नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर तस्वीर अब साफ होती दिख रही है। एक आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए भारत सरकार ने बताया है कि नेताजी की मौत विमान हादसे में हुई थी। RTI में दिए गए जवाब से नेताजी का परिवार खुश नहीं है। नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने कहा कि यह काफी गैर जिम्मेदाराना है, केंद्र सरकार इस तरह का जवाब कैसे दे सकती है, जबकि मामला अभी भी सुलझा नहीं है।
यह आरटीआई सायक सेन नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिसके जवाब में गृह मंत्रालय ने अपना जवाब भेजा है। RTI के जवाब में साफ तौर पर कहा गया है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को हुई थी। जवाब में कहा गया है कि भारत सरकार की और से नेताजी की मौत से जुड़ी 37 फाइलें जारी की थी, जिसमें पेज नंबर 114-122 पर इसकी जानकारी दी गई है। इस जवाब में शाहनवाज कमेटी, जस्टिस जी.डी. खोसला कमीशन, और जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।
माफी मांगे गृह मंत्रालय
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि गृह मंत्रालय को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए, हम चाहते हैं कि इस मामले में SIT का गठन किया जाए, जो कि जारी की गई फाइलों का अध्ययन कर सके, इसके साथ ही हम चाहते हैं कि ताइवान में मिली अस्थियों का केंद्र सरकार DNA टेस्ट करवाए। मैं पहले बोस परिवार का सदस्य हूं और बाद में बीजेपी का नेता… मेरा पहला लक्ष्य उनकी मौत की गुत्थी को सुलझाना है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रहस्यमय तरीके से गायब होने की गुत्थी नहीं सुलझने से नाराज उनके परिजनों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नेताजी के भाई के पोते एवं बीजेपी नेता चंद्र बोस ने बताया कि इस बाबत परिवार ने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ इस सप्ताह आंदोलन शुरू किया जाएगा।
मोदी ने नेताजी से जुड़ी फाइलें की थी सार्वजनिक
पिछले एक साल में मोदी सरकार ने हर महीने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 100 फाइलें जारी की। इसकी शुरुआत पिछले साल 23 जनवरी से हुई थी। अब ये सभी फाइलें सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। 2015 में नेताजी के परिजनों से मिलने के बाद पीएम मोदी ने यह भी घोषणा की थी कि वह रूस सरकार से भी नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करेंगे।