सीएम ने केदारनाथ धाम के सेवादार सदस्यों के दल के वाहनों को किया फ्लैग ऑफ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ धाम के सेवादार सदस्यों के दल के वाहनों का फ्लैग ऑफ किया। इन सेवादारों द्वारा श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 21 से 25 अप्रैल तक श्रद्धालुओं के लिए उत्तराखण्ड के मुख्य सेवक के नाम पर भंडारे का आयोजन किया जायेगा। बाबा केदार की डोली के गुप्तकाशी से केदारनाथ पहुंचने तक यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया जाएगा। 24 और 25 अप्रैल को हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड की चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत सभी तैयारियां की गई है। चारधाम यात्रा की नियमित समीक्षा की जा रही है। चारधाम यात्रा के प्रति लोगों में काफी उत्साह हैं। अभी तक 16 लाख से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। स्वयं सेवी संगठनों एवं सामाजिक संगठनों का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा की देवभूमि उत्तराखण्ड आने वाले सभी श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा दी जाएगी।
इस अवसर पर कर्नल अजय कोठियाल (से.नि) भी उपस्थित थे।

वैदिक फाउंडेशन हिमालया योगालय में चैतन्य साधिका का मनाया जन्म

वैदिक फाउंडेशन हिमालया योगलय आश्रम में बड़ी धूमधाम के साथ स्वतंत्रता चैतन्य साधिका का जन्म महोत्सव ऋषि कुमारों के वैदिक मंत्रों के द्वारा मनाया गया।

महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि आज वैदिक फाउंडेशन हिमालया योगालय में बड़ी धूमधाम के साथ साध्वी स्वतंत्रता चौतन्य का जन्म महोत्सव समस्त जनमानस महामंडलेश्वर महंत की अगुवाई में मनाया गया। स्वामी शंकर तिलक महाराज की अध्यक्षता में समस्त साधकों स्पेन हंगरी न्यूजीलैंड जर्मन अनेकों देशों के सबको साथ मिलकर जन्म महोत्सव में शिरकत की।

महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज ने बताया कि आज के परिवेश में जहां हमारा देश पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ रहा है। वही सनातन धर्म की ध्वजा को विदेशी साधक सब कुशल हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं और हमारे धर्म का विदेशों में खूब प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण वैदिक फाउंडेशन हिमालय योगालय आश्रम के साधको द्वारा हवन पूजा वेद वेदांत की पढ़ाई करना और हमारी संस्कृति को अपनाना उसका उदाहरण है।

आज स्वतंत्रता चौतन्य का जन्म महोत्सव हिंदू रीती रिवाजों के मुताबिक वैदिक मंत्रोचार के साथ 39 देशों में सीधा प्रसारण फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप के माध्यम से सभी साधकों ने जन्म महोत्सव को देखा।

इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य, महंत कामेश्वर पुरी महाराज, स्वामी रामदेव महाराज, आध्यात्मिक गुरु बोदी वर्तमान, स्वामी योग बीज महाराज, स्वामी शिवानंद महाराज, राम जोशी, उमाया चौतन्य, आरती चौतन्य, अभिषेक शर्मा, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शिवमूर्ति कंडवाल आदि उपस्थित रहे।

श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का हुआ समापन

श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा व्यास पूज्य वेदांती जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की मार्मिक कथा के साथ अनेक भावपूर्ण व्यवहारिक प्रसंगों का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई। इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए।

कथा समापन के दौरान पूज्य डा राम कमल वेदांती ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही। जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का नो दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

कथा के समापन के बाद महाराज ने श्री भरत मंदिर परिवार की सुख समृद्धि की कामना और कल्याण का आशीर्वाद दिया और कहा कि गोलोक वासी पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के धर्म मार्ग के संपूर्ण कार्यों को आगे बढ़ाने का संदेश परिवार को दिया।

इस अवसर पर श्री भरत मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री, दीप शर्मा, रामकृपाल गौतम आदि सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का सप्तम, लीला पुरूषोत्तम का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस गोपियों के वियोग की मार्मिक कथा का वर्णन किया।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि श्रीमद्भागवत में दशम स्कंध में गोपी गीत आता है। ये गोपी गीत भगवान कृष्ण को साक्षात् पाने का मन्त्र है। भगवान कृष्ण को पाने के जितने भी तरीके हैं या होंगे उनमे से एक गोपी गीत है। इस गोपी गीत में उन्नीस श्लोक हैं। जब भगवान शरद पूर्णिमा की रात में रास लीला का प्रारम्भ करते है तो कुछ समय बाद गोपियों को मान हो जाता है कि इस जगत में हमारा भाग्य ही सबसे श्रेष्ठ है भगवान उनके मन की बात समझकर बीच रास से अंतर्ध्यान हो जाते है,व्यक्ति केवल दो ही जगह जा सकता है, एक है संसार और दूसरा है आध्यात्म या भगवान।

उन्होंने कहा कि जैसे ही भगवान से हटकर गोपियों का मन अपने ही भाग्य पर चला गया यहाँ भगवान बता रहे है कि जैसे ही भक्त मुझसे मन हटाता है वैसे ही मै चला जाता हूँ।

सप्तम दिवस की पावन पवित्र कथा मे उत्तराखंड सरकार मे कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, पूज्य गुरु मां आनंदमई, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, ओंकारानंद आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी विशेश्वरनंद महाराज, पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सिंह सजवान, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित थे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर बाल लीलाओं का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पष्ठ दिवस श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन हुआ।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था। कृष्ण जन्म पर नंदबाबा के घर खुशी मे जब उत्सव मनाया जाने लगा और नंद बाबा को कंस राजा के पास कर देने जाने मे देरी हो गई। उन्होंने राजा के पास पहुंच कर निवेदन किया की महाराज मेरे घर पुत्र ने जन्म लिया है। इसलिए आने मे देरी हो गई। राजा कंस ने पुत्र जन्म की खबर पर पुत्र को चिरंजीव होने का वचन बोला। उसे पता नहीं था जिसे तू चिरंजीव बोल रहा है वो ही तेरा काल है। उधर भगवान मन ही मन मुस्करा रहे है और सोच रहे है की राम जन्म मे ताड़का कृष्ण जन्म मे पूतना से पाला पड़ा है। माता यशोदा का दुलारा अपनी बाल लीलाओं से आनन्द विभोर होते है और अपनी लीलाओं के माध्यम से ही पूतना का वध करते है। कृष्णजी की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर समाज सेवा में लोगों को आगे आना चाहिए। मानव जब इस संसार में पैदा लेता है तो चार व्याधि उत्पन्न होते हैं। रोग, शोक, वृद्धापन और मौत मानव इन्हीं चार व्याधियों से धीर कर इस मायारूपी संसार से विदा लेता है।

सांसारिक बंधन में जितना बंधोगे उतना ही पाप के नजदीक पहुंचेगा। इसलिए सांसारिक बंधन से मुक्त होकर परमात्मा की शरण में जाओ तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। आज के दौर में परेशानी और अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इससे समाज में खींचतान, स्वार्थ, लोभ, दुख. पतन, विकृतियों का अम्बार लगा हुआ है। ऐसे में समाज को युग के अनुरूप दिशा चिंतन, व्यवहार, परमार्थ के लिए हृदय में परिवर्तन के लिए श्रीमद भागवत कथा पुराण का आयोजन किया जा रहा है।

षष्ठ दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, रोशन धस्माना, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित रहे।

श्री भरत मंदिर में भागवत कथा का पंचम दिन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कृष्ण जन्म की कथा सुनाई।

श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार में जहां भक्त के धैर्य का परिचय का संदेश है वहीं समर्पण भाव की पवित्रता भी है। कथा व्यास पूज्य वेदांती महाराज ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर पाप अनाचार बढ़ता है, तब.तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान कथा व्यास ने अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। जिनमें नंद घर जन्में कन्हैया कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में में तो नंद भवन में जाऊंगी, यशोदा जायो ललना, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो हो गए। पूज्य महाराज ने कहा आज व्यक्ति मोह माया के चक्कर में फंसकर अनीति पूर्ण तरीके से पैसा कमाने में जुटा है। जिसका परिणाम अंतत उसे भोगना पड़ता है।

मानव मानव की तरह नहीं जी रहा है। श्रीमद् भागवत जीवन जीने और मरने की कलां सिखाती है। उन्होंने बताया कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। उन्होंने कहा कि स्वभाव से जो दुखी है वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है।

पंचम दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विनय उनियाल, कथा का मुख्य आकर्षण कृष्ण जन्म रहा जिसमें वासुदेव की भूमिका महंत रवि शास्त्री ने निभाई।

भैया दूज पर शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदारनाथ के कपाट

भैया दूज के पावन अवसर पर प्रात: 8.30 बजे 11वें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बाबा के कपाट बंद हुए और सेना के बैंड की मधुर धुन के बीच बाबा केदार की चल विग्रह डोली को मंदिर से बाहर लाकर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कराया गया। इस अवसर पर 2500 से ज्यादा श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। (portal of shri kedarnath dham closed for winter season)

प्रांत 3.30 बजे ही केदारनाथ मंदिर खुल गया था। चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हो गयी। पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्यंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया गया ज्योर्तिलिंग को बाघंबर, भृंगराज फूल,भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों- पत्तों, आदि से ढ़क दिया गया।इसके साथ ही भकुंट भैरव नाथ के आव्हान के साथ ही गर्भगृह तथा मुख्य द्वार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में बंद किया गया। इसके साथ ही पूरब द्वार को भी सीलबंद किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया। कहा कि इस बार चारधाम यात्रा रिकार्ड पैंतालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नयी केदार पुरी अस्तित्व में आ चुकी है जहां तीर्थयात्रियों को हर संभव सुविधाएं मुहैया हो रही है। गौरीकुंड- केदारनाथ रोप वे के बनने से केदारनाथ यात्रा अधिक सुगम हो जायेगी।

इस अवसर पर सेना की 11 मराठा लाईट इ़फ्रंट्री रूद्रप्रयाग के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा बाबा केदार की जय उदघोष से केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा। मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि सामूहिक सहयोग समन्वय से यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हुआ है।

कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान हुई। आज पंचमुखी डोली प्रथम पड़ाल राम पुर पहुंचेगी। कल 28 अक्टूबर शुक्रवार को देवडोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास करेगी तथा 29 अक्टूबर शनिवारको श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। इसी के साथ इस वर्ष श्री केदारनाथ यात्रा का समापन हो जायेगा तथा पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी।

इस यात्रा वर्ष चार धाम यात्रा में 43 लाख से अधिक तीर्थ यात्री दर्शन को पहुंचे। हेमकुंट साहिब को मिला कर यह संख्या पौने छयालीस लाख पहुंच गयी। 26 अक्टूबर गौवर्धन पूजा के अवसर पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। आज दोपहर में श्री यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।

धर्मगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी को अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि

द्वारकापीठ के व हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन 99 साल की उम्र में निधन पर ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनकी आत्मा की शान्ति हेतु मौन रखा।

पूर्णानंद घाट मुनी की रेती गंगा तट पर महिलाओं द्वारा होने वाली माँ गंगा की आरती द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को समर्पित की। वह आजादी की लड़ाई में भाग लेकर जेल भी गए थे। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों का डटकर किया था मुकाबला। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।

पंडित हरिओम शर्मा ज्ञानी ने कहा कि अद्भुत व्यक्तित्व, सरल हृदय और प्रभु के श्री चरणों में समर्पित जीवन था द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करे।

द्वारकापीठ के व हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को भावभीनी श्रद्धाजंलि ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे।

29 जुलाई से खदरी में शिव महापुराण का आयोजन

खदरी खड़क माफ में लोक कल्याण के लिए विगत आठ वर्षों से हर साल पवित्र श्रावण मास में होने वाली श्री शिव महा पुराण कथा आयोजन कल से प्रारम्भ होगा। धर्म, संस्कृति और अध्यात्म के संरक्षण सहित लोक कल्याण को समर्पित कथा व्यास ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य के कृपा पात्र शिष्य युवा कथावक्ता वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल व्यास पीठ से श्रोताओं को श्री शिव महा पुराण का रसपान कराएंगे।

लोक कल्याण के लिए हर साल की जाने वाली यह कथा विगत आठ वर्षों से खड़कमाफ के चोपड़ा फार्म में श्रावण मास में आयोजित की जाती है। कथा वक्ता वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप ने कहा कि भगवद नाम कथा कभी भी सुन सकते हैं लेकिन श्रावण मास में शिव महा पुराण वाचन और श्रवण का विशेष महत्व है।सावन के महीने में शिवजी का गुणगान करने से जन्मजन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है।इस माह में भोलेनाथ की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कथा मंच संचालक समाज सेवी पर्यावरण विद विनोद जुगलान ने बताया कि 29 जुलाई से प्रारम्भ होने वाली इस पवित्र कथा की शुरुआत प्रातः नौ बजे कलश यात्रा के साथ होगी। घट स्थापना के बाद सांय तीन बजे से 6 बजे तक नित्य कथा श्रवण का लाभ लिया जासकेगा।उन्होंने कहा कथा का आयोजन हर साल जागरूक ग्रामीणों की ओर से किया जाता है। कथा के के विश्राम पर विशाल भंडारे की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण के लिए भगवद कथाएं सनातन संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य करती हैं। युवा पीढ़ी के लिए भगवद कथाएं संस्कारशाला का कार्य कर रही हैं।

हरिद्वार में कांवड़ मेले की तैयारियों को लेकर सीएम ने की समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीसीआर हरिद्वार में कांवड़ मेले की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कांवड़ मेला शुरू होने से पहले सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूर्ण की जाएं। सकुशल कांवड़ मेला सम्पन्न कराने के लिए कांवड़ मेले से संबधित अन्य राज्यों के अधिकारियों से भी निरन्तर समन्वय बनाकर रखें। यह सुनिश्चित किया जाए कि 14 जुलाई से 26 जुलाई 2022 तक होने वाले कांवड़ मेले में स्वास्थ्य, विद्युत, पेयजल, पार्किंग, स्वच्छता एवं अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाएं अच्छी हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार कांवड़ यात्रा में 04 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। उन्होंने सभी शिवभक्तों से अपील की कि देवभूमि उत्तराखण्ड में कांवड यात्रा पर आने वाले शिवभक्त एक-एक पौधा लगाएं। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी हरिद्वार को निर्देश दिये कि कांवड़ यात्रा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत जो एडवाइजरी बनाई गई है, उसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान निर्देश दिये कि कांवड़ मेले में जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई, जिनकी कोविड की बूस्टर डोज नहीं लगी है, उनकी बूस्टर डोज लगवाई जाए। कांवड़ यात्रा सुव्यवस्थित हो इसके लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए, जिसमें शासन के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एवं कांवड़ मेले से संबंधित जिलों के अधिकारी शामिल किये जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ मेला अवधि में हरिद्वार में कांवड़ मेले से संबंधित सभी व्यवस्थाओं का पर्यवेक्षण प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु करेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पार्किंग स्थलों में पेयजल की पूर्ण व्यवस्था रखी जाए। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि कांवड़ यात्रा मार्गों पर शाइनेज की पूर्ण व्यवस्था हो। कांवड़ पटरी पर विद्युत की पर्याप्त व्यवस्था हो। वन क्षेत्र में जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु चेतावनी बोर्ड लगाये जाएं। कांवड़ मेला के दौरान यात्रा रूटों का पूरा चार्ट दिया जाए। भण्डारे एवं लंगर के लिए हाइवे से दूरी पर स्थान चिन्हित किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कांवड़ मेले के दौरान पर्वतीय जनपदों में आवश्यक सेवाओं एवं सामग्रियों को भेजने के लिए कोई परेशानी न हो। होटलों एवं दुकानों में रेट लिस्ट चस्पा की जाए। स्थानीय स्तर पर लोगों को आवागमन में अधिक परेशानी का सामना न करने पड़े।

जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पाण्डेय ने कांवड़ की तैयारियों को लेकर प्रस्तुतीकरण देते हुए कहा कि कांवड़ मेले के लिए 60 हजार वाहनों की क्षमता के लिए 13 पार्किंग स्थल बनाये गये हैं। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों के लिए 03 अतिरिक्त पार्किंग स्थल आरक्षित हैं। कांवड़ यात्रा के सुचारू संचालन हेतु मेला क्षेत्र में 12 सुपर जोन, 32 जोन एवं 134 सेक्टर बनाये गये हैं। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में 17 अस्थाई स्वास्थ्य शिविरों की स्थापना की गई है। चिकित्सा केन्द्रों में एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। मेले से संबंधित सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।

बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, एडीजीपी डॉ. वी मुरूगेशन, सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, नितेश झा, राधिका झा, अरविन्द सिंह ह्यांकी, एच.सी. सेमवाल, आयुक्त परिवहन रणवीर सिंह चौहान, अपर सचिव सी. रविशंकर, गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार, डीआईजी गढ़वाल के. एस. नगन्याल, एस.एस.पी. हरिद्वार डॉ. वाई.एस. रावत एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।