टनकपुर में सीएम को च्यूड़ा पूजन कर भैया दूज कार्यक्रम में शामिल हुईं महिलाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने एक दिवसीय जनपद चंपावत भ्रमण के दौरान बनबसा और टनकपुर क्षेत्र में स्थानीय महिलाओं द्वारा आयोजित भैया दूज (च्यूड़ा पूजन) समारोह में प्रतिभाग किया।

कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा का प्रदर्शन कर महिलाओं ने पारंपरिक रूप से कुमाऊं का प्रसिद्ध ‘च्यूड़ा पूजन’ नाम से जाना जाता है। इस पवित्र अनुष्ठान के माध्यम से, महिलाओं ने मुख्यमंत्री की लंबी आयु, स्वस्थ जीवन और दीर्घायु की कामना की। यह पूजन भाई-बहन के अटूट बंधन और लोक परंपराओं के प्रति स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान महिलाओं द्वारा दिए गए अपार स्नेह और सम्मान के लिए उनका हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराएं हमारी पहचान हैं, और इन पर्वों के माध्यम से हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का अवसर मिलता है। मुख्यमंत्री ने इस पावन अवसर पर प्रदेश की सभी माताओं और बहनों को भैया दूज की शुभकामनाएं देते हुए राज्य के विकास और जनता के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

टनकपुर स्थित शारदा घाट में मुख्यमंत्री ने की पूजा अर्चना।
मुख्यमंत्री ने टनकपुर स्थित शारदा घाट पहुंचकर पूजा-अर्चना की एवं प्रदेश में सुख शांति एवं कल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा पूर्णागिरि क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को यह आरती अपनी ओर आकर्षित करती है। शारदा घाट में आने से धार्मिक भावनाओं का संचार और प्राकृतिक नजरों के दर्शन भी होते हैं। उन्होंने कहा इस आरती के शुरू होने से क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां बड़ी हैं, जिससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिला है।

इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष गोविंद सामंत, जिलाधिकारी मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, मुख्य विकास अधिकारी डॉ० जी एस खाती, स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी/कार्मिक और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री की प्रेरणा, मुख्यमंत्री का नेतृत्व से उत्तराखंड में हरेला पर्व बना पर्यावरण जागरण

उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाने वाला हरेला पर्व अब केवल एक परंपरागत आयोजन नहीं रहा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जनभागीदारी का एक सशक्त अभियान बन चुका है। इस वर्ष हरेला पर्व पर पूरे उत्तराखंड में एक नया इतिहास रचा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू किए गए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने और व्यापक रूप देते हुए इसे ‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ’ जैसे सार्थक जनसंदेश से जोड़ा।

मुख्यमंत्री धामी ने देहरादून में स्वयं पौधारोपण कर इस अभियान की शुरुआत की और इसे केवल एक सरकारी कार्यक्रम के बजाय जन-जन की भागीदारी वाला हरित जनांदोलन बना दिया। प्रदेश के सभी 13 जिलों के गांवों, कस्बों, शहरों और स्कूलों में हजारों स्थानों पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, स्वयंसेवी संगठनों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों, महिला समूहों और युवाओं ने पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की। अब तक पूरे राज्य में 8 लाख 13 हजार से अधिक पौधे रोपे जा चुके हैं, जो कि किसी एक पर्व के अवसर पर उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा पौधारोपण प्रयास है।

यह केवल वृक्षारोपण का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसी पहल है जो प्रदेशवासियों में प्रकृति के प्रति आस्था, उत्तरदायित्व और संरक्षण की भावना को और गहरा कर रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह पर्व दर्शाता है कि उत्तराखंड केवल एक हिमालयी राज्य नहीं, बल्कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए जागरूक और सक्रिय समाज का प्रतीक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार विकास और आस्था, दोनों के संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है और पर्यावरण संरक्षण सरकार की प्राथमिक नीति का अभिन्न हिस्सा है।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हरेला पर्व अब केवल सांस्कृतिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह प्रदेशवासियों की सामूहिक चेतना का उत्सव बन गया है। पौधों के रूप में जो बीज धरती में रोपे जा रहे हैं, वे हरियाली, उम्मीद, आस्था और सतत विकास के प्रतीक हैं। आने वाले वर्षों में यही बीज एक हरित, समृद्ध और पर्यावरण-संवेदनशील उत्तराखंड के निर्माण में आधार बनेंगे।

हरेला पर्व पर राज्यव्यापी पौधारोपण अभियान, सीएम ने रोपा रुद्राक्ष का पौधा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के पावन अवसर पर गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर, देहरादून में “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम पर आयोजित राज्यव्यापी पौधारोपण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए समस्त प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने रुद्राक्ष का पौधा रोपा।

हरेला हमारी संस्कृति और चेतना का पर्व है
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, प्रकृति और चेतना से जुड़ा एक गहरा भाव है, जो हमें पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। उन्होंने बताया कि हरेला पर्व के दिन लगभग 5 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग के प्रत्येक डिवीजन में 50 प्रतिशत फलदार पौधे लगाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि इस महाभियान में सरकार द्वारा जनसहभागिता, स्वयंसेवी संगठनों, छात्र-छात्राओं, महिला समूहों और पंचायतों का सहयोग लिया जा रहा है।

पेड़ बनना ही पौधारोपण की सच्ची सफलता
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लगाए गए पौधों की नियमित देखभाल की जाए, जब तक वे वृक्ष का रूप न ले लें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता से समृद्ध राज्य है, जिसकी रक्षा करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण को नया आयाम
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे ‘पंचामृत संकल्प’, ‘नेट ज़ीरो इमिशन’, ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य सरकार भी इन्हीं मूल्यों को आत्मसात करते हुए कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष देशभर में 108 करोड़ पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

जल स्रोतों के संरक्षण हेतु ठोस पहलः एसएआरआरए का गठन
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी का गठन किया गया है। इसके माध्यम से अब तक 6,500 से अधिक जल स्रोतों का संरक्षण और 3.12 मिलियन घन मीटर वर्षा जल का संचयन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है और वाहनों में कूड़ेदान अनिवार्य कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन के विशेष अवसरों पर एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करें, जिससे पर्यावरण संरक्षण को जनांदोलन बनाया जा सके।

कृषि मंत्री गणेश जोशी और वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी दी शुभकामनाएं
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में श्रावण मास में हरेला पूजन के उपरांत वृक्षारोपण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो हमारी सांस्कृतिक चेतना और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का प्रमाण है। हरेला पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रकृति की रक्षा करना केवल दायित्व नहीं, बल्कि एक पुनीत कर्तव्य है।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि लोकपर्व हरेला प्रदेश के 2,389 स्थानों पर मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में हरेला पर्व पर लगाए गए पौधों का सर्वाइवल रेट 80 प्रतिशत से अधिक रहा है। उन्होंने जल स्तर में हो रही गिरावट को गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि इसके लिए हमें पौधारोपण एवं जलधाराओं के संरक्षण हेतु निरंतर प्रयास करने होंगे।

इस अवसर पर विधायक सविता कपूर, खजान दास, देहरादून के मेयर सौरभ थपलियाल, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा सहित वन विभाग के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

गिटार पर गाकर जुबिन ने दी ईगास की बधाई

उत्तराखंड के लोक संस्कृति का सूचक ईगास पर्व की गायक व उत्तराखंड निवासी जुबिन नौटियाल ने भी अपने अंदाज में बधाई दी है।

जुबिन ने अपना एक वीडियो शेयर किया। जिसमें वह गिटार पर ईगास पर्व की बधाई गाकर दिखाई दे रहे है, वीडियों में जुबिन बताते हैं कि यह ईगास उत्तराखंडी पर्व है, जो लोक संस्कृति को दर्शाता है।


जुबिन के इस वीडियों को खूब शेयर किया जा रहा है, अपने प्रदेश की संस्कृति को इस तरह दिखाने पर उनकी प्रशंसा भी हो रही है।