कर चोरी करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने सचिवालय में राज्य कर विभाग के साथ जीएसटी के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को स्पॉट वेरिफिकेशन ड्राइव जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए वेरिफिकेशन टीम की संख्या बढ़ाकर अभियान में तेजी लाते हुए पूरे प्रदेश में शुरू किया जाए।
मुख्य सचिव ने राज्य कर के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि ईमानदार करदाताओं को परेशान न किया जाए परन्तु कर चोरी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने अपने समानांतर इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित कर टैक्स चोरी करने वालों की जानकारी देने वालों को पुरस्कृत किए जाने की बात कही। साथ ही साथ यह भी निर्देश दिये गये कि जिस अधिकारी के क्षेत्र में करापवंचन होता पाया जायेगा उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक/दण्डात्मक कार्यवाही की जाय। सभी अधिकारियों की परफार्मेंस रिपोर्ट अधिकारीवार तैयार की जाय और ऐसे अधिकारी, जिनकी परफार्मेंस संतोषजनक नहीं पायी जाती है, के विरूद्ध भी कार्यवाही की जाय। मुख्य सचिव महोदय द्वारा यह भी निर्देश दिये गये कि विभाग की साप्ताहिक समीक्षा की जायेगी।
बैठक के दौरान आयुक्त कर डॉ. अहमद इकबाल ने विभाग में किये जा रहे कार्या के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया गया जिसमें बताया गया कि राज्य क्षे़त्राधिकार के अन्तर्गत कुल एक लाख बारह हजार करदाता पंजीकृत हैं, जिसमें से लगभग 35 हजार ऐसे करदाता हैं जो काफी समय से कोई कर जमा नही कर रहे हैं। आयुक्त कर द्वारा यह भी बताया गया कि मुख्य सचिव महोदय द्वारा पूर्व में दिये गये निर्देशों के क्रम में 7 जुलाई, 2022 से उपरोक्त व्यापारियों के सम्बन्ध में विशेष जांच अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें आतिथि तक कुल चार हजार व्यापारियों की जांच करते हुए रू0 2.13 करोड़ की धनराशि जमा करवायी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त कुछ व्यापारियों की गोदामों की जांच भी करवाई गयी है जिसमें रू0 2.25 करोड़ का माल जब्त किया गया है। उक्त कार्यवाही में व्यापार न करने वाली फर्मां पर पंजीयन निरस्तीकरण एवं अर्थदण्ड की कार्यवाही की जा रही है। यह भी अवगत कराया गया कि फर्जी आई0टी0सी0 लेने वाले 4 व्यापारियों के बैंक खाते भी सीज कर दिये गये हैं।

बिना मिलीभगत के संभव नही ई-वे बिल का 8500 करोड़ का फर्जीवाड़ा

जीएसटी में पंजीयन और ई-वे बिल की आसान प्रक्रिया का फायदा उठाकर उत्तराखंड में 8500 करोड़ रुपये मूल्य के फर्जी ई-वे बिल बनाने का मामला सोमवार को सामने आया। मात्र दो माह के अंतराल में यह बिल बनाए गए और इसके लिए प्रदेश में 70 फर्जी फर्मों को कागजों में उत्तराखंड में संचालित दिखाया गया। दो माह की मशक्कत के बाद पकड़ में आए इस मामले का खुलासा राज्य कर विभाग ने सोमवार को किया।
सोमवार को सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य कर आयुक्त सौजन्या ने बताया कि विभाग को इस बड़े फर्जीवाड़े की भनक करीब दो माह पूर्व लगी। जीएसटी में पंजीयन और ई-वे बिल के सरल तरीका का फायदा उठाकर 70 फर्जी फर्मों को उत्तराखंड के भिन्न हिस्सों में किराए पर लिए भवनों में दिखाया गया।
इन फर्मों में से 26 ने चप्पल की बिक्री अन्य राज्यों आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में दिखाई। इसी के आधार पर 34 फर्मों ने 8500 करोड़ रुपये मूल्य के 12204 ई-वे बिल ऑनलाइन जनरेट किए। इसके जरिए करीब 1200 करोड़ रुपये से लेकर 8500 करोड़ रुपये तक का मूल्य वर्धन उत्पादों में दिखाया।
बड़ी संख्या में भारी मूल्य के ई-वे बिल सामने आने पर राज्य कर विभाग के अधिकारियों को शक हुआ और इसकी जांच की गई। राज्य कर विभाग की 55 टीमों ने ऊधम सिंह नगर और देहरादून में 70 फर्मों के ठिकानों पर दबिश दी। इन फर्मों ने उत्तराखंड में किराए के स्थानों से कारोबार किया जाना दिखाया था। छापेमारी में एक भी किरायानामा सही नहीं पाया गया और न ही कहीं उत्पादन होता मिला। साफ था कि सिर्फ कागजों में ही यह व्यापार किया जा रहा था।
सौजन्या के मुताबिक 80 लोगों ने 21 मोबाइल नंबर और ई मेल आईडी का उपयोग कर दो-दो की साझेदारी में 70 फर्म पंजीकृत कीं। पंजीयन लेते समय सभी साझीदारों ने स्वयं को हरियाणा या दिल्ली का रहने वाला बताया और उत्तराखंड में किराए पर व्यापार स्थल को दिखाते हुए पंजीयन हासिल किया। पंजीयन लेते समय बिजली के बिलों और किराएनामे का उपयोग किया गया और यह सब फर्जी पाया गया। इसमें करीब 1455 करोड़ रुपये के कर अपवंचन का मामला बन रहा है।
12 उपायुक्त, 55 अपर आयुक्त, 55 स्टेट टैक्स अधिकारी और 55 स्टेट टैक्स अधिकारी इस मुहिम में शामिल हैं। इसके अलावा मुख्यालय के दस अधिकारियों की कोर टीम भी इसमें शामिल रही। ये सभी अधिकारी पिछले 15 दिन से जांच में जुटे हुए थे। राज्य कर आयुक्त सौजन्या के मुताबिक जांच अभी जारी है। इन अधिकारियों ने सोमवार को करीब 55 स्थानों पर अलग-अलग छापेमारी की। राज्य कर आयुक्त, सौजन्या ने बताया कि इस तरह के फर्जी मामलों के लिए उत्तराखंड को किसी भी तरह से सेफ हेवन नहीं बनने दिया जाएगा। इस तरह के फर्जीवाड़ों की रोकथाम के लिए राज्य कर विभाग लगातार काम करता रहेगा।