उत्तराखंड सरकार भी केन्द्र सरकार की राह पर चल पड़ी है। राज्य में भ्रष्ट और नकारा अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति देने की तैयारी की जा रही है। अब उत्तराखंड सरकार भी ऐसे अफसरों को समय पूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान करने जैसा सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर उनकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
सचिवालय सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में इस सूची में 50 वर्ष की आयु पार कर चुके अधिकारियों को शामिल किया जा रहा है। शासन के बाद विभिन्न महकमों में भी ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों का चिह्नीकरण किया जाएगा। सरकार की कार्यशैली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की केंद्र सरकार की पहल का अब राज्य भी अनुसरण करने लगा है।
उत्तराखंड सरकार इसकी शुरुआत शासन स्तर करने जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ऐसे अधिकारियों को चिह्नित किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के अलावा जिन अधिकारियों की कार्यशैली अप्रभावी है और जिनका पिछला रिकार्ड इस लिहाज से संतोषजनक नहीं है, उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा।
शासन के बाद विभिन्न महकमों के ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें कार्य के प्रति लापरवाह, नकारा माना जाता है और जिन पर भ्रष्टाचार के मामले हैं या रहे हैं। हालांकि, उत्तराखंड के संदर्भ में सरकार के लिए इस मुहिम को आगे बढ़ाना आसान साबित होने वाला नहीं है, क्योंकि यहां पहले से ही अधिकारियों की खासी कमी है।