सीएम धामी के प्रयास निरंतर तत्परता से होते हैं शुरू

हाल के महीनों में, उत्तराखंड ने कई प्राकृतिक आपदाओं को देखा है, जो मुख्य रूप से अनियमित मौसम पैटर्न और क्षेत्र की अनूठी स्थलाकृतिक चुनौतियों के कारण हुई हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में, पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें नागरिकों की भलाई को सबसे आगे रखने वाले सक्रिय दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है। सरकारी अधिकारियों के बीच सतर्कता बनाए रखने और आपात स्थितियों के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की उनकी प्रतिबद्धता आपदाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में उनके नेतृत्व को रेखांकित करती है।

मुख्यमंत्री धामी के प्रयास निरंतर तत्परता से शुरू होते हैं। उन्होंने अधिकारियों को हर समय सतर्क रखने के उपाय किए हैं, खासकर अप्रत्याशित मौसम में। इस दृष्टिकोण की तात्कालिकता तब स्पष्ट हुई जब वे शुक्रवार को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार से लौटते ही अपना ध्यान राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र पर केंद्रित किया, जहां उन्होंने दो दिनों में हुई बारिश से संबंधित घटनाओं पर तुरंत अपडेट मांगा। यह तत्काल प्रतिक्रिया न केवल उनके समर्पण को दर्शाती है, बल्कि उनकी प्रशासनिक टीमों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल भी स्थापित करती है।

इसके अलावा, संभावित आपदा की स्थिति में, धामी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेटों से सीधे संवाद करते हैं। यह तरीका सुनिश्चित करता है कि सूचना राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से और प्रभावी ढंग से प्रवाहित हो। अपने निर्देशों में, वे सभी अधिकारियों को 24 घंटे तत्परता के लिए “अलर्ट मोड“ में रखने के महत्व पर जोर देते हैं। यह ऐसे राज्य में महत्वपूर्ण है, जहां अचानक और गंभीर मौसम परिवर्तन होने की संभावना होती है, जिससे सड़कें बंद हो सकती हैं और भूस्खलन हो सकता है। यह सुनिश्चित करके कि अधिकारी तुरंत कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं, धामी संकट के समय में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

मुख्यमंत्री धामी का व्यावहारिक दृष्टिकोण घटनाओं के बाद आपदा स्थलों पर उनके तत्काल दौरे से स्पष्ट होता है। आपदा के स्थान पर उनकी उपस्थिति न केवल स्थानीय लोगों और आपातकालीन प्रतिक्रियाकर्ताओं दोनों के लिए मनोबल बढ़ाने का काम करती है, बल्कि उन्हें स्थिति का सीधे तौर पर आकलन करने का भी मौका देती है। यह व्यक्तिगत भागीदारी प्रतिबद्धता के स्तर को प्रदर्शित करती है जो नागरिकों के साथ प्रतिध्वनित होती है, जिससे सरकारी उपायों और नीतियों में विश्वास बढ़ता है।

जन जागरूकता की आवश्यकता को पहचानते हुए, धामी ने स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में, संभावित खतरों और सुरक्षा उपायों के बारे में सूचित करने के प्रयासों का निर्देश दिया है। जलभराव और अन्य जोखिमों के बीच लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए उनका आह्वान आपदा की तैयारियों में सभी की भागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है। जागरूकता बढ़ाकर और सक्रिय उपायों को बढ़ावा देकर, वे आपदा प्रबंधन प्रक्रिया में नागरिकों को प्रभावी रूप से शामिल करते हैं।

अगले दिन ग्राउंड ज़ीरो में पर मौजूद होते हैं मुख्यमंत्री धामी!

6 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री धामी पहुंचे थे जोशीमठ।

जनवरी 2023 शुरुआत में ही जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते सैकड़ों परिवारों का जीवन संकट में पड़ गया था। इस आपदा से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए। 6 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ का दौरा किया और अधिकारियों को रेस्क्यू ऑपरेशन तेज करने का आदेश दिए थे। इससे पहले सचिवालय में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई थी। मुख्यमंत्री धामी ने नरसिंह मंदिर और मारवाड़ी इलाके का भी दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मिलकर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने सभी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने 6 जनवरी 23 तक 100 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। और रेस्क्यू अभियान को और भी तेज किया। जोशीमठ में होटल व अन्य भवन स्वामियों को सरकार की तरफ से उचित मुआवजा दिया गया।

हरिद्वार जल भराव, सीएम ने नाव से लिया जायजा!

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 13 जुलाई 2023 को हरिद्वार का दौरा कर जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया और नाव से भी स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद, मुख्यमंत्री ने देहरादून स्थित आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावित लोगों को आवश्यकताएँ, जैसे भोजन, पानी और मेडिकल सहायता, जल्द से जल्द पहुंचाई जाएं। मुख्यमंत्री धामी का यह त्वरित प्रतिक्रिया और स्थितियों का स्वयं निरीक्षण करना उनके जनता के प्रति समर्पण और संवेदनशीलता को दर्शाता है।

सिल्क्यारा-बड़कोट टनल , मुख्यमंत्री ने मातली में किया कैम्प

12 नवंबर 2023 को उत्तराखंड के सिल्क्यारा-बड़कोट निर्माणधीन टनल में भूस्खलन होने की वजह से 41 श्रमिक फँस गए थे, जिनमें कंपनी के दो फ़ोरमैन भी शामिल थे। यह घटना दिवाली के दिन सुबह करीब 5 बजे हुई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे एक बड़ी प्राथमिकता मानते हुए तुरंत ही राहत एवं बचाव कार्य शुरू करवाए। इसके लिए पूरी सरकारी मशीनरी को सक्रिय कर दिया गया और बचाव कार्य में दिक्कत न हो, इसके लिए मुख्यमंत्री ने खुद भी स्थल पर विशेषज्ञ टीम और आईटीबीपी मातली उत्तरकाशी में करीब एक सप्ताह का कैम्प किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तत्परता और सक्रियता के कारण सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। यह दर्शाता है कि सरकार की तत्पर और सही समय पर राहत-बचाव कार्य की योजना और क्रियान्वयन की योग्यताएं आपात स्थिति में कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। सभी श्रमिकों को बड़े परिश्रम के 17 दिन बाद 28 नवम्बर 2023 को सुरक्षित निकाल पाने की इस सफलता पर राज्य के नागरिकों में राहत और मुख्यमंत्री की कार्यशैली की सराहना हुई थी।

खटीमा और चंपावत जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 9 जुलाई 2024 में कुमाऊं मंडल के दौरे के दौरान उधम सिंह नगर के खटीमा और चंपावत जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। अतिवृष्टि के कारण हुए बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने अधिकारियों से त्वरित और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। खटीमा क्षेत्र में चकरपुर, अमाऊं, खटीमा बाजार, रेलवे क्रासिंग, आवास विकास और पकड़िया जैसे अनेक क्षेत्र अतिवृष्टि से प्रभावित हुए। सीएम धामी ने इन क्षेत्रों का हवाई और स्थलीय निरीक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया। सीएम धामी ने आठ जुलाई को कुमाऊं मंडल के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाने और छक्त्थ्, ैक्त्थ् व जल पुलिस की मदद से फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए। अतिवृष्टि और बाढ़ से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए सीएम धामी ने प्रशासन की तत्परता और समर्पण की प्रशंसा की और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अधिकतम प्रयास करने का आग्रह किया।

टिहरी के तोली और तिनगढ़ त्रासदी!

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 29 जुलाई 2024 को उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्र घनसाली, टिहरी का दौरा किया। भारी बारिश और भूस्खलन ने इस क्षेत्र में काफी तबाही मचाई थी। तिनगढ़ गांव में शनिवार को हुए भूस्खलन में 15 आवासीय मकान मलबे में दब गए थे, लेकिन प्रशासन की तत्परता से इन घरों को पहले ही खाली करा लिया गया था, जिसके कारण कोई जनहानि नहीं हुई। प्रभावित ग्रामीणों को विनयखाल के राजकीय इंटर कॉलेज में अस्थायी रूप से ठहराया गया। भिलंगना ब्लॉक के तोली गांव में भूस्खलन की त्रासदी ने एक परिवार को प्रभावित किया, जहां एक मकान के अंदर मां और बेटी की मौत हो गई। परिवार के अन्य सदस्य भाग कर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। मुख्यमंत्री ने विनयखाल के आपदा शिविर में रह रहे पीड़ितों से मुलाकात की और उनके दुख-दर्द को साझा किया। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। सीएम के सामने कई पीड़ित भावुक हो गए, खासकर बुजुर्ग महिलाओं के आंसू छलक आए, जो इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस मुश्किल घड़ी में पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी है और हर संभव सहायता प्रदान करेगी। आपदा के मद्देनजर प्रशासन और राहत कार्यकर्ता लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। सरकार ने भी आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त संसाधन और सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है, ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द सहायता पहुंचाई जा सके और उनका सामान्य जीवन पुनः स्थापित हो सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह दौरा पीड़ितों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित हुआ और उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार पीड़ितों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

आपदाग्रस्त क्षेत्र जखन्याली टिहरी का दौरा किया।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को जनपद टिहरी के आपदाग्रस्त क्षेत्र जखन्याली का 1 अगस्त 2024 को स्थलीय निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने आपदाग्रस्त क्षेत्र में यात्रा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने शोकसंवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्माओं की शांति और शोकाकुल परिवारों को धैर्य और साहस प्रदान करने की कामना की। मुख्यमंत्री ने प्रभावितों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार और प्रशासन इस कठिन परिस्थिति में उनके साथ खड़े हैं और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय एक दूसरे का सहयोग करने का है और सबको मिलकर इस संकट का सामना करना होगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि वे राहत कार्यों में तेजी लाएं और सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रभावित व्यक्ति सहायता से वंचित न रह जाए। उनकी उपस्थिति ने प्रभावित समुदायों को सांत्वना और उत्साह प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वे इस कठिन घड़ी में एकजुट रहें और एक-दूसरे का समर्थन करें।

केदारघाटी में सफल रेस्क्यू अभियान!

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारघाटी में सफल रेस्क्यू अभियान के पूरा होने की घोषणा की। केदारनाथ पैदल यात्रा पुनः शुरू होने की उम्मीद है। 6 अगस्त 2024 को रुद्रप्रयाग पहुंचकर, सीएम धामी ने राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की और प्रभावित लोगों का हालचाल जाना। रेस्क्यू ऑपरेशन के पहले चरण के पूरा होने की जानकारी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि अब दूसरे चरण में व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर केदारनाथ पैदल यात्रा को शुरू कराने पर ध्यान दिया जा रहा है। चौमासी से भैरव मंदिर तक के पैदल मार्ग को वैकल्पिक रूट के रूप में बनाने का कार्य भी प्रगति पर है। मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि रिकॉर्ड समय में लगभग 15,000 यात्रियों और स्थानीय लोगों को एयरलिफ्ट और पैदल मार्गों से सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। अब जहां भी मार्ग क्षतिग्रस्त हैं, उनकी मरम्मत के लिए युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है।

टिहरी के घुत्तु-पंजा-देवलिंग में 22 अगस्त को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण

22 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भराड़ीसैंण विधानसभा सत्र में व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद टिहरी जिले के घुत्तु-पंजा-देवलिंग के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का महत्वपूर्ण दौरा किया। यह दौरा पिछले दिन हुई विनाशकारी घटनाओं के जवाब में था, जब 21 अगस्त को इस क्षेत्र में एक आपदा आई थी। मुख्यमंत्री की मौजूदगी ने चल रहे राहत और बचाव कार्यों की तात्कालिकता और महत्व को रेखांकित किया, जो प्रभावित लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण थे। अपने दौरे के दौरान, मुख्यमंत्री धामी ने मलेठी में प्रभावित परिवार विशाल मणि की पत्नी दुर्गा देवी से मुलाकात की। यह बातचीत महज औपचारिक नहीं थी; इसने आपदा से होने वाले मानवीय नुकसान के प्रति करुणामय समझ को प्रदर्शित किया।

पैदल मार्ग घोड़े- खच्चरों के लिए 26 दिनों के भीतर ही खुल गए हैं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी में चले रेस्क्यू अभियान में हजारों श्रद्धालुओं एवं स्थानीय जनता को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इसके बाद प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग को तेजी के साथ दुरुस्त करने की चुनौती थी। इस चुनौती को भी जिला प्रशासन ने पार पा लिया जिसके बाद मार्ग को घोड़ा खच्चर संचालन के लिए भी दुरुस्त कर लिया गया है।
26 अगस्त को श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते बंद हुए पैदल मार्ग घोड़े- खच्चरों के लिए 26 दिनों के भीतर ही खुल गए हैं। यात्रा मार्ग पर घोड़े- खच्चरों की आवाजाही के साथ ही घोड़े- खच्चरों से राशन एवं अन्य अनिवार्य सामग्री की आपूर्ति भी शुरू हो गई है।

केदारघाटी में रेस्क्यू अभियान का प्रथम चरण हुआ पूरा

केदारघाटी में रेस्क्यू अभियान का प्रथम चरण पूरा हो गया है। केदारनाथ में स्वेच्छा से रुके 78 लोगों को एमआई-17 के जरिये रविवार को गुप्तकाशी पहुंचाया गया, जिनमें स्थानीय दुकानदार, साधु-संत, घोड़ा-खच्चर चालक आदि शामिल थे।

इसके साथ ही वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर को विदा कर दिया गया है। अब कहीं भी कोई यात्री नीचे आने के लिए शेष नहीं बचा है। स्थानीय लोग जिन्हें नीचे आना था, वे सभी लाए जा चुके हैं। केदारनाथ धाम में खाद्य सामग्री तथा अन्य जरूरी सामान तथा रसद सामग्री जो पहुंचाई जानी थी, उन्हें एमआई-17 तथा स्टेट हेलीकॉप्टर के माध्यम से पहुंचाया जा चुका है। वहीं दूसरी ओर भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर को केदारनाथ में कुछ भारी मशीनों को पहुंचाने के लिए अभी रोका गया है। जैसे ही मौसम खुलेगा, बड़ी मशीनों को पहुंचाकर चिनूक को भी रवाना कर दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री तथा मा0 गृहमंत्री का जताया विशेष आभार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस रेस्क्यू अभियान में सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह का विशेष तौर पर आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस आपदा के तुरंत बाद उन्होंने भारत सरकार से यात्रियों का सुरक्षित रेस्क्यू किए जाने के लिए वायु सेना की मदद मांगी और प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए तुरंत एमआई-17 तथा चिनूक हेलीकॉप्टर उपलब्ध करा दिए। उन्होंने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस आपदा के बाद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर इतने फिक्रमंद थे कि वे स्वयं इस रेस्क्यू अभियान की अपडेट लेते रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा-विपरीत परिस्थितियों में किया सराहनीय कार्य
केदारघाटी में 31 जुलाई को अतिवृष्टि के बाद विभिन्न स्थानों से यात्रियों तथा स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए चलाए गए अभियान में सराहनीय योगदान देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राहत और बचाव कार्यों में लगी विभिन्न एजेंसियों का आभार जताया है। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि इस रेस्क्यू अभियान में 15 हजार से भी अधिक लोगों का सुरक्षित किया। राहत और बचाव कार्यों में लगी विभिन्न एजेंसियों ने शानदार रणनीति के साथ योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया और एक सप्ताह से भी कम समय में यह अभियान संपन्न हो सका।

रविवार को राहत और बचाव कार्यों में लगी विभिन्न एजेंसियों के नाम जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि मुश्किल वक्त और विपरीत परिस्थितियों में भारतीय वायु सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई आदि विभागों ने सराहनीय कार्य कर हजारों लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू किया। मुख्यमंत्री ने मंदिर समिति के साथ ही व्यापार मंडल, स्थानीय दुकानदारों एवं स्थानीय निवासियों द्वारा प्रदान किए गए सहयोग के लिए उनका विशेष तौर पर आभार प्रकट किया।

उन्होंने सचिव लोक निर्माण विभाग पंकज पांडेय, कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पांडेय, सचिव सिंचाई आर राजेश कुमार, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, मीडिया से बेहतर समन्वय के लिए बंशीधर तिवारी एवं उनकी टीम, यूएसडीएमए के एसीइओ आनंद स्वरूप तथा डीआईजी राजकुमार नेगी, भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शैलेश कुमार एवं उनकी टीम, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग सौरभ गहरवार एवं उनकी टीम, एसपी विशाखा अशोक भदाणेएवं उनकी टीम, एनडीआरएफ के कमांडेंट सुदेश दराल एवं उनकी टीम, आईजी एसडीआरएफ ऋद्धिम अग्रवाल, कमांडेंट मणिकांत मिश्रा एवं उनकी टीम, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेंद्र सिंह एवं उनकी टीम, एसडीएम आशीष घिल्डियाल एवं उनकी टीम तथा विभिन्न रेखीय विभाग एवं उनके अधिकारियों तथा कर्मचारियों द्वारा दिए गए योगदान की सराहना की है।

मुख्यमंत्री ने की पल-पल की निगरानी
पूरे रेस्क्यू अभियान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं पल-पल की निगरानी की। 01 अगस्त को मुख्यमंत्री ने यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर हालात का जायजा लिया तथा अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य त्वरित गति से संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने भारत सरकार से रेस्क्यू करने के लिए वायु सेना की मदद प्रदान करने का अनुरोध किया तो भारत सरकार ने तुरंत एक एमआई-17 तथा एक चिनूक हेलीकॉप्टर उपलब्ध करा दिया। मा0 मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिव लोक निर्माण विभाग तथा सचिव आपदा प्रबंधन ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर वहीं कैंप किया। मा0 मुख्यमंत्री ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात की समीक्षा की और युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य संचालित करने के निर्देश दिए। सरकार की प्राथमिकता है कि केदारघाटी में जल्द से जल्द हालात सामान्य हों।

युद्धस्तर पर चल रहा कार्य, 25 मार्ग हुए बहाल
केदारनाथ पैदल मार्ग में 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते क्षतिग्रस्त अधिकांश रास्तों को पैदल चलने योग्य बना दिया गया है। विभिन्न स्थानों पर 29 मार्ग क्षतिग्रस्त हुए थे, जिनमें से 25 रास्तों को यात्रियों के पैदल आवागमन के लिए सुचारु कर दिया गया है। शेष मार्गों को दुरुस्त करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। मा0 मुख्यमं़त्री ने इन्हें भी जल्द सुचारू करने के निर्देश दिए हैं ताकि जल्द से जल्द पैदल मार्ग से भी चारधाम यात्रा शुरू की जा सके।

भीमबली में भूस्खलन से जान-माल का नुकसान नहीं
भीमबली में हेलीपैड के पास रविवार को हुए भूस्खलन से जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। इस स्थान पर पहले से पत्थर गिर रहे थे, एहतियातन वहां से लोगों को पहले ही हटा दिया गया था। समय रहते वहां से लोगों को हटाने से कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। भूस्खलन के कारण नदी के एक हिस्से में पानी एकत्र हुआ था, जिसे हटाने के लिए कार्रवाई गतिमान है।

लगातार मॉनिटरिंग और ग्राउंड जीरो पर मुख्यमंत्री धामी के बार-बार जाने से कार्यों में आई तेज़ी

विगत दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारघाटी में 31 जुलाई को आपदा के कारण हुए नुकसान एवं राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लेते हुए अधिकारियों को जल्द से जल्द जनजीवन सामान्य बनाने के निर्देश दिए गए थे तथा क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय राजमार्ग एवं पैदल यात्रा मार्ग में अवरुद्ध यात्रा मार्ग को तत्परता से दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए थे।

अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग निर्भय सिंह ने अवगत कराया है कि मुख्यमंत्री एवं जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में सोनप्रयाग एवं गौरीकुंड के बीच जो डेढ मीटर राष्ट्रीय राजमार्ग पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे खोलने के लिए पोकलैंड मशीन के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग खोलने के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही सोनप्रयाग पुल के पास जो सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थी उसका पुश्ता निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है।

अधिशासी अभियंता डीडीएमए विनय झिंक्वाण ने अवगत कराया है कि केदारनाथ पैदल मार्ग कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो गया है तथा लगभग 15 स्थान ऐसे हैं जहां पैदल सड़क मार्ग पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग को दुरुस्त करने के लिए मजदूरों द्वारा विषम कठिन परिस्थितियों में मरम्मत एवं निर्माण कार्य निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम से छोटी लिनचोली तक क्षतिग्रस्त पैदल यात्रा मार्ग को आवाजाही हेतु सुचारू कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरों द्वारा क्षतिग्रस्त केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग को खोलने के लिए कार्य त्वरित गति से किया जा रहा है किन्तु मौसम साथ न देने के कारण मजदूरों की सुरक्षा के दृष्टिगत कार्य निरंतर नहीं हो पा रहा है।

सीएम धामी स्वयं पिछले 72 घंटों से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन की कर रहे हैं मॉनिटरिंग

केदारनाथ यात्रा मार्ग पर फंसे हुए यात्रियों को लगातार सुरक्षित निकालने का प्रयास किया जा रहा है। सीईओ बीकेटीसी योगेंद्र सिंह ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के चौथे दिन केदारनाथ धाम में फंसे हुए यात्रियों 373 यात्रियों, स्थानीय लोगों एवं मजदूरों को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं अन्य सुरक्षा बलों की मदद से लिनचोली तक पहुंचाने के लिए रवाना कर दिया गया है। लिनचोली से एयरलिफ्ट कर इन सभी को रेस्क्यू किया जाएगा। वहीं केदारनाथ हैलीपैड पर अभी 570 यात्री, स्थानीय लोग और मजदूर एयर लिफ्ट होने का इंतजार कर रहे हैं। केदारनाथ में सभी लोगों के लिए जिला प्रशासन, बीकेटीसी और तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा फूड पैकेट्स, पानी की बोतलें, फल उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

उधर, रामबाड़ा चौमासी ट्रैक से एनडीआरएफ एव एसडीआरएफ द्वारा 110 यात्रियों को रेस्क्यू कर चौमासी पहुंचा दिया गया है। ट्रैक पर सुरक्षा बलों द्वारा यात्रियों को लगातार फूड पैकेट्स, पानी सहित चिकित्सा उपचार उपलब्ध करवाया गया। अब तक इस मार्ग से 534 से अधिक यात्रियों एव स्थानीय लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।

भारी बारिश के दृष्टिगत राज्य सरकार ने जारी किए आपदा राहत दूरभाष नम्बर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में बीते दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण राज्य के विभिन्न स्थानों एवं हिमाचल प्रदेश में फंसे उत्तराखण्ड के नागरिकों की सहायता के लिए राज्य सरकार द्वारा आपदा राहत नम्बर जारी किए गए हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में रविवार से हो रही भारी बारिश के चलते कई जिलों में नुकसान हुआ है और जगह-जगह पर लोग फंसे हुए हैं। सीमावर्ती हिमाचल प्रदेश में भी बारिश से जन जीवन अस्त व्यस्त हुआ है। हिमाचल में भी उत्तराखंड के तमाम लोग फंसे हुए हैं। इन परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से आपदा राहत नंबर जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आमजन से अपील और अनुरोध किया है कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के दृष्टिगत समस्त प्रदेशवासियों एवं तीर्थयात्री अनावश्यक यात्रा करने से बचें। उन्होंने कहा कि वे स्वयं राज्य आपदा कंट्रोल रूम तथा जिलाधिकारियों से सभी जनपदों से सड़क मार्ग एवं बारिश की स्थिति के बारे में जानकारी ले रहे हैं। इसके अलावा, समस्त जनपदों में ज़िला प्रशासन एवं एसडीआरएफ को हाई-अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं।
सहायता हेतु निम्न नंबरों पर लोग कर सकते हैं संपर्क
9411112985, 01352717380, 01352712685, इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप नंबर- 9411112780 पर भी लोग मैसेज कर सकते हैं।

भारत सरकार के सीबीआरआई द्वारा प्रभावितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट निर्माण पर मिली सहमति

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने आज जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्याे की मीडिया को जानकारी दी। बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रति परिवार विस्थापन हेतु अग्रिम के रूप 125 परिवारों को 187.50 लाख रूपये की धनराशि वितरित कर दी गयी है। भारत सरकार के स्तर पर सी0बी0आर0आई0 द्वारा विस्थापितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट में सहायता दी जा रही है। प्रशासन द्वारा शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ में 10 स्थानों पर अलाव जलाये गये हैं। राहत शिविरों में हीटर की व्यवस्था की गई है।

सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि राहत शिविरों की क्षमता में वृद्धि करते हुए अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 615 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रूपये की दर से घरेलू राहत सामग्री हेतु अभी तक कुल 73 ( कुल 3.65 लाख रूपये ) प्रभावितों को वितरित की गई है। तीक्ष्ण / पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन हेतु 10 प्रभावितों को 13.00 लाख रूपये धनराशि वितरित की गई है। मकान किराये के लिए 10 लोगों ने आवेदन किया है।

सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 148 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 223 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है।

प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।

बादल फटने के बाद देवप्रयाग की कई इमारतों को नुकसान

उत्तराखंड के देवप्रयाग के ऊपरी क्षेत्र में मंगलवार देर शाम मूसलाधार बारिश के बाद बादल फट गया। बादल फटने से क्षेत्र में गदेरा उफान पर आ गया, कई दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। वहीं, आईटीआई का भवन भी ध्वस्त हो गया।

गनीमत रही कि कोविड कर्फ्यू के चलते दुकानें बंद थी, जिससे अभी तक कोई जनहानि की कोई सूचना नहीं है। प्रदेशभर में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। एक ओर जहां ऊंची चोटियों पर बर्फबारी का क्रम बना हुआ है तो वहीं पहाड़ों में तेज बारिश का सिलसिला जारी है। मैदानी इलाकों में भी मौसम रंग बदल रहा है। भारी बारिश के चलते देवप्रयाग में बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है। मंगलवार शाम करीब पांच बजे दशरथ आंचल पर्वत पर बादल फटा। जिससे शांता गदेरा उफान पर आ गया। मलबा आने से देवप्रयाग मुख्य बाजार में भी दस दुकानों को नुकसान हुआ है। संगम बाजार का रास्ता भी बंद हो गया है। कोरोना कर्फ्यू के कारण इस क्षेत्र में लोगों की आवाजाही बंद थी। अभी तक किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। फिलहाल, एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल की तरफ बढ़ रही है।

रणनीति बनाकर आपदा की रिपोर्ट देगी संयुक्त कमेटी

जोशीमठ, चमोली के ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आयी आकस्मिक बाढ़ एवं आपदा के सम्बन्ध में सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) सैय्यद अता हसनेन व राजेन्द्र सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में देशभर के महत्वपूर्ण तकनीकी और अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संयुक्त बैठक आयोजित की गयी।

सभी वैज्ञानिकों ने जनपद चमोली में आई प्राकृतिक आपदा तथा उत्तराखण्ड में आने वाली अन्य आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने की रणनीति और विभिन्न संस्थानों के बेहतर समन्वय से विकास और पर्यावरण के मध्य संतुलन स्थापित करने के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा महत्वपूर्ण सुझाव आदान-प्रदान किये गये।

विचार-विमर्श में तय किया गया कि विभिन्न संस्थानों की एक संयुक्त कमेटी बनायी जाय जो हिमालय में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और पर्यावरण के संरक्षण के सम्बन्ध में गहन अध्ययन करते हुए उत्तराखण्ड सरकार को अपनी रिपोट प्रस्तुत करेंगे साथ ही प्राकृतिक आपदा के निपटने के लिए उत्तराखण्ड सरकार को हर तरह की तकनीकि व अन्य प्रकार की मदद प्रदान की जायेगी।

इस दौरान मुख्य सचिव उत्तराखण्ड ओम प्रकाश ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण और बैठक से जुड़े संस्थानों को अवगत कराया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में बनी प्राकृतिक झील को तुड़वाने के लिए लगातार संतुलित तरीके से काम किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एम.पी. बिष्ट की रिपोर्ट का हवाला दते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व प्राकृतिक झील से केवल एक ओर से पानी की निकासी हो रही थी किन्तु सैटेलाइट के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तीन ओर से झील से पानी के निकासी हो रही है जिससे किसी भी प्रकार के संकट की कोई संभावना नहीं है।

मुख्य सचिव ने इस दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ.), आई.टी.बी.पी. और युसैक के निदेशक को संयुक्त रूप से झील वाले क्षेत्र की रेकी करते हुए उनको रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में अतिरिक्त सचिव भारत सरकार डॉ. वी. त्रिपुगा, संयुक्त सचिव रमेश कुमार दन्ता सहित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी), वाडिया भूविज्ञान संस्थान, आई.आई.टी. रूड़की, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एन.आई.एच.), भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (डी.टी.आर.एल.), एन.टी.पी.सी. आदि विभाग और संस्थान बैठक से जुड़े हुए थे।

टनल से 12 शव बरामद, जारी है रेस्क्यू अभियान

जनपद के तपोवन आपदा प्रभावित क्षेत्र में आज भी राहत एवं रेस्क्यू कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। रविवार को अलग अलग स्थानों से 12 लोगों के शव बरामद किए गए। तपोवन टनल में 5 शव तथा रैणी क्षेत्र में 7 शव बरामद किए गए। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया निरंतर स्थलीय निरीक्षण कर सर्च आप्रेशन का जायजा ले रही है।

उन्होंने रैणी एवं तपोवन टनल में युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में लापता लोगों के शव बरामद होने पर टीम को इसी तरह कार्य में तेजी लाने को कहा।

प्रात काल के समय टनल में शव बरामद होने की सूचना पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया एवं पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चैहान ने संबंधित अधिकारी के साथ टनल के भीतर रेस्क्यू कार्य का जायजा लिया तथा बरामद शवो को पहचान एवं पोस्टमार्टम के लिए भेजने के निर्देश दिए।

इसके बाद जिलाधिकारी रैणी पहुंचे जहां उन्होंने रेस्क्यू कार्य का जायजा लिया।

तपोवन बैराज परिसर में दोनों और पोकलैंड, जेसीबी मशीनें युद्ध स्तर पर कार्य कर रही हैं।

जबकि बाढ़ प्रभावित नदी किनारे में जिला प्रशासन के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम द्वारा खोजबीन कार्य गतिमान है।

जिलाधिकारी ने कहा रैणी क्षेत्र में जिला प्रशासन नेतृत्व मे एनडीआरएफ की टीम लगाकर मलवे में लापता लोगों की तलाश करायी जा रही है।

रविवार को मिले शवों की शिनाख्त इस प्रकार है। आलम सिंह पुत्र सुन्दर सिह, निवासी टिहरी गढवाल, अनिल पुत्र भगत निवासी कालसी देहरादून, जीतेंद्र कुमार पुत्र देशराज निवासी जम्बू कश्मीर, शेष नाथ पुत्र जय राम निवासी फरीदाबाद, जितेंद्र धनाई पुत्र मतवार सिंह निवासी टिहरी, सूरज ठाकुर पुत्र श्रीनिवास रामपुर कुशीनगर, जुगल किशोर पुत्र राम कुमार निवासी पंजाब, राकेश कपूर पुत्र रोहन राम निवासी हिमाचल प्रदेश, हरपाल सिंह पुत्र बलवंत सिंह निवासी चमोली, वेद प्रकाश पुत्र राजेंद्र सिंह निवासी गोरखपुर, धनुर्धारी पुत्र राम ललित सिंह निवासी गोरखपुर के रहने वाले थे।

जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि आपदा मे लापता 206 लोगों मे से अभी तक 50 लोगों के शव विभिन्न स्थानों से बरामद हुए है। साथ ही दो लोग पहले जिन्दा मिले थे। अब 154 लोग लापता चल रहे है जिनकी तलाश जारी है।

रविवार को जिले में 2 पूर्ण शव और 4 मानव अंगों का नियमानुसार 72 घंटे बाद अंतिम संस्कार किया गया।

वही दूसरी ओर जिला प्रशासन आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राशन किट, मेडिकल एंव अन्य रोजमर्रा की जरूरतों की आपूर्ति करने में दिनरात जुटा है। प्रभावित गांवों में हालात सामान्य होने लगे है।

तपोवन में ट्राली से आवाजाही सुचारू ढंग से चल रही है। जुगजू में भी लोनिवि द्वारा ट्राली लगाने का काम जारी है।

रैणी पल्ली मे भी ब्रिज निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है।
यहां पर क्षत्रिग्रस्त पेयजल लाईन को अस्थायी तौर पर ठीक किया गया है।

मेडिकल टीम प्रभावित क्षेत्रों में कैंप लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है।
अब तक 998 मरीजों का उपचार किया गया।

हैली से इधर उधर फंसे 445 लोगों को उनके गतंव्य तक भेजा गया।

प्रभावित परिवारों में अब तक 515 राशन किट बांटे जा चुके हैं। जबकि 36 सोलर लाइट उपलब्ध कराई गई। पशुपालन विभाग द्वारा रैणी में 25 फीड ब्लाक बांटे गए।

जिलाधिकारी ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में 8 मृतकों के परिजनों तथा चार घायलों को सहायता राशि और एक परिवार को गृह अनुदान राशि दी गई।
वहीं जिला प्रशासन के अधिकारीध् कर्मचारी द्वारा प्रभावित गाव में पहुंच कर उनकी कुशलक्षेम पूछी गई।

तपोवन घटना स्थल पर गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन, डीआईजी आईटीबीपी अपर्णा सिंह, डीआईजी पुलिस नीरू गर्ग, एनडीआरएफ के कमांडर पी के. तिवारी, एसडीआरएफ के कमांडर नवनीत भुल्लर सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।