इमरजेंसी में उपचार को लाभकारी साबित हो रहा एम्स का हैलीपेड

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के हैलीपेड का आपात स्थिति में सुदूरवर्ती क्षेत्रों के मरीजों को सीधा लाभ मिलने लगा है। राज्य के सीमांत क्षेत्रों से पिछले 3 दिनों के भीतर ही आपात स्थिति के 4 मरीज उपचार के लिए एम्स अस्पताल पहुंच चुके हैं। जबकि इससे पूर्व भी एक मरीज को इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर एम्स लाया गया था।
आज दोपहर करीब एक बजे एयर एंबुलैंस के माध्यम से जनपद चमोली के लंगासू क्षेत्र से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज और अन्य बीमारियों से ग्रसित 55 वर्षीय एक कोविड पाॅजिटिव मरीज को एयरलिफ्ट कर एम्स लाया गया। जबकि दो दिन पूर्व बीते सोमवार को भी राज्य के पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी, उनकी पत्नी रजनी भंडारी को भी हैली एंबुलैंस सेवा के माध्यम से दूरस्थ चमोली गढ़वाल से इलाज के लिए ऋषिकेश एम्स लाया गया था।

इस बाबत एम्स ऋषिकेश के एविएशन एंड एयर रेस्क्यू इंचार्ज डाॅ. मधुर उनियाल ने बताया कि दो महीने पहले पौड़ी जिला मुख्यालय से एक चिकित्सक को हैली एंबुलैंस से एम्स लाया गया था। जो कि स्ट्रोक की वजह से गंभीर स्थिति में थे। लिहाजा एयर एंबुलैंस सेवा के चलते उन्हें समय पर उपचार मिल पाया और स्वास्थ्य होने पर कुछ ही दिनों में उन्हें एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया था। डाॅ. उनियाल ने बताया कि हैली एंबुलैंस सुविधा को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने के लिए एम्स की ओर से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। जिससे उत्तराखंड के गरीब से गरीब परिवारों को भी इस सुविधा का लाभ मिल सके।

एम्स ऋषिकेश को एयर एंबुलैंस सुविधा से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 11 अगस्त-2020 को एम्स के हैलीपेड का उद्घाटन किया था। भौतिक और तकनीकी तौर पर यहां हैलीपेड संचालन की अनुमति प्रदान करने से पूर्व 28 जुलाई को डीजीसीए की टीम द्वारा 6 सीटर हैलीकाॅप्टर की ट्राॅयल लैंडिंग भी की गई थी। अब एम्स ऋषिकेश में हैलीपेड की सुविधा होने से इमरजेंसी उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को इसका सीधा लाभ होने लगा है। इससे खासतौर से उन गंभीर मरीजों को त्वरित उपचार मिल पा रहा है जिन्हें सीमांत अथवा सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों से एयर लिफ्ट कर एम्स पहुंचाए जा रहे हैं।

कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ने से एक्शन में सरकार

प्रदेश में कोरोना संक्रमित मामले और मरीजों की मौत होना थम नहीं रहा है। बीते 24 घंटे के भीतर 512 नए संक्रमित मिले हैं और 10 मरीजों की मौत हुई है। कुल संक्रमितों का आंकड़ा 78 हजार पार हो गया है। वहीं, मरने वालों की संख्या 1295 पहुंच गई है। 
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को 12637 सैंपलों की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जबकि 512 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। देहरादून समेत चमोली, पौड़ी जिले में संक्रमित मामले बढ़े हैं। देहरादून में सबसे अधिक 229 कोरोना मरीज मिले हैं। हरिद्वार में 60, नैनीताल में 53, चमोली में 37, पौड़ी में 25, टिहरी में 20, ऊधमसिंह नगर में 19, उत्तरकाशी में 19, अल्मोड़ा में 18, पिथौरागढ़ में 15, चंपावत में 12, रुद्रप्रयाग में चार और बागेश्वर में एक संक्रमित मिला है। 
प्रदेश में 24 घंटे में 10 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। इसमें श्री महंत इन्दिरेश हास्पिटल में छह, एम्स ऋषिकेश में एक, दून मेडिकल कॉलेज में दो, सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में एक मरीज ने उपचार के दौरान दम तोड़ा है। अब तक प्रदेश में मरने वालों की संख्या 1295 हो गई है। वहीं, 471 मरीजों के इलाज के बाद घर भेजा गया। इन्हें मिला कर 71105 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 

देहरादून नगर निगम 2 दिन के बंद
देहरादून नगर निगम के लेखा अनुभाग के एक अधिकारी के कोरोना संक्रमित पाए जाने पर नगर निगम में फिलहाल जरूरी कार्य रोक दिए गए हैं। साथ ही सैनिटाइजेशन का कार्य भी शुरू कर दिया गया। मेयर सुनील उनियाल गामा ने जानकारी दी कि नगर निगम पब्लिक के लिए 2 दिन के लिए बंद किया गया है।

जिपं अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री कोरोना पॉजिटिव
चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी और उनके पति पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। सोमवार को दोनों स्वास्थ्य लाभ के लिए हेलीकॉप्टर से देहरादून एम्स अस्पताल रवाना हुए। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने चार दिसंबर को अपनी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने की जानकारी सोशल मीडिया पर दी थी, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष की रिपोर्ट इससे पहले पॉजिटिव आई थी।
डिप्टी सीएमओ डा. एमएस खाती ने बताया कि दोनों दोनों का स्वास्थ्य सामान्य है। वह कई दिनों से घर में ही आइसोलेट थे, लेकिन सोमवार को स्वास्थ्य लाभ के लिए हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश रवाना हुए।

आईएमए का 11 नवंबर को ओपीडी बंद का ऐलान

आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने का निजी एलोपैथी डॉक्टरों ने विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरकार के फैसले के विरोध में आठ नवंबर को सांकेतिक प्रदर्शन और 11 नवंबर को निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद करने का ऐलान किया है।

आईएमए का कहना है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष पद्धति से सर्जरी करने पर कोई विरोध नहीं है, लेकिन आयुष के नाम पर ऐलोपैथी चिकित्सा एनेस्थीसिया व दवाईयों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिश्रित पैथी से इलाज करने से मरीजों की जान को खतरा होगा।

केंद्र सरकार ने आयुर्वेद अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया को भी जोड़ा है। इससे आयुष शिक्षा में पीजी व एमएस कोर्स करने वाले डॉक्टर हड्डी, ईएनटी, आंखों व दांतों की सर्जरी कर सकेंगे। ऐलोपैथी डॉक्टर इसी का विरोध कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.डीडी चैधरी का कहना है कि आठ नवंबर को सभी निजी ऐलोपैथी डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्रों में सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे। 11 नवंबर को सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रहेगी। कोरोना महामारी के चलते इमरजेंसी सेवा ही उपलब्ध होगी।

आईएमए का कहना है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष चिकित्सा पद्धति से सर्जरी करने का विरोध नहीं है, लेकिन पहले आयुष पद्धति में एनेस्थीसिया को विकसित करें। आयुष व मॉर्डन मेडिकल से गंभीर मरीज पर होने वाले रिएक्शन पर बिना रिसर्च किए सरकार ने सर्जरी की अनुमति दे दी। कहा कि यदि एलोपैथिक सर्जरी में मरीज को आयुष का लेप लगाया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है।

भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डीके शर्मा ने कहा सरकार ने आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। वर्तमान में सेवाएं दे रहे आयुष डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति नहीं है। सरकार ने आयुर्वेद शिक्षा के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया को शामिल किया है। पीजी व एमएस करने वाले नए आयुर्वेद डॉक्टरों को ही हड्डी, ईएनटी, आंख व दांतों की सर्जरी की अनुमति होगी। इस पर ऐलोपैथी डॉक्टरों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आयुर्वेद डॉक्टर भी ऐलोपैथी डॉक्टर की तरह साढ़े पांच साल कोर्स करके आता है।

नड्डा की मौजूदगी में प्रसिद्ध डॉ. यशपाल रावत बने भाजपाई

अल्मोड़ा के सल्ट निवासी डॉ. यशपाल रावत आज भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें भाजपा में शामिल किया। डॉ. रावत सल्ट सीट के उप चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं।

चामुण्डा चिकित्सालय काशीपुर के स्वामी व प्रख्यात सर्जन डॉ यशपाल ने आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। जिसके बाद से चर्चाएं गर्म हो गई हैं कि वह सल्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हो सकते हैं। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ यशपाल का भाजपा में स्वागत किया। प्रदेश अध्यक्ष बंसीधर भगत व प्रदेश उपाध्यक्ष खिलेन्द्र चैधरी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। डॉ यशपाल मूलतः सल्ट निवासी हैं और काशीपुर में उनका चिकित्सालय है।

एम्स ऋषिकेश ने लांच किया अपना यू-ट्यूब चैनल लॉन्च

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में उपलब्ध होने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं और उपचार की जानकारियां अब जनमानस को संस्थान के अपने यू ट्यूब चैनल एम्स ऋषिकेश ऑफिशियल के माध्यम से मिल सकेंगी। संस्थान ने शुक्रवार को अपना आधिकारिक यू ट्यूब चैनल लॉन्च कर दिया है, जिसमें विभिन्न उपचार व अन्य गतिविधियों की जानकारी वाले वीडियो अपलोड किए गए हैं।

आम नागरिकों को एम्स में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की समुचित जानकारियां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश ने शुक्रवार को यू ट्यूब चैनल लॉन्च किया। ’एम्स ऋषिकेश ऑफिशियल’ नाम के इस चैनल का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि चैनल में संस्थान में संचालित स्वास्थ्य संबंधी तमाम गतिविधियों और मौजूदा सुविधाओं की जानकारी वाले वीडियो उपलब्ध रहेंगे। इस चैनल के माध्यम से देश और दुनिया के किसी भी कोने से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में संचालित स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि एम्स का प्रयास है कि स्वास्थ्य सुविधाओं, मेडिकल तकनीकों, अस्पताल की व्यवस्थाओं के साथ साथ संस्थान की अन्य गतिविधियों को आम नागरिकों, मरीजों और उनके तीमारदारों तक सुलभता से पहुंचाने के लिए हर प्रकार के संचार माध्यमों का उपयोग किया जाए। जिससे खासकर गरीब व जरुरतमंद लोग इलाज से किसी भी तरह से वंचित नहीं रह सकें।

एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने कहा कि वर्तमान समय में सूचनाओं और जानकारियों को हासिल करने के लिए यू ट्यूब जैसी संचार सुविधाएं एक सशक्त माध्यम हैं। एम्स में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारियां दूसरे लोगों तक भी पहुंचाएं जिससे जरुरतमंद लोगों को इलाज सुलभ हो सके ।
एम्स निदेशक के स्टाफ ऑफिसर डा. मधुर उनियाल के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीन हाॅस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा आदि मौजूद थे।

एम्स ऋषिकेश में डेंगू से बचाव व जागरूकता को लेकर पुस्तक हुई लोकार्पित

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के सोशियल आउटरीच सेल की ओर से डेंगू की रोकथाम को लेकर कम्युनिटी में किए गए कार्यों पर आधारित “सेवन प्लस-आप सभी को डेंगू के बारे में जानने की जरूरत है” नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है, जो कि जनभागीदारी से समुदाय से डेंगू मच्छरों की रोकथाम और उन्मूलन के लिए एक अभूतपूर्व समुदाय आधारित पहल है। बताया गया कि पुस्तक में डेंगू से मुक्ति के लिए दिए गए सुझावों से आमजन स्वास्थ्य की दृष्टि से इसका लाभ ले सकते हैं।

पुस्तक का लोकार्पण कर निदेशक और सीईओ प्रो. रविकांत ने सेवन प्लस पुस्तक के लेखक डा. संतोष कुमार के द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों पर तैयार किए गए उनके इस अभिनव प्रयास की सराहना की। कहा कि रोगों के फैलने व महामारी का स्वरूप धारण करने से पूर्व ही इस तरह के काम को सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता करते हुए सामुदायिक स्तर पर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि यह पुस्तक डेंगू के विभिन्न पहलुओं पर एक पूर्ण और व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि डेंगू और अन्य मच्छरजनित बीमारियां एक सामाजिक समस्या हैं। जिनके निवारण के लिए समुदाय और इसके लोगों को आगे आना होगा।

डेंगू बीमारी पर आधारित उक्त सेवन प्लस नाम की पुस्तक समुदाय के सदस्यों की इससे निपटने को आमजन की भूमिका व बहुतायत जनसहभागिता पर जोर देती है, जिसमें हमारे गांवों के आम नागरिकों से लेकर ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, स्वयंसेवक, आध्यात्मिक व राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोग, आशा कार्यकत्री, एएनएम, शिक्षण संस्थानों में कार्यरत प्राध्यापक व विद्यार्थी शामिल है।

डेंगू जैसी वेक्टर जनित बीमारी की रोकथाम के लिए स्वच्छता का वातावरण, स्वच्छता को लेकर हमारे आचार व्यवहार और दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है। यह रोल मॉडल स्थानीय आबादी का हिस्सा है, जो कि स्वास्थ्य कर्मियों की तुलना में समुदाय पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर लोगों को ऐसे रोगों से बचाव के लिए जागरुकता के साथ आगे आने के लिए प्रेरित करने और एक अभिनव सामुहिक पहल लोगों को मच्छर जनित रोगों से बचाव का मूल मंत्र है।

संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने डेंगू के लिए इस सामुदायिक पहल की प्रशंसा की, साथ ही उन्होंने कैंसर और हृदय रोग जैसे गैर संचारी रोगों के लिए मजबूत सामुदायिक कार्यक्रमों की जरुरत पर जोर दिया।

कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने पुस्तक में उल्लिखित सटीक और सक्रिय टिप्पणी एवं सुझावों के साथ डेंगू के लिए आउटरीच कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि पुस्तक के तौर पर आमजन के लिए यह एक आसान पठन सामग्री है और यह उन सभी के लिए अनुकूल है जो डेंगू के बारे में अधिक जिज्ञासा रखते हैं व इस जानलेवा बीमारी के विषय में जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं।

पुस्तक को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संस्थान के सीनियर लाइब्रेरियन संदीप कुमार सिंह ने कहा कि यह निस्संदेह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो कि सामाजिक निहितार्थ के साथ मच्छरों के जन्म के खतरे के बारे में समग्र जानकारी प्रदान करती है। बताया गया है कि यह पुस्तक ऑनलाइन स्रोतों में उपलब्ध है। यह पहल उन कई प्रयासों के लिए एक आशाजनक उपक्रम है जिन्हें भारत के युवा प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं।

एड्स के मरीजों के लिए एम्स में एआरटी सेंटर हुआ शुरू


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में विश्व एड्स दिवस पर एचआईवी वायरस से ग्रसित मरीजों की समग्र जांच एवं उपचार के लिए एंटी रिट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी सेंटर) का विधिवत शुरू हो गया। एम्स में खुले सेंटर में गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों के पंजीकृत एड्स मरीजों को सरकार द्वारा प्रदत्त निशुल्क उपचार मिल सकेगा।

निदेशक प्रो. रविकांत ने संस्थान में एंटी रिट्रोवायरल थैरेपी एआरटी सेंटर का विधिवत शुभारंभ कर बताया कि 2019 में विश्वभर में लगभग 6 लाख 90 हजार लोगों की मौत हुई है। इस बीमारी का कोई शर्तिया इलाज नहीं है लिहाजा इसे सिर्फ जनजागरूकता से ही रोका जा सकता है।

बताया कि संस्थान में एमबीबीएस, टेक्निशियन व नर्सिंग के पाठ्यक्रम में इस बीमारी को आवश्यक सुधार के साथ सम्मिलित किया जाएगा तथा समय- समय पर एम्स की सोशियल आउटरीच सेल के द्वारा विभिन्न हाईरिस्क ग्रुप्स को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाएगा।

जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. मीनाक्षी धर, एआरटी सेंटर प्रभारी डा. मीनाक्षी खापरे व फैकल्टी इंचार्ज डा.मुकेश बैरवा ने बताया कि हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस पर जनसामान्य को एचआईवी संक्रमण से बचाव व जरुरी एहतियात के बारे में जागरुक किया जाता है। साथ ही उन्हें स्वयं व दूसरों को इस लाइलाज बीमारी से बचाव के बारे में आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं।
उन्होंने बताया कि एम्स में स्थापित एआरटी सेंटर के अंतर्गत रजिस्टर्ड एचआईवी पेशेंट का ट्रीटमेंट निशुल्क किया जाएगा। जिसमें मरीजों को लैब इन्वेस्टीगेशन व दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं साथ ही उपचार के दौरान उनमें उत्पन्न होने वाली दूसरी बीमारियों का परीक्षण व दवा भी इसमें शामिल होती हैं। बताया गया कि एम्स ऋषिकेश में उत्तराखंड राज्य का चैथा एआरटी सेंटर स्थापित किया गया है। इस सेंटर में गढ़वाल मंडल के पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार आदि जिलों के पंजीकृत एचआईवी ग्रसित मरीजों का परीक्षण एवं उपचार करा सकते हैं। एम्स में एआरटी सेंटर स्थापित होने से पर्वतीय जिलों के मरीजों को उपचार के लिए अब देहरादून नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही एंटी रिट्रोवायल थैरपी सेंटर न सिर्फ मरीजों को मेडिसिन एवं परीक्षण सेवा देता है

इसके अलावा उन्हें केयर में सहयोग भी करता है और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से मरीज व उनके परिवार को आर्थिक व अन्य तरह का सहयोग भी उपलब्ध कराया जाता है।

एम्स के जनरल मेडिसिन विभाग में स्थापित एआरटी सेंटर में मरीज सप्ताह में दो दिन (सोमवार व बुधवार को) निशुल्क परामर्श व उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
इस दौरान डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीएचए प्रो.यूबी मिश्रा, प्रो. लतिका मोहन, प्रो. वर्तिका सक्सेना, डा. नैरिता हजारिका आदि मौजूद थे।

कोविड मरीज को हायर सेंटर रेफर करने में विलंब न करे जिलाधिकारीः त्रिवेंद्र सिंह रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सभी जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कोविड-19 की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि कोविड डेथ रेट को कम करने के लिए विशेष प्रयास किये जाय। कोविड के कारण जिन लोगों की मृत्यु हो रही है, किसी अन्य रोग से ग्रसित होने, देरी से अस्पताल में पहुंचने या अन्य किस कारण से हो रही है, इसका पूरा विश्लेषण किया जाय। किसी भी कोविड के मरीज को हायर सेंटर रेफर किया जाना है, तो इसमें बिलकुल भी विलम्ब न किया जाय। रिकवरी रेट बढ़ाने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जिलों में टेस्टिंग और तेजी से बढ़ाई जाय। आरटीपीसीआर टेस्ट पर विशेष ध्यान दिया जाय। एन्टीजन टेस्ट में नेगेटिव पाये जाने पर यदि व्यक्ति सिम्पटोमैटिक है, तो उनका शत प्रतिशत आरटीपीसीआर हो। यह सुनिश्चित किया जाय कि सैंपल लेने के बाद शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे के अन्दर व पर्वतीय क्षेत्र में 48 घण्टे के अन्दर लोगों को कोविड की रिपोर्ट मिल जाय। रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ एवं देहरादून को पोजिटिविटी को नियंत्रित करने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे। मास्क न लगाने पर जिन लोगों के चालान किये जा रहे हैं, उनको मास्क जरूर उपलब्ध हो। हमारा उद्देश्य कोविड से लोगों को बचाना है, न कि चालान कर राजस्व वसूलना। बिना मास्क दिये चालान करने वालों पर सख्त कारवाई की जायेगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सर्दियों, आगामी हरिद्वार कुंभ, योग महोत्सवों व पर्यटन की दृष्टि से आने वाले कुछ माह चुनौतीपूर्ण होंगे। इन सबको ध्यान में रखते हुए कोविड से बचाव के लिए जनपदों में लगातार जागरूकता अभियान चलाये जाएं। कोविड से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाय कि किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर कोविड कन्ट्रोल रूम एवं टोल फ्री नम्बर पर कॉल करें। जो लोग होम आईसोलेशन में हैं, उनके नियमित स्वास्थ्य की जानकारी ली जाय एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा विजिट किया जाय। कोविड के लक्षण पाये जाने पर भी यदि कोई टेस्ट कराने के लिए मना कर रहें है, तो ऐसे लोगों पर सख्ती बरती जाय। जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आती है, तब तक पूरी सतर्कता बरती जाय।

डीजी लॉ एण्ड ऑर्डर अशोक कुमार ने कहा कि पर्यटक स्थलों एवं भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कोरोना से बचाव के लिए पुलिस द्वारा विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है।

बैठक में सचिव शैलेष बगोली, एस.ए. मुरूगेशन, डॉ. पंकज पाण्डेय, मेलाधिकारी दीपक रावत, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुंज्याल, डीआईजी अरूण मोहन जोशी, अपर सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. अमिता उप्रेती, वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी, एसएसपी एवं सीएमओ उपस्थित थे।

एम्स में भर्ती उत्तराखंड राज्यपाल के सभी परीक्षण सामान्य

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य का स्वास्थ्य स्थिर है। उनके सभी परीक्षण सामान्य पाए गए हैं।

कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद उत्तराखंड की राज्यपाल को बीते सोमवार को एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया था। भर्ती होने के बाद उनका सीटी स्केन, ब्लड और अन्य सभी आवश्यक परीक्षण किए गए। उनके स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी देते हुए संस्थान के डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यू.बी. मिश्रा ने बताया कि राज्यपाल का स्वास्थ्य स्थिर है और वह रूम एयर पर सामान्य स्थिति में हैं। उनकी ब्लड और सीटी स्केन की रिपोर्ट भी सामान्य है। उन्होंने बताया कि एम्स के पांच विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य की नियमिततौर से मॉनिटरिंग कर रही है। इस टीम में कार्डियोलॉजी, पल्मोनरी, जनरल मेडिसिन सहित अन्य विभागों के चिकित्सक शामिल हैं।

सही एंटीबायोटिक नहीं ले पाने की स्थिति में प्रतिरोधन क्षमता हो सकती है कम

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में वल्र्ड एंटीमाइक्रोबेल एवरनैस वीक के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों ने व्याख्यानमाला प्रस्तुत किए।

निदेशक प्रो. रविकांत की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम के तहत आज संस्थान के स्वांस रोग विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि आम जुकाम की स्थिति में 20 से 25 प्रतिशत तक वायरल होता है, मगर देखा गया है कि सामान्य वायरल की स्थिति में भी एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमारे विभाग में भी एंटीबायोटिक का उपयोग होना स्वाभाविक है मगर उसे सही समय व सही मानक में देना जरुरी है।

ईएनटी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. मनु मल्होत्रा ने बताया कि आंख, नाक, गला विभाग में एंटीबायोटिक का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है। बताया कि अस्पताल में खांसी, जुकाम, गले में दर्द की शिकायत वाले मरीज अपने मर्जी से ही एंटीबायोटिक का उपयोग कर लेते हैं, लिहाजा प्रतिरोधक स्थिति में उन्हें एंटीबायोटिक दवा का असर कम होने लगता है।
प्रिोफेसर श्रीपर्णा बासु ने नवजात शिशुओं की बढ़ती मृत्युदर के बाबत जानकारी दी। उन्होंने इसकी मुख्य वजह संक्रमण को बताया। साथ ही जनरल पब्लिक को संदेश दिया कि मां को अपने नवजात शिशुओं को अपना ही दूध देना चाहिए और अन्य तरह के किसी भी तरीके का उपयोग नहीं करें। उन्होंने बताया कि इन्फेक्शन के बाद बच्चों को कई तरह के एंटीबायोटिक देने पड़ते हैं जिसका उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है लिहाजा कोशिश की जानी चाहिए कि संक्रमण को पैदा ही नहीं होने दिया जाए।

न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. नीरज कुमार ने बताया कि हमारे विभाग में प्राइमरी व सेकेंड्री संक्रमण के पेशेंट आते हैं। लिहाजा हमें प्राइमरी संक्रमण के समय में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने स्ट्रोक के पेशेंट व कुछ अन्य सेकेंड्री इन्फेक्शन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
कॉर्डियो थोरसिक वस्कुलर सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) के डा. अंशुमन दरबारी ने कहा कि हम एंटीबायोटिक के कम उपयोग पर अधिक ध्यान देते हैं, क्योंकि हम ऑपरेशन के दौरान इस्टीराइल वातावरण का ध्यान रखते हैं, लिहाजा इन्फेक्शन की चांस कम रहते हैं, लिहाजा एंटीबायोटिक के इस्तेमाल की जरुरत ही नहीं पड़ती है। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल ठीक तरह से नहीं होगा तो यह दवाइयां बेकार हो जाएंगी।