सीएम ने कैंपा योजना से खरीदे गए 23 बोलेरो कैम्पर वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में वन एवं वन्य जीव सुरक्षा के लिए वन विभाग द्वारा कैंपा योजना से खरीदे गए 23 बोलेरो कैम्पर वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन वाहनों से संवेदनशील वन क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाकर वन अपराधों पर नियंत्रण को अधिक मजबूत करने में मदद मिलेगी। वनाग्नि प्रबंधन और मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर समय रहते नियंत्रण एवं तेजी से रेस्क्यू कार्य के लिए भी इन वाहनों का उपयोग किया जाएगा। वृक्षारोपण अभियानों की निगरानी के साथ ही भू-स्खलन, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में वन एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों के त्वरित व प्रभावी संचालन में भी ये वाहन काफी उपयोगी सिद्ध होंगे ।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पिछले तीन सालों में लगातार कैंपा योजना के बजट में वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 में रुपए 237 करोड़, 2024-25 में रु. 302 करोड़ की धनराशि का व्यय हुआ है। वर्ष 2025-26 में कैम्पा के तहत प्रस्तावित रुपए 439.50 करोड़ की लागत की वार्षिक योजना स्वीकृति के लिए भारत सरकार को भेजी गई है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ धनंजय मोहन सहित वन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।

वन विभाग के गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण पर दिया जाए विशेष ध्यानः सीएम

वनों के संरक्षण के साथ वन सम्पदाओं से राजस्व वृद्धि के लिए और प्रभावी प्रयास किये जाएं। वन विभाग के गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। जड़ी-बूटियों, कृषिकरण तथा विपणन के क्षेत्र में कार्य के लिए और अधिक संभवनाएं तलाशी जाए। मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कारगर उपाय किए जाएं। वनाग्नि प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण एवं ईको -टूरिज्म पर विशेष ध्यान दिया जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में वन विभाग की गेम चेंजर योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन सम्पदाओं का बेहतर उपयोग के साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजागार को बढ़ावा दिया जाए। ग्रीष्मकाल के दृष्टिगत वनाग्नि की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना के साथ रणनीति बनाई जाए, ताकि वनाग्नि से होने वाले नुकसान से बचा जा सके। यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे प्रयास केवल कागजों तक सीमित न रहे, धरातल पर दिखाई दें। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन किया जाए और राज्य में इसके लिए बेहतर कार्य योजना बनाई जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि इको टूरिज्म के अंतर्गत इको कैंपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, पुराने फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के रिस्टोर, स्थानीय युवाओं को विभिन्न गतिविधियों जैसे नेचर गाइड का प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इको टूरिज्म के लिए समर्पित एक वेबसाइट बनाई जाएगी। अभी तक विभिन्न क्षेत्रों में संचालित इको टूरिज्म क्षेत्र से स्थानीय युवाओं को लगभग रुपए 5 करोड़, जिप्सी संचालन से 17 करोड़ और स्वयं सहायता समूह को 30 लाख की आय सृजित हुई है।

ऊर्जा विभाग की समीक्षा के दौरान भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। लघु जल विद्युत परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की मुख्य अवधारणा में ऊर्जा और पर्यटन प्रदेश था। पर्यटन के क्षेत्र में राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं, लेकिन ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक संभावनाओं पर कार्य करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य की क्षमताओं के हिसाब से कार्य करने की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में पावर लाइन के अंडरग्राउडिंग का कार्य वर्षाकाल शुरू होने से पहले पूर्ण किया जाए। सरकारी भवनों में सोलर रूफ टॉप से आच्छादित करने का कार्य जल्द पूर्ण किया जाए। यूजेवीएनएल, यूपीसीएल की जो परिसम्पतियां उपयोग में नहीं हैं, उनको उपयोग में लाने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाई जाए। नवीकरणीय ऊर्जा संवर्धन योजना, विद्युत वितरण सुधार योजना और स्मार्ट मीटर की योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।

बैठक में जानकारी दी गई कि 2023 में संशोधित जल विद्युत नीति के अनुसार वन टाइम एमनेस्टी के तहत कुल 160.80 मेगावाट के 8 प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी गई हैं। ये प्रॉजेक्ट 2030 तक 1790 करोड़ की लागत से पूरे होंगे। इसके साथ ही 121 मेगावाट के 6 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है। इस नीति से क्षेत्र का सामाजिक आर्थिक विकास होगा। यूजीवीएनएल 2028 से 03 पंप स्टोरेज का कार्य शुरू कर 2031 में पूरा करेगा। लगभग 5660 करोड़ की लागत इन तीनों पंप स्टोरेज में इच्छारी, लखवार-व्यासी और व्यासी-कटापत्थर प्रोजेक्ट शामिल हैं।

बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, आर.मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, अपर सचिव रंजना राजगुरु, उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल, यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार, पिटकुल के प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

वित्त मंत्री अग्रवाल ने की वित्तीय वर्ष 2022-23 के संसाधन वृद्धि की समीक्षा

प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने विधानसभा स्थित सभाकक्ष में वित्तीय वर्ष 2022-23 में संसाधन वृद्धि के संबंध में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

मंत्री ने खनन, परिवहन, आबकारी तथा वन विभाग से प्राप्त होने वाले राजस्व की समीक्षा करते हुए विभागीय अधिकारियों को वित्तीय संसाधन बढ़ाने हेतु विभागीय स्तर पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उन्होंने विभागों को लंबित अवशेषों को प्राथमिकता के आधार जल्द से जल्द खत्म करने हेतु निर्देशित किया।

मंत्री ने खनन विभाग की समीक्षा करते हुए वन विकास निगम को आवंटित लॉट गोला, कोशी, दाबका आदि में चुगान कार्य प्रारम्भ न होने पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जल्द से जल्द इन प्रमुख लॉटों पर चुगान कार्य प्रारम्भ किया जाए। उन्होंने जनपद देहरादून के सांग नदी लॉट को प्रारम्भ करने हेतु किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने खनन के लॉट में चोरी रोकने तथा अन्य लॉटों को बढ़ाने के निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश में रेत, बजरी के खनन के अलावा खड़िया, सेलखड़ी आदि अन्य खनिजों के लिए प्रयास करना होगा।

मंत्री ने आबकारी विभाग के अधिकारियों से ट्रेस एण्ड ट्रैक के संबंध में अद्यतन स्थिति के बारे में जानकारी लेते हुए कहा कि जल्द से जल्द स्पॉटों को चिन्हित करते हुए कैमरे लगाने का कार्य पूर्ण किया जाए। उन्होंने प्रदेश में अवैध मदिरा की रोकथाम हेतु सरकार के प्रभावी प्रवर्तन की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि वन विभाग तथा आबकारी विभाग को आपसी सामंजस्य से अवैध मदिरा तथा राज्य में होने वाली अन्य तस्करी को रोकने का प्रयास करना होगा।

मंत्री ने परिवहन विभाग के अंतर्गत अन्य राज्यों से आने वाले व्यवसायिक वाहन एवं परिवहन निगम की बसों से कर वसूली के संबंध में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने वाहनों के पंजीयन से पंजीकरण/फिटनेस शुल्क की वसूली को सुचारू रूप से जारी रखने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिये।

वन विभाग की समीक्षा करते हुए मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में जड़ी-बूटी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं इसके लिए विभागीय स्तर पर शुरूआत करनी होगी। उन्होंने इको टूरिज्म को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए स्पॉटों का चयन करने तथा उनके रखरखाव पर विशेष ध्यान देने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि एक रवाने से गाड़ियों के पास होने संबंधित शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण किया जाए।

मंत्री ने सभी प्रमुख विभागों से आने वाले समय में तेजी से काम करते हुए राजस्व बढ़ाने के निर्देश दिये। उन्होंने विभागों को आपसी समन्वय के साथ काम करने तथा निश्चित समयावधि में कार्य को संपन्न करने के लिए निर्देश दिये।

इस अवसर पर बैठक में अपर मुख्य सचिव शहरी विकास आनन्द वर्द्धन, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, सचिव परिवहन अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिव आबकारी हरि चन्द्र सेमवाल, सचिव वन विजय कुमार यादव, एमडी जीएमवीएन बंशीधर तिवारी तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

सिटी फारेस्ट को विकसित करने को सीएम ने साधना जयराज को किया सम्मानित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड वन विभाग मुख्यालय में ई-ऑफिस कार्यप्रणाली का शुभारम्भ किया। उन्होंने घोषणा की कि चमोली एवं पिथौरागढ़ में भालुओं के लिए एक-एक रेस्क्यू सेंटर बनाया जायेगा। बंदरों के लिए चार रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। झाझरा में ‘आनंद वन’ सिटी फॉरेस्ट को विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री ने साधना जयराज को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि ई-ऑफिस प्रणाली को जल्द ही जिला एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में भी विस्तारित किया जाय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया की जो शुरूआत की उसके बेहतर परिणाम आज सबके सम्मुख हैं। राज्य में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। 37 ऑफिस, ई-ऑफिस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। डिजिटल कार्यप्रणाली की ओर हम जितने तेजी से बढ़ेंगे, उतनी तेजी से जन समस्याओं का निदान होगा।

अगले वर्ष हरेला पर लगेंगे एक करोड़ पौधे
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार पौधे लगाये जायेंगे। इसके लिए वन विभाग द्वारा अभी से तैयारियां शुरू की जाय। ये फलदार पौधे जंगलों में भी लगाये जायेंगे, जिससे जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में कम आयेंगे। जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता जंगलों में पूरी हो सके। राज्य में पिरूल पर जो कार्य हो रहा है, इसे और विस्तार देने की जरूरत है। पिरूल एकत्रीकरण पर राज्य सरकार द्वारा 02 रूपये प्रति किग्रा एवं विकासकर्ता द्वारा 1.5 रूपये प्रति किग्रा एकत्रकर्ता को दिया जा रहा है। इसका उपयोग ऊर्जा के लिए तो किया ही जायेगा, लेकिन इसका सबसे फायदा वन विभाग को होगा। वनाग्नि और जंगली जानवरों की क्षति को रोकने में यह नीति बहुत कारगर साबित होगी। स्थानीय स्तर पर गरीबों के लिए स्वरोजगार के लिए पिरूल एकत्रीकरण का कार्य एक अच्छा माध्यम बन रहा है।
मुख्य वन संरक्षक जयराज ने कहा कि ई-ऑफिस प्रणाली गुड-गवर्नेंस की दिशा में एक अच्छी पहल है। वन विभाग द्वारा इस प्रणाली को जिला, क्षेत्रीय कार्यालयों एवं वन पंचायतों तक विस्तारित किया जायेगा। कॉर्बेट नेशनल पार्क में ऑनलाईन बुकिंग शुरू की गई है, जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। वन विभाग द्वारा रिजॉर्ट्स में भी ऑनलाईन बुकिंग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
मौके पर मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, वन विभाग के सलाहकार ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी, अध्यक्ष वन पंचायत सलाहकार समिति वीरेन्द्र सिंह बिष्ट, पीसीसीएफ रंजना काला, विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन संरक्षक आईटी नरेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

उच्च न्यायालय नैनीतालः कुनाऊ गांव में निर्माण कार्य को लेकर स्वामी चिदानंद को नोटिस दे राज्य सरकार

एक जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्वामी चिदानंद मुनि को नोटिस देने का आदेश दिया हैं। मामला हरिद्वार से 14 किलोमीटर आगे राजाजी नेशनल पार्क के भीतर कुनाऊ गांव में हो रहे भारी निर्माण कार्य से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार के नोटिस का जवाब स्वामी चिदानंद दो सप्ताह के भीतर देंगे।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई। मामले में हरिद्वार निवासी अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चिदानंद मुनि ने राजाजी पार्क के भीतर फॉरेस्ट की भूमि पर भारी निर्माण कार्य फॉरेस्ट चौकी के नाक के नीचे किया।

इसकी शिकायत के बाद भी वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं की। याचिकाकर्ता की ओर से निर्माण कार्य पर रोक लगाने के साथ ही इसमें लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वे चिदानंद मुनि को तीन दिन के भीतर हाईकोर्ट के आदेश के साथ नोटिस दें, जिस पर चिदानंद दो सप्ताह में जवाब कोर्ट में पेश करें।