क्या सुशांत के दोस्तों को धमकी मिल रही, जानिए पूरी खबर

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले ने एक नया ही मोड़ ले लिया है। मामले को लेकर कई लोग अलग-अलग तरह की बातें कर रहे हैं। सुशांत से जुड़े लोग मामले में सुशांत का समर्थन कर रहे हैं। उनके दोस्तों और करीबी लोगों का मानना है कि सुशांत आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते हैं। वहीं इस मामले में अपने आप को अहम गवाह मान रहे गणेश हिवारकर और अंकित आचार्य को जान से मारने की धमकी मिल रही है।
अंकित आचार्य सुशांत सिंह राजपूत के पूर्व मैनेजर हैं और गणेश हिवारकर सुशांत के दोस्त। दोनों ने ही एक न्यूज चैनल से बात करते हुए खुलासा किया था कि सुशांत दिमागी तौर पर एकदम स्वस्थ थे। अंकित ने कहा था कि सुशांत का मर्डर हुआ है, वो भी उनके डॉगी फज के बेल्ट से। तो वहीं गणेश ने दावा किया था कि सुशांत के निधन के एक दिन पहले यानी 13 जून को पांच से छह लोग सुशांत के फ्लैट पर आए थे। अब हाल ही में अंकित आचार्य ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। अंकित ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए एक स्टोरी साझा की। जिसके जरिए उन्होंने बताया कि उन पर पुलिस और मीडिया से दूर रहने का दबाव बनाया जा रहा है। साथ ही अपना मुंह बंद रखने की धमकी भी दी जा रही है। जिसके चलते अंकित ने अपने लिए प्रोटेक्शन की मांग की है।
अंकित ही नहीं बल्कि गणेश के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। हाल ही में गणेश हिवारकर ने ट्विटर पर इस बात की जानकारी देते हुए अपनी जान को खतरा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षा की भी मांग की। गणेश ने अपने ट्वीट में लिखा- श्मेरे और अंकित के लिए सुरक्षा की आवश्यकता है।श् अपने ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत, अंकिता लोखंडे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य कई लोगों को टैग किया है।
हालांकि बाद में गणेश ने एक अन्य ट्वीट और किया। जिसके जरिए उन्होंने लोगों की प्रतिक्रिया के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है। इस ट्वीट में गणेश ने लिखा, श्आप सभी को आपके शानदार समर्थन के लिए धन्यवाद। आपकी दुआओं की वजह से ही हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हम आखिरी सांस तक सुशांत के लिए लड़ेंगे। पिछले दो दिन से अंकित मेरे साथ हैं। हम साथ में सुशांत के न्याय के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। बहुत शुक्रिया।

दो वर्षों में राज्यपाल ने राज्य के हर व्यक्ति तक संपर्क साधने की कोशिश की

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखण्ड राज्य की 7वीं राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। 26 अगस्त, 2020 को राज्यपाल के कार्यकाल का द्वितीय वर्ष पूर्ण हो रहा है। राज्यपाल पद पर शपथ ग्रहण करने के उपरांत राज्यपाल ने कहा था कि संविधान की मर्यादा का निर्वहन करते हुए वे अपने कत्र्तव्यों का पालन करेंगी। बालिका शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, गरीब और वंचितों का कल्याण यह उनकी प्राथमिकताओं में सम्मिलित हैं।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री जी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित ‘जल जीवन मिशन-हर घर जल’ भी राज्यपाल की शीर्ष प्राथमिकता है। वे ‘जल जीवन मिशन’ हेतु गठित राज्यपाल समूह की सदस्य भी हैं और गत वर्ष राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में उन्होंने इस पर एक प्रस्तुतीकरण भी दिया था। उत्तराखण्ड के भी कई जनपद जल संकट की दृष्टि से संवेदनशील हैं इसलिये राज्यपाल ने इस मिशन को बहुत गंभीरता से लिया है। राज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर अपने संवैधानिक दायित्वों का गरिमापूर्वक निर्वहन करते हुए राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने अपने लम्बे प्रशासनिक तथा सार्वजनिक जीवन के अनुभव का लाभ राज्य की प्रगति व विकास में दिया है।
गत दो वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने महिला सशक्तिकरण, बच्चों के कल्याण, महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन, पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने, जैविक खेती को प्रोत्साहित करने, नशे के विरूद्ध युवाओं को जागरूक करने पर विशेष बल दिया।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने पिछले दो वर्षों में प्रदेश के सभी जनपदों का व्यापक भ्रमण किया है। जनपद भ्रमण के दौरान उन्होंने सदैव वहाँ की महिलाओं और ग्रामीणों से भेंट की है। महिला स्वयं सहायता समूहों का उत्साह बढ़ाया है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य का दृढ़ विचार है कि महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा प्रदेश में महिलाओं की आर्थिकी को सुधारा जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 के अवसर पर श्रीमती मौर्य ने राज्यभर के श्रेष्ठ महिला स्वयं सहायता समूहों को सम्मानित किया।
राजभवन में अतिथियों को भेंट करने हेतु या राजभवन के उपयोगार्थ वस्तुओं को भी प्राथमिकता के आधार पर महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा ही लेने का निर्णय लिया गया।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने अगस्त 2019 में राजभवन में ’‘महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण’’ पर एक कार्यशाला आयोजित की जिसमें राज्य की विभिन्न आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस, पी.सी.एस, सचिवालय सेवा पुलिस एवं अन्य सेवाओं की महिला अधिकारी सम्मिलित थीं। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ महिला अधिकारियों का उत्साहवर्द्धन था बल्कि उन्हें महिलाओं के प्रति उनके कत्र्तव्यों हेतु जागरूक, संवेदनशील और प्रेरित करना भी था।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने समय-समय पर विभिन्न मंचों से ड्रग्स के विरुद्ध भी आवाज उठाई है। उन्होंने स्कूली विद्यार्थियों और प्रधानाचार्यों की नैनीताल में एक बैठक ली। राजभवन देहरादून में अगस्त 2019 में एक ‘एण्टी ड्रग्स’ कार्यशाला का आयोजन भी किया जिसमें पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों के प्रति राज्यपाल श्रीमती मौर्य की संवेदनशीलता उनके प्रत्येक कार्यक्रम में दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री कुपोषण उन्मूलन अभियान के प्रोत्साहन हेतु उन्होंने स्वयं एक अति कुपोषित बालिका को गोद लिया है, जिसका पिछले 10 महीनों में नियमित राजभवन एवं दून अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों के कार्यक्रम में बालिकाओं के लिए अलग से शौचालय बनाने हेतु निर्देश दिये। कोविड-19 के लाॅकडाउन में विभिन्न गावों और कन्टेनमेण्ट जोन में बालिकाओं और महिलाओं के लिए 2000 से अधिक सैनेटरी पैड वितरित करवाये।
प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल श्रीमती मौर्य का राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने तथा विश्वविद्यालयों को नीति-निर्माण में सहायक बनाने पर विशेष बल है। राज्यपाल ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की है कि वे मौलिक शोध तथा अध्ययन को बढ़ावा दें। राज्यपाल श्रीमती मौर्य का मानना है कि विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों का असर ‘लैब’ से निकल कर ’लैण्ड’ तक पहुँचे। राज्य के पंतनगर और भरसार कृषि एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालयों को किसानों की आय दो गुनी करने, जैविक कृषि को बढ़ावा देने, फल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया है।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य प्रत्येक तीन-चार माह में एक बार कुलपतियों की बैठक आयोजित कर अपने विचार साझा करती हैं। कोरोना लाॅकडाउन में भी उन्होंने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से कुलपतियों से नियमित वार्तालाप किया और आॅनलाइन शिक्षा, सामुदायिक सेवा, परीक्षाओं के आयोजन आदि के संबंध में उनको निर्देश दिये।

आप की रणनीति तैयार, संपर्क अभियान शुरु

नमस्कार मै अरविंद केजरीवाल बोल रहा हूं, कैसे है आप… । ये आडियो संदेश अरविंद केजरीवाल का है जो उत्तराखण्ड के लगभग 70 लाख लोगों तक पहुंच रहा है।
यह जानकारी देते हुए आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र आनंद ने बताया कि आज के दौर में जहां एक आम आदमी को वोट देने के बाद भी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और उनके वोट से जीते नेता, मंत्री, विधायक ऐसे गायब जो जाते हैं जैसे उनको उनसे कोई सरोकार ना हो। अगर वो लोग उन दिक्कतों को लेकर अपने स्थानीय विधायकों से मिलना भी चाहते तो उनसे मिल नहीं पाते। ऐसे में अरविंद केजरीवाल जी एक ऑडियो संदेश के जरिए उत्तराखंड के हर जनमानस से जुड़ रहे हैं। उनका एक मिनट का ऑडियो मैसेज फोन के जरिए जन-जन तक पहुंच रहा है। जिसमें वो सबसे पहले कोराना को लेकर हाल चाल पूछ रहे हैं और उसके बाद बताते हैं कैसे उत्तराखंड की तरह दिल्ली में भी कुछ सालों पहले, जनता परेशान थी, हालात बहुत खराब थे, लेकिन जब से आम आदमी पार्टी दिल्ली में आई, दिल्ली में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कें सब बेहतर हो गए। बिजली, पानी भी फ्री मिलने से लोग खुश हैं और अब 24 घंटे वहां बिजली रहती। वो अपने इस संदेश के जरिए कहते उत्तराखंड में भी आपको बिजली, पानी फ्री मिल सकती, अच्छी सड़कें बन सकती। स्वास्थ्य और शिक्षा यहां भी दिल्ली से बेहतर हो सकती है। वो उत्तराखंड को बेहतर उत्तराखंड बनाने का आव्हान भी करते। इस मैसेज के जरिए अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड के घर-घर तक पहुंचेंगे और जिस तरह दिल्ली मॉडल ने पूरे देश में वाहवाही बटोरी है वैसे ही स्वास्थ्य, शिक्षा में उत्तराखंड को भी बेहतर उत्तराखंड बनाएंगे।

ई-मीटिंग प्रणाली का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में ई-मीटिंग सॉफ्टवेयर का शुभारम्भ किया। ई-मीटिंग सॉफ्टवेयर एक स्मार्ट मीटिंग मैनेजमेंट सिस्टम है। जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय एवं सचिवालय में होने वाली बैठकों को आईटी के माध्यम से और बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया जा सकेगा। बैठक में प्रतिभाग करने वाले अधिकारी, बैठक का एजेंडा और प्रस्तावित चर्चा के बिंदु बैठक से दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए भेंजेंगे, अनुमोदन के बाद ही बैठक होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया की सोच की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ई-मीटिंग प्रणाली से ऊर्जावान युवा सोच को बढ़ावा मिलेगा। राज्य में ई-मंत्रीमण्डल, ई-ऑफिस के बाद ई-मीटिंग की शुरूआत हुई है। ई-मीटिंग प्रणाली से अधिकारियों के कार्य करने की गति में और तेजी आयेगी। राज्य सरकार का प्रयास है कि योजनाओं का लाभ समाज में अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। इसके लिए लीक से हटकर आधुनिक तकनीक अपनाने की जरूरत है। ई-मीटिंग प्रणाली से शासन एवं अन्य विभागों के कार्यों में भी तेजी आयेगी। मॉनिटरिंग व ट्रेकिंग के माध्यम से कार्यों को एफिशिएंट व प्रोडक्टिव बनाकर समयबद्धता के साथ निस्तारण के स्थान पर निपुणता पर केन्द्रित किया जाना चाहिए। जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सचिवालय को सरकारी सिस्टम का हृदय माना जाता है। सचिवालय में फाइलों की ट्रेकिंग से विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को जल्द मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम वर्चुअल इंडिया की तरफ बढ़ रहे हैं। आज वर्चुअल ने एक्चुअल को साधने का दृढ़ निश्चय कर लिया है। राज्य सरकार का मुख्य विजन राज्य को आईटी हब बनाने का है।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि यह ई-गवर्नेंस की दिशा में अच्छा प्रयास है। ई-मीटिंग प्रणाली से पूर्व में ली गई बैठकों के निर्णय भी सहजता से उपलब्ध होंगे और पेपरलेस कार्य भी होंगे। मंत्रीगणों एवं मुख्य सचिव की बैठकों के लिए भी ई-मीटिंग प्रणाली अपनाई जाय। इसके लिए निजी सचिवों को प्रशिक्षण भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाय कि दिसम्बर तक सभी सन्दर्भ ई-ऑफिस पर आ जायें।
ई-मीटिंग का सॉफ्टवेयर एनआईसी द्वारा आईटी विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के सहयोग से बनाया गया है। अब मुख्यमंत्री कार्यालय की बैठक मीटिंग मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से होंगी। ई-मीटिंग सॉफ्टवेयर का एक पोर्टल बनाया गया जिसकी वेबसाइट मउममजपदह.ना.हवअ.पद है। ई-मीटिंग तकनीक के माध्यम से बैठक का एजेंडा एवं कार्यवृत्त ऑनलाईन स्टोर किये जायेंगे। बैठक के आयोजन के लिए अधिकृत अधिकारी बैठक की तैयारियों एवं बैठक के समय दिखाये जाने वाले डाटा का मीटिंग से पूर्व वैरिफाई करेंगे। मीटिंग में प्रतिभाग करने वाले अधिकारियों की उपस्थिति ऑन लाईन दर्ज की जायेगी। मीटिंग के दौरान दिये गये लक्ष्यों की समय सीमा पूर्ण होने पर ऑटोमैटिक अलर्ट ईमेल और एसएमएस द्वारा अधिकारियों को मिलेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आईटी आर. के. सुधांशु, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा एवं विभिन्न विभागों के सचिव, अपर सचिव, एनआईसी के उप महानिदेशक के.नारायणन एवं तकनीकी निदेशक नरेन्द्र सिंह नेगी उपस्थित थे।

संवेदनशील गांवों को विस्थापित करने के मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आपदा कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से सभी जनपद अलर्ट रहे। जब बारिस के बाद धूप आती है, तो ऐसे समय में लैण्ड स्लाइडिंग की समस्याये बहुत अधिक होती है। आपदा से जो सड़कें बाधित हो रही हैं, उन्हें सुचारू करने के लिए कम से कम समय लिया जाय। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी एवं अन्य आवश्यक उपकरणों की 24 घण्टे व्यवस्था रखी जाय।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि आपदा से होने वाली जनहानि में उनके परिवारजनों को 3 दिन के अन्दर अनुमन्य सहायता राशि उपलब्ध कराई जाय। आपदा के दौरान जिन लोगों को अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है, उनके रहने, खाने की उचित व्यवस्था हो। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिये कि जनपदों में लैण्ड बैंक के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाय, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आपदा प्रभावितों को विस्थापित किया जा सके। उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों को भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर विस्थापित करने के लिए भूमि का उपलब्ध होना जरूरी है। ऐसे गांवों की सूची बनाई जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के लोगों के लिए विस्थापित करने के लिए फारेस्ट की भूमि की मंजूरी के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एस. ए मुरूगेशन ने जानकारी दी कि जनवरी 2020 से प्राकृतिक आपदा के कारण राज्य में 62 लोगों की मृत्यु हुई है, 33 घायल हुए जबकि 4 लोग लापता हैं। 357 छोटे एवं बड़े पशुओं की हानि हुई। 237 भवन तीक्ष्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए। मानसून के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग भी क्षतिग्रस्त हुए, राष्ट्रीय राजमार्गों को अधिकतम 24 घण्टों के अन्दर सुचारू कर दिया गया। पिथौरागढ़ जनपद के तहसील बंगापानी के गैला, पत्थरकोट, बाता, टांगा एवं सिरतोल में अतिवृष्टि के कारण मलबा आने से सबसे अधिक नुकसान हुआ। आपदा मोचन निधि में भारत सरकार से वित्तीय वर्ष 2020-21 प्रथम किश्त के रूप में राज्य सरकार को 468.50 करोड़ रूपये का मानकीकरण किया गया है। जिलाधिकारियों को 103 करोड़ रूपये का एसडीआरएफ का बजट आवंटन किया गया एवं आपदा से संबंधित कार्यों के लिए अन्य विभागों को 189.88 करोड़ रूपये के एसडीआरएफ बजट का आवंटन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव अमित नेगी, डॉ. पंकज पाण्डेय, आईजी संजय गुंज्याल एवं वीसी के माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

टिहरी बांध विस्थापितों की मांग पूरी, राजस्व ग्राम बनाने की अधिसूचना जारी

शासन द्वारा जनपद देहरादून के टिहरी बांध विस्थापित क्षेत्र पशुलोक ऋषिकेश के सात गांवों तथा जनपद हरिद्वार के टिहरी विकास नगर एवं टिहरी बन्द्राकोटी को राजस्व ग्राम बनाये जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा इन गांवों के निवासियों की वर्षो पुरानी मांग पर गत माह ही इन गांवों को राजस्व ग्राम बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान की थी। टिहरी बांध विस्थापित क्षेत्र के गांवों को राजस्व ग्राम बनाये जाने सम्बन्धी अधिसूचना जारी किये जाने पर विधायक स्वामी यतीश्वरानन्द ने गुरूवार को मुख्यमंत्री से भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राजस्व ग्राम बनाये जाने से इन गांवों के निवासियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है। राजस्व ग्राम बनने से ग्राम वासियों को सभी सरकारी योजनाओं, ग्राम पंचायतों के गठन आदि की सुविधायें उपलब्ध हो सकेगी।
सचिव राजस्व सुशील कुमार द्वारा जारी अधिसूचना के साथ राजस्व ग्राम बनाये गये इन गांवों- ग्राम मालीदेवल, विरयाणी पैंदार्स, असैना, लम्बोगड़ी गोजियाड़ा, सिरांई, सिरांई राजगांव, डोबरा, टिहरी विकास नगर एवं टिहरी बन्द्राकोटी में सम्मिलित किये गये गाटों की संख्या, क्षेत्रफल व नक्शा भी अधिसूचित किया गया है।
अधिसूचित राजस्व ग्रामों में टिहरी बांध विस्थापित क्षेत्र पशुलोक के ग्राम माली देवल में निर्मल ब्लाक ए व ए (ई) की 90.19 एकड़ भूमि सम्मिलित होगी जबकि ग्राम विरयाणी पैंदार्स में निर्मल ब्लाक ए की 64.69 एकड़ भूमि, ग्राम असैना में श्यामपुर ब्लाक ए 62.07 एकड़ भूमि, ग्राम लम्बोगडी गोजियाड़ा में निर्मल ब्लाक सी व श्यामपुर ब्लाक सी की 107.40 एकड़ भूमि, ग्राम सिरांई में कृषि निर्मल ब्लाक बी, आवासीय निर्मल ब्लाक बी-पार्ट-2 की 85.11 एकड़ भूमि, ग्राम सिरांई राजगांव में कृषि निर्मल ब्लाक बी, आवासीय निर्मल ब्लाक बी-पार्ट-1 की 69.61 एकड़ भूमि तथा ग्राम डोबरा में श्यामपुर ब्लाक बी की 38.14 एकड़ भूमि सम्मिलित होगी।
इसी प्रकार हरिद्वार जनपद के टिहरी बांध परियोजना विस्थापित क्षेत्र पथरी भाग 3 के पूर्व एवं पश्चिम क्षेत्र के ग्राम टिहरी विकास नगर में आदर्श टिहरी नगर के 365 गाटों की 871.58 एकड़ भूमि तथा ग्राम टिहरी बन्द्राकोटी में आदर्श टिहरी नगर के 104 गाटों की 227 एकड़ भूमि शामिल हैं।
सचिव राजस्व द्वारा आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद से नवगठित राजस्व ग्रामों से सम्बन्धित विवरण जनपद की सम्बन्धित तहसील भवन तथा सम्बन्धित ग्रामों के प्रमुख स्थान पर चस्पा कराने के साथ ही सम्बन्धित अभिलेखों में इन्द्राज कराने की भी अपेक्षा की है।

कोविड के चलते अस्पतालों में भर्ती मरीजों से मुख्यमंत्री ने वर्चुअल बात की

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि कोरोना संक्रमितों के उपचार मे लगे चिकित्सकों का काम तपस्या की भांति है। जिस तरह से कठिन परिस्थितियों में मरीजों के बीच में रहकर उनका ईलाज कर रहे हैं, इसे एक बड़ी तपस्या ही कहा जा सकता है। धैर्य और तत्परता से चिकित्सक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नेे कहा कि चिकित्सक जिस मनोयोग से कार्य कर रहे हैं, विश्वास है कि हम कोविड-19 से लड़ाई में हमारी जीत अवश्य होगी। जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, वे जल्द स्वस्थ होकर अपने घर जायेंगे। मुख्यमंत्री ने सीएम आवास से वर्चुअल कांफ्रेंस के माध्यम से कोविड अस्पतालों में तैनात चिकित्सा अधिकारियों एवं उपचाराधीन मरीजों से बात की।
मुख्यमंत्री ने दून, हल्द्वानी, श्रीनगर मेडिकल काॅलेज एवं जिला अस्पतालों में तैनात डाक्टर्स एवं मरीजों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से मरीजों की स्थिति, वंेटिलेटर, आईसीयू, आक्सीजन बैड, कोविड से निपटने के लिए आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कोविड पर नियंत्रण के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। डाॅक्टरों द्वारा अतुलनीय योगदान दिया जा रहा है। मरीजों से बातचीत कर जिस तरह से उन्होंने अस्पतालों की व्यवस्थाओं से वे संतुष्ट हैं, इसके लिए सभी अस्पताल बधाई के पात्र हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए डाॅक्टरों द्वारा कठिन परिस्थितियों में पूरे सेवाभाव से मरीजों का उपचार किया जा रहा है। अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीजों से मुख्यमंत्री ने इलाज, रहने एवं खाने के बारे में जानकारी ली। सभी मरीजों ने अस्पताल प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना की। मुख्यमंत्री ने दून मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल डाॅ. आशुतोष सयाना से दून मेडिकल काॅलेज की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। डाॅ. सयाना कहा कि दून मेडिकल काॅलेज आगे की चुनौतियों का समाना करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। आईसीयू बैड की संख्या बढ़ा दी गई है। 33 पेसेंट अभी आईसीयू में हैं। पीपीई किट्स, मास्क, आक्सीजन सपोर्ट सिस्टम एवं अन्य आवश्यक सामग्री की उचित व्यवस्था है। अस्पताल में भर्ती मरीजों द्वारा भी काफी सपोर्ट दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने दून अस्पताल में भर्ती कोविड के मरीज बलजीत सिंह एवं महावीर कण्डारी से बातचीत कर उनका हालचाल जाना। उन्होंने बताया की उनका उपचार चिकित्सकों की देखरेख में सही तरीके से हो रहा है। खानपान एवं रहने की भी उचित व्यवस्था है।
मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी मेडिकल काॅलेज में डाॅ. परमजीत सिंह से वहां की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी में प्लाज्मा थेरेपी पर भी कार्य किया जा रहा है। लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अपील की जा रही है। जिससे मरीज जल्द रिकवर हो जाय। मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी में उपचार करा रहे जगजीवन वर्मा, धूम सिंह, नीरज, उदय सिंह से बात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। इन मरीजों ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। डाॅक्टर्स द्वारा काफी अच्छी केयर की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने श्रीनगर मेडिकल काॅलेज में डाॅ. कलम सिंह बुटोला, कोटद्वार बेस अस्पताल में डाॅ. वी.सी. काला, मेला अस्पताल हरिद्वार में डाॅ. राजेश गुप्ता एवं डाॅ. देवेन्द्र रावत एवं चमोली में डाॅ. अमित जैन से बातचीत कर इन जनपदों में कोविड की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की जानकारी ली। डाॅक्टरों द्वारा जानकारी दी गई कि व्यवस्थाएं सभी अस्पतालों में ठीक है। को-माॅर्बिड पेशेंट को हायर सेंटर रैफर किया जा रहा है।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि लोगों को अच्छा ट्रीटमेंट मिले। इसमें और जितनी सुधार की गुंजाइश होगी वह किया जायेगा। सैंपल टैस्टिंग को और बढ़ाया जायेगा। हमारे डाॅक्टर्स कोरोना से जिस तरह से जंग लड़ रहे हैं, निश्चित रूप से सभी डाॅक्टरों के प्रयास सराहनीय है।

‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2020’’ के परिणाम जारी, उत्तराखण्ड के निकायों का शानदार प्रदर्शन

‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2020’’ में उत्तराखण्ड राज्य द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर तीन पुरस्कार प्राप्त किए गए। उत्तराखण्ड राज्य द्वारा 100 से कम शहरी निकायों वाले राज्यों की श्रेणी में ‘‘बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट’’ से तीसरा स्थान प्राप्त किया। नगर पंचायत नंदप्रयाग ने देशभर की एक लाख से कम आबादी वाली निकायों में से ‘‘सिटिजन फीडबैक श्रेणी’’ में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। छावनी क्षेत्र अल्मोड़ा द्वारा ‘‘सिटिजन फीडबैक श्रेणी’’ में तीसरे स्थान पर रह कर राज्य को तीसरा पुरस्कार दिलवाया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने ये पुरस्कार प्राप्त किये ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले निकायों को बधाई देते हुए कहा कि निकायों इसी मनोयोग से आगे कार्य करना होगा। स्वच्छता के क्षेत्र में अभी बहुत सुधार की गुंजाईश है। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों एवं निकायों की रैंकिंग में अच्छा सुधार हुआ है। इसमें और बेहतर प्रदर्शन किये जाने पर उन्होंने बल दिया। मुख्यमंत्री कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को आगे बढ़ाने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वच्छता के बल पर हम अनेक बीमारियों से बचाव सकते हैं।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार नगरीय क्षेत्रों हेतु अत्यधिक गंभीरता से कार्य कर रही है। नगर निकायों को और भी अधिकार सम्पन्न बनाने एवं उनकी आय अर्जन के नए स्रोतों के विकास हेतु भी राज्य पर लगातार किया गया है। हमने निकायों को कहा कि स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए कार्य किए जाएं। यहां तक कि 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत निकायों को प्रदान किए जाने वाले अनुदान को भी सबसे पहले स्वच्छता कार्यों हेतु उपलब्ध करवाने संबंधी स्पष्ट दिशा – निर्देश जारी किए गए। इसका सीधा असर स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे प्रदर्शन पर पड़ा है।
नगरीय स्वच्छता की अखिल भारतीय प्रतियोगिता ‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020’’ के बहुप्रतीक्षित नतीजे घोषित किए जा चुके हैं। इस ‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण’’ में उत्तराखण्ड राज्य की नगरीय निकायों तथा छावनी परिषदों द्वारा विभिन्न श्रेणियों में शानदार प्रदर्शन किया गया है। आज ‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020’’ के परिणामों तथा ‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण – 2021’’ का टूलकिट जारी करते हुए मा0 केन्द्रीय मंत्री, आवसन और शहरी कार्य मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), भारत सरकार, श्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पुरस्कार वितरित किए गए। वर्षभर चलने वाली इस राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया में देशभर के 4242 नगरों एवं 62 केन्ट बोर्ड द्वारा प्रतिभाग किया गया। गत वर्ष तक ‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण’’ के परिणामों को राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता रहा है। इस वर्ष कोविड -19 संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में इस आयोजन को एन0आई0सी0 के सहयोग से वर्चुअल प्लेटफार्म पर ऑनलाईन आयोजित किया गया।

एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में उत्तराखण्ड का स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है। वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में देहरादून का स्थान 384, रूड़की का 281, काशीपुर का 304, हल्द्वानी का 350, हरिद्वार का 376 एवं रूद्रपुर का 403वां स्थान था। जबकि 2020 में देहरादून का 124वां, रूड़की का 131वां, काशीपुर का 139, हल्द्वानी का 229, हरिद्वार का 244 एवं रूद्रपुर का 316 स्थान आया है। 50 हजार से अधिक एवं एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरों में रामनगर का नार्थ जोन के शहरों में 18वां, जसपुर का 56वां एवं पिथौरागढ़ का 58वां स्थान आया है। 25 हजार से 50 हजार से तक की जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में नार्थ जोन में नैनीताल का 68वां एवं सितारगंज को 106वां स्थान प्राप्त हुआ है। 25 हजार से कम जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में मुनि की रेती का 12वां, उखीमठ का 41वां, भीमताल का 50वां एवं नरेन्द्रनगर का 58वां स्थान आया है। देश भर के कुल 92 गंगा निकायों में उत्तराखण्ड से गौचर ने तीसरा, जोशीमठ ने चैथा, रूद्रप्रयाग ने पांचवा, श्रीनगर ने छटवां, गोपेश्वर ने आठवां, मुनि कि रेती ने 11 वां, बड़कोट ने 12वां , कर्णप्रयाग ने 13 वां, कीर्तिनगर ने 18वां, देवप्रयाग ने 20 वां, नन्दप्रयाग ने 22वां व टिहरी ने 28 वां स्थान प्राप्त किया।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक द्वारा राज्य की निकायों को बेहतर मार्गदर्शन करने तथा ‘‘स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020’’ में उत्कृष्ट कार्य करने वाली राज्य स्तरीय पी0एम0यू0 टीम को भी पुरस्कार प्रदान किया गया। अपर निदेशक शहरी विकास अशोक कुमार पाण्डे, संयुक्त निदेशक कमलेश मेहता, अधीक्षण अभियंता, रवी पाण्डेय, राज्य मिशन प्रबंधक, रवि शंकर बिष्ट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं आई0ई0सी0 विशेषज्ञ, कमल भट्ट, एम0आई0एस0 विशेषज्ञ, राकेश कुमार, कनिष्ठ सहायक, उपेन्द्र सिंह तड़ियाल एवं अनुज गुलाटी को यह पुरस्कार प्रदान किए गए।

सीएम की विधानसभा में हाईटेक अस्पताल के निर्माण का रास्ता साफ

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर शासन द्वारा हर्रावाला, देहरादून में 300 शैय्या युक्त शकुन्तला रानी सरदारी मैटर्निटी व कैंसर चिकित्सालय के निर्माण के लिये 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है। यह धनराशि मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को उपलब्ध करायी गई है। मुख्यमंत्री ने इस अस्पताल के निर्माण को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि हर्रावाला क्षेत्र में सुविधायुक्त अस्पताल की जरूरत भी थी। इससे क्षेत्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
सचिव अमित सिंह नेगी द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि जनपद देहरादून के हर्रावाला में जीवन ज्योति कैंसर हॉस्पिटल ट्रस्ट द्वारा उपहार स्वरूप स्वास्थ्य विभाग को प्रदत्त भूमि पर 300 शैय्या युक्त चिकित्सालय का निर्माण किया जायेगा। चिकित्सालय निर्माण की अनुमोदित लागत रू. 106 करोड़ 84 लाख 70 हजार है। इसमें से भारत सरकार द्वारा 97.60 करोड़ की धनराशि अनुमोदित की गई है।

समझिए इस दृढ़ संकल्प को जिसके इंतजार में वर्षों से नेताओं की राह देख रही है गैरसैण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराडीसैंण) विधानसभा परिसर में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण कर स्वर्णिम इतिहास रचा। यह पहला मौका है जब प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बाद स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया।
स्वतंत्रता पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री ने 12 विभिन्न विकास योजनाओं की घोषणाएं भी की। जिसमें सीएचसी गैरसैंण 50 बैड के सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की स्थापना, भराडीसैंण में मिनी सचिवालय की स्थापना, हॉस्पिटल में टेली मेडिसिन की सुविधा, भराडीसैंण क्षेत्र में पम्पिंग पेयजल लाईन निर्माण, भराडीसैंण-गैरसैंण में साईनेज लगाने, भराडीसैंण-गैरसैंण में जिओ ओएफसी नेटवर्किंग का विस्तारीकरण, लोनिवि निरीक्षण भवन में 8 कमरों का निर्माण, गैरसैंण ब्लाक में कृषि विकास हेतु कोल्ड स्टोरेज एवं फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना, बेनीताल को एस्ट्रो विलेज के रूप में विकसित करने, भराडीसैंण में ईको ट्रेल/ईको पार्क की स्थापना, राइका भराडीसैंण में दो अतिरिक्त कक्षाकक्ष निर्माण, आईटीआई गैरसैंण के भवन निर्माण एवं उपकरणों हेतु धनराशि की स्वीकृति शामिल है। मुख्यमंत्री ने 76 करोड़, 67 लाख, 65 हजार की विभिन्न विकास योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकापर्ण करते हुए जनपदवासियों को बडी सौगात भी दी।
बता दें कि विधानसभा बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने 4 मार्च, 2020 को सदन में बजट पेश करने के तुरंत बाद गैरसैंण (भराडीसैंण) को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था। ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री ने भराडीसैंण पहुॅचकर स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया। उन्होंने कहा कि जनभावनाओं के अनुरूप ही राज्य में विकास कार्यो को आगे बढाने के लिए उनकी सरकार संकलपबद्व है।

स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री ने भराडीसैंण विधानसभा परिसर में 6071.82 लाख की विकास योजनाओं का शिलान्यास तथा 1595.83 लाख की योजनाओं का लोकार्पण किया। जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया उनमें कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में बुंगीधार-मेहलचैरी-बछुवाबाण मोटर मार्ग के किमी 51 मे डामरीकरण व सुधारीकरण लागत 60 लाख, गैरसैंण में पुनगांव-विषौणा मोटर मार्ग सुधारीकरण व डामरीकरण लागत 312.93 लाख, गोपेश्वर में ईवीएम वेयर हाउस का निर्माण लागत 223.31 लाख, पोखरी के विनायकधार में स्व0 श्री नरेन्द्र सिंह भण्डारी की मूर्ति स्थापना एवं पार्क विकास निर्माण कार्य लागत 14.30 लाख, भराडीसैंण में हैलीपैड निर्माण लागत 216.76 लाख, राइका थिरपाक में भौतिक, रसायन व जीवविज्ञान प्रयोगशाला निर्माण लागत 82.02 लाख, हाईस्कूल पुडियाणी में रमसा के तहत विविध कार्य लागत 74.14 लाख, गैरसैंण में अक्षयबाडा पेयजल योजना लागत 83.53 लाख, सारिगंगाव ग्राम समूल पेयजल योजना लागत 94.79 लाख, टंगणी तल्ली से टंगणी मल्ली तक मोटर मार्ग लागत 260.46, कुहेड मैठाणा से रोपा चलधर मोटर मार्ग निर्माण लागत 441.58लाख, कुहेड-मैठाणा पलेठी-सरतोली-मथरपाल-नैथोली मोटर मार्ग लागत 989.23 लाख, मारवाडी-थेंग मोटर मार्ग लागत 813.08 लाख, मारवाडी-पुलना मोटर मार्ग 673.50 लाख, बूंगीधार-मैहलचैरी-बछुवाबाण मोटर मार्ग के किमी 12 से कोलानी मोटर मार्ग लागत 296.69 लाख, रोहिडा-पज्याणा मोटर मार्ग लागत 353.09 लाख, गौचर-ढमढमा मोटर मार्ग लागत 806.04 लाख, नन्द्रप्रयाग-घाट मोटर मार्ग के किमी 11 से मंगरोली मोटर मार्ग 182.44 लाख तथा घाट-थराली मोटर मार्ग के किमी 10 से स्यारी मोटर मार्ग लागत 108.23 लाख शामिल है। मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज लिए भराडीसैंण में से बनाए गए कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण कर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया।