अमृत सरोवर योजना से स्थानीय लोगों को जोड़ने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में अमृत सरोवर योजना की प्रगति की समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अमृत सरोवर योजना के तहत बनाए जा रहे सभी सरोवरों को निर्धारित समय सीमा के अंदर पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे सम्बन्धित सभी कार्यों की लगातार समीक्षा करते हुए प्रगति पोर्टल और अमृत सरोवर पोर्टल पर अपलोड किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि इन सरोवरों को आजीविका से जोड़ने के प्रयास किए जाएं, ताकि ये सरोवर लंबे समय तक स्थानीय लोगों की आर्थिकी का श्रोत बनें। उन्होंने फिशरीज से जुड़े सरोवरों के लिए स्थानीय स्तर पर मार्केटिंग और सीड सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरोवरों से निकलने वाली मिट्टी को आसपास के क्षेत्रों में बनने वाली सड़कों के निर्माण में प्रयोग किया जा सकता है।
बैठक के दौरान सचिव वीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया गया कि केंद्र द्वारा निर्धारित लक्ष्य के तहत 15 अगस्त तक कुल सरोवरों का 20 प्रतिशत का निर्माण कार्य पूर्ण कराया जाना था, जिसके सापेक्ष उत्तराखण्ड में 15 अगस्त तक कुल 1606 सरोवरों के सापेक्ष 543 (लगभग 39 प्रतिशत) सरोवरों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया था। बताया गया कि 340 सरोवरों को फिशरीज़ से भी जोड़ा गया है। इस अवसर पर सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

विश्व स्तर का हो उत्तराखण्ड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने सचिव आपदा को सेंटर की स्थापना में तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि यह सेंटर विश्व स्तर का बनाया जाना है।
मुख्य सचिव ने कहा कि हिमालयी राज्यों में भूस्खलन बहुत बड़ी समस्या है, परन्तु राष्ट्रीय स्तर में भी भूस्खलन से सम्बन्धित अध्ययन, शोध और न्यूनीकरण के लिए समर्पित कोई संस्थान उपलब्ध नहीं है। इस क्षेत्र में उत्तराखण्ड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर सिर्फ अन्य राज्यों को ही नहीं बल्कि देश-विदेश में सेवा उपलब्ध कराने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि इस सेंटर के कार्यों में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विश्व स्तरीय विशेषज्ञता पर फोकस किया जाए। इस सेंटर में सम्बन्धित क्षेत्र से प्रोफेशनल्स को ही तैनात किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए सम्बन्धित क्षेत्र में कार्य कर रहे नेशनल और इंटरनेशनल संस्थानों में कार्य कर रहे प्रोफेशनल्स से संपर्क किया जाए।
मुख्य सचिव ने उत्तराखण्ड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर शीघ्र ऑपरेशनल किए जाने हेतु प्रत्येक स्तर की तिथियां निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए। इस अवसर पर सचिव आपदा डॉ. रंजीत सिन्हा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

आजादी के नायकों को हमेशा याद किया जायेगा-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु ने सचिवालय में अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति में ध्वजारोहण करते हुए सभी को 76वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर हम कुछ न कुछ प्रण जरूर करते हैं, शहीदों को याद करते हैं साथ ही उन महापुरूषों को भी याद करते हैं जिन्होंने काफी संघर्ष करते हुए हमें आजादी दिलाई, उनसे हमें प्रेरणा भी मिलती है कि उन लोगों ने हमारे लिए इतना कुछ सहन किया एवं बलिदान दिया। हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम भी देश के लिए कुछ करें। उन्होंने कहा कि इस वर्ष ’हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत पूरे देश में ऐसा माहौल बन गया है कि तिरंगा सिर्फ हर घर में ही नहीं बल्कि हर हाथ में है और मैं यह मानता हूँ कि हर दिल में भी तिरंगा है। 75 वर्ष किसी भी देश की आजादी के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। प्रधानमंत्री ने अगले 25 सालों को अमृतकाल का समय बताया है, वर्तमान से लेकर 2047 तक इस देश को हमें कहां ले जाना है, उसकी योजना बनानी है एवं उस योजना को हमें धरातल पर उतारना है। केवल योजना बनाने से काम नहीं होता, जब तक हम उसे धरातल पर नही उतारते। इसके लिए सचिवालय परिवार के हर एक सदस्य का योगदान अपेक्षित है।
मुख्य सचिव ने सचिवालय परिवार की कार्यक्षमता पर विश्वास प्रकट करते हुए कहा कि हम सभी एक टीम के रूप में उसे पूर्ण अवश्य करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा नजर आ रहा है, चाहे सड़के हो, टीवी हो या फिर आपका मोबाईल हो चारो ओर तिरंगा है, पूरा देश इस तिरंगे के जश्न में तथा इस आजादी के जश्न में डूब गया है। क्या हर वर्ष की तरह हम केवल विशेष अवसर पर ही तिरंगा फहरायेंगे और फिर उसे भूल जायेंगे। इस जश्न में हम कुछ न कुछ प्रण लें कि अपने देश को और अच्छा बनाने के लिए कुछ विशेष कार्य करेंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि हम सभी ने बचपन से तिरंगे के विषय में पढ़ा है जाना है, परन्तु आज जब सुनामी की तरह पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान चल रहा है, तो फिर से तिरंगे के विषय में जानने की आवश्यकता है। तिरंगे का केसरिया रंग हिम्मत का, बलिदान का एवं जोश का प्रतीक है। आजादी से पहले इसका काफी महत्व था, क्योकि अंग्रेजी हुकूमत का अत्याचार चारो तरफ था और हर तरफ आजादी के लिए आंदोलन हो रहे थे। परन्तु आजादी के बाद आज भी केसरिया का महत्व कम नहीं हुआ है। आज भी देश को बलिदान की जरूरत है पर बलिदान की परिभाषा बदल गई है। आज भी हमें उतनी ही हिम्मत चाहिए। सचिवालय के संदर्भ पर बात की जाए तो आज भी कई निर्णयों पर बहुत हिम्मत की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ स्वार्थी लोग अपने पक्ष में निर्णय करने हेतु काफी दबाव डलवाते हैं। हर निर्णय में हमें भारत प्रथम, उत्तराखण्ड प्रथम का मंत्र याद रखना चाहिए। दूसरा रंग सफेद शांति एवं सत्य का प्रतीक है। आज के दौर में सचिवालय के संदर्भ में शांति से अभिप्राय यह है कि जो समाज का निचला तबका है उन सब के मन की शांति एवं उनके उज्जवल भविष्य के लिए हम क्या अच्छा से अच्छा कार्य कर सकते हैं। शासन में उचित निर्णय लेने में देरी, गरीब वंचितों के लिए प्रताड़ित करने जैसा ही है। हमें हमेंशा सतर्क होने की आवश्यकता है। हम सभी शासन के उच्च स्तर में है हम सभी का कर्तव्य है कि पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य करें, जिससे पिछड़ा समाज परेशान न हो। तिरंगे का हरा रंग खुशहाली का प्रतीक है। वर्तमान में भी हमें शासन के तौर पर यह देखना चाहिए कि हमारा निर्णय ऐसा होना चाहिए कि गरीबों की मदद हो सके और उनके जीवन में खुशहाली आ सके। हमारे तिरंगे का अशोक चक्र जिसे धर्म चक्र भी कहते हैं। इससे तात्पर्य है कि हमें हर कार्य में धर्म को अवश्य याद रखना चाहिए। धर्म क्या है यह आप सभी जानते हैं, क्या सही है क्या गलत यह जानना ही सही मायने में धर्म है।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें समय एवं परिवर्तन के साथ खुद को भी बदलना है। अगले 25 सालों के लिए देश के लिए योजना बन रही है। प्रदेश के लिए भी हमें योजना बनानी है। केवल विजन ही नही चाहिए, मिशन भी चाहिए। विजन में हमने यह देखना है कि अगले 25 सालों में प्रदेश को कहां ले जाना है मिशन में हमें दिल दिमाग और आत्मा के साथ काम करना है, तभी यह तिरंगे का सच्चा सम्मान होगा। केवल यह लम्बा इवेंट बनकर न रह जाए। हम सभी मिलकर कार्य करेंगे अपने तन मन धन से इस देश को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।
इस दौरान मुख्य सचिव द्वारा सचिवालय एथलीट व फिटनेस क्लब के 42 सदस्यों को जिन्होंने 15 कि0मी0 दौड़ पूरी की थी उनका आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी। इसके साथ ही 28 से 30 मार्च 2022 को गुड़गांव हरियाणा में आयोजित अखिल भारतीय सिविल सर्विसेज एथलेक्टिस प्रतियोगिता में 800 मी0 रेस में कांस्य पदक जीत कर सचिवालय के लिए पहला पदक लाने वाले अनुभाग अधिकारी एवं अध्यक्ष सचिवालय एथलीट व फिटनेस क्लब ललित चन्द्र जोशी को भी बधाई दी।
इस दौरान ध्वजारोहण के अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्धन, प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु व एल.फेनई सहित सभी सचिव, प्रभारी सचिव सहित सचिवालय के अधिकारी-कर्मचारी एवं अन्य नागरिक उपस्थित रहे।

नीति आयोग की बैठक में प्रतिभाग करने से पहले सीएम ने ली विभागवार बैठक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी 7 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद् की सातवी बैठक में प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री बैठक से सम्बन्धित एजेंडा बिन्दुओं के अतिरिक्त राज्य हित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं एवं विषयों पर विचार रखेंगे।
नीति आयोग की बैठक के एजेन्डा बिन्दुओं में फसल विविधिकरण एवं दलहन व तिलहन उत्पादन में आत्म निर्भरता विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन तथा शहरी प्रशासन से सम्बन्धित योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है।
बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नीति आयोग के समक्ष रखे जाने वाले विषयों पर एजेन्डा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर विभागरवार चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग द्वारा निर्धारित नीतियां एवं केन्द्र पोषित योजनाये देश के सभी राज्यों के दृष्टिगत समान रूप से बनायी जाती है। इसमें हिमालयी राज्यों के लिये उनकी पारास्थितिकी एवं भौगोलिक दृष्टि का भी ध्यान में रखते हुए अलग नीति बनाये जाने पर ध्यान देने की उन्होंने जरूरत बतायी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का भगवान केदारनाथ के साथ ही राज्य के अन्य धामों के प्रति विशेष आस्था है। गत वर्ष अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान उन्होंने 21वी शदी के इस तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बताया था। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य के विकास का रोड मेप तैयार किया गया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चारधाम यात्रा में 30 लाख से अधिक श्रद्धालु अब तक आ चुके हैं। तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों की आवाजाही भविष्य में और बढ़ेगी, इसके लिये यात्रा मार्ग से जुड़े प्रमुख स्थलों की अवस्थापना सुविधाओं के विकास सुव्यवस्थित यातायात के लिये टनल पार्किंग की योजना राज्य हित में जरूरी है। इससे भविष्य की चुनौतियों का बेहतर ढ़ंग से सामना किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त आपदा की दृष्टि से भी राज्य की संवेदनशीलता, पर्यावरण की दृष्टि से राज्य की इकोलॉजी के साथ इकोनामी को बढ़ावा देने के प्रयासों से सम्बन्धित बिन्दुओं पर भी मुख्यमंत्री बैठक में अपना पक्ष रखेंगे।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.सन्धू, अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, शैलेश बगोली, एसएन पाण्डे, विनोद कुमार सुमन, महानिदेशक यूकास्ट प्रो0 दुर्गेश पन्त आदि उपस्थित रहे।

सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में बोले सीएम, अगले 10 सालों का रोडमैप बनाये विभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जाए। जनपदों में मुख्य विकास अधिकारियों की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाए। जिसमें कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारी भी हों। सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग कृषि एवं उद्यान विभाग के साथ समन्वय से कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागों को 2025 तक बेस्ट प्रैक्टिस के तौर पर धरातल पर क्या कार्य कर सकते हैं एवं अगले 10 सालों का रोडमैप बनाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए बागवानी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। 5 सालों में राज्य की जीडीपी को दोगुना करने के लिए सभी विभागों को तेजी से कार्य करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सौंग एवं जमरानी बहुद्देशीय परियोजना पेयजल एवं सिंचाई की दृष्टि से राज्य के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सौंग बांध पेयजल परियोजना की अवशेष स्वीकृति संबंधी कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिए जाएं। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाए कि परियोजनाओं में विलम्ब न हो, यदि कहीं कोई समस्या आ रही है, तो ऐसे मामले उच्च स्तर पर लाये जाएं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कोलीढ़ेक, थरकोट झील एवं गगास जलाशय का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि योजना पूर्ण होने की जो अवधि निर्धारित की गई हो, उस अवधि में वह पूर्ण हो। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ब्लॉक स्तर पर एक-एक गांव में पॉयलेट बेस पर स्प्रिंकलर आधारित सिंचाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य के शहरी क्षेत्रों के लिए ड्रेनेज प्लान जल्द बनाया जाए। जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। जलाशयों की क्षमता वृद्धि के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग की अगली बैठक कब होगी, यह आज ही तय किया जाए। सभी विभाग यह सुनिश्चित करें कि बैठक में जो भी निर्णय लिए जाते हैं एवं जो लक्ष्य दिये जा रहे हैं, उनकी प्रगति की सम्पूर्ण जानकारी अगली बैठक में प्रस्तुत की जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, एच.सी. सेमवाल, एस.एन. पाण्डेय, अपर सचिव ललित मोहन रयाल, सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष मुकेश मोहन एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने कहा- निर्माण कार्यो में तेजी लाने के हो प्रयास

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सचिवालय स्थित सभागार में वाह्य सहायतित योजनाओं की समीक्षा के दौरान विभागों को परियोजनाओं में तेजी लाते हुए समयबद्धता के साथ पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों को निर्देश दिए कि चालू परियोजनाओं और अंडर पाइपलाइन परियोजनाओं के प्रत्येक स्तर के पूर्ण होने की तिथि निर्धारित करते हुए लगातार समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि धीमी गति से चल रही परियोजनाओं की वह स्वयं मासिक समीक्षा करेंगे। साथ ही उन्होंने विभागों द्वारा इन योजनाओं की मासिक प्रगति रिपोर्ट मुख्य सचिव कार्यालय को प्रेषित किए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि अंडर पाइपलाइन परियोजनाओं में यह ध्यान रखा जाए कि किसी अन्य विभाग द्वारा उस क्षेत्र के लिए उसी प्रकार का प्रोजेक्ट शुरू न किया जा रहा हो। इसके लिए सभी सम्बन्धित विभागों को आपसी सामंजस्य के साथ काम करना होगा। इसके लिए एक सिस्टम विकसित किया जाए ताकि कार्यों में डुप्लीकेसी न हो।
बैठक के दौरान बताया गया कि वर्ल्ड बैंक, एडीबी, जाइका और आईफैड द्वारा वित्त पोषित शहरी विकास, ग्राम्य विकास, पेयजल, पर्यटन एवं सिंचाई विभाग के लगभग 18,844 करोड़ के प्रोजेक्ट्स पाइपलाइन में हैं।
इसके उपरांत, मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने केंद्र पोषित योजनाओं की समीक्षा भी की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी विभाग केंद्र पोषित योजनाओं को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करें। इसके लिए योजनाओं की प्रगति के अनुसार समीक्षा करें। उन्होंने धीमी गति से चल रही योजनाओं की प्रत्येक माह में 2 बार अथवा कम से कम एक समीक्षा अवश्य करें। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी विभाग केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ लेना सुनिश्चित करें। इसके लिए सभी योजनाओं की सूची तैयार की जाए।
बैठक के दौरान, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव रंजना, सीईओ स्मार्ट सिटी सोनिका सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

सीएम के निर्देश-अगले तीन माह विशेष सतर्कता बरती जाये

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में आपदा प्रबंधन की समीक्षा करते हुए कहा कि रेस्पोंस टाईम कम से कम होना चाहिए। आपदा की स्थिति में राहत व बचाव कार्य तत्काल शुरू हो जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आपदा से संबंधित किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हर दम अलर्ट रहने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अगले तीन माह महत्वपूर्ण हैं। आपदा की चुनौतियों से निपटने के लिए जिलाधिकारी अधिकांश निर्णय अपने स्तर पर लें। जिन समस्याओं का समाधान जिलास्तर पर नहीं हो पा रहा है, उन्हें ही शासन तक भेजा जाय। उन्होंने सभी विभागों को समन्वय से कार्य करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। आपदा के दृष्टिगत अगले तीन माह अधिकारियों की छुट्टी विशेष परिस्थिति में ही स्वीकृत की जाए। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जिलों में आपदा प्रबंधन के लिए जो धनराशि दी जा रही है, उसका आपदा मानकों के हिसाब से अधिकतम उपयोग हो, यह सुनिश्चित किया जाए। आपदा प्रभावितों को आपदा मानकों के हिसाब से मुआवजा यथाशीघ्र मिले। आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत रिस्पांस टाइम कम से कम हो। बारिश या भूस्खलन से सड़क, बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में कम से कम समय में आपूर्ति सुचारू की जाय। यह सुनिश्चित किया जाए कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों में जेसीबी की पर्याप्त व्यवस्था हो एवं उनके ट्रैकिंग सिस्टम की व्यवस्था की जाए। सभी सैटेलाईट फोन चालू अवस्था में रहें। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य के पर्वतीय जनपदों एवं आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के लिए खाद्य सामग्री, आवश्यक दवाओं एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की पूर्ण व्यवस्था रखी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें बढ़ायी जाए। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन जनपदों में ड्रेनेज सिस्टम की समस्याएं हैं, ड्रेनेज प्लान शीघ्र भेजें। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि शासन स्तर पर जो बैठकें होती हैं, उससे पूर्व संबंधित विषयों पर जिलाधिकारी सभी विभागों की बैठक करें, ताकि शासन स्तर पर होने वाली बैठक में जिला स्तर पर आने वाली सभी परेशानियों को रखा जा सके।
मुख्यमंत्री वाहन दुर्घटना में मृतक परिजनों को दिये जाने वाले मुआवजे में वृद्धि का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन के साथ ही चारधाम यात्रा एवं कांवड़ यात्रा भी महत्वपूर्ण है। इस वर्ष चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा से जुड़े जनपदों के अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाए कि चारधाम यात्रा सुव्यवस्थित चले। कांवड़ यात्रा की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी हरिद्वार, देहरादून, टिहरी एवं पौड़ी को पुलिस के साथ निरन्तर समन्वय बनाने के निर्देश दिये।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, डॉ. रंजीत सिन्हा, कमिश्नर कुमांऊ दीपक रावत, डीआईजी कुमांऊ डॉ. नीलेश आनंद भरणे, सभी जिलाधिकारी, एस.एस.पी एवं जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने कुम्हार हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी के गिलास में चाय पी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में ‘‘कुम्हारी कला ‘‘ को पुनर्जीवित करने को लेकर बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में कुम्हारी कला को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि कुम्हारी कला समृद्ध एवं प्राचीन हस्तकला है। उतराखण्ड में अनेक परिवार इस कला से जुड़े हैं। भारत सरकार की ‘‘कुम्हार सशक्तिकरण योजना” का उद्देश्य कुम्हारी कला को पुनर्जीवित करना एवं समाज के सबसे कमजोर वर्गों में से एक कुम्हार समुदाय को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त कर विकास की मुख्यधारा में वापस लाना है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कुम्हारों को उन्नत किस्म के मिट्टी के उपकरण बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में मिट्टी उपलब्ध हो, इसके लिए ऐसी मिट्टी वाली भूमि का चिन्हीकरण किया जाए। चिन्हित भूमि से कुम्हारों को आवश्यकतानुसार एवं मानकों के हिसाब से निःशुल्क मिट्टी उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्हार हस्तकला को राज्य में बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री आवास एवं सचिवालय में मिट्टी से बने गिलासों में चाय देने की शुरूआत की जाए। इसे व्यापक स्तर पर प्रदेश भर में बढ़ावा दिया जाए। मुख्यमंत्री एवं अधिकारियों ने सचिवालय में मिट्टी के गिलासों में चाय पीकर इसकी शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि 3 माह में कुम्हारी कला की अगली बैठक आयोजित की जायेगी, कुम्हारी कला को बढ़ावा देने के लिए राज्य में क्या प्रयास किये गये, इसकी समीक्षा की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्हारी हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए एक पोर्टल बनाया जाए। इस विद्या से जुड़े लोगों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें हर सम्भव मदद दी जाए। देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुनर हाटों में हस्तकला से जुड़े लोगों को भेजा जाए। कुम्हारी कला को राज्य में बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था भी हो। उन्होंने कहा कि कुम्हार हस्तकला इकोलॉजी के लिए भी अच्छा है। कुम्हार हस्तकला को सीएम स्वरोजगार योजना में भी जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है, दीपावली के पर्व पर कुम्हारों द्वारा निर्मित दिये एवं अन्य उत्पादों की खरीद के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव बीवीआरसी पुरूषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, महानिदेशक उद्योग रणवीर सिंह चौहान, अपर सचिव आनन्द श्रीवास्तव, निदेशक उद्योग सुधीर चन्द्र नौटियाल, माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति उपस्थित रहे।

पात्र लोगों को सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सचिवालय में बैठक लेते हुए शासन के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिलाधिकारियों द्वारा जनपदों से संबंधित जिन समस्याओं से अवगत कराया जा रहा है, उनका प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाए। मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से प्राप्त समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न विभागों की समीक्षा की। इस अवसर पर उन्होंने स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि, उद्यान, सहकारिता, पशुपालन सिंचाई, समाज कल्याण, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास, खाद्य एवं अन्य विभागों की समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिलाधिकारियों से विभिन्न विभागों से संबंधित जो भी समस्याएं आ रही है, उनके समाधान में समयबद्धता का विशेष ध्यान रखा जाए। विभागीय सचिवों द्वारा नियमित इनकी समीक्षा की जाए। विभागों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी पात्र लोगों को मिले। जिलाधिकारियों द्वारा जनपदों से संबधित जो भी समस्याएं बताई जा रही हैं, उनका समयबद्धता के साथ निस्तारण के लिए कलैण्डर बनाया जाए।
बैठक में सचिव राधिका झा, सौजन्या, अरविन्द सिंह ह्यांकी, बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, एच.सी सेमवाल, विनोद कुमार सुमन आदि उपस्थित रहे।

उत्तराखण्ड में योग का मुख्य कार्यक्रम परमार्थ निकेतन में होगा आयोजित

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने आज सचिवालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों को लेकर बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश के सभी चिन्हित स्थानों जहां पर योग शिविरों का आयोजन किया जाना है, उन स्थानों पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं। उत्तराखण्ड में योग का मुख्य कार्यक्रम 21 जून को परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में किया जायेगा। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि मुख्य कार्यक्रम स्थल में सभी व्यवस्थाओं के लिए सभी संबंधित विभाग पूरी तैयारी रखें। जिला प्रशासन पौड़ी को कार्यक्रम से संबंधित व्यवस्थाओं को समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिये।
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर केन्द्र सरकार की ओर से जिन 75 हैरिटेज स्थलों का चयन किया गया है, उनमें उत्तराखण्ड से श्री केदारनाथ का भी चयन किया गया। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये राज्य में चयनित 75 प्रतिष्ठित स्थानों के अलावा जनपदों के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों एवं हेल्थ एण्ड वैलनेस सेंटरों में भी योग शिविरों की व्यवस्था की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि अधिक से अधिक लोग योग शिविरों से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि योग शिविरों में योग प्रशिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर खेल, फिल्म जगत, प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं जैसे प्रदेश की प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया जाए। उन्होंने कहा की सभी संबंधित विभागों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों के लिए नोडल अधिकारियों की तैनाती की जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, रविनाथ रमन, डॉ. पंकज पाण्डेय, एच.सी. सेमवाल, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार जोशी, अपर सचिव डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, एम.एम. सेमवाल, शिक्षा निदेशक आर.के. कुंवर, संयुक्त निदेशक सूचना के.एस. चौहान एवं वर्चुअल माध्यम से परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती तथा सभी जनपदों के जिलाधिकारी उपस्थित रहे।