उत्तराखंडः नहीं थम रही वनाग्नि की घटनाएं, अब 24 घंटे के भीतर 47 घटना

उत्तराखंड में जंगल की आग शांत नहीं हो रही है। मंगलवार को 24 घंटे के भीतर प्रदेश में आग की 47 नई घटना हुईं। जिनमें कुल 53 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा। फायर सीजन में अब तक कुल 478 घटना में 571 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है जिससे लाखों की लागत की वन संपदा का नुकसान हुआ है। जंगलों में आग की बढ़ती घटनाएं चुनौती बन गई हैं।

प्रदेश में नई टिहरी, रानीखेत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, नरेंद्रनगर, उत्तरकाशी, तराई पूर्वी, लैंसडौन, हल्द्वानी, रामनगर, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ वन प्रभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व व नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में जंगल की आग की घटनाएं लगातार दर्ज की जा रही हैं। जिसे बुझाने में वन विभाग के हाथ-पांव फूल रहे हैं।
तमाम कोशिशों के बावजूद जंगलों में आग की बढ़ती घटनाएं चुनौती बन गई हैं। वन विभाग की ओर से मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। साथ ही जंगल की आग की सूचना देने के लिए नंबर भी जारी किए गए हैं। 18001804141, 01352744558 पर काल कर सकते हैं। साथ ही 9389337488 व 7668304788 पर वाट्सएप के माध्यम से भी सूचित कर सकते हैं।

वनाग्नि रोकने को सीएम धामी ने बुलाई बैठक, दिए निर्देश

उत्तराखंड में गर्मियां शुरू होते ही जंगलों का धधकना शुरू हो चुका है। जंगलों को आग बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता बन गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज तमाम विभागों से जुड़े अधिकारियों के साथ अहम बैठक की और अधिकारियों को वनाग्नि रोकने के लिए दिशा निर्देश दिए।

सीएम धामी ने अधिकारियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में कहा ‘गर्मियों के चार महीने उत्तराखंड में वनाग्नि की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होते हैं। इन महीनों में अधिक से अधिक सतर्क रहना चाहिए। पूरा प्रयास कर वनाग्नि की घटनाओं को रोकने की कोशिश करनी चाहिए। सीएम धामी ने कहा स्थानीय स्तर पर प्रभारी वनाधिकारी के स्तर पर नोडल अधिकारी नामित किये जाएं। हेल्पलाइन नम्बर तथा टोल फ्री नंबर जारी करते हुए, उनका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। लोगों को भी इसके लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जिस क्षेत्र में भी वनाग्नि की घटनाएं हो रही हैं उसके लिये सम्बंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। सीएम ने कहा कि अगर कोई जानबूझकर वनों में आग लगाने की घटना में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए। बैठक में पिरुल का उपयोग किए जाने तथा आबादी क्षेत्रों में बंदरों के आवागमन को रोकने पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।

जंगलों को आग से बचाने के लिए पोर्टल, मोबाईल ऐव बेस्ड सिस्टम किया जाए तैयारः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.सन्धु की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय वनाग्नि संकट प्रबन्धन सैल की बैठक आयोजित हुई।

मुख्य सचिव ने वन विभाग के अधिकारियों को वनों में लगने वाली आग की रोकथाम के लिये तकनीकी, प्रबंधन और व्यावहारिक दृष्टि से हर पहलू को देखते हुए प्लान बनाते हुए कार्य करने के निर्देश दिये। उन्होंने अत्याधुनिक तकनीक और इनोवेटिव तौर तरीकों पर फोकस करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं त्वरित एक्शन के लिए तकनीक का बेहतर उपयोग करते हुए पोर्टल और मोबाईल ऐप बेस्ड सिस्टम तैयार कीजिए। आग लगने की स्थिति में त्वरित सूचना, सटीक डेटा सर्वे और सटीक रिस्पांस से आग से वनों को बचाया जा सकता है।

मुख्य सचिव ने जंगल में पिरूल तथा पेड़ों की अन्य पत्तियों, सूखी लकड़ियों इत्यादि बायोमास का बेहतर सदुपयोग पर अधिक से अधिक फोकस करते हुए इस संबंध में बेहतर प्लान बनाने तथा उन पर अमल करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पिरूल के प्लांट लगाने को अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु कार्य किया जाए। मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को जंगल से गुजरने वाली ट्रांसमिशन (विद्युत) लाइनों से आग लगने को रोकने के लिये स्थायी और बेहतर प्लान बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने लोगों को जंगल की आग के संबंध में संवेदनशील बनाने तथा अग्नि सुरक्षा में उनकी भी सहभागिता बढ़ाने के साथ ही एन्फोर्समेंट की कार्यवाही तेज करने की बात कही। उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागों से आपसी तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।

इस दौरान बैठक में अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, हैड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स विनोद कुमार सिंघल, सचिव रविनाथ रमन, एस.ए. मुरूगेशन आदि उच्चाधिकारी उपस्थित थे।