पुरानी पेंशन बहाली, केन्द्र सरकार लेगी निर्णय

राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 2005 के बाद नियुक्त हुए सभी शिक्षक कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाने की सिफारिश की है। राज्य सरकार ने इस संदर्भ में केंद्र सरकार को पत्र भेज दिया है। राज्य में 1 अक्टूबर 2005 के बाद नियुक्त हुए सभी शिक्षक और कर्मचारी खुद को पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं।
पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों द्वारा आंदोलन भी चलाया जा रहा है। देश के अंदर राज्यों की भांति ही उत्तराखंड में भी यह आंदोलन लगातार तेजी पकड़ रहा है। विधानसभा के पिछले सत्र में कांग्रेस विधायकों ने भी नए कर्मचारियों की पुरानी पेंशन का लाभ देने का मुद्दा उठाया था। हाल में पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन से जुड़े कर्मचारी नेताओं व अन्य संगठनों ने भी सरकार के सामने यह मुद्दा उठाया था।
वहीं, सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कर्मचारियों की यह काफी लंबे वक्त से डिमांड थी। फिलहाल, राज्य सरकार की ओर से सिफारिश की गई है। सिफारिश पर केंद्र की ओर से जो दिशा निर्देश होंगे, हमें उनका पालन करना होगा।
बता दें कि नई पेंशन योजना को लेकर देश के विभिन्न राज्यों समेत उत्तराखंड में भी विरोध हो रहा था। साथ ही पुरानी पेंशन बहाली की मांग की जा रही थी। फिलहाल, सरकार ने जोर पकड़ती पुरानी पेंशन योजना की मांग को थोड़ा विराम लगाया है। हालांकि, सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है कि इस बारे में अगला फैसला केंद्र के इशारे पर ही लिया जाएगा। वहीं, इस मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत लोगों में एक उम्मीद जगी है।

14 सितंबर से 12 अक्टूबर तक संपन्न कराई जायेंगी परीक्षाएं

श्रीदेव सुमन विवि की परीक्षाओं को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। विवि ने स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम सेमेस्टर का परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। विवि की परीक्षाएं 14 सितंबर से 12 अक्टूबर तक संपन्न कराई जाएगी। कोरोना संकट के दौर में विवि ने छात्रों की सुविधा के लिए ओएमआर सीट के माध्यम से परीक्षा कराने का निर्णय लिया है।
यूजीसी से अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं कराने की हरी झंडी मिलने के बाद श्रीदेव सुमन विवि ने एक सितंबर से पूर्व कराने का निर्णय लिया था। इस बीच केंद्र सरकार ने अनलॉक की नई गाइडलाइन जारी करते हुए 31 अगस्त तक सभी महाविद्यालयों को बंद रखने का आदेश जारी कर दिया था, जिससे कॉलेज बंद होने के कारण विवि ने परीक्षाएं स्थगित कर दी थी।
अब विवि ने दोबारा से एमएचआरडी, यूजीसी और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार नया परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। विवि की यूजी और पीजी अंतिम सेमेस्टर, स्नातक प्रथम वर्ष और बीएड मुख्य परीक्षाएं 14 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच कराई जाएगी।
कोविड-19 के दौर में परीक्षार्थियों की सुविधा को देखते हुए विवि की सभी परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों के आधार पर होगी। साथ ही परीक्षा ओएमआर सीट के माध्यम से संपन्न करवाई जाएगी। परीक्षा कार्यक्रम को विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।
श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट, एमएचआरडी, यूजीसी और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर से परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है। परीक्षा केंद्रों को कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित करने को कहा है। नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराने के लिए उड़नदस्तों की टीम का गठन किया गया है। 

राज्य के विकास में यहां की मातृ शक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदानः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड के विकास में महिला शक्ति की भूमिक विषय पर आयोजित वेबनार में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य निर्माण से लेकर राज्य के विकास में हमारी माताओं-बहनों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूह बेहतरीन काम कर रहे हैं। राज्य में स्थापित किये गये ग्रोथ सेंटरों में महिलाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। महिला शक्ति की भागीदारी के बिना राज्य की आर्थिकी में सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती। राज्य सरकार, महिला कल्याण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। कोविड-19 के दौरान आशा, आंगनबाङी कार्यकत्रियों, महिला चिकित्साकर्मियों और महिला पुलिस कर्मियों ने जो काम किया उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। महिला शक्ति के सहयोग से ही आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड सम्भव है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ई-ऑफिस, ई-कैबिनेट, सीएम डैशबोर्ड, सीएम हेल्पलाईन सुशासन की दिशा में बङा कदम है। स्कूलों में वर्चुअल क्लासेज प्रारंभ की गई है। टेलीमेडिसीन, टेलीरेडियोलाजी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। हर गांव को इंटरनेट से जोङने पर काम चल रहा है। पिछले तीन वर्ष में उत्तराखण्ड फिल्म शूटिंग के केन्द्र के रूप मे उभर कर सामने आया है। राज्य को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है।
वेबनार में माता मंगला, विधायक ऋतु खण्डूड़ी, अपर मुख्य सचिव राधा रतूङी, सचिव सौजन्या, पेटीएम की सीनियर वाईस प्रेसीडेंट रेणु सती, लेखिका अद्वैता काला, क्रिकेटर एकता बिष्ट सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं ने प्रतिभाग किया।

उत्तराखंड में रक्षा क्षेत्र की संभावनाओं पर सीएम से चर्चा

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास में डीआरडीओ के चेयरमैन डॉक्टर सतीश रेड्डी ने मुलाकात की। इस दौरान उत्तराखंड में रक्षा क्षेत्र की संभावनाओं पर चर्चा हुई। हाल में भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 101 रक्षा उपकरणों के विदेशी आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है, ऐसे में उत्तराखंड में रक्षा से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
इस दौरान डीआरडीओ की लैब को उत्तराखंड में उद्योगों से जोड़ने एवं सीमांत इलाकों में खेती किसानी से जोड़ने पर भी चर्चा हुई। प्रदेश के युवाओं को डीआरडीओ में प्रशिक्षण देने एवं इंजीनियरिंग के छात्रों को डीआरडीओ की देहरादून स्थित आईआरडीए समेत कई लैब में इंटर्नशिप कराने पर भी सहमति बनी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के. एस. पवार एवं डीआरडीओ प्रमुख के प्रौद्यागिक सलाहकार संजीव जोशी भी उपस्थित थे।

इस वर्ष भी आयोजित होगी छड़ी यात्रा, कुंभ मेले को लेकर तैयारियां शुरु

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कुम्भ मेला 2021 दिव्य एवं भव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिये राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी अखाड़ों के सन्त महात्माओं के सहयोग एवं आशीर्वाद से यह आयोजन सफल होगा। सचिवालय में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महामंत्री तथा अन्य पदाधिकारियों के साथ कुम्भ मेले के आयोजन के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने व्यापक विचार विमर्श किया। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार के साथ ही शासन के उच्चाधिकारी एवं मेले से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं के तहत किये जा रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए सभी स्थायी व अस्थायी निर्माण कार्यों को 15 दिसम्बर से पूर्व सम्पन्न करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये।
बैठक में सभी अखाड़ों के सुझावों पर मुख्यमंत्री ने नील धारा सहित अन्य क्षेत्रों में निर्मित होने वाले स्नान घाटों के नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों के नाम पर रखे जाने, 2010 कुम्भ मेले की भांति इस बार भी उतने ही क्षेत्रफल में कुम्भ मेले के आयोजन, मंशा देवी हिल वाई पास सड़क को मेले के दौरान प्रयोग में लाये जाने तथा आन्तरिक सड़कों के निर्माण में तेजी लाये जाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में संत महात्माओं को भू समाधि के लिये स्थान चयन को संत समाज के हित में लिया गया निर्णय बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भी सभी अखाड़ों के सहयोग से छड़ी यात्रा आयोजित की जायेगी धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग इसका नोडल विभाग होगा। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले को भव्य एवं दिव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिये लगातार बैठकें की जाती रही हैं। कोविड के कारण उत्पन्न समस्याओं का तत्समय आभास नहीं था। पूरा विश्व इस संकट का सामना कर रहा है। इससे सभी स्तरों पर कार्यों की गति में अवरोध पैदा हुआ है उन्होंने कहा कि इस दौरे से भी हम निजात पायेंगे तथा संतों के आशीर्वाद से इस आयोजन को बेहतर तरीके से सम्पन्न कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में देश काल व परिस्थिति के अनुसार भी निर्णय लिया जायेगा। आगे स्थितियां कैसी होगी, इसका पूर्वानुमान लगाया जाना कठिन है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी संत महात्माओं को उनकी अगुवाई में राम मन्दिर निर्माण के शिलान्यास के लिये भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि इसके लिये हमारे संत महात्माओं ने भी अपना बलिदान दिया। आखिर वह शुभ दिन आया जब प्रधानमंत्री ने श्री राम के भव्य मन्दिर का शिलान्यास किया।
इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन में सभी अखाड़ों का सहयोग मिल रहा है। अखाड़ों की सुविधा के लिये भी सभी व्यवस्थायें की जा रही हैं। निर्माण कार्यों में तेजी लायी गई है। कोरोना के कारण इसकी गति कुछ धीमी जरूर हुई है। कुम्भ मेले से सम्बन्धित सभी पुलों, स्नान घाटों, सड़कों, आस्था पथों आदि का निर्माण 15 दिसम्बर तक पूर्ण हो इसका प्रयास किया जा रहा है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने उज्जैन व प्रयाग राज कुम्भ की भांति अखाड़ों को धनराशि व अन्य सुविधायें उपलब्ध कराये जाने की बात रखी। उन्होंने अखाड़ों में साफ-सफाई व अतिक्रमण को हटाने, आवागमन व पेशवाई मार्ग निर्धारण, पुलों, घाटों के निर्माण में तेजी लाये जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिये सभी अखाड़ों की ओर से हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया।
इस अवसर पर मेलाधिकारी दीपक रावत द्वारा निर्माण कार्यों से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया गया। बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरि, महन्त प्रेम गिरि, महन्त महेश पुरी, महन्त सत्यगिरि, महन्त कैलाशपुरी, महन्त मुकुन्दानन्द ब्रहमचारी, महन्त सोमेश्वरानन्द ब्रहमचारी, महन्त ओंकार गिरि, महन्त रविन्द्र पुरी सहित बड़ी संख्या में संत महात्मा एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

बिना पंजीकरण के राज्य में नही मिलेगा प्रवेश

गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से अनलॉक-4 की गाइडलाइन जारी होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी प्रदेश में आने वाले लोगों की प्रति दिन 2000 लोगों की सीमा का प्रतिबंध हटा दिया है। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी की वेबसाइट http://dsclservices-org-in/apply-php पर पंजीकरण कराना भी अनिवार्य कर दिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्यों को केंद्र की अनुमति के बिना कंटेनमेंट जोन से बाहर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं होगा। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए प्रति 2000 लोगों को ही आने की अनुमति थी। इसके साथ ही जिलाधिकारियों को अतिरिक्त 50 पास जारी करने को कहा गया था। 
केंद्र की एसओपी के जारी होने के तुरंत बाद ही आपदा प्रबंधन एंव पुनर्वास विभाग के प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन ने दो अलग-अलग आदेश जारी किए। पहले आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया कि प्रदेश में आने वाले यात्रियों की संख्या को लेकर कोई रोकटोक नहीं होगी। दूसरे आदेश में यह जोर देकर कहा गया कि राज्य में बाहर से आने वाले लोगों को स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। खास बात यह भी है कि बॉर्डर चेक पोस्ट पर पंजीकरण दस्तावेज दिखाने की शर्त को नहीं हटाया गया है। इसी के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अधिकृत लैब से ही कराना होगा। 
इस आदेश को जारी करते हुए प्रदेश सरकार ने चार अगस्त को जारी गाइडलाइन को अतिक्रमित नहीं किया है। चार अगस्त की गाइडलाइन के दो प्रावधानों को ही छेड़ा है। ऐसे में कोविड लोड वाले शहरों से आने वालों को आरटीपीसीआर टेस्ट कराना होगा। इसी तरह से क्वारंटीन होने के पहले के नियम ही प्रभावी माने जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ समय पहले ही राज्यों से कहा था कि स्थानीय स्तर पर आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंध समाप्त करें। संक्रमण को बढ़ता देखते हुए प्रदेश सरकार दो हजार का प्रतिबंध हटाने के पक्ष में नहीं थी। 22 अगस्त के केंद्र सरकार के पत्र ने इस स्थिति का बदल दिया। अनलॉक-4 गाइडलाइन में एमएचए ने स्पष्ट कहा कि कोई स्थानीय प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
आपदा प्रबंधन के प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन भी प्रदेश में पूरी तरह से लागू होगी। उसी के अनुरूप यह फैसला भी किया गया है। पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है और इसके पीछे कारण यह है कि प्रदेश में बाहर से आने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो आसानी से संपर्कों की तलाश की जा सके। दो हजार की सीमा खत्म कर दी गई है। एमएचए की गाइड लाइन के अनुरूप ही यह नियम लागू होंगे।
 

सरकार ला रही नजूल नीति, 1.50 लाख लोगों को मिल सकती है राहत

राज्य सरकार नजूल भूमि पर काबिज लोगों को बड़ी राहत देने जा रही है। सरकार जल्द ही नजूल नीति लाने जा रही है। शासन स्तर पर नीति लाने को लेकर कसरत शुरू हो गई है। 2009 की नजूल नीति के तहत सरकार ने लीज और कब्जे की भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया आरंभ की थी, लेकिन मामला न्यायालय में चला गया था। तब से सरकार नई नजूल नीति को लेकर असमंजस में रही।
अब त्रिवेन्द्र सरकार नजूल नीति को लाने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नजूल नीति लाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी विधिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नजूल नीति का प्रस्ताव तैयार कर रही है। वर्तमान में सरकार नजूल की भूमि केवल सरकारी कार्यों के लिए ही आवंटित कर सकती है। मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि हम जल्द ही नई नजूल नीति लाने जा रहे हैं। इससे लोगों को राहत मिलेगी। सरकारी भूमि का उपयोग भी हो सकेगा। अधिकारियों को नीति का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं सचिव आवास शैलेश बगौली ने बताया कि नजूल नीति लाने के निर्देश प्राप्त हुए हैं, इस पर कार्यवाही चल रही है। इसके सभी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। 
वहीं, सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को नजूल नीति को तैयार करते समय सभी विधिक और कानूनी पहलुओं का गहराई से अध्ययन करने को कहा है। सरकार की मंशा है कि नीति इतनी प्रभावी हो कि उसे न्यायालय में चुनौती न दी जा सके। बता दें कि देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है। इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं।
सरकार नजूल नीति के तहत इस भूमि को फ्री होल्ड कराना चाहती है। वहीं पूर्व में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी नजूल नीति लाने को लेकर मुख्यमंत्री से सिफारिश कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जिस तरह दिल्ली में कब्जेदारों को राहत दी गई, उसी तरह नजूल भूमि को फ्री होल्ड किया जा सकता है।

अब निजी अस्पताल भी कर सकेंगे कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज

राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने की छूट दे दी है। अब निजी चिकित्सा विश्वविद्यालय और कॉलेज से संबद्ध अस्पताल भी संक्रमित मरीज का इलाज कर सकेंगे। सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 
प्रदेश सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 21 अगस्त को गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन प्रदेश में नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों को ही कोरोना मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी गई थी। प्रदेश में एनएबीएच से मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों की संख्या मात्र तीन है। सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी की ओर से जारी आदेश के अनुसार निजी चिकित्सा विश्वविद्यालय और कॉलेजों से संबद्ध निजी अस्पतालों को भी कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज करने की अनुमति दे दी गई है।
अस्पतालों को वास्तविक और न्यूनतम दरों पर ही कोरोना मरीज का इलाज करना होगा। वहीं, केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। सरकार की ओर से दी गई छूट से अब प्रदेश में कई निजी अस्पताल कोरोना मरीज का इलाज कर सकेंगे।

पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को रावत का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठा रहे कार्मिकों को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में हैं।
सोशल मीडिया में पुरानी पेंशन योजना के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट किया कि वर्ष 1999 में कर्मचारी अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे। भाजपा के चुनाव जीतने के बाद वाजपेयी सरकार ने पब्लिक सेक्टर की इकाइयों को निजी पूंजीपतियों को बेचना शुरू कर दिया। तात्कालिक पेंशन योजना के स्थान पर एक नई पेंशन योजना लेकर आए। आज केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी तड़प रहे हैं। रावत के मुताबिक 2019 में भी उन्होंने हल्द्वानी में एक सभा में कहा था कि मोदी के मोहनास्त्र में फंसकर हमें न नकारें। पूर्व सीएम हरीश रावत का ये भी कहना है कि वह लोकसभा और विधानसभा से बाहर रहकर भी कर्मचारियों के हिमायती हैं और पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने के पक्ष में खडे हैं।

भगत के कोरोना संक्रमित होने से नेता, कार्यकर्ता और पत्रकारों में चिंतित

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कोरोना संक्रमित हुए हैं। उन्होंने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया पर साझा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने पिछले सप्ताह उनके संपर्क में आए सभी पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से कोरोना टेस्ट करवाने की अपील भी की है। बता दें कि बंशीधर भगत के बेटे विकास भगत की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।
सूत्रों के अनुसार, विकास भगत को तीन दिन से बुखार था। उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में प्राइवेट रूम में भर्ती किया गया। उनका सैंपल जांच को भेजा गया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। विकास भाजयुमो में प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ ही विधायक प्रतिनिधि भी हैं। एसटीएच के एमएस डॉ. जोशी ने बताया कि विकास भगत की हालत ठीक है।
वहीं अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के बंशीधर भगत व उनके बेटे की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन सभी लोगों में चिंता है जो उनके गृह प्रवेश की पार्टी में शामिल हुए थे। भगत ने 21 अगस्त को यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास में गृह प्रवेश पर सहभोज का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में उनके बेटे भी थे। हालांकि कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था। सभी अतिथि आयोजन में मास्क लगाकर पहुंचे थे। कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सरकार के कुछ मंत्री और पत्रकार भी मौजूद थे। इतना ही नहीं राष्ट्रीय महामंत्री संगठन शिव प्रकाश और प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार, पार्टी के प्रदेश महामंत्री, प्रदेश मीडिया प्रभारी व कई अन्य नेताओं ने कार्यक्रम में शिरकत की थी।
इसके बाद भगत ने 24 अगस्त को मीडिया कर्मियों को सहभोज के लिए आमंत्रित किया था। इसी आयोजन के दौरान उन्होंने विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पार्टी में वापसी कराई थी।