6 वर्षों से 300 छात्रों से पूर्ण शुल्क वसूलने के बावजूद संरचना विहीन संस्थान में रखना पड़ा भारी, जिला प्रशासन ने की कार्यवाही

जिले के बड़े बकायेदारों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत जिला प्रशासन ने सुभारती समूह पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशों के अनुपालन में लंबित बकाया वसूली के तहत रू 87.50 करोड़ की कुर्की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

जिलाधिकारी ने सुभारती समूह से बकाया राजस्व वसूली सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि भविष्य में भी किसी बड़े या छोटे बकायेदार को बकाया राशि न जमा करने पर कानूनी कार्रवाई से नहीं बख्शा जाएगा। जनपद में राजस्व वसूली को गति देने तथा सरकारी धन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह कार्यवाही कर कड़ा संदेश दिया है। जिलाधिकारी ने द्वारा जारी कुर्की वारंट से स्पष्ट किया गया है कि बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद भुगतान न होने पर यह कठोर कदम उठाया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि ‘जनता के धन की लूट करने वालों को किसी भी स्थिति में छोड़ा नहीं जाएगा।” उन्होंने निर्देशित किया है कि समस्त उप जिलाधिकारी अपने-अपने तहसील क्षेत्रों में ऐसे सभी छोटे एवं बड़े बकायेदारों की सूची तैयार करें, जिन्होंने लंबे समय से देय राशि जमा नहीं की है या जानबूझकर भुगतान से बच रहे हैं। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि इनके विरुद्ध विशेष वसूली अभियान चलाकर तत्परता से वसूली सुनिश्चित की जाए।

संस्थान को 6 वर्षों से 300 छात्रों से पूर्ण शुल्क वसूलने के बावजूद संरचना विहीन संस्थान में रखना भारी पड़ गया है, जिला प्रशासन ने वसूली वारंट जारी कर दिया है, अगले कुछ ही दिवसों में संस्थान का बैंक खाता सीज संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जा सकती है।चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने डीएम से की सिफारिशचिकित्सा शिक्षा निदेशक ने संस्थान से पूर्ण वसूली के जाने के सिफारिश जिलाधिकारी को की थी।

शैक्षिणक सत्र 2017-18 में प्रवेश पाये द्वितीय बैच के कुल 74 छात्रों द्वारा मा० उच्चतम न्यायालय में एंव रिट याचिका (सिविल) योजित की गई थी, जिसमें में छात्रों की ओर से संस्थान में संरचना उपलब्ध नहीं है, से लगतार शिक्षा प्राप्त नही कर सकते है। याचिका में एम०सी०आई० द्वारा अपने तथ्य रखे गये थे और याचिका में यह प्रश्न था कि छात्रों को अन्य संस्थान में प्रवेश देकर अन्तरित किया जायें। वर्ष 2019 में मा0 उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिया गया था कि 300 छात्राओं को राज्य के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अन्तरित किया जाये। मा० उच्चतम न्यायालय ने यह भी आदेश दिया गया था कि यह छात्र केवल राजकीय मेडिकल कॉलेज में लागू फीस का ही भुगतान करेगे। मा० उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश को 12 अप्रैल 2019 के आदेश में पुनः पुष्ट किया गया था। श्रीदेव सूमन सुभारती मेडिकल कॉलेज में इन सभी 300 छात्राओं को राजकीय मेडिकल कॉलेजों में समयोजित किये जाने हेतु लगभग एक नये मेडिकल कॉलेज को खोलने के अनुरूप अपेक्षित संरचना स्थापित करने की आवश्यकता थी, जिसमें राज्य सरकार पर अनापेक्षित वित्तीय भार आ गया था, जबकि उक्त संस्था द्वारा इन छात्रों से शुल्क बिना किसी काम के संग्रहित किया गया था।

जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि राजस्व की हानि किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है। बकायेदारों द्वारा देरी या भुगतान से बचने की प्रवृत्ति पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि बकायेदारों की विस्तृत रिपोर्ट तत्काल तैयार करें, प्राथमिकता के आधार पर बड़े बकायेदारों पर कार्रवाई करें, लगातार फॉलोअप करते हुए वसूली की दैनिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें, आवश्यक होने पर कुर्की, नोटिस, बैंक खाता कुर्की या अन्य विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जाए।

जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी योजनाओं एवं विकास कार्यों के लिए जनता की कमाई से जुटाया गया धन अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही या लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि अभियान को पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ चलाया जाए ताकि जनपद में राजस्व वसूली की स्थिति मजबूत हो सके।

यदि आवंटित खनन पट्टे से 80 प्रतिशत खनन न हुआ तो पट्टा होगा निरस्त

राज्य सरकार प्रदेश में हो रहे अवैध खनन से राजस्व वसूली कम मिलने पर चिंताजनक है, उन्होंने अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए नई खनन नीति लाने जा रही है। इसके तहत क्रेशर का लाइसेंस उसी को दिया जाएगा, जिसके पास खनन का पट्टा है। अभी तक बिना खनन पट्टे के क्रेशर का लाइसेंस जारी किया जा रहा है, इससे धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। इसके अलावा नई नीति में आवंटित पट्टे से 80 प्रतिशत खनन नहीं होने की स्थिति में उसे निरस्त कर दिया जाएगा। प्रदेश सरकार का खनन से राजस्व नहीं बढ़ रहा है, जिसके लिए अवैध खनन को सबसे बड़ा कारण माना गया है।

खनन नीति में मौजूद प्रावधानों से खनन माफिया पर नकेल कसने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खनन विभाग की समीक्षा के दौरान खनन से होने वाले राजस्व को दोगुना करने के निर्देश दिये।

इसके लिए उन्होंने मौजूद खनन नीति में सख्त प्रावधान करने के प्रस्तावों पर सहमति जताई है। विभाग ने अवैध खनन रोकने का नया फार्मूला बनाया है। इसके तहत क्रेशर लाइसेंस को सख्त बनाया जा रहा है।

अभी तक बिना खनन सामग्री निकालने का पट्टा होने पर भी क्रेशर लाइसेंस जारी कर दिया जाता था, लेकिन नई संशोधित नीति में उसी को क्रेशर का लाइसेंस मिलेगा, जिसके पास स्वीकृत पट्टा होगा।

ऐसा नहीं करने वाले क्रेशर मालिकों के लाइसेंस कैंसल होंगे। इससे विभाग के खनन पट्टों का आवंटन बढ़ेगा और राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसके साथ अवैध खनन को रोकने के लिए इतना ही नहीं बल्कि स्वीकृत पट्टों पर प्रतिवर्ष निर्धारित खनन सामग्री का अस्सी प्रतिशत दोहन क्रेशर मालिक को करना होगा। ऐसा नहीं करने पर पट्टा कैंसल हो जाएगा।