सीएम से मिले जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में भारतीय सेना की मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्य सेनगुप्ता ने शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य एवं नागरिक प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने को लेकर विचार-विमर्श हुआ।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय सेना न केवल देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि नागरिक समाज के साथ समन्वय स्थापित कर विकासात्मक कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता कर रही है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य उत्तराखंड में सेना द्वारा स्थानीय समुदायों की सहायता हेतु विभिन्न सामाजिक उत्तरदायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया जा रहा है। इसके साथ ही, प्राकृतिक आपदाओं के समय सेना द्वारा राहत एवं बचाव कार्यों में जो सराहनीय सहयोग प्रदान किया जाता है, वह अत्यंत प्रशंसनीय है।

मुख्यमंत्री ने भारतीय सेना के योगदान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आश्वस्त किया कि राज्य सरकार, सेना की सभी महत्वपूर्ण पहलों में पूर्ण सहयोग प्रदान करती रहेगी।

लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने मुख्यमंत्री को सीमांत क्षेत्रों के समग्र विकास हेतु मध्य कमान द्वारा संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना, सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक विकास हेतु भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, सामुदायिक सहभागिता, युवाओं के साथ संवाद और अग्रिम क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव दीपेंद्र चौधरी, विनोद कुमार सुमन और अन्य सैन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

अंतर्राष्ट्रीय टाइगर दिवसः सीएम धामी ने की घोषणा, टाइगर फोर्स में होगी अग्निवीरों की तैनाती

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंतर्राष्ट्रीय टाइगर दिवस के अवसर पर घोषणा की है कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में स्थापित की जा रही टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में उत्तराखंड के अग्निवीरों को सीधी तैनाती दी जाएगी। टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में 80 से अधिक युवाओं की भर्ती होगी। इस बल का प्राथमिक उद्देश्य बाघों और उनके आवास की सुरक्षा को मजबूत करना है। इससे न केवल बाघ संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिलेगी बल्कि अग्निवीर योजना के तहत प्रशिक्षित युवाओं को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का उद्देश्य

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस फोर्स की स्थापना से वृहद बाघ संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी तथा अवैध शिकार पर रोक लगेगी टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का मुख्य काम बाघों के अवैध शिकार को रोकना होगा। प्रशिक्षित जवान वन क्षेत्रों में गश्त करेंगे, खुफिया जानकारी इकट्ठा करेंगे और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। इससे वन्यजीव अपराधों पर नियंत्रण के साथ ही यह फोर्स वन और वन्यजीव से संबंधित अन्य अपराधों जैसे लकड़ी की तस्करी, अवैध खनन और अतिक्रमण पर भी नियंत्रण रखेगी।

मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन में भी सहयोगी बनेगी यह फोर्स

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाघों के प्राकृतिक आवास का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। यह फोर्स वनों की कटाई और उनके आवास को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोकने में मदद करेगी तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष का प्रबंधन में भी सहयोगी बनेगी, उन्होंने कहा कि कई बार बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष होता है। यह फोर्स ऐसी स्थितियों को संभालने और नियंत्रित करने में प्रशिक्षित होगी, ताकि दोनों पक्षों को नुकसान न हो। इस फोर्स को आधुनिक निगरानी तकनीकों, जैसे ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और जीपीएस ट्रैकिंग से लैस किया जा सकता है, जिससे उनकी दक्षता बढ़ेगी।

बाघ संरक्षण में भारतीय सेना (अग्निवीरों) की भागीदारी

उत्तराखंड के अग्निवीरों की सीधी तैनाती बाघ संरक्षण में भारतीय सेना (या सेना से प्रशिक्षित कर्मियों) की भागीदारी का एक अनूठा उदाहरण है। अग्निवीर भारतीय सेना द्वारा कठोर अनुशासन और प्रशिक्षण से गुजर चुके होते हैं। यह प्रशिक्षण उन्हें शारीरिक रूप से फिट, मानसिक रूप से मजबूत और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करता है। यह गुण उन्हें वन गश्त और वन्यजीव अपराधों से निपटने में अत्यधिक प्रभावी बनाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना के जवान रणनीतिक योजना और त्वरित निर्णय लेने में निपुण होते हैं। अग्निवीरों को अक्सर आधुनिक हथियारों और संचार प्रणालियों के उपयोग का ज्ञान होता है, जो उन्हें वन्यजीव संरक्षण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा। अग्निवीर राष्ट्र सेवा की भावना से ओत-प्रोत होते हैं। वन्यजीव संरक्षण भी एक प्रकार की राष्ट्र सेवा है, और यह भावना उन्हें अपने कर्तव्य के प्रति अधिक समर्पित बनाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने से उन्हें क्षेत्र के भूगोल, मौसम और स्थानीय चुनौतियों की बेहतर समझ होगी, जिससे उनका काम और प्रभावी होगा।

यह पहल वृहद बाघ संरक्षण के प्रयासों को देगी मजबूती

मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व, जो भारत में बाघों के सबसे महत्वपूर्ण आवासों में से एक है, को अब एक अत्यधिक प्रशिक्षित और समर्पित बल की सुरक्षा मिलेगी। इससे अवैध शिकार की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है। अग्निवीरों की भर्ती से स्थानीय समुदाय भी संरक्षण प्रयासों में शामिल होगा, जिससे एक सकारात्मक माहौल बनेगा। उन्होंने कहा कि यदि यह मॉडल सफल होता है, तो इसे देश के अन्य बाघ अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों में भी दोहराया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बाघ संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह घोषणा बाघ संरक्षण के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाती है यह कदम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और उत्तराखंड में बाघों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

परमवीर चक्र विजेताओं की अनुग्रह राशि 50 लाख से बढ़ाकर की गई डेढ़ करोड़ः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क, देहरादून में कारगिल विजय दिवस (शौर्य दिवस) के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कारगिल शहीदों के परिवारजनों को भी सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान चमोली जिले के कालेश्वर में ई.सी.एच.एस एवं सैनिक विश्राम गृह का निर्माण किए जाने एवं नैनीताल में सैनिक विश्राम गृह बनाए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उपनल के माध्यम से पूर्व सैनिकों को रोजगार के लिए विदेश भेजा जाएगा। जिसमें 50 प्रतिशत सिविलियन भी होंगे। उपनल के माध्यम से राज्य के 22500 लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। जिनकी विनियमितीकरण की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर जवानों को देश हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कारगिल की घाटियों, पहाड़ों और हवाओं में भारत के जवानों का दुश्मन के खिलाफ किया गया युद्ध, आज भी उसी वेग से गूंज रहा है। कारगिल युद्ध के दौरान भारत के शूरवीरों ने अदम्य साहस, उत्कृष्ट रणनीति, अद्वितीय पराक्रम का परिचय देते हुए दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कारगिल युद्ध में वीर भूमि उत्तराखंड के 75 जवान शहीद हुए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के जवानों का मनोबल बढ़ाने के साथ ही सेना को अत्याधुनिक तकनीकों और हथियारों से लैस किया जा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से मात्र चार दिनों में पाकिस्तान को घुटनों के बल पर लाकर खड़ा कर दिया था। ऑपरेशन सिंदूर से दुश्मनों को साफ संदेश दिया कि भारत की बहन-बेटियों के सिंदूर उजाड़ने वालों का नामो निशान मिटा दिए जाते हैं। हमारी सेना दुश्मन की गोली का जवाब गोलों से देती है। उन्होंने कहा यह नया भारत है जो दुश्मनों की हर नापाक हरकत का करारा जवाब देता है।

मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में वन रैंक-वन पेंशन योजना, नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण, रक्षा बजट में वृद्धि एवं बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किए जाने से संबंधित कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने शहीदों के आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए, परमवीर चक्र से लेकर मेन्सन इन डिस्पैच तक सभी वीरता पुरस्कारों से अंलकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त तथा वार्षिक धनराशि में भी वृद्धि की है। परमवीर चक्र की अनुग्रह राशि 50 लाख से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा शहीदों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित किया जा रहा है और इसके लिए आवेदन करने की अवधि को भी 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया है। राज्य में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों के लिए परिवहन निगम की बसों में यात्रा की निःशुल्क व्यवस्था करने के साथ सेवारत व पूर्व सैनिकों हेतु 25 लाख रुपए तक की सम्पत्ति की खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट भी प्रदान की जा रही है।

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सेनाएं बहुत मजबूत हुई हैं। कारगिल युद्ध में सैकड़ों जवान शहीद हुए, जिसमें हमारे राज्य के 75 जवान शहीद हुए थे, जिसमें से 31 शहीद जवान देहरादून क्षेत्र के थे। उन्होंने कहा उत्तराखंड प्रदेश के अब तक 1831 जवान शहीद हुए हैं, जिनमें से 1528 जवानों को वीरता पुरस्कार मिला है। 344 विशिष्ट सेवा पदक हमारे उत्तराखंड के वीर जवानों को मिले हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सैनिकों के कल्याण के लिए कार्य कर रही है। राज्य सरकार द्वारा शहीद जवानों के परिवार के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का कार्य किया गया है। जिसके माध्यम से अब तक 37 लोगों को रोजगार मिला है।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, दायित्वधारी विनोद उनियाल, सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, मेजर जनरल सम्मी सबरवाल (से.नि), निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर अमृत लाल (से.नि), एमडी उपनल ब्रिगेडियर जे.एस.बिष्ट, (से.नि), ब्रिगेडियर के.जी बहल, (से.नि), जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, एसएसपी अजय सिंह अन्य सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिक एवं शहीदों के परिवारजन उपस्थित थे।

सीएम ने दिए जमरानी बांध परियोजना के कार्यों को दिसम्बर 2028 तक पूर्ण करने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि जमरानी बांध बहुद्देशीय परियोजना और सौंग बांध पेयजल परियोजना के कार्यों में और तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के तहत होने वाले कार्यों को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाए। जमरानी बांध परियोजना के कार्यों को पूर्ण करने का लक्ष्य जून 2029 तक रखा गया है, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इसे दिसम्बर 2028 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये हैं। सौंग बांध परियोजना को भी निर्धारित अवधि मार्च 2030 से पहले पूर्ण करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना

लगभग रू. 3808 करोड़ लागत की इस योजना के तहत 150.6 मी. ऊंचे बांध का निर्माण, 42.92 किमी लम्बी नहर का पुनर्निर्माण एवं 21.25 किमी लंबी नई नहर का निर्माण कार्य किया जाना है। इस परियोजना के तहत हल्द्वानी शहर एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्रों की भविष्य की लगभग 10.50 लाख आबादी के लिए 117 एम.एल.डी. पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इस परियोजना में बनने वाली 09 किमी. लम्बी झील से एक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित होगा तथा लगभग 57 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन होगा।

सौंग बांध पेयजल परियोजना
लगभग रू. 2492 करोड़ लागत की इस योजना के तहत 130.60 मी. ऊंचे बांध का निर्माण एवं 1.5 मी. व्यास की 14.70 किमी. लम्बी जल वहन प्रणाली का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा 85 किमी. जल वितरण प्रणाली एवं 150 एम.एल.डी. जल शोधन संयंत्र का निर्माण भी इस परियोजना के तहत किया जाना है। इससे भविष्य में देहरादून शहर एवं उपनगरीय क्षेत्रों की वर्ष 2053 तक अनुमानित लगभग 10.65 लाख की जनसंख्या के लिए 150 एम.एल.डी. ग्रेविटी से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। इस बांध निर्माण से बनने वाली 3.5 किमी. लम्बी झील को एक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जायेगा।

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु, सचिव एस.एन.पाण्डेय, युगल किशोर पंत, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी. अंशुमन एवं अपर सचिव बंशीधर तिवारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नई पहल, अब हर दौरे पर चलाएंगे स्वच्छता अभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को और मजबूत आधार देते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक अभिनव पहल की घोषणा की है। अब मुख्यमंत्री जिस भी स्थान पर दौरे पर जाएंगे या जहां रात्रि विश्राम करेंगे, वहां अनिवार्य रूप से स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री धामी ने जिलाधिकारियों सहित सभी नगर निकायों, ग्राम पंचायतों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इस पहल को मिशन मोड में लें और स्थानीय स्तर पर साफ-सफाई को प्राथमिकता दें। साथ ही उन्होंने आम नागरिकों, युवाओं और स्वयंसेवी संगठनों से भी अपील की है कि वे इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लें।

मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को गांव-गांव, गली-गली तक पहुंचाना हमारा संकल्प है। जहां-जहां मैं जाऊंगा या रात्रि विश्राम करूंगा, वहां स्वच्छता का संकल्प लिया जाएगा। यह सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का आंदोलन है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को यह भी स्पष्ट किया कि वे राज्य के किसी भी तहसील दिवस में अचानक पहुंच सकते हैं, ताकि प्रशासन की जमीनी कार्यप्रणाली का आकलन किया जा सके और जनसमस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित हो।

यह पहल न केवल उत्तराखंड में सफाई व्यवस्था को नई दिशा देगी, बल्कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को जन-जन का अभियान बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगी।

राष्ट्रीय स्तर पर शहरी क्षेत्रों में टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने को विशेष योजना बनाने का किया अनुरोध

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की दसवीं बैठक में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते शहरों में ड्रेनेज की समस्या एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए विशेष योजना बनाई जाए।

मुख्यमंत्री ने “पीएम कृषि सिंचाई योजना“ की गाइडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को सम्मिलित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्र का मात्र 10 प्रतिशत भूभाग ही सिंचित हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हिमनद आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोडने की दिशा में “नदी जोड़ो परियोजना“ के साथ ही चेक डैम्स और लघु जलाशयों के निर्माण के माध्यम से वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2026 में उत्तराखंड में पर्वतीय महाकुंभ के रूप में प्रसिद्ध “मां नन्दा राजजात यात्रा“ तथा वर्ष 2027 में हरिद्वार में “कुंभ“ का आयोजन होना है। इन दोनों आयोजनों को “भव्य एवं दिव्य“ बनाने के लिए सहयोग मांगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में “डेमोग्राफिक डिविडेंड“ की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस लाभ को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित समय सीमा में इसका दोहन करना आवश्यक है। इस दृष्टि से आने वाले दस वर्ष हमारे प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हीं वर्षों में हम “डेमोग्राफिक डिविडेंड“ का सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य में विशेषरूप से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की जीडीपी में प्राथमिक सेक्टर का योगदान जहां मात्र 9.3 प्रतिशत है, वहीं इस कार्य में लगभग 45 प्रतिशत आबादी लगी है। इस समस्या को देखते हुए हमने प्रदेश के काश्तकारों को “लो वैल्यू एग्रीकल्चर“ की बजाए “हाई वैल्यू एग्रीकल्चर“ अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है, जिनमें एप्पल मिशन, कीवी मिशन, ड्रैगन फ्रूट मिशन, मिलेट मिशन तथा सगंध कृषि को प्रोत्साहन शामिल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के सशक्त नेतृत्व में भारत वर्ष 2047 तक “विकसित एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए उत्तराखंड सरकार भी दृढ ़संकल्पित होकर वित्तीय प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहे हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था में पिछले तीन वर्षों में लगभग डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 में नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी रैंकिंग में जहां हमारे राज्य ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं इस वर्ष जारी हुई “केयरऐज रेटिंग रिपोर्ट“ में सुशासन एवं वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में छोटे राज्यों की श्रेणी में हमें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में “समान नागरिक संहिता“ कानून लागू किया गया। पिछले साढ़े तीन साल में राज्य के 23 हजार से अधिक युवा सरकारी नौकरी पाने में सफल रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में प्रधानमंत्री के नेट जीरो के विजन को ध्यान में रखते हुए “ग्रीन गेम्स“ की थीम पर आयोजित किया गया। इन खेलों में “इलैक्ट्रॉनिक्स वेस्ट“ सामग्री की “रीसाइक्लिंग“ से 4000 पदक तैयार किए। “सौर ऊर्जा“ के माध्यम से संपूर्ण ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की गई। इस आयोजन में लगभग 4000 से 5000 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने में सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में “शीतकालीन यात्रा“ के सफल परिणाम सामने आए हैं। प्रधानमंत्री के हर्षिल और मुखबा की यात्रा से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यटकों को साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म और हाई-एंड टूरिज्म के माध्यम से आकर्षित करने के लिए वृहद नीति बनाकर जमीनी स्तर पर कार्य शुरू किये गये हैं। उत्तराखंड में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित “सतत एवं समावेशी विकास“ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में जीडीपी की तर्ज पर जीईपी अर्थात “ग्रोस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स“ जारी करने की शुरुआत की है, इसके आंकलन द्वारा अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के मध्य बेहतर सामंजस्य स्थापित हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में “जियोथर्मल ऊर्जा नीति“ शीघ्र लागू किया जायेगा। राज्य में “मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना“ प्रारंभ की गई है। इस योजना के लाभार्थी प्रतिमाह एक लाख रूपए से अधिक की आमदानी प्राप्त कर रहे हैं।

एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए सभी को दिखानी होगी एकजुटताः धामी

वन नेशन वन इलेक्शन पर दृढ़ता से अपने विचार रखते हुए सीएम धामी ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि देश के लोकतंत्र को और अधिक सशक्त, प्रभावी और समावेशी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। यह देशहित में क्रान्तिकारी कदम है। भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में चुनाव लोकतंत्र का पर्व होते हैं, लेकिन जब प्रत्येक वर्ष, कभी इस राज्य में, कभी उस राज्य में, बार-बार चुनाव होते हैं, तो यह प्रक्रिया बोझ बन जाती है। उन्होंने कहा कि बार-बार आचार संहिता लगने से विकास कार्य ठप पड़ जाते हैं और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बार-बार चुनाव होने से चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक स्तर पर बार-बार संसाधनों का अपव्यय होता है व सरकारी ख़ज़ाने पर नकारात्मक असर पड़ता है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि चुनावो के दौरान बड़ी संख्या में राज्य के शिक्षकों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों, पुलिस बल और केंद्रीय बल के जवानों को उनके मूल कार्य से हटाकर चुनाव ड्यूटी में लगाना पड़ता है, जिससे उनके मूल कार्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर सबको एकजुटता दिखानी होगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भारतीय सर्वेक्षण विभाग सभागार देहरादून में स्वर्णिम देवभूमि फ़ाउंडेशन द्वारा एक राष्ट्र-एक चुनाव विषय पर आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उत्तराखंड आए भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व एक राष्ट्र एक चुनाव के राष्ट्रीय प्रभारी सुनील बंसल का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगभग 11 वर्षों का कार्यकाल ऐतिहासिक उपलब्धियों से भरा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व में पिछले एक दशक में जहां एक ओर देश में विकास और आर्थिक प्रगति के नए प्रतिमान स्थापित हुए, वहीं अनेकों ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से भारत के लोकतंत्र को और भी अधिक मज़बूती मिली। चाहे जीएसटी लागू करना हो, तीन तलाक़ की समाप्ति हो,कश्मीर से धारा 370 खत्म करना हो, सीएए-एनआरसी का क़ानून बनाना हो, नारीशक्ति वंदन अधिनियम पारित करना हो या फिर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करना हो। इन सभी ऐतिहासिक निर्णयों ने भारत को एक नई दिशा दी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक राष्ट्र-एक चुनाव के रूप में ऐतिहासिक क़ानून बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यदि एक बार में चुनाव हों तो 12 हजार करोड़ रूपए तक की बचत होगी। हज़ारों करोड़ों की इस धन राशि को देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को मज़बूत करने में लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय रहेगा तो सभी कार्य निश्चित समय पर पूरे होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बार में चुनाव होने से वोटिंग टर्नआउट में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी, क्योंकि बहुत सारे लोग जो दूसरे राज्यों में रहते हैं वो बार-बार वोट देने के लिए अपने गृह राज्य में जाने से कतराते हैं लेकिन जब तीनों स्तर के चुनाव एक साथ होंगे तो वो वोट देने अवश्य जाएँगे। अब समय आ गया है कि हम आधुनिक तकनीक, चुनाव आयोग की पारदर्शिता और जनता के सहयोग से इस संतुलन को पुनः स्थापित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब अमेरिका, जापान, ब्राज़ील और स्वीडन जैसे देशों में एक साथ चुनाव की व्यवस्था हो सकती है तो क्या भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में ये व्यवस्था नहीं हो सकती? प्रधानमंत्री मोदी जैसे दृढ़ और संकल्पित प्रधान सेवक हमारे पास हैं तो देश हित का कोई काम रुक जाए, ऐसा हो नहीं सकता। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में तैयार किया गया जो ड्राफ़्ट लोक सभा में पेश किया गया, वो बहुत ही गहन शोध और विश्लेषण के बाद तैयार किया गया है। इस ड्राफ्ट में एक-एक परिस्थिति का ध्यान रखा गया है कि कैसे सभी राज्यों में ये व्यवस्था लागू करनी है और लागू करने के बाद यदि किसी राज्य की सरकार बीच में भंग हो गई तो उस स्थिति में कैसे चुनाव होंगे। फ़िलहाल इस क़ानून को व्यापक विचार विमर्श हेतु संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको पूर्ण विश्वास है कि एक दिन ये एक राष्ट्र-एक चुनाव की व्यवस्था भारत में अवश्य लागू होगी और यह कानून भारत में लोकतंत्र को और अधिक मज़बूत करने में सहायक सिद्ध होगा।

इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तथा एक राष्ट्र एक चुनाव के राष्ट्रीय प्रभारी सुनील बंसल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड में यूसीसी सबसे पहले लागू करने के लिए बधाई दी। उन्होंने ने कहा कि उत्तराखंड ने यूसीसी लागू कर देश के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया है। अन्य राज्य भी इसका अनुपालन करने लिए उत्सुक दिख रहे हैं। उन्होंने कहा की एक राष्ट्र एक चुनाव हर तरह से देश हित में है। इसके सम्बन्ध में व्यापक जन जागरूकता की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में राजयसभा सांसद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, पर्यावरणविद पद्म अनिल जोशी, जागर गायिका पद्म बसंती बिष्ट, पद्म कन्हेया लाल पोखरियाल सहित बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक, साधु संत विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्धजन मौजूद रहे।

वर्षा जल संरक्षण और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंः सीएम

आगामी 30 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में जलापूर्ति के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। वर्षा जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएं। जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जन सहयोग लिया जाए और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के सुझाव लेकर उनको आगे की कार्ययोजनाओं में शामिल किया जाए। पेयजल, जल संचय और जल संरक्षण के लिए आगामी 10 सालों और आगामी 30 सालों की आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग ठोस प्लान बनाया जाए। राज्य की अंतिम सीमा तक गंगा का जल पूर्ण रूप से पीने लायक हो इस दिशा में कार्य किये जाएं। गंगा की सहायक नदियों पर एसटीपी के कार्य किए जाएं। गंगा की स्वच्छता के लिए जन सहयोग और सुझाव लिये जाएं। ये निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में पेयजल और जलागम की बैठक के दौरान दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत लगे कनेक्शनों से लोगों को नियमित जलापूर्ति हो, इसके लिए पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के साथ ही नये जल स्रोत भी चिन्हित किये जाएं, जिससे गर्मियों में पेयजल की समस्या न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के स्टोरेज टैंक और पेयजल टैंकर की नियमित सफाई की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में पेयजल की गुणवत्ता की समय-समय पर टेस्टिंग की जाए। गुणवत्ता के सभी मानक सही पाये जाने पर प्राकृतिक जल स्रोतों से निकलने वाले पानी के अधिक उपयोग के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। लोगों को पेयजल की परेशानी न हो, इसके लिए टोल फ्री नम्बर के साथ ही जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाए जाएं। जन शिकायतों की विभाग स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग भी की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 साल से एक ही स्थान पर तैनात कार्मिकों की सूची उपलब्ध कराई जाए। नई पेयजल लाइन बिछने पर सड़क की खुदाई की शिकायतों के समाधान के लिए संबंधित विभागों द्वारा समन्वय बनाकर कार्य किये जाएं। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि कि विभिन्न विभागों की जिन परिसंपत्तियों का उपयोग नहीं हो रहा है, उनकी समीक्षा कर सही उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड रजतोत्सव वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस युवा प्रदेश मे कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। हमें नवाचारों और बेस्ट प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान देना है, हमारा प्रयास होना चाहिए कि राज्य में कुछ ऐसी योजनाएं बने, जो अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बने। उत्तराखण्ड में सारा के तहत हो रहे कार्यों की भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने भी सराहना की है।

बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में जल सखी, जल पुनरुपयोग और पेयजल प्रबंधन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। जल सखी में स्वयं सहायता समूह को जोड़ते हुए लोकल स्तर पर ही बिलिंग, बिल सुधार और योजनाओं के रखरखाव की योजना प्रस्तावित है। इसके साथ ही जल के बेहतर प्रबंधन के लिए एसटीपी से उपचारित जल को बागवानी, सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, नर्सरी, कार धुलाई, कृषि आदि में उपयोग में लाया जाएगा। गंगा तथा उसकी सहायक नदियों का जल राज्य की अन्तिम सीमा तक ए श्रेणी में ही आगे प्रवाहित हो, इस दिशा में कार्य किये जा रहे हैं।

सारा के अंतर्गत विभागों द्वारा मिलकर क्रिटिकल जल स्त्रोतों कों पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। वर्षा आधारित नदियों के फ्लो और डिस्चार्ज के मापन की भी योजना है। जिसमें आई आर आई रुड़की और राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजिक संस्थान नदियों में किए जाने वाले कार्यों को चिन्हित करेगा। उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के अंतर्गत पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को कम करना है। इसके लिए कृषकों की बंजर भूमि में पौधारोपण किया जाएगा। साथ ही काश्तकारों को कार्बन क्रेडिट से फायदा देने की भी योजना है।

बैठक में उत्तराखण्ड अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, आर मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव शैलेश बगोली, रणवीर सिंह चौहान, विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, परियोजना निदेशक जलागम नीना ग्रेवाल, अपर सचिव हिमांशु खुराना एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने रिस्पना और बिंदाल कॉरिडोर निर्माण कार्यों में तेजी लाने के दिये निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर की बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि रिस्पना और बिंदाल कॉरिडोर का कार्य जल्द शुरू किया जाए। देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर को एक्सप्रेसवे से जोड़ते हुए केन्द्र से सहयोग का अनुरोध करने और स्टेट सेक्टर से शीघ्र कार्य शुरू करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिये हैं। देहरादून में आबादी और वाहनों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि, पर्यटकों की संख्या में हो रही वृद्धि और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के बनने के बाद यातायात में संभावित वृद्धि के दृष्टिगत मुख्यमंत्री ने देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर का कार्य जल्द शुरू करने के निर्देश दिये हैं।

रिस्पना नदी के तल पर 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी के तल पर 15 किलोमीटर लंबे चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण कार्य होना है। इन नदियों के अन्दर स्थित जन सेवाओं विद्युत लाइन, हाई टेंशन लाइन, सीवर लाइन का नदी से बाहर विस्थापन होना है। एलिवेटेड रोड के साथ नदी के दोनों किनारों पर रिटेनिंग वाल और निर्माण और बाढ़ सुरक्षा का कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने सभी रेखीय विभागों को समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि आबादी और वाहनों की वृद्धि के दृष्टिगत राज्य के अन्य शहरों के लिए भी सुनियोजित प्लान पर कार्य किया जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि राज्य में जो भी विकास के कार्य किये जा रहे हैं, उनका आउटपुट धरातल पर दिखे। कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता का विशेष ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा आगामी राजजात यात्रा के लिए भी तैयारी शुरू की जाए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि यूआईआईडीबी, देहरादून एलिवेटेड रोड, गढ़वाल और कुमांऊ की कनेटिविटी के कार्यों, मानसखखण्ड मंदिर माला मिशन, आगामी नंदा राजजात की तैयारियों नियमित समीक्षा की जाए। मुख्यमंत्री भी समय-समय पर इनकी समीक्षा करेंगे।

बैठक में राज्य अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, वी. षणमुगम, एस.एन. पाण्डेय, डॉ. आर. राजेश कुमार, रणवीर सिंह चौहान, जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी, एसएसपी देहरादून अजय सिंह,नगर आयुक्त नमामि बंसल एवं सबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

उपनिषदीय दर्शन बोध पुस्तक के विमोचन पर सीएम ने दी लेखक प्रकाश सुमन को शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में प्रकाश सुमन ध्यानी द्वारा लिखित पुस्तक ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ का विमोचन किया। पुस्तक विमोचन के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी भूषण एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ पुस्तक के लेखक प्रकाश सुमन ध्यानी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे भारतीय वैदिक दर्शन और सनातन संस्कृति के संवाहक के रूप में एक नई पहचान स्थापित कर रहे हैं। इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने उपनिषद के जटिल और गूढ़ रहस्यों को साधारण तरीके से लिखा है। भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न आयामों को सबके समक्ष रखा है। उपनिषद भारतीय संस्कृति और दर्शन की अमूल्य निधि है, जिसने संपूर्ण विश्व को ज्ञान और चेतना का मार्ग दिखाया है। हमारी ज्ञान परंपरा संपूर्ण विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम के रूप में मानती है। उपनिषद आध्यात्मिक चिंतन के स्रोत के साथ ही मानवता को व्यावहारिक जीवन दृष्टि भी प्रदान करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से ज्ञान-विज्ञान आगे बढ़ रहा है, तब उपनिषदों और वेदों का ज्ञान हमारे लिए और भी प्रासांगिक हो जाता है। जीवन में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, भौतिकवाद की चकाचौंध के बीच में आत्मा और ब्रह्मा की खोज निश्चित रूप से हमें प्रेरणा देने का कार्य करेगी। यह पुस्तक सभी को आत्म विकास, आत्म चिंतन और स्वयं की खोज के लिए भी प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश देवभूमि होने के साथ ही आध्यात्मिक चिंतन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानन्द और ऋषि-मुनियों ने इस पुण्य धरा को अपनी शरण स्थली बनाया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक हमारी गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि श्री प्रकाश सुमन ध्यानी ने जीव विज्ञान की पढ़ाई कर आत्मज्ञान तक पहुंचकर ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ पुस्तक लिखी इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि उपनिषद जैसे विषय पर व्याख्यान करना बड़ी बात है। आज भारत की आस्था, निधि और गौरव ‘अध्यात्म’ की ओर आज पूरी दुनिया आ रही है। उन्होंने कहा कि भारत के मूल में आध्यात्मिक इंटेलिजेंस है। आध्यात्मिक इंटेलिजेंस हमारे देश की ख्याति है। भारत दुनिया को अध्यात्म और योग का ज्ञान देने वाला है।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी भूषण ने कहा कि ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ पुस्तक के माध्यम से लेखक ने आम जनमानस को उपनिषद और वेदों से जोड़ने का सराहनीय प्रयास किया है। हमारे वेद उपनिषद और प्राचीन ग्रंथ 21वीं सदी की आवश्यकता बन रहे हैं। जीवन जीने की शैली हमारे ये ग्रंथ सिखाते हैं। भावी पीढ़ी को अपने नैतिक मूल्यों से जोड़ना जरूरी है। आसान भाषा में हमारे ग्रंथो को बच्चों और जनमानस के साथ जोड़ना जरूरी है। आत्मा का चिंतन और परमात्मा से जुड़ाव होना आवश्यक है। इस पुस्तक के माध्यम से इस दिशा में सराहनीय प्रयास किया गया है।

इस अवसर पर विधायक सविता कपूर, भाजपा के जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल, ‘उपनिषदीय दर्शन बोध’ पुस्तक के लेखक प्रकाश सुमन ध्यानी, गणेश खुगशाल एवं साहित्य से जुड़े लोग उपस्थित थे।