारे भविष्य का संरक्षण है। उन्होंने कहा गंगा, जलाशय, प्राकृतिक संसाधनों, ग्लेशियर का संरक्षण के साथ ही हिमालय का संरक्षण मुमकिन है। मां गंगा का अस्तित्व हिमालय एवं ग्लेशियर के अस्तित्व पर आधारित है, उन्होंने मुख्यमंत्री श्री धामी को एकल हनुमान सम्मान प्रदान करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री धामी पर्यावरण के संरक्षण में हनुमान की तरह संकल्पित होकर अथक परिश्रम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड का वातावरण एवं पर्यावरण पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। उन्होंने कहा यहां आने से नई ऊर्जा मिलती है। हिमालय के संरक्षण के साथ ही जीवनदायिनी मां गंगा का संरक्षण भी बेहद जरूरी है एवं पर्यावरण के संरक्षण में सभी की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने हर शुभ कार्य से पहले पौधारोपण एवं उत्तराखंड के साथ ही पूरे भारत को प्लास्टिक मुक्त किए जाने हेतु आग्रह किया।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज एवं बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति पर्यावरण के साथ ही हिमालय ग्लेशियर का संरक्षण बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वन विभाग जंगलों, प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के कार्य में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा हम सभी एवं आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण और हिमालय के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संकल्पबद्ध होना पड़ेगा।

पद्मश्री डॉ अनिल जोशी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण हेतु चर्चा विचार एवं मंथन यहां के निवासियों, एनजीओ, शोध संस्थानो द्वारा गंभीरता से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा हिमालय के संरक्षण के साथ, वहां के मूल निवासियों का संरक्षण भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा हमारा भविष्य तभी सुरक्षित है, जब हिमालय सुरक्षित होगा।

इस अवसर पर विधायक रेनू बिष्ट, विधायक भोपाल राम टम्टा, जिलाधिकारी पौड़ी विजय कुमार जोगदंडे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी जसवंत सिंह चौहान, एकल भारत लोक शिक्षा परिषद से नीरज राय एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

स्वामी चिदानंद से अपने जन्मदिन पर किया संघ प्रमुख को आमंत्रित

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कनखल हरिद्वार में आयोजित श्री अखिल भारतीय वेदांत सम्मेलन के अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत से भेंट की।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने उन्हें तीन जून को अपने जन्म दिन पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए परमार्थ निकेतन में आमंत्रित किया।

संघ प्रमुख से भेंटवार्ता के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि राष्ट्रवादी हिन्दुत्व के पुरोधा गुरुजी माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर से लेकर वर्तमान राष्ट्रऋषि और सनातन धर्म प्रेमियों के हृदय सम्राट आदरणीय मोहन भागवत तक की जो परंपरा है उस परंपरा ने वर्तमान युग में नई दृष्टि और भारतीय संस्कारों के साथ आगे बढ़ाने का संदेश दिया।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मोहन भागवत ने समाज को समता, समरसता और सद्भाव के सूत्रों से बांधे रखा हैं और वे पूरे भारत को एक नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। आज इसी दृष्टि की आवश्यकता है। यही भागवत और भगवत दृष्टि है।

इस दृष्टि को आगे बढ़ाते हुए महापुरुषों ने जो पथ दिखाया है ष्इदम् राष्ट्राय स्वाहा, इदम् राष्ट्राय, इदम् न मम’’ के दिव्य सूत्र के साथ सभी अपने आप को राष्ट्र को समर्पित करें।

हिंदू नववर्ष समृद्धि एवं समरसता का प्रतीकः स्वामी चिदानंद

हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रारम्भ होता है। परमार्थ निकेतन में नव वर्ष की पर्व संध्या पर दीपदान कर विश्व शान्ति की प्रार्थना की। नव वर्ष का स्वागत करते हुये परमार्थ परिवार के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में माँ गंगा के पावन तट पर दीपदान किया।

हिंदू पंचांग, ज्योतिष और धार्मिक आधार पर चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सम्पूर्ण सृष्टि और समस्त लोकों का सृजन किया था और इसी पावन तिथि को भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी हुआ था।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि चौत्र शुक्ल प्रतिपदा नई आशा, आनंद और खुशी का त्योहार है। यह पर्व देश की समग्र संस्कृति और समृद्ध विरासत का भी प्रतीक है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार नव संवत्सर चौत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होता है और इसी दिन सृष्टि का प्रारम्भ हुआ। इस पवित्र दिन से हम सभी मिलकर सद्भाव, समरसता, सम्मान और समानता की सृष्टि का प्रारम्भ करें ताकि समाज का तानाबाना व्यवस्थित बना रहे। हम सभी का सम्मान करते हुये अपने मूल से; मूल्यों से; अपनी जड़ों से; अपने धर्म की जड़ों से तथा सांस्कृतिक विचारों से जुड़ें रहे क्योंकि विचार ही सबसे बड़ी वैक्सीन है।

विक्रम संवत नववर्ष की शुरुआत को चिह्नित करता है जिसे वैदिक हिंदू, कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है। विक्रम संवत उस दिन से संबंधित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया और एक नए युग का आह्वान किया। तब खगोलविदों ने चंद्र-सौर प्रणाली के आधार पर एक नया कैलेंडर बनाया जिसमें चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला माह है और प्रतिपदा तिथि चौत्र माह के ‘वर्द्धित चरण’ का पहला दिन है। जिसमें चंद्रमा का दृश्य हर रात बड़ा होता जाता है इसलिये इसे उन्नति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।

प्रतिपदा की तिथि ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है। इस समय चारों ओर पूरे वातावरण में भीनी-भीनी सुगंध फैली होती है, नयी फसलें भी पककर तैयार हो जाती हैं जिसके भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नवजीवन का संचार होता है इसलिये हिंदू सौर नववर्ष को समृद्धि और समरसता का प्रतीक भी कहा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं इसलिये किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने का यह शुभ अवसर होता है।

ज्ञात हो कि 2078 वर्ष पहले सम्राट विक्रमादित्य ने अपना राज्य स्थापित किया था। जिनके नाम पर विक्रमी सम्वत् आरम्भ हुआ, कहा जाता है कि उनका राज्य समृद्धि और सम्पन्नता से युक्त था। धार्मिक, गणितीय और वैज्ञानिक काल गणना पद्धति पर आधारित हिन्दू नववर्ष हमारी पुरातन संस्कृति का आधार है।

अमिताभ बच्चन ने माँ गंगा के पावन तट पर व्यतीत किये विश्रांति के क्षण

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी से मुलाकात की। उन्होंने स्वामी जी का आशीर्वाद भी प्राप्त किया। इस मौके पर उन्होंने विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भी सहभाग किया। अमिताभ बच्चन को स्वामी चिदानंद सरस्वती ने रूद्राक्ष का पौधा, रूद्राक्ष की माला और सद्साहित्य भी भेंट किया।

परमार्थ निकेतन में अमिताभ बच्चन ने बड़ी ही विनम्रता और सहजता से परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों का अवलोकन किया। बता दें कि बीते 26 व 27 मार्च को परमार्थ निकेतन परिसर में मेगास्टार अमिताभ बच्चन, अभिनेत्री रश्मिका मंदाना, सह अभिनेता सुनील ग्रोवर और अन्य कलाकारों ने निर्देशक विकास बहल द्वारा निर्देशित फिल्म गुडबाय के कुछ दृश्यों को परमार्थ निकेतन की यज्ञशाला, आश्रम परिसर और बगीचों में फिल्माया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारतीय फिल्म जगत बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध अभिनेता और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र मेगास्टार अमिताभ बच्चन का परमार्थ निकेतन में अभिनन्दन करते हुये कहा कि अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्मों के माध्यम से अनेक कीर्तिमान स्थापित किये। बच्चन परिवार ने भारत और भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। हरिवंश राय बच्चन जीवन और यौवन, सत्य और सौन्दर्य तथा प्रेम के अप्रतिम कवि थे जिन्होंने भारतीय काव्य और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान दिया।

स्वामी जी ने कहा कि हमारा उत्तराखंड फिल्मों के लिये बेस्ट डेस्टिनेशन है। यहां पर बेस्ट स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन, बेस्ट वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन, बेस्ट एडवेंचर डेस्टिनेशन और हिमालय की पवित्र वादियाँ व माँ गंगा जी का पावन तट अपने आप में एक बेस्ट डेस्टिनेशन है जो की अब दुनिया के सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन में से एक बनता जा रहा है। अब तक उत्तराखंड में अनेक फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है और आगे भी हमें अपने प्यारे प्रदेश को दुनिया का बेस्ट डेस्टिनेशन बनाये रखने के लिये हमें पहाड़ों की संस्कृति, संस्कारों के जीवंत बनाये रखने के साथ इस प्रदेश को हरित और स्वच्छ बनाये रखना होगा।

एनएसएस स्वयंसेवियों ने गंगा स्वच्छता का महत्व जाना

राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश के एनएसएस शिविर के छठे दिन की शुरुआत योग से हुई। सुबह स्वयंसेवियों ने योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास किया। उसके बाद स्वयं सेवी परमार्थ निकेतन पहुंचे। जहां परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने सभी स्वयंसेवियों को गंगा स्वच्छता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छता रखना हम सभी का कर्तव्य है। इस दौरान स्वयंसेवियों ने गंगा स्वच्छता का संकल्प लिया।

साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा छात्र-छात्राओं का उत्साह वर्धन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया। इस दौरान सात हजार लोगों को स्वामी चिदानंद सरस्वती ने गंगा स्वच्छता की शपथ भी दिलाई।

मौके पर वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अशोक कुमार मेंदोला, कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रीति खंडूरी, डॉ. पारूल मिश्रा, अमित रतूड़ी, निजाम आलम, नितेश चमोली, कोमल शर्मा, सृष्टि आर्य, प्रियांशी, अनामिका, अमन, यश गर्ग, प्रीति, भोले शंकर, सपना, आकांक्षा कुमारी, स्वाति बधानी, आस्था, शिक्षा राणाकोटी, अंजलि बिष्ट, संध्या, ज्योति मौर्य, सपना आदि उपस्थित रहे।