10 फरवरी से ड्रोन से होगी राज्य के मगरमच्छ और घड़ियालों की गिनती

10 फरवरी से राज्य में मगरमच्छों और घड़ियालों की गिनती ड्रोन कैमरे से हो सकेगी। दस दिन के भीतर यह काम पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसी के साथ उत्तराखंड देश में पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां मगरमच्छ और घड़ियालों की गिनती ड्रोन से होगी।

वन विभाग ड्रोन फोर्स नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा के अंदर उत्तराखंड के चार वन वृत्त में काम करेगी। नेपाल सीमा से सटी शारदा नदी, हरिद्वार के शिवालिक वृत्त, राजाजी टाइगर रिजर्व और कार्बेट पार्क के 6370 वर्ग किलोमीटर में लगभग 12 साल बाद मगरमच्छ व घड़ियाल की गणना करेगा। गणना में राज्य की नदियों, झीलों, दलदल में छोटे और हाई क्वालिटी ड्रोन कैमरों की सहायता ली जाएगी। शारदा नदी, गोला नदी, गंडोर टुंबड़िया, रामगंगा, नानक सागर, बाण गंगा, कालागढ़ जलाशयों में पानी के बहाव के अनुरूप ड्रोन कैमरों को फिक्स किया जाएगा। इन कैमरों की प्रतिदिन की वीडियोग्राफी का विश्लेषण किया जाएगा। मगरमच्छ और घड़ियालों की गणना के बाद वन विभाग की ड्रोन फोर्स पूरे उत्तराखंड के वन क्षेत्र की निगरानी करेगा। उत्तराखंड में मगरमच्छ और घड़ियाल की गणना वर्ष 2008 में की गई थी। तब गणना में सामने आया था कि प्रदेश में 123 मगरमच्छ व 223 घड़ियाल हैं।

प्रभागीय वनाधिकारी हरिद्वार आकाश वर्मा बताते है कि ड्रोन का इस्तेमाल मगरमच्छों की गणना में किया जाएगा। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। हालांकि हरिद्वार वन प्रभाग में दो साल से निजी ड्रोन की मदद ले रहे हैं।

डॉ. धकाते ने बनाई थी ड्रोन फोर्स
देशभर में उत्तराखंड ने सबसे पहले ड्रोन फोर्स बनाई है। ड्रोन फोर्स बनाने का श्रेय वन संरक्षक कुमाऊं जोन डॉ. पीएम धकाते को जाता है। डॉ. पीएम धकाते ड्रोन फोर्स के जन्मदाता एवं समन्वयक हैं। उनका दावा है कि ड्रोन फोर्स वन तस्करी रोकने और वनों की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगी। पर्यावरण मित्र रविंद्र मिश्रा का कहना है कि ड्रोन फोर्स इस कार्य में शत प्रतिशत परिणाम देगी। ड्रोन फोर्स से वनों की सुरक्षा में मदद तो मिलेगी और जल्दी नतीजे प्राप्त होंगे।