कोविन्दः क्रॉस वोटिंग से विपक्ष का खेमा चित्त

राष्ट्रपति चुनाव में बड़े पैमाने पर रामनाथ कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग हुई है। गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और दिल्ली में कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की खबर है। गुजरात की क्रॉस वोटिंग कांग्रेस के लिए बुरी खबर है क्योंकि अगले महीने ही राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने हैं। राज्य में इसी साल विधानसभा के भी चुनाव हैं। माना जा रहा है कि शंकर सिंह वाघेला के समर्थक विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट डाला।
गुजरात में कोविंद को 132 वोट मिले और मीरा कुमार को 49, जबकि राज्य में बीजेपी के 121 विधायक हैं और कांग्रेस के 57। इस हिसाब से कम से कम 8 कांग्रेस विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट दिया। जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों के भी कोविंद के पक्ष में वोट डालने की खबर है। दिल्ली में कोविंद को 6 जबकि मीरा कुमार को 55 वोट मिले। जबकि बीजेपी के चार ही विधायक हैं। इस हिसाब से आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने कोविंद को वोट दिया। जबकि 6 वोट वैध नहीं पाए गए. पश्चिम बंगाल में भी दिलचस्प तस्वीर उभर कर सामने आई। वहां कोविंद को 11 जबकि मीरा कुमार को 273 वोट मिले। बीजेपी और उसके सहयोगी दल के 6 वोट हैं। इस हिसाब से कोविंद को कुछ दूसरी पार्टियों के वोट भी मिले।
त्रिपुरा में भी रामनाथ कोविंद को वोट मिले हैं। वहां से कोविंद को सात जबकि मीरा कुमार को 53 वोट मिले। जबकि वहां बीजेपी का कोई विधायक नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के बागी विधायकों ने कोविंद को वोट दिया। महाराष्ट्र में भी कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की खबर है। वहां कोविंद को 208 जबकि मीरा कुमार को 77 वोट मिले। वहां बीजेपी-शिवसेना के 185 विधायक हैं जबकि कांग्रेस एनसीपी के 83। इस हिसाब से कांग्रेस एनसीपी के कुछ वोट दूसरे खेमे में गए दिखते हैं।
गोवा में बीजेपी की गठबंधन सरकार है। वहां कोविंद को 25 वोट मिले जबकि मीरा कुमार को 11 वोट मिले। वहां बीजेपी और सहयोगी पार्टियों के 22 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 16। यानी मीरा कुमार को उम्मीद से पांच वोट कम मिले।
इसी तरह असम में भी सत्तारूढ़ बीजेपी को विपक्षी खेमें में सेंध लगाने में कामयाबी मिली है। वहां कोविंद को 91 वोट मिले जबकि मीरा कुमार को 35। लेकिन बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास 87 विधायक ही हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के पास 39 विधायक। यानी कोविंद को उम्मीद से चार वोट ज्यादा मिले हैं।
इस चुनाव में 21 सांसदों के वोट वैध नहीं पाए गए। जबकि कुछ विधायकों ने भी वोट डालने में गड़बड़ की। 56 विधायक अपने वोट ठीक से नहीं डाल पाए और उन्हें वैध नहीं माना गया। क्रॉस वोटिंग के कई सियासी मायने हैं। ये आने वाले वक्त में कई राज्यों में सियासी समीकरणों के बनने-बिगड़ने का इशारा कर रहे हैं। खासतौर से गुजरात में तस्वीर बेहद दिलचस्प हो सकती है क्योंकि शंकर सिंह वाघेला के बागी तेवर आने वाले दिनों में खुल कर सामने आ सकते हैं।

हिमाचल में थम नही रहा बस हादसों का सफा, 29 की मौत

हिमाचल प्रदेश के रामपुर में गुरुवार को खनेरी में सतलुज के किनारे हुये बस हादसे में 29 लोग मारे गये। हादसा इतना भयानक था कि यहां लाशों के अंबार लग गये। जिंदा कौन है, कौन नहीं इसे पहचानने में बचाव दल की सांसे भी फूल गईं। अपनों को पहचानने के लिए हर आखें बेकरार थी तो आंसुओं के सैलाब में मातम पसरा था। मंजर देखकर यहां हर आंख रो पड़ी। यह अभागी बस जब चली होगी तो किसी को क्या पता था कि आगे चलकर यही बस एक कार को बचाने के चक्कर में खुद ही ताबूत में बदल जायेगी और यह सफर उनका आखिरी सफर साबित होगा।
हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर खूनी खेल जारी है लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक प्रदेश में सड़क हादसों में लोग बेमौत मरते रहेंगे। सरकार की ओर से सड़क हादसों को रोकने के लिए योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन वे कागजों तक ही सीमित होकर रह जाती हैं। उन्हें धरातल में लाने में सरकारी अमला ही संजीदा नहीं रहता। आमतौर पर इस पहाड़ी प्रदेश में वाहनों में हो रही ओवरलोडिंग व विभागीय सिस्टम की लापरवाही से सड़क हादसों में लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। पुलिस व परिवहन निगम ओवरलोडिंग रोकने में पूरी तरह नाकाम हो रहा है। हादसों को रोकने के लिए प्रशासन अगर सजग होता तो गुरुवार को एक साथ रामपुर के पास खनेरी में बस हादसे में एक साथ 29 लोग मौत के मुंह में समाते। इससे पहले शिमला के पास गुम्मा में हुये सड़क हादसे में भी सात लोग मारे गये थे।

सड़क हादसों पर एक नजर …
पिछले कुछ दिनों में हादसों पर नजर दौड़ायें तो 10 जून को धर्मशाला में कालापुल में हुये हादसे में तीन लोग मारे गये। 14 जून को ठियोग में जीप पलटने से दो लोग मारे गये। 15 जून को जिला कांगड़ा में चितपुर्णी रोड़ पर ढ़लियारा में भी मौत को दावत देती निजी बस में करीब 80 लोग सवार थेए जिसमें 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बस में अगर ओवरलोडिंग न होती तो यह हादसा न होता। 15 जून को जिला कांगड़ा के ढ़लियारा में हुये हादसे में भी 52 सीटर बस में 80 लोग सवार थे। 15 जून को ही शिमला में एचआरटीसी की बस पलटी तो 23 लेाग घायल हो गये। 17 जून को नेरवा में भरणू खड्ड हादसे में तीन लोग मारे गये। 18 जून को डमटाल में पति, पत्नी की एक साथ मौत हो गई। 23 जून को सोलन में जौणा जी में हादसे में तीन लोग मारे गये। इसी दिन दानोघाट में दो और लोग मारे गये। यही नहीं सड़कों की हालत भी दयनीय है। राज्य लोक निर्माण विभाग भी सड़क हादसों को लेकर सबक नहीं ले रहा है। अंधे मोड़ों को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। अंधे मोड़ दुरुस्त करने की योजनाएं कागजों में सिमट कर रह गई हैं।

राष्ट्रपति भवन में गरीबों का प्रतिनिधि बनकर जा रहा हूं

रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए। रामनाथ कोविंद को 7 लाख 2 हजार 44 वोट और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 3 लाख 67 हजार 314 वोट मिले। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा कि गरीबी से उठकर कच्चे घर में पलकर आज यहां तक पहुंचा हूं। राष्ट्रपति भवन में ऐसे गरीबों का प्रतिनिधि बनकर जा रहा हूं।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड्डू खिलाकर मुंह मीठा कराया।
प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ रामनाथ कोविंद से मिलने 10 अकबर रोड पहुंचे। प्रधानमंत्री ने गुलाब का फूल देकर और गले में साफा डालकर उनका सम्मान किया। रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग से मिला प्रमाण पत्र भी दिखाया। प्रधानमंत्री मोदी ने रामनाथ कोविंद के साथ अपने रिश्तों की मजबूती दिखाने के लिए 20 साल पुराना फोटो और बीस साल बाद का बिल्कुल नया फोटो ट्वीट किया है। बीस साल पहले की फोटो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामनाथ कोविंद के साथ एक शादी समारोह में नजर आ रहे हैं। इस फोटो के साथ प्रधानमंत्री ने लिखा, ”बीस साल पहले और वर्तमान।

मीरा कुमार ने बधाई दी
मीरा कुमार ने रामनाथ कोविंद को बधाई देते हुए कहा, मैं नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बधाई देती हूं. अब उन पर संविधान की रक्षा करने की जिम्मेदारी है। मैं वोट देने वाले हर व्यक्ति को शुक्रिया करती हूं। जिस विचारधारा की लड़ाई लड़ने के लिए मैंने चुनाव लड़ा वो आज 20 जुलाई 2017 को खत्म नहीं हुई है, ये लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

रामनाथ को याद आया गांव और बचपन
जीत के बाद राम नाथ कोविंद ने कहा, आज के चुनाव के लिए सभी का धन्यवाद करता हूं। सांसदों और विधायकों ने मुझ पर भरोसा जताया इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं। विपक्ष की उम्मीदवार रहीं मीरा कुमार जी को शुभकामनाएं देता हूं। जिस पद का गौरव डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णण, अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी जैसे विद्वानों ने बढ़ाया है उस पद के लिए चुना जाना मुझे बड़ी जिम्मेदारी का अहसास दिला रहा है। निश्चित रूप से मेरे लिए ये भावुक क्षण है।
कोविंद ने कहा, ”आज दिल्ली में सुबह से बारिश हो रही है। ये बारिश मुझे मेरे बचपन की याद दिला रही है। मैं अपने पैतृक गांव में रहता था, घर कच्चा था मिट्टी की दीवारें थीं। फूस की छत थी जिससे पानी टपकता था। उस वक्त हम सब भाई बहन दीवारे के सहारे खड़े होकर बारिश रुकने का इंतजार करते थे। कोविंद ने कहा, ”आज देश में कितनी राम नाथ कोविंद होंगे जो खेत में काम कर रहे होंगे और पसीना बहा रहे होंगे। मुझे उन लोगों से कहना है कि परौंख गांव का रामनाथ कोविंद उन्हीं का प्रतिनिधि बनकर जा रहा है। इस पद पर चुना जाना ना मैंने कभी सोचा था और ना कभी ऐसा लक्ष्य था।

शास्त्री को भारी वेतन देने की तैयारी में बीसीसीआई

बीसीसीआई ने टीम इंडिया के चीफ कोच रवि शास्त्री का वेतन तय कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, शास्त्री को हर साल आठ करोड़ रुपए से ज्यादा का वेतन दिया जाएगा। इसमें सारे भत्ते शामिल हैं। इससे पहले कोच रहे अनिल कुंबले को सात करोड़ रुपए सालाना दिए गए थे। अन्य सहायक कोचों भरत अरुण, आर. श्रीधर और संजय बांगर को 2.3 करोड़ रुपए का वेतन दिया जा सकता है। हालांकि इसका आधिकारिक ऐलान अभी नही हुआ है।
इससे पहले रवि शास्त्री जब टीम इंडिया के डायरेक्टर थे, तब उन्हें 7 से 7.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता था। इसमें वह मुआवजा राशि भी शामिल थी, जो उन्हें उनके मीडिया कमिटमेंट्स से हटने के बदले में बीसीसीआई ने दी थी। संजय बांगर और भरत अरुण को आईपीएल छोड़ने के चलते वेतनवृद्धि दी गई है। बांगर किंग्स इलेवन पंजाब के कोच थे तो भरत रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से जुड़े थे।
इससे पहले कोच चुनने का कामकाज देख रही सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ की क्रिकेट सलाहकार समिति ने जहीर खान को गेंदबाजी सहायक और राहुल द्रविड़ को बल्लेबाजी सहायक चुना था।

अजीब नाम से क्या पर्यटक डर जाते है?

नाम में क्या रखा है ? शैक्सपीयर ने भले कहा हो कि गुलाब का नाम कुछ और रख देने से उसकी खुशबू थोड़े ही बदल जायेगी ? लेकिन नैनीताल के विधायक संजीव आर्य शैक्सपीयर के इस कथन से सहमत नहीं हैं। वे नैनीताल की कुछ झीलों के नाम तो बदलना चाहते हैं जिनके नाम अजीब हैं। जैसे यहां एक झील का नाम है-‘सुसाइड प्वाइंट’, तो दूसरी ‘फांसी गधेरा’ कहलाती है तो तीसरी सादिया (नष्ट हो रही ) ताल। आर्य इस बारे में सरकार को पत्र लिख रहे है कि इन नामों के सुनने से पर्यटकों को धक्का लगता है। गौरतलब हो कि पिछले साल भी कुमाऊ में ही चोरगलिया का नाम बदले जाने का अभियान चला था।
विधायक संजीव आर्य का कहना है कि कुछ पर्यटक स्थलों के नाम सुनकर पर्यटकों को अजीब लगता है। विधायक ने जनता से इन और ऐसे नामों की जगह वैकल्पिक नामों के सुझाव मांगें हैं। उनका कहना है कि इनमें बहुत से नाम तो अधिकृत भी नही हैं। जैसे कि सुसाईड प्वाइंट नाम तो कुछ गाइडों और घोड़े वालों ने पर्यटकों के बीच केवल उत्सुकता पैदा करने को रख दिया और इसके समर्थन में मन गढ़ंत कहानियां तक सुनानी शुरू कर दी। जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है। जबकि इस स्थल का नाम यहां की साहसिक संभावनाओं के दोहन को होना चाहिये। उन्होने बताया कि कुछ साल पहले जब सादिया ताल का सौन्दर्यीकरण किया गया तो इसका नाम सरिता ताल रखा गया था लेकिन प्रचलन में अभी सादिया ताल ही है। विधायक संजीव आर्य ने नगर पालिका से भी इनके नामकरण से संबंधित रिकार्ड खंगालने को कहा है ताकि इसके बाद मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री से इस बारे मे बातचीत की जा सके।
अलबत्ता, इतिहास में रूचि रखने वाले जानकारों का कहना है कि सुसाइड प्वाइंट नाम तो कभी अस्तित्व में ही नही रहा लेकिन बाकी दो का नाम इतिहास में है और उनका नाम न ही बदला जाये, तो अच्छा होगा। उदाहरण को फांसी गधेरा प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों के रोहिलाओं को फांसी दिये जाने की याद दिलाता है जिन्होने 1857 में हल्द्वानी पर हमला किया था। इसका नाम बदलने का अर्थ होगा, इतिहास को भुलाना। इसी प्रकार सादिया ताल मूलतः वेटलेंड और क्षेत्र के जल प्रबंधन का हिस्सा है। यहीं पर कुमाऊ कमिश्नर सर हेनरी रैमजे ने पहली बार 1856 में आलू की खेती शुरू कराई थी।

पूर्णागिरि मेले के संचालन को विकास प्राधिकरण की स्थापना होगी

जनपद चम्पावत के एक दिवसीय भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टनकपुर में जन संवाद कार्यक्रम के दौरान आम जनता को संबोधित किया। सीएम ने लोहाघाट एवं चम्पावत विधानसभा की सड़कों के रख-रखाव व निर्माण के लिए 10 करोड़ रूपये देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चम्पावत विधानसभा क्षेत्र हेतु टनकपुर रोडवेज वर्कशाप को केन्द्रीय वर्कशाप का दर्जा देने, नरियालगांव में नस्ल सुधार हेतु योजना को अपग्रेड किये जाने, पूर्णागिरि टनकपुर सड़क के दोनों ओर जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु सुरक्षा कार्य तथा पूर्णागिरी में पेयजल, रास्ता एवं शौचालय आदि अवस्थापना निमार्ण कार्य की व्यवस्था, चम्पावत में चाय बागान विकास, स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत टनकपुर व चम्पावत का सौन्दर्यीकरण, जिले में छोटी-छोटी झीलों का निर्माण, पूर्णागिरि मेला क्षेत्र में अवस्थापना विकास तथा रोपवे का निर्माण पूर्ण कराने की घोषणा की।
पूर्णागिरि मेले के संचालन हेतु विकास प्राधिकरण की स्थापना, विधानसभा क्षेत्र टनकपुर व चम्पावत में पार्किंग, हाईटेक शौचालय एवं चम्पावत में बस अड्डे का निर्माण, गौड़ी नदी का संरक्षण एवं संवर्द्धन, टैªकिंग रूटों का निर्माण, चम्पावत नगर हेतु मास्टर प्लान व सीवर लाइन का निर्माण, चम्पावत में इकोपार्क का निर्माण, चम्पावत क्वैराला पंपिंग योजना में गति लाने, कठवापाती में सिडकुल की स्थापना के साथ गैडाखाली में हनुमान मंदिर के पास पुल का निर्माण करने की घोषणा की। उन्होंने जनपद में नजूल भूमि फ्री होल्ड करने हेतु समय सीमा बढ़ाने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने लोगों से प्रत्येक परिवार द्वारा ‘एक व्यक्ति एक पेड़’ लगाकर प्रदेश को हराभरा करने हेतु संकल्प लेने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फैशन डिजाईन, प्लास्टिक इंजिनियरिंग संस्थान, हॉस्पिटैलिटी संस्थान इसी वित्तीय वर्ष से स्थापित किये जा रहे है, जिसमें शत-प्रतिशत रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि पंचेश्वर बांध के निर्माण से एनएचपीसी द्वारा पूरे देश में पैदा की जा रही बिजली से अधिक बिजली पैदा होगी साथ ही विकास के नये आयाम स्थापित होंगे, पर्यटन गतिविधियों में इजाफा होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि बांध के निर्माण से कुछ परेशानियां होंगी लेकिन उन्हें दूर किया जायेगा।

नाबालिग छात्रा से छेड़खानी कर रहे युवक ने मां से मारपीट की

रामनगर।
लखनपुर स्थित मॉल के समीप एक नाबालिग छात्रा अपनी मां के साथ खरीदारी करने गई। एक युवक ने छात्रा के साथ छेड़खानी कर दी। मा-बेटी ने युवक की इस हरकत का विरोध किया तो उसने दोनों को पीट दिया। जान से मारने की भी धमकी दी। मारपीट में छात्रा की मा के हाथ में चोट भी लग गई। मामले में कोतवाली में केस दर्ज किया गया।
मोहल्ला टेड़ा रोड निवासी एक महिला ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि मंगलवार की शाम वह लखनपुर स्थित मॉल के समीप घरेलू सामान की खरीदारी करने गई। इसी समय मोहल्ले के ही एक युवक ने उसकी बेटी के साथ छेड़खानी शुरू कर दी। विरोध किया तो युवक ने गाली-गलौज करते हुए मारपीट शुरू कर दी। मौके पर मौजूद लोगों ने दोनों को बचाया। मारपीट के बाद आरोपी फरार हो गया। पीड़ित महिला ने बताया कि पिछले वर्ष से युवक उसकी बेटी के साथ इस प्रकार की हरकत करता आ रहा है। युवक पहले भी घर में घुसकर बेटी के साथ मारपीट कर चुका है। रास्ते में भी छेड़खानी करता है। बताया कि युवक की इस हरकत से आजिज उसकी बेटी ने पूर्व में आत्महत्या करने की कोशिश की थी। कोतवाल विक्रम राठौर ने बताया कि आरोपी कमलेश उर्फ कन्हैया के खिलाफ कई धाराओं समेत पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। धरपकड़ के लिए पुलिस टीम को भेजा गया है। मारपीट में घायल महिला को मेडिकल के लिए भेजा गया।

भाजपा सरकार को बताया हर र्मोचे पर विफल

पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा सरकार को पूरी तरह विफल बताते हुए कहा कि आज भाजपा शासन में विकास कार्य ठप हो गए हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ऐसे में आम जनता परेशान है। मंगलवार को पूर्व सीएम हरीश रावत कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व पूर्व सीएम ने पूरे बाजार में जनसंपर्क किया एवं पैतृक गांव मोहनरी में भी ग्रामीणों से मुखातिब हुए। इस दौरान लोगों ने क्षेत्र की समस्याएं भी उठाई।
पूर्व सीएम ने कहा कि उनके शासन में जो विकास कार्य शुरू हुए थे, वे आज ठप हैं। गांवों को सड़कों से जोड़ने का कार्य भी आगे नहीं बढ़ रहा है। दूर गांव के लोग कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार समाधान ढूंढने के प्रति कतई गंभीर नहीं है। चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था, जिसे पूरा नहीं किया जा रहा है। इस दौरान लोगों ने उन्हें जन समस्याएं बताई एवं कहा कि गांवों में आज भी पेयजल व सड़क जैसी समस्याएं यथावत बनी हैं। रावत ने पार्टी कार्यकर्ताओं से जन समस्याओं को उठाने के लिए आगे आने का आह्वान किया एवं गांवों में संगठन को भी प्रभावी बनाने पर जोर दिया।

कांवड़ मेला पार्किंग में संदिग्ध वस्तु मिलने से हड़कंप

हरिद्वार।
डाक कांवड़ मेला पार्किंग स्थल बैरागी कैंप में मंगलवार को पाइपनुमा एक संदिग्ध वस्तु मिलने से हड़कंप मच गया। विस्फोटक वस्तु की आशंका पर बम निरोधक दस्ते ने विस्फोट करके उसे निष्क्रिय करने का प्रयास भी किया। बाद में संदिग्ध वस्तु को जांच के लिए घोड़ा लाइन ले जाया गया। इस घटना से बैरागी कैंप में दहशत का माहौल बना रहा।
पुलिस ने अब बैरागी कैंप क्षेत्र की ड्रोन से निगरानी शुरू कर दी है। मंगलवार दोपहर के समय बैरागी कैंप में एक ढाबे के समीप पाइपनुमा एक संदिग्ध वस्तु दिखाई दी। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी दीपक रावत, एसएसपी कृष्णकुमार वीके, एसपी सिटी ममता वोहरा, सिटी मजिस्ट्रेट जयभारत सिंह, सीओ प्रकाश देवली सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस का डॉग स्कवायड और बम निरोधक दस्ता भी मौके पर पहुंचा हुआ था। कनखल थाना प्रभारी अनुज सिंह ने डंडे से संदिग्ध वस्तु को पास ही खोदे गए एक गड्ढे में डाल दिया।
पुलिस ने संबंधित स्थान की बेरिकेडिंग कर उसे खाली करा दिया। चंद मिनटों में क्षेत्र छावनी में तब्दील हो गया। बम निरोधक दस्ते ने गड्ढे में ही संदिग्ध वस्तु से विस्फोट कर उसे निष्क्रिय करने का प्रयास किया। मौके पर एक जोरदार धमाका भी हुआ। विस्फोट के बाद उस संदिग्ध वस्तु को कब्जे में लेकर उसे घोड़ा लाइन जांच को ले जाया गया।

अलग झंडे की मांग पर सिद्धारमैया ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाई

कर्नाटक में सरकार ने राज्य के लिए स्टेट फ्लैग के लिए कवायद शुरू की है। सीएम सिद्धारमैया ने इसके लिए 9 मेंबर्स की कमेटी बनाई है, जो झंडे के डिजाइन और इसके कानूनी पक्ष तय करेगी। मीडिया में खबरें आने के बाद बीजेपी-शिवसेना ने इसका विरोध शुरू कर दिया। सरकार का दावा है कि इस झंडे को कर्नाटक की खास पहचान के तौर पर देखा जाएगा। संविधान विशेषज्ञों के अनुसार, संविधान में अगल से झंडे का कोई प्रावधान नहीं है, यहां सिर्फ राष्ट्रध्वज हो सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी सिद्धारमैया सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। बता दें कि, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के किसी भी राज्य के पास खुद का झंडा नहीं है। आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को खास राज्य का दर्जा मिला हुआ है।

इन पर भी दे ध्यान…
स्टेट फ्लैग के लिए बनाई कमेटी जल्द ही राज्य की कांग्रेस सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। अगर, सिद्धरमैया कर्नाटक का झंडा बनाने में कामयाब हुए तो इससे उन्हें 2018 के असेंबली इलेक्शन में फायदा हो सकता है।
सरकार ने 6 जून को कमेटी बनाने के लिए ऑर्डर जारी किया था। इसमें कन्नड़ और कल्चर डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया।
2012 में राज्य में बीजेपी की सरकार थी। तब सरकार ने कहा था कि इससे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हो सकता है। कन्नड़ कम्युनिटी की आवाज बुलंद करने वाले कुछ संगठन अलग झंडे की मांग कर रहे थे। बता दें कि कर्नाटक में पिछले दिनों हिन्दी का भी विरोध हो रहा था। लोगों ने हिन्दी के बोर्ड हटाए थे।
बता दें कि कर्नाटक के फाउंडेशन डे पर हर 1 नवंबर को राज्य के गली-चौराहों पर लाल और पीले रंग का कन्नड़ फ्लैग लगाया जाता है। इसे कन्नड़ एक्टिविस्ट वीरा सेनानि एम. राममूर्ति ने 1960 में डिजाइन किया था। इसे भारत सरकार की मान्यता नहीं मिली है।