राज्य के निर्माण के वक्त हुयी आंदोलनकारियों की हत्या व बलात्कार की घटना पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने जिला जज देहरादून से दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। उन्होंने राज्य सरकार, सीबीआई और जिला जज देहरादून को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल को भी कहा है।
अधिवक्ता रमन शाह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि मुजफ्फरनगर कांड की पुनः सुनवाई हो। साथ ही मामले के दोषियों को सजा मिलने और सीबीआई जांच हो। याचिका में कहा गया है कि मामले से जुड़ी फाइल गायब करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो।
विदित हो कि उत्तराखंड राज्य के गठन से पूर्व आंदोलनकारियों ने आंदोलन किया था। जिन्हें मुजफ्फरनगर के आगे जाने ही नहीं दिया गया था। इस दौरान 28 आंदोलनकारियों की हत्या कर दी गयी थी। साथ ही महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटना भी सामने आई थी। 17 आंदोलनकारियों के साथ छेड़छाड की घटना सीबीआइ की रिपोट में सामने आई है। हांलाकि 1996 में सीबीआइ ने तत्कालीन डीएम मुजफ्फरनगर अनंत कुमार सिंह समेत अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में चार्जशीट दाखिल की।
लेकिन इसके खिलाफ 2003 में डीएम ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने डीएम को राहत देते हुए मामले पर स्टे लगा गिया। जिसके बाद 22 अगस्त 2003 को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने अपने फैसले को रिकॉल कर लिया। फिर मामले में सुनवाई नहीं हो सकी तो मामले से जुड़ी फाइल भी गायब हो गई। अब 24 साल बाद एक बार पुनः हाईकोर्ट ने मामले को उजागर किया है।