चौखुटिया में सीएम धामी ने की घोषणा, डिजिटल एक्स-रे मशीन होगी उपलब्ध

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की क्षमता को बढ़ाते हुए इसे 30 बेड से विस्तारित कर 50 बेड का अस्पताल बनाया जाएगा। इसके साथ ही अस्पताल में अत्याधुनिक डिजिटल एक्स-रे मशीन भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे स्थानीय नागरिकों को बेहतर और त्वरित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि पहाड़ के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के लिए बड़े शहरों पर निर्भर न रहना पड़े। इसी उद्देश्य से चौखुटिया में उप जिला चिकित्सालय के निर्माण से संबंधित कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन परिषद को कार्यदायी संस्था नियुक्त किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रही है और प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में लगातार व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल के विस्तार से चौखुटिया और आसपास के क्षेत्रों के हजारों लोगों को लाभ मिलेगा तथा स्वास्थ्य उपचार में होने वाली देरी को रोका जा सकेगा।

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास को लेकर सीएस की अध्यक्षता में हुई बैठक

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास से संबंधित समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

बैठक में आईएमए के सदस्यों द्वारा प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और गुणवत्ता में सुधार के संबंध में अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए।

आईएमए के सदस्यों ने कहा कि उत्तराखंड का अधिकतर क्षेत्र दूरस्थ श्रेणी में आता है इस कारण यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास करना एक चुनौतीपूर्ण कदम है। इसके लिए उन्होंने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास हेतु 50 बैड से नीचे के क्लीनिक/ नर्सिंग होम स्थापित करने हेतु क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के मानकों में शिथिलता लाने के सुझाव दिए।

उन्होंने पंजीकरण से लेकर क्लीनिक भवन के निर्माण और क्लीनिक स्थापित करने हेतु विभिन्न प्रकार की अनापत्ति (पंजीकरण, फायर, प्रदूषण इत्यादि से संबंधित) को सरलतम बनाने की अपेक्षा की।

आईएमए के सदस्यों ने अन्य प्रदेशों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास से संबंधित बनाए गए सरलतम मानकों को भी प्रदेश में आत्मसात करने का सुझाव रखा।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने सचिव स्वास्थ्य को निर्देशित किया कि आईएमए के सदस्यों द्वारा प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी से संबंधित सुझाए गए बिंदुओं पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए निर्देशित किया कि जो सुझाव व्यावहारिक और समय के अनुरूप किए जाने अपेक्षित हो उनको बायोलॉज में शामिल करने की कार्रवाई करें ।

उन्होंने आईएमए के सदस्यों के समन्वय से इस संबंध में अग्रिम कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर बैठक में सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार, आईएमए से प्रेसिडेंट उत्तराखंड डॉ केके शर्मा व सचिव डॉ डीडी चौधरी, अपर सचिव संतोष बडोनी, डीजी हेल्थ सुनीता टम्टा सहित संबंधित अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

मेडिकल स्टोर्स पर एफडीए की छापेमारी शुरू, सीएम ने प्रतिबंधित कफ सिरप पर सख्त कार्रवाई के दिए थे निर्देश

बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सिरप और औषधियों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) की संयुक्त टीमें प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। यह अभियान हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी की दवा (कफ सिरप) के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद शुरू किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए तत्परता से कार्रवाई प्रारंभ की है।

केंद्र की एडवाइजरी पर तुरंत कार्रवाई
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार की एडवाइजरी को प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से बड़ा कोई विषय नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सिरपों के नमूने एकत्र करें और उनकी गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराएं, ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तत्काल हटाया जा सके।

बच्चों के लिए प्रतिबंधित सिरप न लिखें डॉक्टर
डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार की एडवाइजरी का संज्ञान लेते हुए वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखें। डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा यदि चिकित्सक इन सिरपों को लिखेंगे तो मेडिकल स्टोर भी उन्हें बेचेंगे। इसलिए ज़रूरी है कि डॉक्टर स्वयं भी जिम्मेदारी दिखाएं और प्रतिबंधित दवाओं से परहेज़ करें।

कौन-सी दवाएं प्रतिबंधित हैं

भारत सरकार की एडवाइजरी के अनुसार कृ

दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए।

पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है।

केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है।

सरकार ने विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया है।

प्रदेशभर में छापेमारी और सैंपलिंग अभियान
प्रदेश में इस आदेश के बाद अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में राज्यभर में युद्धस्तर पर छापेमारी की जा रही है। स्वयं अपर आयुक्त ने देहरादून के जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया। सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस माह के भीतर सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और खुदरा दुकानों से सिरपों के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएँ। ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि एफ.डी.ए. की टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हैं। यदि किसी भी स्तर पर दोष पाया गया तो संबंधित कंपनी या विक्रेता के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सख्त संदेश दृ जनस्वास्थ्य सर्वाेपरि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली हो। जनस्वास्थ्य हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है, और बच्चों की सुरक्षा पर किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार प्रदेश में औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और सुदृढ़ करने की दिशा में भी काम कर रही है।

बच्चों की दवा में लापरवाही अस्वीकार्य- डॉ. धन सिंह रावत
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है। बच्चों की दवाओं से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित सिरप को न लिखें और न बेचें। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

जनता से अपील दृ डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को दवा न दें
एफ.डी.ए. ने राज्यभर में कफ सिरप की सैंपलिंग शुरू कर दी है। अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने जनता से अपील की है कि वे बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। यदि किसी दवा के सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल से संपर्क करें।

हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर की स्थापना से राज्य की स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन क्षमता होगी मजबूतः सीएम

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) के तहत उत्तराखंड को स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार से बड़ा तोहफा मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य में हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर (HEOC) की स्थापना को मंजूरी प्रदान की है। यह सेंटर स्वास्थ्य आपदाओं के समय राज्य की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया जा रहा है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि HEOC के संचालन के लिए कुल नौ संविदा पदों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार, डेटा विश्लेषक, हब इंजीनियर और डेटा एंट्री ऑपरेटर के पद शामिल हैं।

धनराशि और संचालन

मंत्रालय के अनुसार HEOC के लिए धनराशि PM-ABHIM परियोजना अवधि 2021–26 तक उपलब्ध कराई जाएगी। इस अवधि के बाद आगे की निरंतरता योजना की स्वीकृति पर निर्भर करेगी। राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह इन पदों पर संविदा आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू करे और HEOC को जल्द से जल्द क्रियाशील बनाए। निधि हस्तांतरण के लिए HEOC के नाम से एक अलग बैंक खाता भी खोला जाएगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को स्वास्थ्य सुरक्षा का बड़ा तोहफा दिया है। “हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर की स्थापना से राज्य की स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन क्षमता और मजबूत होगी। उन्होंने कहा इसके माध्यम से आपात स्थितियों में समय पर और समन्वित कार्रवाई संभव हो सकेगी। मैं प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आभार व्यक्त करता हूँ,”।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उत्तराखंड के लिए हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर की स्थापना को मंजूरी दी है। हम जल्द ही संविदा पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेंगे और HEOC को क्रियाशील बनाएंगे। यह सेंटर स्वास्थ्य आपदाओं के दौरान समयबद्ध प्रतिक्रिया और बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा, जिससे जनता को सीधे लाभ मिलेगा।

राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण कदम

देशभर में HEOCs की स्थापना भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे स्वास्थ्य आपात स्थितियों के समय समयबद्ध कार्रवाई और बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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मुख्यमंत्री ने प्रदान की विभिन्न विकास योजनाओं के लिए 28.76 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री घोषणा के तहत जनपद उत्तरकाशी के विधानसभा क्षेत्र पुरोला के अंतर्गत विकास खण्ड मोरी के ग्राम पंचायत ओडाठा के बामसू गांव में महासू देवता के पास सौन्दर्यीकरण एवं सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किये जाने हेतु 99 लाख तथा विकासखण्ड मोरी के महासू देवता मंदिर ठडियार के सौन्दर्यीकरण एवं सार्वजनिक शौचालय निर्माण कार्य हेतु 01 करोड की धनराशि स्वीकृत किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया है।

मुख्यमंत्री ने जनपद पिथौरागढ़ के विधानसभा क्षेत्र धारचूला के अंतर्गत ग्राम सभा मदकोट में शिव मंदिर सौन्दर्यीकरण किये जाने हेतु 27 लाख के साथ ही जनपद चमोली के विधानसभा क्षेत्र बद्रीनाथ के अंतर्गत सती शिरोमणी माता अनसूया मंदिर का सौन्दर्यीकरण किये जाने हेतु 1.50 करोड की धनराशि स्वीकृत किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानसून सत्र 2025 में अत्यधिक वर्षा/अतिवृष्टि के कारण विभिन्न क्षेत्रों में आयी प्राकृतिक आपदा के कारण हुई हानि से राज्य आपदा मोचन निधि के अन्तर्गत जनपद पिथौरागढ़ हेतु मरम्मत एवं पुनर्निर्माण मद में 15 करोड़ तथा जनपद चमोली हेतु राहत एवं बचाव मद में 05 करोड़ व मरम्मत एवं पुनर्निर्माण मद में 05 करोड़, इस प्रकार जनपद चमोली को कुल 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया है।

कांवड़ मेला 2025 में धामी सरकार ने रचा नया कीर्तिमान, लाखों श्रद्धालुओं को मिली स्वास्थ्य सेवा

उत्तराखंड की धामी सरकार ने इस वर्ष आयोजित कांवड़ मेला 2025 में स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कांवड यात्रा मार्ग में पड़ने वाले जनपदों को आकड़ों को देखें तो सावन माह के इस विशाल धार्मिक आयोजन में 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को निशुल्क, त्वरित और सुलभ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराकर राज्य सरकार ने एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया। भारी भीड़, सीमित संसाधन और मौसम की चुनौतियों के बीच राज्य सरकार की तैयारी सराहनीय रही। स्वास्थ्य विभाग की इस बड़ी कामयाबी के पीछे मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार डॉ आर.के सिंह की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने विभागीय रणनीतियों बेहतर तरीके से धरातल पर उतारा व लगातार मोनिटरिंग करते रहे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश और नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग हरिद्वार ने मेला क्षेत्र में भीड़, सीमित संसाधनों और मौसम की चुनौती के बावजूद बेहतरीन कार्य किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा हमारी सरकार का संकल्प है कि हर श्रद्धालु को सुरक्षित, सम्मानित और स्वस्थ यात्रा मिले। कांवड़ मेले में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली ने जनसेवा, प्रबंधन और तकनीक का अनूठा समन्वय दिखाया है। यह न केवल श्रद्धालुओं का भरोसा बढ़ाता है, बल्कि उत्तराखंड की सेवा भावना को भी सुदृढ़ करता है।

*आगामी कुंभ 2027 के लिए भी आदर्श मॉडल*

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा मेला क्षेत्र में कुल 2.43 लाख श्रद्धालुओं को प्राथमिक और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं दी गईं। 24×7 इमरजेंसी सेवाएं निर्बाध रूप से चलीं। न तो कोई संक्रामक रोग फैला और न ही किसी बड़े हादसे की सूचना मिली। विभाग की टीम ने इस आयोजन को न केवल सुरक्षित, बल्कि नवाचार और अनुशासन का मॉडल बना दिया है, जो आगामी कुंभ 2027 के लिए भी आदर्श रहेगा।

*स्थायी व अस्थायी चिकित्सा शिविरों की व्यवस्था*

35 अस्थायी चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए, इनमें से 25 विभाग द्वारा, और 10 निजी संस्थाओं द्वारा लगाए गए। 5 स्थानों पर कंटेनर बेस्ड स्थायी चिकित्सा केंद्र बनाए गए, जो भविष्य के आयोजनों में भी उपयोगी होंगे ।

*जियो टैगिंग और QR कोड तकनीक*

सभी शिविरों की जियो टैगिंग और QR कोडिंग की गई। श्रद्धालु QR स्कैन करके नजदीकी शिविर का लोकेशन, प्रभारी का नाम और मोबाइल नंबर जान सके।

*इमरजेंसी सेवाएं और मानव संसाधन*

45 डॉक्टर, 69 फार्मासिस्ट, 48 ईएनटी विशेषज्ञ, 58 स्टाफ नर्स, 58 एएनएम, 45 सीएचओ, 44 वाहन चालक, 108 एम्बुलेंस समेत 36 आपातकालीन वाहन, सभी पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल अलर्ट मोड पर रखे गए ।

*विशेष सुविधाएं, स्वच्छता और कचरा निस्तारण*

बर्न यूनिट, ईसीजी मशीन, स्नेक बाइट और डॉग बाइट यूनिट, व्हीलचेयर, ऑक्सीजन, फोल्डेबल बेड, फ्रंट काउंटर, हृदय रोग, एक्सीडेंट इंजरी, बर्न केस जैसी संवेदनशील समस्याओं के लिए अलग केंद्र रखे गए । सभी शिविरों से बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण किया गया । किसी भी प्रकार का संक्रमण या बीमारी नहीं फैली, जिससे मेला क्षेत्र पूर्णतः सुरक्षित रहा।

*नशा नहीं, भक्ति से मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद*

मेला क्षेत्र में नशामुक्त कांवड़ यात्रा का संदेश व्यापक रूप से प्रचारित किया गया । हर चिकित्सा शिविर, पोस्टर, वेबसाइट और मीडिया के माध्यम से यह संदेश लोगों तक पहुंचाया गया ।

*प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का तालमेल*

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग तीनों विभागों के बीच बेहतरीन समन्वय से मेला संचालन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा । यह आयोजन आने वाले कुंभ 2027 जैसे बड़े आयोजनों के लिए एक आदर्श मॉडल बनकर उभरा है । स्वास्थ्य सचिव ने कहा कांवड़ मेला 2025 में उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं न केवल कामयाब रहीं, बल्कि सेवा, नवाचार और प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया गया।

पौड़ी जनपद के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने नीलकंठ श्रावण मेले 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को 24×7 उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सराहनीय कार्य किया। नीलकंठ यात्रा मार्ग पर 9 स्थानों पर मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाई गईं। एमआरपी नीलकंठ, पुंडरासु, धाधला पानी, मौनी बाबा की गुफा, बाघखाला, वानप्रस्थ, गरुड़ चट्टी, पीपलकोटी, पीएचसी लक्ष्मण झूला, प्रत्येक पोस्ट पर 2 चिकित्सक, 2 फार्मेसी अधिकारी, 2 नर्सिंग स्टाफ, 1 कक्ष सेवक और 1 सफाईकर्मी तैनात रहा। कुल 07 एम्बुलेंस: 5 विभागीय + 2 108 सेवा, 2 मोबाइल टीमें, जिनमें 1 डॉक्टर, 1 नर्स और 1 सेवक शामिल, ऑन साइट पोस्टमार्टम के लिए लक्ष्मण झूला में 2 अतिरिक्त चिकित्सक और 1 सेवक की नियुक्ति, 24 चिकित्सक, 20 फार्मेसी अधिकारी,20 नर्सिंग अधिकारी, 10 कक्ष सेवक, 10 सफाई कर्मचारी, 7 एम्बुलेंस चालक तैनात रहा।

*मेले में श्रद्धालुओं को सफल उपचार मिला*

बुखार, उल्टी-दस्त, सांस फूलना, सामान्य व गंभीर चोटें, सर्पदंश, कुत्ते के काटने, पैरों व बदन का दर्द, छाले, त्वचा रोग, मिर्गी, कटना-फटना, हाई बीपी और शुगर संबंधी समस्याएं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.एम. शुक्ला के निर्देशन में PHC लक्ष्मण झूला में 24 घंटे कंट्रोल रूम संचालित किया गया। डॉ. राजीव कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।

राज्य में हेल्थ और वेलनेस के अच्छे सेंटर बनाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएंः धामी

स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष ध्यान दिया जाए। अस्पतालों में आवश्यक संसाधनों के सुदृढ़ीकरण की दिशा में कार्य किये जाए। यह सुनिश्चत किया जाए कि अस्पताल रेफरल सेंटर न बनें। जन स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ओनरशिप लेकर कार्य किये जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने और अस्पतालों में जन स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की अलग से बैठक करें। स्वास्थ्य विभाग के तहत मुख्यमंत्री घोषणाओं की अद्यतन स्थिति से भी अवगत कराने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं। बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए टेलीमेडिसिन के माध्यम से सुपर स्पेशलिस्ट को मेडिकल कॉलेज से जोड़ने की व्यवस्था की जा रही है।

आयुष विभाग की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड में दो स्पिरिचुअल जोन बनाये जाने की सीएम घोषणा के क्रियान्वयन की कार्यवाही में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि योग, वेलनेस और आयुष हमारी विरासत है, राज्य में हेल्थ और वेलनेस के अच्छे सेंटर बनाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। राज्य में वेलनेस सेंटर और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक साल का लक्ष्य बनाकर कार्य किया जाए। पुराने हेल्थ और वेलनेस सेंटरों के उन्नयन की दिशा में भी कार्य किये जाएं। जीएमवीएन, केएमवीएन और वाइब्रेंट विलेज में भी हेल्थ और वेलनेस सेंटरों की संभावनाओं पर कार्य किया जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य की योग नीति के तहत योग निदेशालय की स्थापना की जायेगी योग केन्द्रों का पंजीकरण किया जायेगा। नये योग केन्द्रों को प्रोत्साहित किया जायेगा। राज्य में निवेशक सम्मेलन के बाद आयुष के क्षेत्र में 1100 करोड़ रूपये की ग्राउंडिंग शुरू हो चुकी है। प्रदेश में 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिर को एन.ए.बी.एच के मानकों के अनुरूप उच्चीकृत कराया जा रहा है। 149 आयुष्मान आरोग्य मंदिर का एन.ए.बी.एच प्रमाणीकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है।

समीक्षा के दौरान वर्चुअल माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत जुड़े थे। बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर राजेश कुमार, दीपेन्द्र चौधरी, श्रीधर बाबू अदांकी, निदेशक आयुष विजय कुमार जोगदण्डे, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. सुनीता टम्टा, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

स्वास्थ्य को लेकर एक्शन में धामी सरकार, डेंगू-चिकनगुनिया के खिलाफ राज्यभर में बहुस्तरीय अभियान शुरू

डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसे घातक संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने एक ठोस और समग्र कार्ययोजना लागू कर दी है। गर्मी और बरसात के मौसम में डेंगू व चिकनगुनिया फैलने की संभावना अधिक रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य के सभी जिलों में इन रोगों से निपटने के लिए अंतरविभागीय समन्वय, सक्रिय चिकित्सा व्यवस्थाएं, जनजागरूकता, निगरानी और फील्ड एक्शन के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इस संपूर्ण अभियान में नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, जल निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग सहित कई विभागों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के दिशा- निर्देशों पर स्वास्थ्य विभाग सहित सभी विभागों को अर्लट कर दिया गया है। विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी गई है। स्वास्थ्य सचिव ने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि डेंगू-चिकनगुनिया से जंग में हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है।

’स्वच्छता, लार्वा नियंत्रण और जनजागरूकता पर विशेष बल’
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि, ष्डेंगू व चिकनगुनिया जैसे मच्छरजनित रोगों की रोकथाम का पहला कदम स्वच्छता है। जब तक हम स्रोत नियंत्रण यानी सोर्स रिडक्शन नहीं करते, तब तक मच्छरों को पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इसलिए सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे लगातार सफाई अभियान चलाएं और समुदाय को भी इस प्रयास में भागीदार बनाएं।ष्

’ब्लॉक स्तर पर माइक्रो प्लान तैयार’
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि नगर निगमों व नगर निकायों को निर्देशित किया गया है कि वे नियमित रूप से सफाई अभियान, नाले-नालियों की सफाई, जलजमाव हटाने तथा कचरा निस्तारण पर जोर दें। सोर्स रिडक्शन के तहत आशा कार्यकर्ताओं की टीमों को प्रशिक्षित कर फील्ड में सक्रिय किया जाएगा जो घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करेंगी। जरूरत के अनुसार फॉगिंग की कार्यवाही भी की जाएगी ताकि वयस्क मच्छरों का सफाया किया जा सके। जनजागरूकता अभियान के लिए हैंडबिल, पोस्टर, बैनर, नुक्कड़ नाटक, स्कूलों में गोष्ठियों जैसे प्म्ब् संसाधनों का भरपूर उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। सभी ब्लॉकों को माइक्रो प्लान तैयार कर राज्य एनवीबीडीसीपी यूनिट को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

’अलग डेंगू वार्ड और संसाधनों की उपलब्धता’
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि राज्य व निजी अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया रोगियों के इलाज के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्थाएं लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जिलों में अलग डेंगू आइसोलेशन वार्ड स्थापित किए जाएंगे, जिनमें मच्छरदानी युक्त पर्याप्त संख्या में बेड, प्रशिक्षित चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और जरूरी उपकरण मौजूद रहेंगे। गंभीर रोगियों (क्भ्थ्/क्ैै) के लिए प्लेटलेट्स, म्स्प्ै। जांच किट्स और अन्य औषधीय सामग्री की समय पर आपूर्ति अनिवार्य की गई है। फीवर सर्वेक्षण के जरिए संदिग्ध रोगियों की पहचान की जाएगी, और पॉजिटिव केस मिलने पर रोगी के घर से 50 मीटर की परिधि में स्पेस स्प्रे / फोकल स्प्रे की कार्रवाई की जाएगी। रैपिड रिस्पॉन्स टीम (त्त्ज्) को हर जिले में अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

’जन सहयोग और मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण’
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि, ष्डेंगू और चिकनगुनिया से लड़ाई सिर्फ सरकार की नहीं, समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। जब तक आमजन तक सही जानकारी नहीं पहुंचेगी, तब तक रोकथाम के प्रयास अधूरे रहेंगे।ष् सभी जिलों में जनजागरूकता अभियान को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएगी। आईएमए, निजी अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब्स के साथ ब्डम् बैठकें कर समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि भ्रांतियों को दूर किया जा सके। सभी जनपदों में एक मीडिया स्पोक्सपर्सन नियुक्त किया जाएगा जो सकारात्मक सूचना का संप्रेषण सुनिश्चित करेगा।

’हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम व्यवस्था होगी मजबूत’
स्वास्थ्य सचिव ने बताया किराज्य मुख्यालय पर क्रियाशील हेल्पलाइन 104 को पूरी तरह से जनता के लिए सक्रिय रखा गया है ताकि कोई भी व्यक्ति अपनी शंका या समस्या को साझा कर सके और तत्काल सलाह प्राप्त कर सके। डेंगू के संक्रमण काल के दौरान सभी जनपदों में कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे और उनके नंबर राज्य एनवीबीडीसीपी यूनिट को उपलब्ध कराए जाएंगे। सभी जिलों को निर्देशित किया गया है कि वे हर दिन शाम 4 बजे तक दैनिक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें, चाहे कोई केस हो या न हो।

’सभी विभाग निभाएं सक्रिय भूमिका’
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि इस बार की कार्ययोजना में यह विशेष ध्यान दिया गया है कि केवल स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि अन्य विभाग भी जिम्मेदार भूमिका निभाएं। नगर विकास, पंचायती राज, जल संस्थान, विद्यालय शिक्षा, सूचना एवं जनसंपर्क जैसे विभागों को उनकी जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे डेंगू व चिकनगुनिया को रोकने के प्रयास सामूहिक रूप से मजबूत बनें।

’बहुस्तरीय रणनीति से नियंत्रण का प्रयास’
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू एवं चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए बनाई गई यह समेकित कार्ययोजना न केवल मौजूदा संक्रमण पर नियंत्रण पाने में सहायक होगी, बल्कि भविष्य में संभावित रोग प्रसार को रोकने की दिशा में दीर्घकालिक समाधान के रूप में भी कार्य करेगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि ष्मच्छरजनित रोगों की रोकथाम के लिए व्यक्तिगत सतर्कता, सामुदायिक भागीदारी और सरकारी प्रयासों के बीच संतुलन आवश्यक है। आइए, हम सभी मिलकर इस चुनौती से लड़ें।

राज्य के पांच मैदानी जनपदों में टीबी जांच को चलेगी मोबाइल टेस्टिंग वैन

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में टीबी रोगियों को खोजने प्रयास और तेज कर दिये हैं। इसके लिये शीघ्र ही पांच मैदानी जनपदों में मोबाईल टेस्टिंग वैन चलाई जाएगी, जो डोर टू डोर जाकर मरीजों के बलगम की जांच करेगी। रिपोर्ट में पाजीटिव आने वाले टीबी मरीजों को ट्रीटमेंट से जोड़ा जाएगा।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ रावत ने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी रोगियों की जांच व उपचार युद्ध स्तर चल रहा है। यही वजह है कि टीबी उन्मूलन की दिशा में उत्तराखंड देश के शीर्ष राज्यों में सुमार है। डॉ रावत ने बताया कि राज्य में टीबी मरीजों की जांच व उपचार अधिक से अधिक हो इसके लिये शीघ्र ही पीपीपी मोड़ में मोबाइल ट्यूबरक्लोसिस टेस्टिंग वैन चलाई जायेगी। इस योजना के तहत राज्य के पांच मैदानी राज्यों को कवर किया जायेगा जिसमें हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, चम्पावत, नैनीताल व देहरादून जनपद शामिल हैं। मोबाइल टेस्टिंग वैन्स इन जनपदों के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर मरीजों की टीबी जांच करेगी। रिपोर्ट में पाजीटिव आने वाले मरीजों को ट्रीटमेंट से जोड़ा जाएगा। जिससे इस बीमारी पर कंट्रोल किया जा सके। डॉ रावत ने बताया कि मोबाइल वैन में टीबी जांच के लिए सीबी नेट मशीन के साथ बलगम जांच की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इन जनपदों में अधिक से अधिक मरीजों तक पहुंच के लिये बकायदा रूट प्लान तैयार किया जाएगा साथ ही सम्बन्धित जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा इस योजना की समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाएगी।

टीबी उन्मूलन में देश मे अव्वल उत्तराखंड
स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड टीबी उन्नमूलन के क्षेत्र में देश के शीर्ष राज्यों में से एक है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य में 10,705 निरूक्षय मित्र बनाया गये हैं, जिनके द्वारा 23,819 टीबी मरीजों की सहायता की। जिनमें से 14,948 टीबी मरीज निरूक्षय मित्र की सहायता ले चुके हैं जबकि 8,871 टीबी मरीजों को निरूक्षय मित्रों द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है।

टीबी मुक्त पंचायत में अग्रणी उत्तराखंड
प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत उत्तराखंड तेजी से टीबी उन्मूलन की ओर अग्रसर है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के नेतृत्व में अबतक प्रदेश के 1424 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत लगभग 3200 गॉंवों को भारत सरकार द्वारा टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है। जो कि टीबी मुक्त उत्तराखंड की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति है।

बढ़ते तापमान पर सीएम हुए चिंतित, अस्पतालों में दवाओं के स्टाक को रखने के निर्देश दिए

हमेशा ठंडा रहने वाला उत्तराखंड भी अब गर्मी की चपेट में है। राज्य के मैदानी जिलों में तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य के मैदानी जिलों से लेकर पर्वतीय जिलों में तापमान सामान्य से ऊपर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार को स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को लेकर जरूरी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्थायें बनाने और जरूरी दवाओं का स्टाक रखने के निर्दश दिये हैं।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा गर्मी के बढ़ने से सेहत पर भी इसका असर पड़ता है। मौसम विभाग का कहना है कि राज्य में सीवियर हीट वेव कंडीशन देखने को मिली है। जिसके चलते मैदान से लेकर पहाड़ तक गर्म हवाएं चल सकती हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नई हैल्थ एडवाइजरी जारी की गई है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी अस्पतालों में अर्लट जारी कर दिया है। एडवाइजरी में दोपहर 12 से सायं 4 के मध्य धूप में बिना जरूरी काम के न निकलने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा गर्मी के कारण बीमारियां की चपेट में आने की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं। इसको देखते हुए प्रदेश के सारे सरकारी अस्पततालों में पूर्व में ही अर्लट जारी कर व्यवस्थायें बनाने के निर्देश जारी कर दिये गये थे।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने तापमान बढ़ने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। जिससे शरीर डिहाइड्रेटेड हो जाता है। उन्होंने कहा गर्मी के मौसम में बच्चों और बुर्जगों को कम से कम घर से निकलने दें, ताकि बच्चें हीट वेव से बच सकें और वो कम बीमार पड़े। उन्होंने कहा कि गर्मी से बचने के लिए अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें, ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो पानी की कमी नहीं होने से भी गर्मी के प्रकोप से बच्चों को बचाया जा सकता है।

हीटवेव (गर्मी/लू) से बचाव के लिए क्या करे
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा घर बाहर निकलने से पहले एक बार तापमान जरूर देख लें और अगर ज्यादा ही जरूरी है, तो अपने साथ धूप से बचाने वाली चीजें लेकर चलें, जैसे चश्मा, छाता, सनस्क्रीन, मुंह पर बांधने वाला कपड़ा, पानी की बोतल और खाने के लिए छोटी-मोटी चीजें। थोड़े-थोड़े समयान्तराल पर तरल पदार्थ (शीतल जल, नीबू पानी, शिकंजी, नारियल पानी आदि) पीते रहें। घर, कार्यस्थल आदि स्थानों पर सूर्य की सीधी रोशनी को रोकने के लिए पर्दा आदि का प्रबन्ध करें। जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें। बच्चे, बीमार व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। हीट स्ट्रोक/लू के लक्षण दिखने पर नजदीकी राजकीय चिकित्सा इकाई पर सम्पर्क करें।

हीटवेव (गर्मी/लू) में क्या न करें
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से बिना काम के घर से बाहर न निकलने की अपील की है। अत्यधिक गर्मी (दोपहर 12 से सायं 4) के मध्य बाहर धूप में बिना जरूरी काम के बिल्ुकल न जायें। नंगे पैर/बदन धूप में जाने परहेज करें। अत्यधिक प्रोटीन युक्त भोजन व बासी भोजन का सेवन करने से बचें। धूप में खड़ी गाड़ियों में बच्चों और पालतू जानवरों को अकेला बिल्कुल न छोडें। गहरे व चटक रंग के कपड़ों को गर्मियों में पहनने से परहेज करें। इसके साथ ही तंग एवं छोटे कपड़ों का प्रयोग विशेषकर जब बाहर धूप में जाना हो बिल्कुल न करें। बंद एवं अत्यधिक गर्मी वाले स्थान पर भोजन न पकायें। गर्मियों में शराब, चाय, कॉफ़ी, कार्बाेहाइड्रेट, साफ्ट ड्रिंक आदि का अधिक सेवन न करें। अधिक गर्मी/धूप में श्रम कार्य करने से बचना चाहिए।

राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में अर्लट जारी
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा गर्मी के मौसम व हीट वेव के खतरे को दृष्टिगत रखते हुए सभी जनपदों को सतर्क रहने के निर्देश पहले ही दे दिए गए थे। सभी चिकित्सालयों को पर्याप्त मात्रा में ओआरएस, आई फलूडस आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के लिए कहा गया। सभी स्वास्थ्य कर्मी चिकित्सा एवं पैरामेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण किया गया है। सभी चिकित्सालयों में पीने के पानी की दुरुस्त व्यवस्था रखने के निर्देश दिए गए थे तथा चिकित्सालय में बिजली की निरंतर आपूर्ति रखने के लिए कहा गया है। हीट स्ट्रोक से कोई मृत्यु दर्ज होती है तो उसकी डेथ ऑडिट किया जायेगा, ताकि मृत्यु के सही कारण का पता लगाया जा सके लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाव हेतु जागरूकता के लिए सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया होर्डिंग बैनर के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

उत्तराखंड के हर व्यक्ति को स्वस्थ रखना व सभी तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना सरकार की प्राथमिकताः सुरेश भट्ट

सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है। अस्पतालों को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके। समाज के हर व्यक्ति को स्वस्थ रखना व सभी तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। ये बातें राज्य स्तरीय राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवं अनुश्रवण परिषद के नवनियुक्त उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, द्वारा एन.एच.एम. के अंतर्गत संचालित सभी कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा जन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एक महत्वपूर्ण कड़ी है। समीक्षा बैठक में प्रदेश में राष्ट्रीय कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वय हेतु सभी अधिकारियों व कार्मिकों को जरुरी दिशा-निर्देश दिए गये।

मैं एक सहयोगी के नाते काम करूंगाः सुरेश भट्ट
सुरेश भट्ट द्वारा उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के पश्चात आयोजित प्रथम बैठक में प्रदेश में संचालित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा की। माननीय उपाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि स्वास्थ्य सेवाएं आमजनमानस की भावनाओं से जुडा विषय है, जिसका संपादन केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अति आवश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड से जुड़कर मैं एक सहयोगी के नाते काम करूंगा व मेरे द्वारा एन.एच.एम. को संपूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा।
बैठक में प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने प्रदेश में संचालित सभी कार्यक्रमों को विस्तारपूर्ण जाना और संबंधित अधिकारियों व कार्मिकों को विभिन्न जनकल्याणकारियों नीतियों को धरातल में अमल करने पर उचित दिशा-निर्देश दिए।

अधिकारियों-कर्मचारियों को दिलाई सत्यनिष्ठा की शपथ
सुरेश भट्ट द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम जिनमें टी.बी उन्मूलन, मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, गैर संचारी रोगों की रोकथाम जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर और अधिक कार्य करने की जरुरत है, जिससे प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिल सके। बैठक के दौरान देशभर में संचालित ‘सतर्कता जागरुकता सप्ताह’ के अंतर्गत मा. उपाध्यक्ष द्वारा एन.एच.एम. अधिकारियों व कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा भी दिलाई। उन्होंने कहा हम सब समर्पित होकर कार्य करें जिससे कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत बनें।

बैठक में स्वाति एस भदौरिया मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अमनदीप कौर, अपर मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, कार्यक्रम अधिकारी डॉ अजय कुमार नगरकर, डॉ अमित शुक्ला, डॉ फरीदुजफर, डॉ पंकज सिंह, डॉ राजन अरोड़ा, डॉ मुकेश राय, डॉ अर्चना ओझा, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक महेंद्र मौर्य, राज्य लेखा प्रबंधक राम कृष्ण भट्ट आदि अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।