प्लास्टिक को ना कहने की आदत ही पर्यावरण को बचाएगी-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आईटी पार्क देहरादून स्थित गौरा देवी पर्यावरण भवन में उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट कार्यशाला को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य की पहली वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, काशीपुर ईकाई का वर्चुअल एवं प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित लघु फिल्म का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित स्टॉलों का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस कार्यशाला में प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली चुनौतियों के निस्तारण के सबंध में की जाने वाली चर्चा निश्चित रूप से राज्य में पर्यावरण के मानक व स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आज हमारे घरों, उद्योगों, होटलों, रेस्टोरेंट, प्रतिष्ठानों से निकलने वाला प्लास्टिक वेस्ट हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें आधुनिक तकनीक से प्लास्टिक कचरे के रिसाइक्लिंग तकनीक को विकसित करने की दिशा में जागरूक और संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। सिंगल यूज प्लास्टिक को हमारे जीवन की उपयोगिता से बाहर करने की दिशा में हम सबको सामूहिक रूप से अधिक गंभीर होने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक उत्पादन से संबंधित उद्योगध्इकाई द्वारा ई.पी.आर रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में उत्तर भारत में उत्तराखण्ड वर्तमान में अग्रणी है, जो निश्चित रूप से एक गौरव का विषय है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला में किया जाने वाला मन्थन निश्चित रूप से हमारे उद्यमियों और आम जनता को अपने प्रतिष्ठान, घर, शहर और गांव के साथ ही पूरे राज्य को स्वच्छ बनाने में सहयोग करेगा। अब समय आ गया है कि हमें उत्तराखण्ड में वेस्ट टू वैल्थ और वेस्ट टू एनर्जी की दिशा में काम करने की ओर अग्रसर होना होगा। अब सर्कुलर इकोनॉमी का कॉन्सेप्ट आ चुका है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कारगर साबित होगा। कचरे को सिर्फ कचरा न समझ कर एक संसाधन के तौर पर देखने की आवश्यकता है। इससे आम लोगों को आजीविका के साथ-साथ रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे। आज देश में कई स्टार्टअप इस दिशा में नई तकनीक व उत्पाद के साथ सामने आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता अभियान, शौचालय निर्माण, नमामि गंगे अभियान जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत करके सम्पूर्ण विश्व को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा तथा अन्य स्वच्छता कार्यक्रमों के माध्यम से प्लास्टिक हटाओ अभियान में तेजी आयी है। प्लास्टिक व अन्य प्रकार के वेस्ट मैनेजमेंट हेतु रिड्यूस, रियूज और रीसाइकिल के सिद्धान्त को अपनाते हुए भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा नीति, गाईडलाईन्स व एसओपी बनाये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में शुरू किया गया मिशन लाईफ हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ा विषय है। यदि हम अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव करे तो आज पर्यावरण प्रदूषण की जो बड़ी चुनौती हमारे सामने खड़ी है, उससे निपटा जा सकता है और धरती को एक बड़े खतरे से बचाया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित जीवनशैली व दिनचर्या को अपनाते हुए हम पूरे विश्व को यह सन्देश दे सकते हैं कि हमारे प्रदेश व देश के नागरिक पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग व प्रतिबद्ध हैं।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण आर.के सुधांशु, निदेशक पर्यावरण एस. पी सुबुद्धि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सुशांत पटनायक, संयुक्त निदेशक पर्यावरण नितेश मणि, वर्चुअल माध्यम से विधायक त्रिलोक सिंह चीमा, जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर युगल किशोर पंत एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

लालपानी बीट में कूड़ा निस्तारण का विरोध, ज्ञापन भेजा

उत्तराखंड जन विकास मंच ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उप जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया गया। मंच के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा व संरक्षक महावीर उपाध्याय ने बताया कि नगर निगम ऋषिकेश द्वारा लाल पानी बीट में कचरा निस्तारण की कार्य योजना बनाई जा रही है। लेकिन उक्त स्थल के समीप बसी आबादी के नागरिकों द्वारा निरंतर विरोध दर्ज किया जा रहा है। इससे आने वाले समय में उनके आसपास की हवा, मिट्टी तथा पानी प्रदूषित होना तय है। जिससे उनके व उनके बच्चों का भविष्य खराब होना तय है। नगर निगम द्वारा आम नागरिकों का पक्ष सुने बिना एकपक्षीय कार्यवाही की गई तथा उस समय उक्त जनसुनवाई का भारी विरोध हुआ था। जिसके संबंध में अखबारो में सूचना प्रमुखता से छपी थी।
देहरादून के शीशम बाड़ा प्लांट का उदाहरण अपने आप में सबके सामने दृष्टिगोचर है कि वहां पर कूड़ा निस्तारण नहीं किया गया तथा कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। जिससे आसपास के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। देहरादून जैसे नगर निगम द्वारा जब यह प्रक्रिया कुशलतापूर्वक प्रभावी रूप से लागू नहीं की जा सकी तो तृतीय श्रेणी के नगर निगम ऋषिकेश द्वारा उक्त कूड़ा निस्तारण को प्रभावी रूप से किया जाना अपने आप में संदेह जनक है। क्षेत्र के गरीब आम नागरिकों के भविष्य को देखते हुए नगर निगम के उक्त ट्रेंचिंग ग्राउंड को कहीं अन्यत्र शिफ्ट करने का कष्ट करें। जिससे नागरिकों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके तथा ऋषिकेश जैसे पावन शहर को कूड़े के ढेर व वायु, जल प्रदूषण से मुक्त रखा जा सके।
अवगत कराना है कि ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर नगर निगम हरिद्वार के सराय स्थित प्लांट में बड़े पैमाने पर भूमि उपलब्ध है। तथा वहां कूड़ा निस्तारण प्लांट स्थापित किया गया है। यदि नगर निगम ऋषिकेश का कूड़ा कंपैक्ट मशीनों का प्लांट वहां लगाया जाता है तो वह एक उचित विकल्प होगा। ऋषिकेश चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार है इसके पूर्व में पतित पावनी मां गंगा पश्चिम में देहरादून का वन क्षेत्र उत्तर में टिहरी गढ़वाल जिला एवं दक्षिण में गुमानीवाला, रायवाला तथा हरिद्वार जिले की सीमा लगती है। अतः नगर निगम ऋषिकेश का विस्तार दक्षिणी सीमा में ही हो सकता है।
इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार द्वारा नगर निगम रुड़की में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट प्लांट लगाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि इसी प्रकार प्लांट नगर निगम हरिद्वार के सराय प्लांट में स्थापित किया जाए तो आसपास के निकायों का समस्त कूड़ा उक्त वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को दिया जा सकता है। जिससे प्लांट को पर्याप्त कूड़ा ना मिलने के कारण होने वाले अवरोधों से बचा जा सकेगा तथा पर्याप्त कूड़ा प्राप्त होने से वेस्ट एनर्जी प्लांट प्रभावी रूप से कार्य कर सकेगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम ऋषिकेश द्वारा लाल पानी बीट में बनाए जाने वाले ट्रेचिंग ग्राउंड आदि की कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रोकते हुए वहां के नागरिकों के जीवन की रक्षा करने की जा सके। ऊपर बताए गए विकल्पों में से किसी पर विचार करते हुए कार्रवाई कराने की कृपा करें।
ज्ञापन प्रेषित करने वालों में विनोद पोखरियाल, देवेंद्र दत्त बेलवाल, चंदन सिंह राणा, धर्मेंद्र कुमार, धर्म सिंह छेत्री, सुंदर जीना, मनवीर भंडारी, लाल सिंह बोरा आदि मौजूद रहे।